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कक्षा 10 भारती भवन भूगोल अध्याय 2 भूमि और मृदा संसाधन : अतिलघु उतरिय प्रश्न : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 2 Land and Soil Resources : Very Short Answer Questions : Short Answer Questions

कक्षा 10 भारती भवन भूगोल अध्याय 2 भूमि और मृदा संसाधन : अतिलघु उतरिय प्रश्न : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  : Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 2 Land and Soil Resources : Very Short Answer Questions : Short Answer Questions

अतिलघु उतरिय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न :-

1. भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि-क्षेत्र का योगदान कितना प्रतिशत है ?

उत्तर :- 22 प्रतिशत है | 

2. भारत की प्रमुख भू-आकृतियों के नाम लिखें | 

उत्तर :- (i) पर्वतीय क्षेत्र  - 30%

(ii) मैदानी क्षेत्र  - 43%

(iii) पठारी क्षेत्र  - 27%

3. एक वर्ष से भी कम समय तक जिस खेत से फसल-उत्पादन न हो रहा हो उसका क्या नाम है ?

उत्तर :- वर्तमानी फसल 

4. किन दो राज्यों में सबसे अधिक व्यर्थ भूमि पायी जाती है ?

उत्तर :- जम्मू कश्मीर ( 60%) और राजस्थान ( 30% )में सबसे अधिक व्यर्थ भूमि पायी जाती है |  

5. क्षारीय मिट्टी का pH मान 7 से अधिक होता है या कम ?

उत्तर :- अधिक होता है |

लघु उत्तरीय प्रश्न :

1. भूमि किस प्रकार महत्वपूर्ण संसाधन है ?

उत्तर :- भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है | भूमि पर ही मिट्टी मिलाती है जिसमे कृषि-कार्य की जाती है | भूमि पर कृषि-कार्य करने से मनुष्यों को अन्न की प्राप्ति होती है | भूमि पर ही मानव-आवास मिलता है, गाँव-नगर बसते है | भूमि पर ही मनुष्य अपना मकान बनाकर उसमे रहते है | पशु मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होते है, जो मनुष्य के कृषि-कार्य करने में सहायक होते है, भूमि पर ही मनुष्य द्वारा वाणिज्य-व्यवस्याय किया जाता है | मनुष्य के आय में वृद्धि होने से देश के राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, इस प्रकार यह स्पस्ट है की भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है |

2. किन सुबिधाओ के कारण भारत में गहन कृषि की जाती है ?

उत्तर :- भारत में तेजी से बढाती जनसंख्या का दबाब और सिमित कृषि योग्य भूमि के कारण गहन कृषि की जाती है | 

भारत मानसूनी वर्षा वाला देश है | वर्षा एक विशेष मौसम में होती है और अनियमित रूप से होती है वहीँ बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न हो जात है और वर्षा का अभाव देखने को मिलता है | ऐसे क्षेत्रों में सिंचाई का सहारा लिया जाता है | हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सदा जलापूर्ति रहती है | उन नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती है और उससे जलाभाव क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती है | भारत के मैदानी भागों में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है जो अत्यंत उपजाऊ है | इन्ही कारणों से भारत में गहन कृषि की जाती है |  

3. भौतिक गुणों के आधार पर मिट्टी के तीन वर्ग कौन-कौन है ? गंगा के मैदान में सामान्यत इनमे से कौन मिट्टी पायी जाती है ?

उत्तर :- (i) बलुई मिट्टी :- इसमे पंक ( मृत्तिका, चिकनी मिट्टी ) की अपेक्षा बालू की प्रतिशत अधिक रहता है, यह मिट्टी जल की बड़ी भूखी होती है, अर्थात बहुत जल सोखती है  |

(ii) चीका या चिकनी मिट्टी :- इसमे पंक या गाद का प्रतिशत अधिक रहता है | यह मिट्टी सुखाने पर बहुत कड़ी और दरार युक्त होती है तथा गीली होने पर चिपचिप और अभेदय हो जाती है | इस मिट्टी की जुताई कठिन होती है |

(iii) दुमटी मिट्टी :- इसमे बालू और पंक दोनों का मिश्रण लगभग बराबर रहता है | कृषि के लिए यह मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है | क्योंकि इसमे गहरी जुताई हो सकती है | गंगा के मैदान में सामान्यत दुमटी मिट्टी पायी जाती है  |

4. स्थानबद्ध और वाहित मिट्टी में क्या अंतर है ?

उत्तर :- स्थानबद्ध मिट्टी वह है जो ऋतूक्षरण के ही क्षेत्र में पायी जाती है | यह पर्श्विका मिट्टी होती है| इसमे आधारभूत चट्टान और मिट्टी के खनिज कणों में समरूपता होती है | काली मिट्टी , लाल मिट्टी तथा लैटेराईट मिट्टी इसके उदाहरण है | 

वाहित मिट्टी वह है जो ऋतूक्षरण तथा विकास किसी दुसरे प्रदेश में हुआ है किन्तु अपरदन दूतों द्वारा उसे किसी दुसरे प्रदेशों में निक्षेपित किया है | चूँकि इसका परिवहन होता है, इसलिए इसे वाहित मिट्टी कहते है  |ये मिट्टियाँ मौलिक चट्टानें से विसंगित रखती है | जलोढ़ निक्षेप गंगा और उसकी सहायक नदियों तथा पठारी भारत के उत्तर बहाने वाली नदियाँ से हुआ है  |भारत के तटीय मैदान में भी वाहित जलोढ़ मिट्टी ही पायी जाती है | 

5. भारत में लाल मिट्टी और काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र बताएँ | 

उत्तर :- लाल मिट्टी :- यह मिट्टी दक्कन, पूर्वी और दक्षिणी भागो के 100 सेमी. से कम वर्षा के क्षेत्रो में पायी जाती है |

काली मिट्टी :- यह मिट्टी महाराष्ट्र का बड़ा भाग, गुजरात का सौराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गोदाबरी घाटी, राजस्थान के मालवा खंड में पायी जाती है |

6. रेतीली मिट्टी कहाँ और क्यों मिलाती है ?

उत्तर :- रेतीली मिट्टी को शुष्क और मरुस्थली मिट्टी भी कहा जाता है| यह मिट्टी भारत के पश्चिमी भाग के शुष्क और अर्द्धशुष्क भागों में पाए जाते है | अरावली के पश्चिमी राजस्थान का पूरा क्षेत्र, पंजाब, हरियाण के कुछ भाग और दक्षिण में कच्छ तक की मिट्टी रेतीली या मरुस्थली है | 

रेतीली मिट्टी या मरुस्थली मिट्टी भारत के पश्चिमी भागों के शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में पाए जाते है, क्योंकि इन क्षेत्रो की मिट्टी के नीचे की ओर बड़े टुकड़ों में मिलते है, इन्हें कंकड़ कहते है, इसलिए इन क्षेत्रों की मिट्टी रेतीली या मरुस्थली होती है | 

7. परती भूमि किस प्रकार कर्षित भूमि में बदली जा सकती है | 

उत्तर :- भारत के नई भागों में मिट्टी में उपस्थित सोडियम, कैल्सियम और मैग्नीशियम के यौगिकों के प्रस्फुटन से भूमि लवानिय या क्षारीय हो जाती है, इसे कहीं-कहीं रह, बंजर परती, ऊसर इत्यादि नामों से पुकारा जाता है, ऐसी मिट्टी ऊपजाऊ नहीं होती है, इसमे लवण के रूप में साधारण नमक और कुछ अन्य लवण तथा कार्बोनेट पाए जाते है जबकि मिट्टी में चुना तथा सोडा मुख्य रूप से रहता है| परती भूमि को कर्षित यानी कृषि योग्य बनाने के लिए पानी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है| क्योंकि पानी के तेज बहाब द्वारा इसे उपजाऊ बनाया जा सकता है |

8. मिट्टी-कटाव के दो रूप और मिट्टी संरक्षण के कोई तीन उपाय बताएँ | 

उत्तर :- बहते पानी या हवा जैसे किसी प्राकृतिक वाहक द्वारा धरती की मिट्टी का हटना या स्थानांतरित होना, मिट्टी का कटाव, कहलाता है | 

(i) अवनलिका कटाव :- यह मिट्टी कटाव का एक प्रमुख रूप है| इसमे मिट्टी एक पतले नालों से तेजी से बहता जाता है और मिट्टी का कटाव होता है | वर्षा होने पर मिट्टी नाली में तेजी से बहता चला जाता है | 

(ii) स्तरीय कटाव :- यह मिट्टी कटाव का दूसरा प्रमुख रूप है| इसमे मिट्टी का कटाव धीरे-धीरे होता है, पहले मिट्टी के उपरी सतह का कटाव होता है | फिर दूसरी सतह का कटाव होता है और फिर अगली सतह का कटाव होता जाता हिया, मिट्टी का धीरे-धीरे तथा स्तरीय रूप से कटाव होता है | 

मिट्टी संरक्षण के तीन मुख्य उपाय है -

(i) वानिकी कार्यक्रम के तहत बेकार पड़ी भूमि पर सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वानिकी एवं विशिष्ट वानिकी पर जोर देना | 

(ii) पर्वतीय क्षेत्रो में वनों की कटाई एवं झूम कृषि पर प्रतिबन्ध लगाना, खेतों में मेड तथा समोच्च खेती का विकास करना | 

(iii) मैदानी भागों में फसल-चक्र पर जोर देना, सिंचाई द्वारा अधिक समय तक भूमि को हरा-भरा रखना |  

9. भारत में भूमि-क्षेत्र के ह्रास के दो प्रमुख कारण क्या है ?

उत्तर :- (i) वनों का अत्यधिक कटाव :- भूमि-क्षेत्र के ह्रास होने का प्रमुख कारण वनों का अत्यधिक कटाव है | मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए वनों को काट रहा है | वनों को काटने से भूमि परती भूमि में बदल जाती है जिससे भमि में मिट्टी की पकड़ कमजोर पद जाती है| वर्षा होने पर ऐसी भूमि के मिट्टी का ह्रास अत्यधिक होता है | 

(ii) अत्यधिक पशुचारण :- भूमि-क्षेत्र के ह्रास होने का प्रमुख कारण अत्यधिक पशुचारण भी है | पशुओं के भूमि पर अधिक चराने से भूमि से पेड़-पौधे का ह्रास होता है | पेड़-पौधे के ह्रास होने से भूमि पर मिट्टी की पकड़ कमजोर होती है जिससे भूमि-क्षेत्र का ह्रास होता है  |

10. भूमि-क्षेत्र के ह्रास को रोकने के कुछ्ह कारगार उपाय बताएँ | 

उत्तर :- (i) भूमि के उपयोग और भूमि की उत्पादन-शक्ति का सामंजस्य करना अर्थात मियोजन करना चाहिए |

(ii) पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती करना चाहिए |  

(iii) फसल-चक्रण विधि का उपयोग करना चाहिए जिससे मिट्टी के एक ही तत्व का बार-बार शोषण न हो |

(iv) मरुस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र में झारियों को लगाना चाहिए | 

(v) मिट्टी के तत्व की कमी को उर्वरक और खाद देकर पूरा करना चाहिए | 

(vi) पशुचारण एवं वन कटाव पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए  |

(vii) मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखने का उपाय अर्थात मिट्टी का कटाव रोकना चाहिए |

(viii) काटे गए वन के स्थान पर जंगल लगाना चाहिए |  

11. टिप्पणियाँ लिखें - (i) मिट्टी का कटाव (मृदा अपरदन) (ii) मिट्टी का निर्माण | 

उत्तर :- (i) मिट्टी का कटाव - मृदा की उपरी परत को पानी तथा हवा द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाना मृदा अपरदन कहते है | मृदा अपरदन के मुख्य कारक बहता हुआ जल और हवा है |

(a) पानी द्वारा कटाव - भू-पृष्ट पर जल दो रूपों में बहता है- (क) पृष्ठ प्रवाह (ख) रैखिक प्रवाह | 

पृष्ठ प्रवाह से सतही अपरदन होता है जबकि रैखिक प्रवाह से नालीदार अपरदन होता है | 

(b) हवा द्वारा कटाव - हवा द्वारा कटाव शुष्क प्रदेशों में होता है, जहाँ अद्रिध धरातलीय पदार्थों वाली भूमि पर वनस्पति अवारण बहुत ही कम होता है | हवा इस अद्रिध भूमि के कणों को अपने साथ उड़ाकर ले जाती है और दुसरे स्थान पर जमा कर देती है | इस प्रकार हवा भूमि को उपजाऊ बना देती है | 

(ii) मिट्टी का निर्माण - वैज्ञानिक परीक्षणों से यह पता चालता है की मिट्टी की एक सेमी. मोटी परत के निर्माण में चार सौ से पाँच सौ वर्ष लग जाते है | मिट्टी के निर्माण में रासायनिक प्रक्रियां का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है | पानी, हवा में उपस्थित आक्सीजन और कार्बन डाईआक्साइड चट्टानों से मिल जाते है और इससे क्रिया करते है | वर्षा काल में बिजली चमकने पर नाइट्रोजन के मल चट्टानों से क्रिया कर अनेक लवणों का निर्माण करते है | मिट्टी के निर्माण में मुख्य घटक होते है - (i) स्थानीय जलवायु, (ii) पुर्वतीय चट्टानें और खनिज कण, (iii) वनास्पतियाँ और जीव, (iv) भू-आकृति और ऊँचाई (v) मिट्टी बनाने का समय |

12. भारत में जलोढ़ मिट्टी कहाँ मिलाती है ?

उत्तर :- भारत में जलोढ़ मिट्टी विस्तृत रूप से पीली हुई है और उपजाऊ होने के कारण कृषि-कार्य के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | भारत में लगभग 6.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर जलोढ़ मिट्टी फैली हुई है | इस मिट्टी के पाए जाने के निम्नलिखित क्षेत्र है -

(i) पंजाब से असं तक पिला भारत का वृहत मैदान |

(ii) मध्य प्रदेश में नर्मदा और ताप्ति की घाटियाँ |

(iii) मध्य प्रदेश और उड़ीसा में महानदी की घाटियाँ | 

(iv) आंध्र प्रदेश में गोदावरी की घाटियाँ | 

(v) तमिलनाडू में कावेरी घाटी | 

(vi) केरल में सागर तट 

(vii) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, गंगा-ब्रहमपुत्र के डेल्टा का क्षेत्र |

13. पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाये जा सकते है ?

उत्तर :- पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा सकते है जैसे- सीढ़ीनुमा खेती या सोपानी खेती करने से पहाड़ी क्षेत्रो में मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है | इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए वर्षा जल के बहाव को रोकने के लिए मिट्टी के बहाव को एक स्थान पर सिमित नहीं करके जल के बहाव को विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में बाँटने की व्यवस्था करनी चाहिए| स्थान-स्थान पर बाँध बनाना चाहिए | दालों पर झारियों और पेड़ों को लगाना चाहिए | इन उपायों से मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है | 

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