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Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 9 Long Type Answer Question | परिवहन संचार और व्यापार | क्लास X भारती भवन भूगोल अध्याय 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 9 Long Type Answer Question | परिवहन संचार और व्यापार | क्लास X भारती भवन भूगोल अध्याय 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रशन 1:-- भारतीय परिवहन देश के आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक है?

उत्तर:-- भारतीय परिवहन देश के आर्थिक विकास में बहुत सहायक माना जाता है। हमारे देश में परिवहन के विभिन्न साधन हैं, जैसे--- रेलवे ,सड़क मार्ग, जलमार्ग तथा वायुमार्ग इत्यादि। इन परिवहन के साधनों से कृषि, वाणिज्य व्यवसाय तथा उद्योग धंधों का विकास करने में सहायता मिलती है। क्योंकि परिवहन के साधनों के माध्यम से इनका तेजी से विकास किया जाता है। देश में कृषि, वाणिज्य व्यवसाय तथा उद्योग धंधों का समुचित विकास होने से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से देश का आर्थिक विकास करने में सुविधा होती हैं। साथ ही देश में विकास की योजनाएं आसानी से पूरी की जाती है। इससे विकास दर में वृद्धि होती है। परिणाम स्वरूप देश का समुचित रूप में आर्थिक विकास होता है।

प्रशन 2:-- भारत में सड़कों अथवा रेलमार्गों के वितरण पर सकारण प्रकाश डालें।

उत्तर:-- भारत में सड़क मार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन है। इन सड़क मार्गों का देश के विभिन्न भागों में समुचित रूप से वितरण हुआ है। हमारे देश में सड़क से संबंधित एक्सप्रेस राष्ट्रीय महामार्ग हैं। जिनका वितरण दिल्ली, मुंबई ,चेन्नई, कोलकाता इत्यादि क्षेत्रों में प्रमुख रूप से हुआ है। इसी प्रकार राष्ट्रीय महामार्ग की सड़के बहुत महत्व की हैं। इन राष्ट्रीय महामार्गो का वितरण देश के विभिन्न भागों में हुआ है। यह सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में मिलाती है। इसी प्रकार राज्य महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी के क्षेत्रों में पाई जाती है। यह महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी को उस राज्य के प्रमुख नगरों से मिलाते हैं। इसी प्रकार जिले की सड़कों का वितरण जिला मुख्यालय के क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें जिला मुख्यालय को जिले के अन्य नगरों एवं कस्बों से जोड़ते हैं। गांव की सड़कों का वितरण ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें गांव को जिले के विभिन्न नगरों में मिलाती है। सीमा सड़कों का वितरण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है।

 भारत में रेलवे परिवहन का सबसे प्रमुख साधन है। देश में रेल मार्गों का जाल बिछा हुआ है जिसकी कुल लंबाई लगभग 64 हजार किलोमीटर है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रेलमार्ग का वितरण किया गया है। भारत में रेलमार्गों का वितरण प्रमुख रूप से उत्तर भारत के मैदानी भागों में और दक्षिण भारत के सौराष्ट्र एवं तमिलनाडु में हुआ है। उत्तर भारत के मैदानी भाग में कृषि, वाणिज्य व्यवसाय और उद्योग धंधों का समुचित विकास हुआ है जिसके कारण रेलमार्ग अधिक पाए जाते हैं, क्योंकि यहां की समतल भूमि पर रेलमार्गों का आसानी से निर्माण किया जा सकता है। इसलिए यहां रेल मार्गों का अधिक घनत्व पाया जाता है। इसी प्रकार सौराष्ट्र और तमिलनाडु में समतल भूमि अधिक है। साथ ही इन क्षेत्रों में वाणिज्य व्यवसाय तथा उद्योग। धंधों का समुचित विकास हुआ है। जिसके कारण इन क्षेत्रों में रेलमार्गों का विकास अधिक किया गया है।

प्रशन 3:-- भारतीय व्यापार के विकास का विवरण देते हुए व्यापार में भाग लेने वाले प्रमुख पत्त्नों का वर्णन करें।

उत्तर:-- जल मार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन माना जाता है। जल परिवहन के अंतर्गत दो भाग आते हैं-- (1) नदी जलमार्ग तथा (2) समुद्री जलमार्ग।नदी जलमार्ग से आन्तरिक व्यापार के लिए परिवहन का काम किया जाता है जबकि समुद्री जलमार्ग से विदेशी व्यापार होता है। समुद्री जलमार्ग के अंतर्गत देश के विभिन्न पत्तन या बंदरगाह है। इन्हीं पत्तनों पर समुद्री जहाज ठतरते हैं और माल को निर्यात व्यापार करने के लिए जहाज पर लादा जाता है। साथ ही विदेशों से आयात किए हुए माल इन्हीं पत्तनों से जहाज़ से उतारा जाता है। यानी आयात व्यापार होता है। अतः विदेशी व्यापार के विकास के लिए इन पत्तनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत में कई प्रमुख पत्तन या बंदरगाह है। जिनसे व्यापार कार्य होता है। हमारे देश के पश्चिमी तट पर कांडला, मुंबई, मार्मगांव ,न्यू मंगलौर और कोचीन (कोच्चि)  पत्तन प्रमुख रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भाग लेते हैं। हाल ही में मुंबई में पंडित जवाहरलाल नेहरू   के नाम पर पत्तन का विकास किया गया है। मुंबई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है जहां से लोहा और मैंगनीज का निर्यात होता है। कोचीन का पोताश्रय नेसगिर्क हैं और उसकी पृष्ठभूमि में रबर , कहवा तथा नारियल कुंज मिलते हैं। नारियल की जटा और गरम मसालों के व्यापार के चलते इस पुराने जमाने से प्रसिद्धि मिलती रही है।

भारत के पूर्वी तट पर प्रमुख पत्तन हैं-- तूती कोसी, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता हल्दिया। मुख्यत: कोयला से लदे जहाज माल उतारते हैं। चेन्नई (मद्रास ) मुख्यत: खनिज तेल और लोहा अयस्क का व्यापार करता है, विशाखापट्टनम का पत्तन सबसे गहरा है जो मुख्यत: मैग्नीज ,लौह अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता नदी पत्तन है। इसके समीप हल्दिया का विकास कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार के लिए किया जा रहा है।

प्रशन 4:-- निर्यात संवर्धन के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की चर्चा करें।

उत्तर:-- भारत में निर्यात संवर्धन के लिए सरकार द्वारा दो प्रयास किए गए हैं जिनका वर्णन इस प्रकार हैं-- 

(1) नई विदेश व्यापार नीति:--  देश की आर्थिक उन्नति निर्यात पर निर्भर करती है। क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। सरकार द्वारा 31 अगस्त 2004 को नई विदेश व्यापार नीति लाई गई। जिसका उद्देश्य 2004 -2009 के बीच विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा दुगुना करना था। इसमें वर्णित सख्त प्रावधानों के चलते उद्देश्य के अनुरूप शीघ्र ही सापेक्षिक परिणाम मिलने लगे । तीन वर्षों के अंतर ही  भारत के निर्यात में सराहनीय वृद्धि हुई है।

(2) विशेष आर्थिक क्षेत्र:-- भारत एशिया का पहला देश है जिसने निर्यात की वृद्धि के लिए निर्यात संसाधन क्षेत्र को स्वीकार किया है। परंतु कुछ खामियों के चलते निर्यात के संवर्धन की दिशा में ये क्षेत्र (गुजरात के कांडला, महाराष्ट्र में सांताक्रूज़, केरल में कोच्चि, तमिलनाडु में चेन्नई ,आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, पश्चिम बंगाल में फाल्टा और उत्तर प्रदेश में नोएडा ) कारगर नहीं हो पाये। परिणामस्वरूप अप्रैल 2000 में कई नए प्रावधानों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की नीति की घोषणा की गई। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि निर्यात संवर्धन के क्षेत्र में भारत सरकार ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाए हैं जिसका दूरगामी परिणाम सामने आया है।

प्रशन 5:-- अंतरराष्ट्रीय व्यापार में विगत 10-15 वर्षों में क्या अंतर आया है?

उत्तर:-- (1)भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार  प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। 1950 -51 में जहां कूल व्यापार 1214 करोड़ रुपए का हुआ था  वहां 2006-07 में यह 1412286  करोड़ रुपिया तक पहुंच गया। तात्पर्य है कि पिछले वर्षों में भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार बहुत ज्यादा बढ़ा है। ऐसा वस्तुओं के मूल्यों में भारी वृद्धि के कारण जान पड़ता है।

(2) निर्यात व्यापार से अधिक आयात व्यापार में वृद्धि देखने को मिल रही है। जो व्यापार में संतुलन के लिए उचित नहीं माना जाता है।

(3) निर्यात की वस्तुओं में बदलाव आया है। पहले जहां चाय, बनस्पति, तेल, तंबाकू, चमरा आदि का निर्यात किया जाता था, वहीं अब रत्न आभूषण सिले सिलाए कपड़े मशीनरी तथा अन्य निर्मित वस्तुएं निर्यात की जाती है।

(4) आजाद की वस्तुएं भी बदल रही है। अब पूंजीगत वस्तुओं का अधिक आयात होने लगा है। भारत रसायन तथा विभिन्न प्रकार के उपकरणों का आयात करने लगा है।

(5) भारत कुछ वस्तुओं का आयात पुननिर्यात के लिए भी कर रहा है जैसे काजू ,हीरा ,जवाहरात आदि।

(6) भारत का व्यापार अमेरिका या यूरोपीय देशों की तुलना में अब एशियाई तथा अफ्रीकी देशों से बढ़ रहा है।

(7) भारत वस्तुओं का आदान प्रदान करने के बदले सूचनाओं , ज्ञान, महाशक्ति के रूप में उभरा है तथा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत अत्यधिक मुद्रा अर्जित कर रहा है।

प्रशन 6:-- यातायात के साधनों को देश की जीवन रेखा क्यों कहा जाता है?

उत्तर:-- यातायात के आधुनिक साधन किसी भी राष्ट्र और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं हैं।यातायात के विकसित साधनों के माध्यम से पूरी पृथ्वी पर आंगन सी बन चुकी है। इन साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय में आसानी से पहुंचा जा सकता है। जो दूरियां तय करने में हफ्तों -महीनों लगते थे अब वह घंटों में तय हो जाती है। आज पर्वत, पठार ,घाटियों, वन ,सागर महासागर बाधक नहीं रहे ,आसानी से उन्हें  पार किया जाता है। परिवहन के सभी साधनों से मिलकर सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुएं बाजार तथा उपभोक्ताओं  तक शीघ्रता से पहुंचाई जाती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में सूखा, बाढ़ अथवा महामारी जैसी समस्या का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है और तत्काल सहायता पहुंचाने में सक्षम है । यातायात के साधनों के विकास ने देश के विभिन्न भागों के लोगों में भाईचारगी पैदा की है , राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है और आर्थिक मजबूती प्रदान की है।

औद्योगिक विकास मूलतः यातायात के साधनों पर ही निर्भर हैं। कच्चा माल कारखाने तक लाने और तैयार माल बाजार तक ले जाने में यातायात के साधन ही सहायक होते हैं। अतः यातायात के साधन देश की जीवन रेखाएं होती हैं।

प्रशन 7:-- उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण पर आधारित 1991 की नई आर्थिक नीति की समीक्षा करें। क्या यह राष्ट्रहित के अनुकूल हुआ?

उत्तर:-- 1991 के आर्थिक संकट के बाद भारत में आर्थिक सुधारों के लिए कई क्षेत्रों में नई नई नीतियां बनाई जिसे सम्मिलित रूप से नई आर्थिक नीति के नाम से जाना जाता है।

भारत द्वारा विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता स्वीकार करने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव पड़ना प्रारंभ हो गया। विश्व की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के द्वारा खुल गए और भारतीय कंपनियां भी पूरे विश्व में फैल कर व्यापार करने लगी।इसके पक्ष या विपक्ष में भारत के अर्थशास्त्रियों के विचार अलग-अलग हैं। कुछ इसे राष्ट्रहित में मानते हैं और कुछ इसे राष्ट्रहित में नहीं मानते हैं।

*राष्ट्रहित के अनुकूल मानने वालों का कहना है कि---

(1) इससे उत्पादकता बढ़ेगी।

(2) लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा।

(3) प्रतिस्पर्धा के कारण कार्य कुशलता में वृद्धि होगी।

(4) अर्थव्यवस्था की संरचना में सुधार होगा।

(5) अच्छी वस्तुएं भी कम मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगी।

(6) राष्ट्रीय संसाधनों का समुचित उपयोग होगा।

*राष्ट्रहित के प्रतिकूल  मानने वालों का कहना है कि ---

(1)  पूंजी प्रधान उद्योगों का महत्व बढ़ने से कंप्यूटर आदि का उपयोग बढ़ेगा और रोजगार का अवसर घटेगा। बेरोजगारी बढ़ेगी।

(2) भारत में लघु और कुटीर उद्योग की बहुलता है। विश्व बाजार की कड़ी प्रतिस्पर्धा में यह टिक नहीं पाएंगे और लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए वह शुभ घड़ी न होगी।

(3) महंगाई बढ़ेगी, गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए कठिन घड़ी होगी। बाजार मांग के अनुसार नकदी फसल का उत्पादन बढ़ेगा और सद्दान का उत्पादन कम हो सकेगा।

प्रशन 8:-- भारत के पर्यटन उद्योग की विस्तृत जानकारी दें।

उत्तर:-- वर्तमान समय में पर्यटन उद्योग का समुचित विकास हो रहा है जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो रही है। आर्थिक युग में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने अब इसे एक उद्योग का दर्जा दे दिया है, क्योंकि इसमें 78 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से एवं इससे दुगुने से भी अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से दुगुनी होती है।

वर्तमान में पर्यटन उद्योगों के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन से काफी विदेशी मुद्रा अर्जित की गई है। इससे देश में जहां राष्ट्रीय एकता को बल मिल रहा है वहीं अंतरराष्ट्रीय सद्भावना भी पनप रही है।

हमारे देश में पर्यटन उद्योग के विभिन्न स्वरूपों के होने के कारण विकास कर रहा है। कोवलम और कोच्चि (केरल), गणपतीपुले और मुंबई (महाराष्ट्र), अहमदपुर, मांडवी और तिथल, (गुजरात), दीघा (पश्चिम बंगाल), कन्याकुमारी (तमिलनाडु), पणजी (गोवा), कारवार (कर्नाटक) इत्यादि ।सागर तट के यह क्षेत्र ऐसे हैं जहां देशी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। अतः सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में विश्रामालयों और कुटियों को बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में  राष्ट्रीय  पार्को और अभ्याराण्यों की भरमार है । असम और राजस्थान के जैसलमेरक्षेत्र में अच्छे होटलों तथा अन्य सुविधाओं का विकास भी हुआ है। दर्शकों की सुविधा के लिए ऊंची मीनारें भी बनाई गई है। हिमाचल प्रदेश तथा हिमालयी क्षेत्रों के स्केटिंग, पर्वतारोहण, स्कीइंग जैसी कौतूहल और साहस से भरी  क्रिड़ाओं को   करने के लिए विशेष रूप से तरुण वर्ग के पर्यटक आते हैं। सिक्किम ,असम तथा दीपसमूहों के पर्यावरण के आकर्षण से पर्यटक खींचे हुए चले आते हैं।

भारत के विभिन्न भागों के विशिष्ट नृत्य, संगीत और नाटक भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उदारीकरण और वैश्वीकरण के बाद भारत का बाजार विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। अनेक व्यापारी और कंपनियों के अधिकारी अपने व्यापार व उद्योग के विकास की संभावनाओं की तलाश में भारत आते रहते हैं। देश में कई प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत है जिन को देखने के लिए देश और देश के बाहर के पर्यटक आते हैं। इनसे पर्यटन उद्योग को बड़ी मात्रा में आय की प्राप्ति होती है।

भारत के पर्यटन उद्योग में वर्तमान समय में बहुत वृद्धि हुई है। 2010 ईस्वी में 35,765 करोड़ रुपिया पर्यटन उद्योग से अर्जित की गई है। वर्तमान समय में प्रतिवर्ष लगभग 25 लाख विदेशी पर्यटक भारत आते हैं। इस उद्योग में 150 लाख से ज्यादा लोग लगे हुए हैं। अधिकतर विदेशी पर्यटकों के लिए गोवा, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, दक्षिण भारत के मंदिर और आगरा का ताजमहल दर्शनीय स्थल है जिन को देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। परिणाम स्वरुप पर्यटन उद्योग को बड़ी मात्रा में आय की प्राप्ति होती है। हमारे देश में कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां पर पर्यटक आते रहते हैं। इससे पर्यटन उद्योग के विकास में सहायता मिलती है।

Class 10 Geography Notes Chapter 1

Class 10 Geography Notes Chapter 2

Class 10 Geography Chapter 1 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 1 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 2 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 3 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 5 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 6 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 7 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 10 Geography Chapter 8 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10 Geography Chapter 9 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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