Class 9th Bharati Bhawan Biology Chapter 1 | Basic Unit of Cell Life Long Type Question Answer | कक्षा 9वीं भारती भवन जीवविज्ञान अध्याय 1 | कोशिका-जीवन की आधारभूत इकाई दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan
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 1. एक यूकैरियोटिक पादप कोशिका का इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी एवं नामांकित आरेखि चित्र बनाएं | ( वर्णन की आवश्यकता नहीं )

उत्तर :- 

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2. इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी में दिखाई देनेवाली एक जंतु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइये | ( वर्णन अनापेक्षित )
उत्तर :- 
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3. माइटोकांड्रिया की रचना एवं कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करें |
उत्तर :- माइटोकांड्रिया :- ये छड के आकार के या गोल अंगक है जो बहुत बड़ी संख्या में कोशिका में पाए जाते है | इनका आकार 0.2 से 2um x 3 से 5 um के मध्य होता है | प्रत्येक माइटोकांड्रिया दोहरी झिल्ली वाली होती है | बाह्य परत चिकनी एवं छिद्रित होती है | परत बहुत अधिक वलित होती है और क्रिस्टी निर्मित कराती है |
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कार्य :- माइटोकांड्रिया में आक्सीकारक एंजाइम होते है और इस प्रकार यह विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के लिए ऊर्जा उत्सर्जित कराती है जो ATP (Adenosine triphosphate) के रूप में एकत्रित रहती है | इसीलिए इसे कोशिका का पावर-हाउस भी कहा जाता है |  

4. यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं के अन्तरो को स्पष्ट करें |
उत्तर :- 

 

प्रोकैरियोटिक कोशिका

यूकैरियोटिक कोशिका

1.

यह आद्य कोशिका है | इसका आकार छोटा ( 1-10 um ) होता है |

यह विक्सित कोशिका है | इसका आकार बड़ा ( 5- 100 um ) होता है |

2.

इसमे वास्तविक केन्द्रक अनुपस्थित होती है |

इसमे वास्तविक केन्द्रक उपस्थित होती है |

3.

यह केवल जीवाणुओं एवं सयानोबैक्ट्रिया में मौजूद रहता है

यह सभी पादपों और जंतुओं में मौजूद रहता है |

4.

इसमे केंद्रिका नहीं पाया जाता है |

इसमे केंद्रिका पाया जाता है |

5.

इसमे केवल एक क्रोमोसोम पाया जाता है |

इसमे अनेक क्रोमोसोम पाया जाता है |

6.

इसमे गाल्जिकाय, माइटोकांड्रिया, अंत प्रद्रव्यी जालिका नहीं पाए जाते है |

इसमे गाल्जिकाय, माइतूकन्द्रिया, अन्थ्प्रद्रव्यी जालिका पाए जाते है |

7.

इसमे क्लोरोप्लास्ट नहीं पाए जाते है |

इसमे क्लोरोप्लास्ट पाए जाते है |

8.

इसमे कोशिका विभाजन विखंडन या मुकुलन द्वारा होता है |

इसमे कोशिका विभाजन माइटोसिस या मिआसिस द्वारा होता है |


5. क्रोमोसोम की संरचना को सचित्र समझाएँ |

उत्तर :- क्रोमोसोम एक सामान्य कोशिका के केन्द्रक में महीन, लम्बे तथा अत्यधिक कुंडलित धागे के रूप में दिखाते है | कोशिका विभाजन के समय ये स्पस्ट दिखाई देते है | सामान्यत क्रोमोसोम बेलनाकार होते है - (i) पेलिकल, (ii) मैट्रिक्स, (iii) क्रोमैतिड्स |
क्रोमोसोम का सबसे बाहरी आवरण पेलिकल कहलाता है | पेलिकल के द्वारा घिरा हुआ भाग मैट्रिक्स कहलाता है | मैट्रिक्स में, क्रोमोसोम की पूरी लम्बाई में, दो समानांतर कुंडलित धागे के समान रचना होती है, जो अर्द्ध गुणसूत्र या क्रोमैतिड्स कहलाते है | प्रत्येक क्रोमैतिड्स में दो या दो से अधिक अत्यंत महीन कुंडलित धागे के समान रचनाए होती है, जिन्हें क्रोमोनिमैटा कहते है | प्रत्येक क्रोमैटिड के क्रोमोनिमैता इतनी अधिक घनिष्ठता से एक-दुसरे से संबंध होते है की वे एक ही दिखाई पड़ते है | क्रोमैतिद DNA तथा हिस्टोंन प्रोटीन का बना होता है | इसी DNA अणु के खंड जीन है जो क्रोमैतिद की पूरी लम्बाई में दाने सद्रिश्य दिखाते है | क्रोमोसोम के दोनों क्रोमैतिद एक स्थान पर सेंट्रोमियर के द्वारा एक-दुसरे से संयोजित रहते है | 
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सभी जीवों की कोशिकाओं के केन्द्रक में पाए जानेवाले क्रोमोसोम की संख्या निश्चित होती है, जैसे मानव शरीर की कोशिकाओं में 46 क्रोमोसोम, ड्रोसोफिला की कोशिकाओं में 8 क्रोमोसोम, मकई के पौधे की कोशिकाओं में 20 क्रोमोसोम, टमाटर के पौधे की कोशिकाओं में 24 क्रोमोसोम, आलू के पौधे की कोशिकाओं में 48 क्रोमोसोम पाए जाते है |  
6. केन्द्रक का क्या कार्य है ? चित्र सहित इनकी संरचना का उलेख करे | 
उत्तर :- केन्द्रक कोशिका द्रव्य के बीच एक बड़ी, गोल, गाढ़ी संरचना पायी जाती है | सभी जीवित कोशिकाओं में केन्द्रक मौजूद रहता है | इसके चारो और दोहरे परत की एक झिल्ली रहती है जिसे केन्द्रकला या केन्द्रक झिल्ली कहते है | इसमे अनेक केन्द्रकछिद्र रहते है | इन छिद्रों के द्वारा केन्द्रक द्रव्य एवं कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थो का आदान-प्रदान होता है | एक केन्द्रक हर जीवित कोशिका में पाया जाता है | लेकिन कुछ कोशिकाओं में एक से ज्यादा केन्द्रक पाए जाते है | 
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केन्द्रक के अन्दर गाढा, अर्ध्त्रल द्रव्य भरा रहता है जिसे केन्द्रकद्रव्य या न्युक्लियोप्लाज्मा कहते है | केन्द्रकद्रव्य में महीन धागों की जाल जैसी रचना पायी जाती है, जिसे क्रोमैतिन जालिका कहते है | ये दिआक्सिजन न्यूक्लिक अम्ल एवं प्रोटीन से बने होते है | DNA आनुवाशिकी लक्षणों के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है | कोशिका विभाजन के समय क्रोमैतिन जालिका के धागे अलग होकर कई छोटी और मोती छड जैसी रचनाओं में बदल जाते है, जिन्हें गुणसूत्र या क्रोमोसोम कहते है | 
केन्द्रक के कार्य :- (i) केन्द्रक कोशिका की रक्षा करता है और कोशिका विभाजन में भाग लेता है | केन्द्रक की अनिपस्थिति में कोशिका विभाजन संभव नहीं है | 
(ii) केन्द्रक कोशिका के भीतर संपन्न होनेवाली सभी उपापचयी या जैविक तथा रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है |
(iii) कुछ जीवों में कोशिकीय जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
(iv) केन्द्रक कोशिका के विकास एवं परिपक्व को निर्धारित करता है |
(v) केन्द्रक प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक कोशिकीय उत्त्पन्न करते है |
7. कोशिका झिल्ली पदार्थों के परिवहन में किस प्रकार अपनी भूमिका अदा कराती है ?
उत्तर :- कोशिका झिल्ली के द्वारा ही परासरण की क्रिया संपन्न होती है | पदार्थों के परिवहन के लिए जीवन तंत्रों में परिवहन तंत्र होता है जिसके अंतर्गत जल एवं खाद्द पदार्थों का शरीर के एक भाग से दुसरे भाग तक संवहन होता है | पौधों में खाद्द पदार्थों का स्थानान्तरण सदा अधिक सांद्रता वाले भागों से कम सांद्रता वाले भागो की और कोशिका झिल्ली के द्वारा ही होता है | जन्तुओ में भी गैसों, पोषक तत्वों, हार्मोन, उत्सर्जी पदार्थ का उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्त्पन्न पदार्थों का शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में परिवहन होता रहता है जिसमे कोशिका झिल्ली की मुख्य भूमिका रहती है |
8. अल्पप्रासरी समपरासरी तथा अतिपरासरी विलायानो में किसी जीवित कोशिका को बारी-बारी से डाला जाए तो कोशिका पर क्या प्रभाव पडेगा ?
उत्तर :- जब कोशिका को अल्पपरासरी विलयन ( ऐसा विलयन जिनकी सांद्रता कोशिका के विलयन की अपेक्षा कम हो ) में रखा जाता है तो बाहरी विलयन से पानी कोशिका के अन्दर प्रवेश करता है | इस क्रिया को अंत परासरण कहते है | जल के अणु कोशिका झिल्ली के दोनों और आते-जाते है, लेकिन कोशिका के अन्दर के अन्दर जानेवाली जल की मात्रा कोशिका के बहार आनेवाले जल की मात्रा से अधिक होगी | इसक परिणाम यह होता है जल के कोशिका के भीतर प्रवेश करने से कोशिका फूल जाएगी |
जब कोशिका को समपरासरी विलयन ( ऐसे विलौँ जिनकी सांद्रता कोशिकारस की सांद्रता के बराबर हो ) में रखा जता है तो कोशिका के आकार एवं वजन में कोई परिवर्तन नहीं होता है | जल के अणु कोशिका झिल्ली के आर-पार तो जाते-आते है, लेकिन जल की जीतनी मात्रा भीतर जाती है उतनी ही बाहर आ जाती है, इसी प्रकार शुद्ध रूप से जल की गति नहीं हुई |

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