Class 10th Bharati Bhawan Geography
प्रशन 1:-- भारत किन खनिज संसाधनों में मुख्य रूप से संपन्न है? विवरण सहित उत्तर दें।
उत्तर:-- भारत कई प्रमुख खनिज संसाधनों में मुख्य रुप से संपन्न है जिसका विवरण इस प्रकार है---
(1) अबरक :-- देश का आधा अबरक झारखंड राज्य से प्राप्त होता है। कोडरमा, डोमचांच, मसनोडीह, ढाब और गिरिडीह में अबरक की खानें हैं। यहां का अबरक उच्च कोटि का होता है जिसे बंगाल रूबी कहा जाता है। दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र राजस्थान राज्य में पाया जाता है। तीसरा क्षेत्र आंध्र प्रदेश में पाया जाता है। इस क्षेत्र में हरे रंग का अबरक पाया जाता है।
(2) चूना पत्थर:-- यह अवसादी चट्टान है जिसमें चूने के अंश की प्रधानता रहती है। यह भारत के विभिन्न राज्यों में पाया जाता है। यह सीमेंट उद्योग का कच्चा माल है। लौह अयस्क गलाने में भी इसका प्रयोग होता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मेघालय, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड में मुख्य रूप से यह पाया जाता है।
(3) जिप्सम :--- यह मूलतः कैलशियम सल्फेट है। इससे प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है । अस्पतालों में पट्टी बांधने, मूर्ति बनाने, घरों की दीवारों को चिकना करने में इसका उपयोग किया जाता है। भूमि निम्नीकरण की समस्या के निवारण के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इससे अनाज के उत्पादन में वृद्धि होती है। इसका वितरण राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, तमिलनाडु में पाया जाता है जिसमें राजस्थान पहले नंबर पर और जम्मू कश्मीर का स्थान दूसरा है।
(4) कोयला:-- यह उर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। 2008 तक भारत में कोयला का अनुमानित भंडार 26454 करोड़ टन का अंदाजा था और कुल उत्पादन 456.37 मिलियन टन हुआ था । यहां दो समूहों के कोयले का निक्षेप पाया जाता है जिसमें 96% कोयला गोंडवाना समूह में पाया जाता है जिसका विस्तार झारखंड, छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा, महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्य में पाया जाता है। दूसरे प्रकार के कोयला में टर्शियर युगीन कोयला आता है। यह नया और घटिया किस्म का कोयला है जो असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड में मिलता है।
(5) लौह अयस्क:-- भारत में लौह अयस्क का वितरण कमोबेश सभी राज्यों में है। परंतु कुल लौह अयस्क का 96% भाग केवल कर्नाटक, झारखंड, गोवा, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य में पाया जाता है और शेष 4% भंडार तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में वितरित है।
(6) तांबा:-- भारत में तांबे का सबसे प्रमुख क्षेत्र झारखंड के छोटा नागपुर पठार के सिंहभूम जिला में स्थित है। जो 130 किलोमीटर लंबी पेटी है। इसी पेटी से भारत का अधिकतर तांबा प्राप्त होता है। घाटशिला और मोसाबानी प्रमुख खनन केंद्र है।
(7) बॉक्साइट:-- भारत में 3,290 मिलियन टन बॉक्साइट का विशाल भंडार है। भारत इस खनिज में धनी माना जाता है। इसी खनीज से एल्युमीनियम निकाला जाता है जिससे वायुयान का निर्माण किया जाता है। बॉक्साइट झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और उत्तराखंड इत्यादि राज्यों में पाया जाता है।
(8) मैंगनीज:-- भारत में 379 मिलियन टन मैंग्नीज का भंडार है जो विश्व के कुल खनिज भंडार का 20% है। इसके उत्पादन में भारत का विश्व में द्वितीय स्थान है। इस खनिज का प्रमुख भंडार उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा इत्यादि राज्यों में पाया जाता है।
प्रशन 2:-- भारत के प्रमुख तीन धात्विक खनिजों का विवरण बताएं।
उत्तर:-- धात्विक खनिज ऐसे खनिज होते हैं जिन्हें शुद्ध करने के बाद कूटा- पीसा या दबाया जा सकता है तथा उचित रूप में ढाला जा सकता है। धात्विक खनिजों को लौह तथा अलौह खनिजों में बांटा जाता है। प्रमुख धात्विक खनिजों में लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट और तांबा है। इसका विवरण इस प्रकार है---
(1) लौह अयस्क:-- भारत में लौह अयस्क का संचित भंडार बहुत अधिक है। यहां उच्च कोटि के हेमाटाइट और मैग्नेटाइट लौह अयस्क पाए जाते हैं। भारत का सर्वप्रमुख लौह क्षेत्र झारखंड के सिंहभूम, उड़ीसा के सुंदरगढ़, क्योंझर तथा मयूरभंज जिलों में है। मेगाहाता विश्व में लौह अयस्क की सबसे बड़ी खान है। दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र छत्तीसगढ़ के रायपुर दुर्ग , दंतेवाड़ा और बस्तर तथा महाराष्ट्र में चंदा जिले तक फैला है। मध्यप्रदेश के जबलपुर और बालाघाट जिले में भी लौह अयस्क मिलता है । तीसरी महत्वपूर्ण लौह अयस्क क्षेत्र भारत के पश्चिमी में रत्नागिरी से गोवा तक स्थित है। भारत के पूर्वी भाग में गुंटुर करनूल तक फैला हुआ है।
(2) मैंगनीज अयस्क:-- भारत में मैगनीज का भंडार विश्व के भंडार का 20% पाया जाता है। इसके खनिज के प्रमुख भंडार उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा राज्य में है। भारत का मैंगनीज उच्च कोटि का है । यह अधात्विक खनिज है जो इस्पात बनाने में काम आता है।
(3) बॉक्साइट अयस्क:-- एक अनुमान के अनुसार भारत में बॉक्साइट का विशाल भंडार है। इस खनिज से एल्युमीनियम निकाला जाता है। इसकी प्राप्ति लेटराइट चट्टान से होती है। भारत में इसके भंडार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक राज्य में पाए जाते हैं।
प्रशन 3:-- अर्थव्यवस्था पर खनन के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:-- भारतीय अर्थव्यवस्था पर खनन का प्रभाव कुछ इस प्रकार से देखने को मिलता है---
(1) इससे रोजगार के अवसर मिलते हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में यह बहुत महत्वपूर्ण है । भारत में 8 लाख से अधिक लोग खनन कार्य में लगे हैं।
(2) खनिजों के मिलने से उनके परिवहन के लिए सड़कें और रेल लाइन बनानी पड़ती है। इससे आधारभूत संरचना में वृद्धि होती है और विकास की गति बढ़ जाती है।
(3) खनिजों के निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जिसका उपयोग अन्य क्षेत्रों में विकास के लिए किया जाता है।
(4) कई छोटे-बड़े धातु उद्योग का विकास होने लगता है जिनसे आवश्यक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
(5) खनिजों को पूरी तरह निकाल लेने के बाद कभी-कभी इन्हीं के अभाव का सामना करना पड़ता है।
(6) खनन उद्योग के कम होने या बंद हो जाने पर बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
(7) खनन उद्योग के विकास के बिना किसी भी देश या क्षेत्र में आर्थिक और औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।
(8) खनन उद्योग आर्थिक विकास एवं औद्योगिक विकास को आधार प्रदान करता है।
(9) खनन उद्योग परिवहन और व्यापार को भी बढ़ावा देते हैं
(10) खनन उद्योग इस तरह मानव की प्रगति में सहयोग करता है।
प्रशन 4:-- रैट होल खनन का विवेचन करें।
उत्तर:-- भारत में सभी खनिजों का राष्ट्रीयकरण किया जाता है, अर्थात इनका उत्पादन या तो सरकारी संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है अथवा सरकार की अनुमति तथा निगरानी में निजी संस्थाओं द्वारा हो सकता है। दक्षिणी पठार के पूर्वी भाग में खनिजों का भंडार अधिक है और इसी पठार की उत्तरी पूर्वी सीमा पर मेघालय स्थित है। स्वभावत: उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में कोयला, लौह अयस्क, चूना, पत्थर, डोलोमाइट जैसे खनिजों के विशाल भंडार है। परंतु इन खनिजों को कारखानों तक पहुंचाने के लिए न तो स्थलीय परिवहन सुविधाजक है, न समुद्री परिवहन वायु परिवहन बहुत खर्चीला है। रेल लाइन बांग्लादेश का चक्कर लगाने के बाद ही कोलकाता तक आ सकती है। अतः इस क्षेत्र के जनजातियों वाले क्षेत्रों में खनिजों का स्वामित्व व्यक्तियों, समूहों या अब ग्राम पंचायतों के पास है। शिलांग से लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर जोबाई और चेरापूंजी स्थित है। यह जनजातियों के परिवार कोयले का खनन विभिन्न प्रकार से करते हैं। एक बड़ी झोपड़ी के नीचे पहले कुएं जैसे गहरा गड्ढा खोदा जाता था। फिर कोयला प्राप्त होने पर धीरे-धीर क्षैतिज सुरंगें खोदी जाती थी।ये पतली सुरंगें कभी-कभी बहुत दूर तक चली जाती है। चूहे जमीन के भीतर इस प्रकार की बिल खोदते हैं। इसलिए इसे रैट होल खनन कहते हैं।
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