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Class 10th Bharati Bhawan Geography | Chapter 8 Construction Industry Answer Question | Bihar Board X Class Bharti Bhavan Bhugol | कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 8 निर्माण उद्योग

Class 10th Bharati Bhawan Geography  Chapter 8 Construction Industry Answer Question  Bihar Board X Class Bharti Bhavan Bhugol  कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 8 निर्माण उद्योग
Class 10th Bharati Bhawan Geography

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रशन 1:-- किस योजना काल में भारत में लोहा इस्पात का विचार प्रस्तुत किया गया? 

उत्तर:-- द्वितीय पंचवर्षीय योजना काल में भारत में लोहा इस्पात का विचार प्रस्तुत किया गया।

प्रशन 2:-- 1854 में भारतीय पूंजी से सबसे पहली सूती वस्त्र की मिल कहां स्थापित की गई थी?

उत्तर:-- 1854 में भारतीय पूंजी से सबसे पहली सूती वस्त्र की मिल मुंबई में स्थापित की गई थी।

प्रशन 3:-- भारत का कौन राज्य जूट उत्पादन में अग्रणी है?

उत्तर:-- भारत का पश्चिम बंगाल जूट उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं।

प्रशन 4:--  भारत का पहला इस्पात कारखाना किस नदी घाटी में स्थापित हुआ था? 

उत्तर:-- भारत में पहला इस्पात कारखाना सबसे पहले 1830 ईसवी में तमिलनाडु में पोर्टोनोवा नदी घाटी में स्थापित हुआ था।

प्रशन 5:-- टीटागढ़ का कागज कारखाना किस राज्य में अवस्थित है?

उत्तर:-- पश्चिम बंगाल में टीटागढ़ का कागज कारखाना अवस्थित है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रशन 1:--गौण उत्पादन किसे कहते हैं? कोई एक उदाहरण दें  ।

उत्तर:-- प्राकृतिक उत्पादों में कुछ ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें अधिकाधिक उपयोग में लाने के लिए संसाधित करने की आवश्यकता होती हैं। प्राथमिक उत्पादों को संशोधित करने से जो उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं उन्हें गौण उत्पाद कहते हैं। रुई से तैयार किया गया कपड़ा और लोहा अयस्क  से तैयार किया गया इस्पात गौण उत्पाद के उदाहरण हैं।

प्रशन 2:-- निर्माण उद्योग से आप क्या समझते हैं? कोई दो उदाहरण दें।

उत्तर:-- अधिक से अधिक कच्चा माल जुटाकर सबसे बहुमूल्य और अधिक उपयोगी वस्तुओं का अधिकाधिक उत्पादन करने की प्रक्रिया ही निर्माण उद्योग है, अपनी कार्यकुशलता और तकनीकी ज्ञान से जब मानव प्राथमिक उत्पादों को गौण उत्पादों में परिवर्तित करता है तो उसका यह प्रयास और क्रियाशीलन निर्माण उद्योग या सिर्फ निर्माण कहलाता है। उदाहरण के लिए, गन्ने के 10 टन रस से  1 टन चीनी ही बनती है , परंतु इसका मूल्य रस के मूल्य से 10 गुना हो जाता है। इसी प्रकार कच्चे माल बहुत सस्ते होते हैं, परंतु उनसे बना माल मूल्यवान हो जाता है। जंगल में पेड़ के पत्ते का कोई मूल्य नहीं, परंतु उसी के पत्तल बना कर बेचने पर आमदनी होने लगती है।

प्रशन 3:-- उद्योगों का विकास क्यों आवश्यक है?

उत्तर:-- उद्योगों के विकास से लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठता है। भारत में कृषि पर आधारित अनेक उद्योग स्थापित है। जैसे-- सूती वस्त्र उद्योग, चीनी  उद्योग , चाय, कॉफी, जूट उद्योग आदि। कुछ उद्योग कृषि के विकास में लगे हैं, जैसे उर्वरक उद्योग।

उद्योग में आत्मनिर्भरता लाने के लिए उच्च कोटि की कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा लाने की आवश्यकता है। जब तक औद्योगिक उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर का नहीं होगा, तब तक अन्य देशों से हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए हमें ऐसा करना जरूरी है। विदेशी मुद्रा अर्जित कर राष्ट्रीय संपत्ति बढ़ा सकते हैं और देश को खुशहाल बना सकते हैं।

प्रशन 4:-- उद्योगों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर प्रस्तुत करें।

उत्तर:-- उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार है जो इस प्रकार है---

(क) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर:-- इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं--

(1) कृषि पर आधारित उद्योग, जैसी--चीनी, खाद्य , तेल, सूती कपड़े और जूट उद्योग ।

(2) खनिज पर आधारित उद्योग, जैसे--लोहा, इस्पात , एल्युमीनियम और तांबा उद्योग।

(3) जंतु पर आधारित उद्योग, जैसे-- ऊनी वस्त्र, चमरा, दुग्ध व्यवसाय, पशु चरण उद्योग।

(4) वन पर आधारित उद्योग, जैसे--कागज और लोहा उद्योग।

(ख) उत्पाद अर्थात तैयार माल के परिमाण और भार के आधार पर:--इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं---

(1) भारी उद्योग, जैसे-- लोहा इस्पात उद्योग।

(2) हल्का उद्योग, जैसे-- साइकिल निर्माण उद्योग।

(ग) उद्योगों के आकार के आधार पर:--इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं---

(1) बड़े पैमाने का उद्योग, जैसे-- मिलों में सूती कपड़े तैयार करना।

(2) मध्यम आकार के उद्योग, जैसे-- छोटी चीनी मिल, चावल में (राइस मिल)।

(3) छोटे पैमाने का उद्योग, जैसे-- गुड़ और खंडसारी उद्योग।

(घ) स्वामित्व के आधार पर:--इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं---

(1) निजी क्षेत्र का उद्योग, जैसे-- जमशेदपुर का लोहा- इस्पात कारखाना।

(2) सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग, जैसे-- समुद्री जहाज का निर्माण।

(3) संयुक्त क्षेत्र का उद्योग, जैसे--ऑयल इंडिया लि० और गुजरात एल्कली लि०।

(ड़) अन्य आधार उद्योगों की स्थिति या उनके विस्तार के आधार पर:--इसके अंतर्गत निम्न उद्योग आते हैं--

(1) ग्रामीण उद्योग, जैसे--गांव के छोटे उद्योग, आटा मिल, तेल मिल, पंसारी दुकान, खादी उद्योग ।

(2) कुटीर उद्योग, जैसे-- हैंडलूम, पावरलूम, साबुन बनाना , कसीदाकारी।

प्रशन 5:-- कृषि पर आधारित दो प्रमुख उद्योगों के नाम लिखें। प्रत्येक के दो विकसित क्षेत्रों का उल्लेख करें।

उत्तर:-- कृषि पर आधारित दो प्रमुख उद्योग जूट उद्योग एवं सूती वस्त्र उद्योग हैं। जूट उद्योग के दो विकसित क्षेत्र उत्तरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में है। एवं सूती वस्त्र उद्योग के दो विकसित क्षेत्र मुंबई और अहमदाबाद में है।

प्रशन 6:-- तीन मानवीय कारकों का उल्लेख करें जिनसे उद्योग स्थापन प्रभावित होता है ।

उत्तर:-- उद्योग की स्थापना करने के लिए विभिन्न कारक उत्तरदाई हैं जिनमें मानवीय कारक या मानवीय संसाधन भी हैं।मानवीय संसाधन का अर्थ मजदूरों से लगाया जाता है। उद्योगों की स्थापना करने और उत्पादन कार्य करने के लिए कारीगरों और मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है। उद्योग उन्हीं स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं जहां पर योग्य और कुशल मजदूर उपलब्ध रहते हैं। साथ ही वे कम मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार रहते हैं। मजदूरों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता का होना भी आवश्यक है।

प्रशन 7:-- हल्का उद्योग और भारी उद्योग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-- (1) हल्का उद्योग:-- इन उद्योगों में भारी कच्चे माल का प्रयोग होता है जिससे विनिर्मित वस्तुएं भी भारी होती हैं। जैसे-- लोहा- इस्पात उद्योग ।

(2) भारी उद्योग:-- इस वर्ग के उद्योग में हल्के कच्चे माल का प्रयोग होता है जिससे हल्के कच्चा माल का निर्माण होता है। जैसे --इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सिलाई मशीन उद्योग।

प्रशन 8:-- महाराष्ट्र और गुजरात के दो दो सूती वस्त्रोद्योग के नाम लिखें।

उत्तर:--(1)महाराष्ट्र के दो सूती वस्त्रोद्योग केंद्र:-- महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र है।

(2) गुजरात के दो सूती वस्त्रोद्योग केंद्र:-- गुजरात में अहमदाबाद और वडोदरा सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र है।

प्रशन 9:-- महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के पांच कारक कौन-कौन है?

उत्तर:-- महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में सूती वस्त्र उद्योग की विकास में पांच महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित है---

(1) दोनों ही राज्यों में कच्चे माल के रूप में कपास की पर्याप्त उपलब्धता है, क्योंकि इन्हीं राज्यों में कपास की अच्छी खेती की जाती है।

(2) दोनों ही राज्य तटवर्ती है भाग में पड़ते हैं, जहां बंदरगाह की सुविधा प्राप्त हैं, जिससे कपास और मशीनरी के आयात एवं निर्यात की सुविधा प्राप्त है।

(3) समुद्र के निकट होने के कारण आद्रयुक्त वायु इस उद्योग के लिए मददगार है ,इससे धागे नहीं टूटते और कपड़ा अच्छा तैयार होता है ।

(4) दोनों ही राज्यों में यातायात के साधन विकसित हैं, जो माल ढोने में सहायक है ।

(5) यहां के तैयार वस्त्र की खपत देश-विदेश के बाजारों में होती है।

प्रशन 10:-- किन चार राज्यों में सूती कपड़े की मिले अधिक हैं? कुटीर और लघु उद्योग के रूप में सूती कपड़े कहां अधिक तैयार किए जाते हैं और क्यों? 

उत्तर:-- महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में सूती कपड़े की मिले अधिक हैं। कुटीर और लघु उद्योग के रूप में सूती कपड़े आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में अधिक तैयार किए जाते हैं। क्योंकि इन राज्यों में शक्तिचालित करघों से आसानी के साथ अधिक से अधिक और गुणवत्ता वाले कपड़ों का निर्माण किया जा सकता है।

प्रशन 11:-- दक्षिण भारत में हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है। क्यों? 

उत्तर:-- दक्षिण भारत जैसे-- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है। शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक होने का कारण यह है कि इन राज्यों में जल शक्ति के अनुकूल उपलब्धता है। जल शक्ति से बिजली पैदाकर शक्तिचालित करघों को चलाया जाता है जिसका उपयोग सूती वस्त्र उद्योग में किया जाता है। सूती वस्त्र उद्योग में शक्तिचालित करघों का उपयोग कर कम समय में अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़ों का निर्माण किया जाता है। इसलिए दक्षिण भारत में हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है।

प्रशन 12:-- सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याएं क्या है? 

उत्तर:-- सूती वस्त्र उद्योग की समस्याएं निम्न हैं---

(1) पुरानी मिलो से पुरानी प्रौद्योगिकी का प्रयोग ।

(2) उत्तम कपड़ों का उत्पादन बढ़ाने में उदासीनता ।

(3) कृत्रिम कपड़ों की मांग का बढ़ना ।

(4) विद्युत आपूर्ति में बाधा ।

(5) राजनीतिक माहौल का बिगड़ना, कारखाने में हड़ताल होना 

(6)कर्मचारियों के समयानुकूल प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों की जानकारी देने की व्यवस्था न होने के कारण उत्पाद की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित होती है ।

प्रशन 13:-- जूट मिलों में किस प्रकार के समान तैयार किए जाते हैं? जूट उद्योग को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? 

उत्तर:-- जूट मिलों में चार प्रकार के समान तैयार किए जाते हैं--

(1) बोरे, (2) टाट, (3)  मोटी दरी या फर्शपोश और, (4) रस्सियां।

जूट उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे इस प्रकार हैं---

(1) कृत्रिम देशों से बनी रस्सियां टाट तथा बोरे अनेक देश तैयार करने लगे हैं जिससे इनकी मांग में कमी आ गई है।

(2) अधिक मूल्य होने के कारण इनके बिक्री में कमी आ गई है ।

(3) अच्छी किस्म के सस्ते जूटो का अभाव है ।

(4) इनमें रुपयों का कम मूल्य यानी रुपए का अवमूल्यन होता है ।

(5) जूट मिलों का पुराना पर जाना भी इसकी समस्या है ।

(6) बांग्लादेश में नई जूट मिलों का स्थापित होना भी इसकी प्रमुख समस्या है ।

प्रशन 14:-- उत्तर भारत और दक्षिण भारत के चार चार  राज्यों के नाम लिखें। जो चीनी उद्योग में विकसित है। इस उद्योग की प्रमुख समस्याएं क्या है? 

उत्तर:-- चीनी उद्योग में विकसित उत्तम और दक्षिण भारत के चार चार राज्य निम्न है --

*उत्तर भारत के राज्य---

(1) उत्तर प्रदेश (2) बिहार  (3) पंजाब (4) हरियाणा।

*दक्षिण भारत के राज्य:--

(1) महाराष्ट्र (2) कर्नाटक (3) आंध्र प्रदेश (4) तमिलनाडु।

*चीनी उद्योग की वर्तमान समस्या निम्नलिखित हैं---

(1) गन्ने की खेती का कम होते जाना जिसके कारण कच्चा माल गन्ना करखानें को नहीं मिल पाता है।

(2) उच्च कोटि के गन्ने की खेती की कमी ।

(3) उत्तर भारत की मिले पुरानी है। उसमें पुराने तकनीक का ही प्रयोग किया जा रहा है।

(4) विद्युत आपूर्ति आवश्यकता के अनुसार नहीं मिलता है ।

(5) गन्ने की खेती में समय अधिक लगता है। इसलिए किसान इसकी खेती करने को लाभप्रद नहीं मानते हैं और नकदी फसल पैदा करने पर बल देते हैं ।

प्रशन 15:-- लोहा इस्पात उद्योग के कच्चे माल क्या क्या है? छत्तीसगढ़ में यह उद्योग कहां स्थापित है? वहां इसके स्थानीयकरण के प्रमुख कारक कौन-कौन है?

उत्तर:-- स्क्रैप धातु अर्थात टूटे-फूटे और रद्दी स्टील और स्पंज लोहा इस्पात उद्योग के कच्चे माल हैं। छत्तीसगढ़ में यह उद्योग भिलाई में स्थापित है। भिलाई छत्तीसगढ़ में लोहा इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के प्रमुख कारक निम्नलिखित है--

(1) छत्तीसगढ़ स्थित यह  भिलाई नगरी, कोलकाता मुंबई रेल मार्ग पर स्थित है। अन्य लौह इस्पात केंद्रों की अपेक्षा मुंबई से इसकी समीपता अधिक है। 

(2) ढ़ाली राजहरा क्षेत्र से लौह अयस्क की प्राप्ति होती है। जो 100 किलोमीटर के अंदर हैं।

(3) कोरबा की खानें से कोयले की प्राप्ति होती है। कोरबा में तापीय विद्युत भी उपलब्ध है जो 200 किलोमीटर पर है। झारखंड के कोयला क्षेत्र से भी रेल मार्ग द्वारा कोयला मंगाने की सुविधा होती है। यह दूरी 750 किलोमीटर पर जाती हैं।

(4) 100 किलोमीटर के अंदर चूना पत्थर, डोलोमाइट और मैंग्नीज की प्राप्ति होती है। नंदिनी    की खानें चुना पत्थर आदि के लिए प्रसिद्ध है। मैंगनीज भंडार से प्राप्त हो जाता है।

(5) तंदूला नहर और जलाशय से जल की प्राप्ति होती है।

(6) पठारी क्षेत्र होने के कारण कड़ी भूमि और सस्ते श्रमिक भी मिल जाते हैं।

प्रशन 16:-- झारखंड और पश्चिम बंगाल में लोहा इस्पात के कारखाने कहां कहां स्थापित है? किसी एक की सुविधाओं का उल्लेख करें।

उत्तर:-- झारखंड में जमशेदपुर और बोकारो में लोहा इस्पात का कारखाना स्थापित है। पश्चिमी बंगाल में कुल्टी बर्नपुर और दुर्गापुर में लोहा इस्पात के कारखाने स्थापित है।

* जमशेदपुर के लोहा इस्पात कारखाने को प्राप्त सुविधाएं:-- 

(1) लौह अयस्क की आपूर्ति नोआमंडी , सुलेपत , गुरुमाहीसानी और बदाम पहाड़ी से होती है।

(2) कोयला की प्राप्ति झरिया और रानीगंज से होती है।

(3) वीरमित्रपुर और पानपोश की खानें चूना पत्थर और डोलोमाइट की प्राप्ति होती है।

(4) सुवर्णरेखा और खरकई नदियों से जल की प्राप्ति की जाती है।

(5) कोलकाता मुंबई रेल मार्ग पर होने से यातायात सुविधा उपलब्ध है।

प्रशन 17:-- दक्षिण भारत में स्थापित किए गए लोहा इस्पात के नए कारखानों की सुविधाएं क्या है? उनका महत्व बताएं।

उत्तर:-- दक्षिण भारत में स्थापित किए गए लोहा इस्पात के नए कारखानों की सुविधाएं ये हैं--

(1) यहां स्थानीय लौह अयस्क की प्राप्ति होती है।

(2) यहां लिग्नाइट कोयले का भंडार मिलता है।

(3) यहां समीपवर्ती क्षेत्रों से चूना पत्थर, डोलोमाइट और मैंग्नीज की प्राप्ति होती है

(4)  यहां व्यापार की सुविधा मिलती है। विशेष रूप में विशाखापट्टनम विशाखापट्टनम से जो समुद्र तट पर अवस्थित है।

(5) यहां तुंगभद्रा बांध से विजयनगर को जल और जलविद्युत की प्राप्ति होती है।सलेय को भी जलविद्युत की सुविधाएं प्राप्त हैं। विशाखापट्टनम मध्यप्रदेश एवं आंध्रप्रदेश से कोयला  आयात की सुविधा प्राप्त है ।साथ ही लौह अयस्क मंगाने की भी सुविधा यहां उपलब्ध है।

(6) इस्पात उद्योग के पूर्ववर्ती केंद्रों से दक्षिण क्षेत्र काफी दूर पड़ जाते हैं। इस्पात उत्पादन में क्षेत्रीय संतुलन कायम रखने तथा स्थानीय लघु इस्पात संयंत्र की मांग पूरी करने में भी इन कारखानों का महत्वपूर्ण योगदान हो , यह दृष्टिकोण अपनाया जाता है।

प्रशन 18:-- लोहा इस्पात उद्योग दक्षिण भारत में ही क्यों स्थापित है?

उत्तर:-- ज्यादातर लोहा इस्पात उद्योग दक्षिण भारत में ही स्थापित किए गए हैं। क्योंकि दक्षिण भारत में वे सभी सुविधाएं प्राप्त है जो लोहा इस्पात उद्योग को चाहिए। दक्षिण भारत में लौह अयस्क, मैंगनीज , कोकिंग कोयला और गालक खनिज जैसे चूना पत्थर और डोलोमाइट जो लोहा गलाने में काम आते हैं, प्रचुर मात्रा  में उपलब्ध है। यहां उष्मासह या दुलरगनीय ईंटों  को बनाने के लिए सामग्री प्राप्त होती है, जो धमन भट्टी के निर्माण में काम आता है। यहां बहुत सारी भौगोलिक सुविधाएं पाई जाती हैं। जो, लोहा इस्पात उद्योग के लिए बहुत अनुकूल होते हैं। अतः कहा जा सकता है कि दक्षिण भारत में लोहा इस्पात उद्योग की बहुत अधिक भरमार है।

प्रशन 19:-- भारत में जलयान निर्माण तथा रेलवे उपकरण निर्माण उद्योगों का विवरण बताएं।

उत्तर:-- भारत में जलयान निर्माण उद्योग का वितरण:-- भारत में जलयान का निर्माण कोच्चि (कोचीन) , विशाखापट्टनम, कोलकाता, मुंबई और मार्मगांअओं में किया जाता है।

*भारत में रेलवे उपकरण निर्माण उद्योग का वितरण:-- भारत में रेलवे उपकरण का निर्माण वाराणसी, चितरंजन, जमशेदपुर, चेन्नई के निकट पेरंबूर , पंजाब के कपूरथला तथा बंगलुरु में किया जाता है।

प्रशन 20:-- औद्योगिक प्रदूषण से क्या खतरा उत्पन्न हो रहा है? इसके निराकरण के लिए सुझाव दें।

उत्तर:-- औद्योगिक गतिविधियों का सबसे खराब प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है। उद्योगो विशेषकर रासायनिक उद्योगों, सीमेंट, इस्पात, उर्वरक, चमरा उद्योग आदि से बड़ी मात्रा में विषैले गैस निकलकर वायु को प्रदूषित करते हैं। इसी प्रकार कारखाने से निकलने वाले कचरे को जलाशय में प्रवाहित करने से जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है।

*औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:--

(1) कोयला और खनिज तेल के स्थान पर पनबिजली का उपयोग बढ़ाया जाए।

(2) करखानें के कचरे को पहले उपचारित कर लिया जाए फिर विसर्जित किया जाए।

(3) कारखाने से निकले प्रदूषित जल को रासायनिक प्रक्रिया से उसे साफ करने के बाद ही उसे जलाशय में गिराना चाहिए।

प्रशन 21:-- आधारभूत उद्योग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:-- बड़े पैमाने के मूलभूत उद्योगों को आधारभूत उद्योग कहा जाता है। हमारे देश में कई प्रमुख आधारभूत उद्योग हैं जिन की स्थापना करने और प्रबंध और संचालन करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही बड़े पैमाने के साधनों की भी आवश्यकता पड़ती है। भारत में कई प्रमुख आधारभूत उद्योग है, जैसे--- सूती वस्त्र उद्योग, लोहा इस्पात उद्योग, जूट उद्योग, सीमेंट उद्योग तथा चीनी उद्योग ये देश के आधारभूत उद्योग माने जाते हैं जो बड़े पैमाने पर गठित हैं।

प्रशन 22:-- सीमेंट निर्माण के लिए किन कच्चे मालों की आवश्यकता पड़ती है ? 

उत्तर:-- सीमेंट निर्माण के लिए चूना पत्थर, चिकनी मिट्टी, जिप्सम और कोयला की जरूरत पड़ती है। इनमें चूना पत्थर और कोयले का विशेष महत्व है।

प्रशन 23:-- लोहा के लघु कारखाने किस प्रकार महत्वपूर्ण है?

उत्तर:-- लोहा इस्पात उद्योग के लघु कारखाने बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये स्क्रैप धातु यानी टूटे-फूटे रद्दी स्टील और स्पंज लोहे का कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं। इन कारखानों में लोहे के संबंधित छोटे-छोटे औजारों और वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। अभी हमारे देश में लोहा इस्पात तैयार करने के 200 से अधिक लघु कारखाने स्थापित हैं जिनकी उत्पादन क्षमता लगभग 84 लाख टन है। इन लघु कारखानों का महत्व लोहा इस्पात उद्योग के विकास के लिए अधिक है।

प्रशन 24:-- उद्योग धंधे किस प्रकार प्रदूषण बढ़ाते हैं?

उत्तर:-- उद्योग धंधे निम्नलिखित प्रकार से प्रदूषण बनाते हैं---

(1) अपने लाभ को बढ़ाने के उद्देश्य से कारखाने दिन रात चलते रहते हैं और हवा में धूल, धूम, धुआं और गंध छोड़ते रहते हैं जिससे वायु में प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण का प्रदूषण होता है।

(2) कारखाने हवा को ही नहीं , बल्कि जल को भी बुरी तरह से प्रदूषित कर देते हैं। वे दिन रात अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ तथा धातुयुक्त कूड़ा करकट पानी में मिलाते रहते हैं। जब यह पानी नदी में जा मिलता है तो जल का प्रदूषण होता है।

(3) कारखानों से निकलने वाले विषैले द्रव्य पदार्थ और धातुयुक्त कूड़ा कचरा भूमि और मिट्टी को भी प्रदूषित किए बिना नहीं छोड़ता है। जब ऐसा विषैला पानी किसी भी स्थान पर बहुत समय तक पड़ा रहता है तो वह वहां सड़ने लगता है और अपने साथ वह भूमि को भी प्रदूषित करता है।

(4) जब कारखानों का विषैला जल एक स्थान पर पड़ा रहता है तो उसमें से कुछ भाग रिस  रिसकर भूमि के अंदर चला जाता है। इस प्रकार धरातल के नीचे जल भी प्रदूषित हो जाता है। 

(5) यांत्रिक द्वारा मिले और खराद मिले दिन रात अपनी असहनीय आवाज से ध्वनि प्रदूषण फैलाती रहती है और लोगों को परेशान करती रहती है।

प्रशन 25:-- तीन प्राकृतिक कारकों का उल्लेख करें जिनसे उद्योगों का स्थिति निर्धारण प्रभावित होता है।

उत्तर:-- किसी भी उद्योग को स्थापित करने में तीन महत्वपूर्ण प्राकृतिक कारक निम्नलिखित हैं:-- 

(1) कच्चे माल की प्राप्ति, (2) शक्ति के साधन, (3) यातायात के साधन।

किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए कुछ आधारभूत साधनों की आवश्यकता होती हैं। जैसे लोहा उद्योग स्थापित करने के लिए कच्चा माल के रूप में लौह अयस्क भरपूर मात्रा में उद्योग स्थापित करने के स्थान के निकट उपलब्ध होना चाहिए क्योंकि यह भारी होता है, दूर से लाने में खर्च अधिक होगा। इसी प्रकार शक्ति के साधन के रूप में कोयला भी निकट से ही प्राप्त होना चाहिए। साथ ही कच्चे माल और शक्ति के साधन को कारखाने तक लाने और तैयार माल को बाजार केंद्र तक ले जाने के लिए यातायात के साधन का विकसित होना आवश्यक है।

प्रशन 26:-- भारत में कागज उद्योग के लिए उपलब्ध कच्चे माल क्या-क्या है? यह उद्योग किन राज्य में अधिक विकसित है? 

उत्तर:-- भारत में कागज उद्योग के लिए उपलब्ध कच्चे मालों में बांस, साबै घास और गन्ने की खोई , रद्दी कागज और फटे पुराने कपड़े आदि प्रमुख हैं। अखबारी कागज के लिए विदेशों से आयातित लुगदी का भी व्यवहार किया जाता है ।प० बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक कागज उद्योग में अधिक विकसित है।

प्रशन 27:-- भारत में औद्योगिक विकास की तीन समस्याओं का उल्लेख करें।

उत्तर:-- भारत के औद्योगिक विकास की निम्नांकित समस्याएं हैं--- 

(1) भारत में औद्योगिक विकास सामान्य ढंग से ना होना जैसे पश्चिमी और पूर्वी तट पर इस्पात कारखाने का अभाव, असम, उड़ीसा में सूती वस्त्र उद्योग की कमी।

(2) कई उद्योगों में आधुनिक प्रकार के यंत्र नहीं है, जिससे क्षमता भर उत्पादन नहीं हो पाता है।

(3) औद्योगिक केंद्रों की पर्याप्त सस्ती  बिजली की आवश्यकता होती है, पर बिजली की आपूर्ति कम होती है।

(4) यातायात के साधनों का सघन जाल बिछाना होगा, बहुत सारे क्षेत्र अब भी रेल मार्ग से वंचित हैं।

(5) औद्योगिक क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल बिगड़ रहा है। आए दिन हड़ताल और तालाबंदी की नौबत रहती है इससे उत्पादन प्रभावित होता है।

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Class 10 Geography Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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