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Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 6 Long Type Question Answer | Bihar Board Bhugol Ka in Hindi | कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 6 ऊर्जा या शक्ति संसाधन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 6 Long Type Question Answer  Bihar Board Bhugol Ka in Hindi  कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 6 ऊर्जा या शक्ति संसाधन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Class 10th Bharati Bhawan Geography

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रशन 1:-- भारत में विभिन्न ऊर्जा संसाधन का सापेक्ष महत्व बताएं।

उत्तर:-- भारत में ऊर्जा के विभिन्न साधन पाए जाते हैं जिनका औद्योगिक और व्यवसायिक उपयोग अधिक है, साथ ही इन संसाधनों के उपयोग से आर्थिक विकास करने में भी सहायता मिलती है। इन संसाधनों का विभिन्न उपयोग होने के कारण ही इनका महत्व अधिक है। ऊर्जा के विभिन्न संसाधनों के अपेक्षित महत्व को निम्नलिखित ऊर्जा के संसाधनों के संदर्भ में विभिन्न विचार बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है ,जो निम्नलिखित है--- 

(1) कोयला:-- यह उर्जा का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। कोयले का उपयोग लोहा इस्पात उद्योग में किया जाता है। शक्ति के साधन के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। चूल्हा जलाने से लेकर समुद्री जहाज चलाने में भी इसका उपयोग होता है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है।

(2) खनिज तेल या पेट्रोलियम:-- इसका उपयोग मोटरगाड़ियों के ईंधन के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग घरों में रोशनी उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(3) प्राकृतिक गैस:-- यह ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। प्राकृतिक गैस जैसे ऑक्सीजन हमारे लिए वरदान है जिससे हम सांस लेते और जीवित रहते हैं। प्राकृतिक गैस जैसे L.PG  का उपयोग हम अपने भोजन बनाने के लिए भी करते हैं। इसका उपयोग उद्योगों के कच्चे माल के रूप में भी किया जाता है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है   ।

(4) परमाणु ऊर्जा:-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। इसका उपयोग रोशनी उत्पन्न करने में किया जाता है। इसका उपयोग कर देश में उत्तम कोटि के कोयले और खनिज तेल की बचत की जा सकती है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है।

(5) तापविद्युत ऊर्जा:-- यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। इसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने में किया जाता है। अतः यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(6) जल विद्युत ऊर्जा:-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग भी बिजली को उत्पन्न करने में किया जाता है। इसके उपयोग से उद्योगों का विकेंद्रीकरण किया जा सकता है। अतः इसका  बहुत अधिक महत्व है।

(7) पवन ऊर्जा:-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकालकर देहातों में सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा पवन से विद्युत भी उत्पन्न की जा सकती है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(8) ज्वारीय ऊर्जा:-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। टरबाइन की सहायता से इससे बिजली उत्पन्न की जाती है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(9) सौर ऊर्जा:-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसकी सहायता से असीम सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इसका उपयोग हम अपना भोजन बनाने के रूप में भी करते हैं। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(10) भूतापीय ऊर्जा :-- यह भी उर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसके उपयोग से हम अपने घरों के बिजली उपकरणों जैसे --- फ्रिज, कूलर इत्यादि चलाने के रूप में कर सकते हैं। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है ।

(11) बायोगैस ऊर्जा:-- यह भी उर्जा उत्पन्न करने का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग हम विद्युत उत्पादन में करते हैं। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।

(12) गोबर और मल मूत्र से उत्पन्न ऊर्जा:-- यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। गोबर गैस संयंत्र लगाकर इससे गोबर गैस उत्पन्न की जा सकती है। इसका उपयोग अधिकतर गांवों में पेट्रोमैक्स के रूप में किया जाता है।

प्रशन 2:-- जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएं कौन-कौन हैं? भारत के किन भागों में वे भौगोलिक  दशाएं उपलब्ध है? 

उत्तर:-- जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएं निम्नांकित है---

(1) पर्याप्त वर्ष भर जलापूर्ति या जल का वर्ष भर बाहाव मिलना

(2) पहाड़ी भूमि या जलप्रताप का होना

(3) विद्युत की मांग अर्थात खपत का व्यापक क्षेत्र 

(4) तकनीकी ज्ञान

(5) पूंजी और दूसरे ऊर्जा के स्रोतों का कम मिलना ।

भारत में ये सभी दशाएं उपलब्ध है। खासकर दक्षिण भारत में जहां कोयला और पेट्रोलियम का अभाव है । खनिजों में धनी प्रायद्वीपीय भारत आर्थिक विकास के लिए सस्ती जल विद्युत की मांग रखता है। भारत में जल विद्युत का पहला केंद्र वही खुला, जो बाद में ग्रिड प्रणाली के द्वारा अधिक केंद्र एक दूसरे से जोड़ दिए गए हैं। ताकि दूर-दूर तक बिजली उपलब्ध करायी जा सके। जल विद्युत अन्य शक्ति के साधनों से सस्ता पड़ता है। इसलिए दक्षिण भारत में जल विद्युत से उद्योगों को बढ़ाने में बड़ी सहायता मिली है। भारत की 60% संभावित जल शक्ति हिमाचल क्षेत्र में है जिसका आधा से अधिक भाग ब्राह्मपुत्र क्षेत्र और मणिपुर क्षेत्र में मिलता है। 20% जल शक्ति भारत की पश्चिम की ओर बहनेवाली नदियों से मिलती है।

प्रशन 3:-- भारत के जलविद्युत परियोजना का विवरण प्रस्तुत करें।

उत्तर:-- सर्वप्रथम दक्षिण भारत में कोयला और खनिज तेल के अभाव में कर्नाटक के शिवसमुद्र में जल शक्ति गृह स्थापित किया गया। इसके बाद मुंबई,-पुणे क्षेत्र में टाटा जलविद्युत परियोजना बनी । इसके बाद दक्षिण भारत में पायकारा योजना बनी जिससे कोयंबटूर तिरुचिरापल्ली ,मदूरै आदि नगरों को जल विद्युत की आपूर्ति की गई।

हिमालय क्षेत्र में प्रथम जल विद्युत केंद्र मंडी है। इसके बाद गंगा नहर की जिला विधुत ग्रिड स्थापित की गई। इसके बाद भाखड़ा नंगल परियोजना बनी। आज देश भर में   80 जल विद्युत केंद्र स्थापित है। इनमें अधिक केंद्र बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के अंतर्गत आते हैं जैसे महाराष्ट्र में टाटा जलविद्युत तथा कोयना- काकरापारा  परियोजनाएं, कर्नाटक में शिवसमुद्र, शिमोगा, शरावती एवं भद्रा परियोजनाएं, केरल में पल्लीवासल आदि, तमिलनाडु में पापनशम आदि, आंध्र प्रदेश में तुंगभद्रा, नागार्जुन आदि, उड़ीसा में हीराकुंड, बिहार में कोसी गंडक झारखंड में दामोदर, पश्चिमी बंगाल में मयूराक्षी, उत्तर प्रदेश में गंगा ग्रिड , शारदा रिहंद , हिमाचल प्रदेश में मंडी, भाखड़ा नंगल, कश्मीर में बारामूला, निम्न झेलम आदि परियोजनाएं हैं।

उत्तराखंड में टिहरी बांध परियोजना और मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी परियोजनाएं भी बनाई गई है जो विवाद के घेरे में है। आशा है विवाद निपटेगी और परियोजनाएं काम करने लगेंगी।

प्रशन 4:-- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों का उल्लेख करते हुए बताएं कि भारत इस दिशा में किस तरह आगे बढ़ रहा है? 

उत्तर:-- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों में--(1) पवन ऊर्जा (2) ज्वारीय ऊर्जा (3) सौर ऊर्जा (4) भूताप ऊर्जा (5) जैव पदार्थ ऊर्जा आते हैं। उर्जा विशेषज्ञों  के अनुसार , गैर परंपरागत ऊर्जा से भारत 95000 मेगावाट बिजली उत्पन्न कर सकता है। अभी इस दिशा में कुछ का ही उपयोग किया जा रहा है।

(1) पवन ऊर्जा:-- पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकाल कर देहातों में सिंचाई के अलावा पवन से विद्युत भी उत्पन्न की जाती है। उदाहरण के लिए गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा में जहां पवन तेज गति से  चला करती है। लगभग 2  हजार  पवन चक्कियां लगाई गई हैं और 5 लाख यूनिट विद्युत उत्पन्न किया जाता है।

(2) ज्वारीय ऊर्जा:-- कच्छ और खंभात की खाड़ी में जहां उच्च ज्वार उठते हैं ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।

(3) सौर ऊर्जा:-- भारत उष्णकटिबंध में स्थित  होने के कारण असीम सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। अभी गुजरात में भुज के पास इसका सबसे बड़ा संयंत्र लगाया गया है। थार मरुस्थल में भी इसकी असीम संभावनाएं हैं।

(4) बायोगैस ऊर्जा:-- गोबर और मल मूत्र से उत्पन्न ऊर्जा गोबर गैस संयंत्र लगाकर प्राप्त किए जा सकते हैं, इससे गांव में विद्युत की आवश्यकता पूरी की जा सकता है।

प्रशन 5:-- भारत में कोयले का कुल भंडार कितना है? कोयले का वार्षिक उत्पादन क्या है? इसके दो महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों का विवरण दें तथा दो उपयोग बताएं।

उत्तर:-- भारतीय भू गर्भ सर्वेक्षण विभाग के अनुसार भारत में कोयला का भंडार 264.45 अरब टन है। इसमें 98% कोयला का भंडार प्राचीन गोंडवानाकाल का है और 20% टर्शियरी काल का। गोंडवानाकाल का भंडार झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की गोंडवाना चट्टानों में मिलती है और टर्शियरी  काल का भंडार असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा जम्मू कश्मीर की टर्शियरी काल की चट्टानों में पाया जाता है ।

वर्तमान समय में भारत में 45 .6 टन वार्षिक कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। भारत में दामोदर घाटी के रानीगंज, झरिया, गिरिडीह, बोकारो, करणपुरा से कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। यहां भारत का आधे से अधिक कोयला निकाला जाता है। उच्च कोटि कोयला प्राप्त होता है। कोयले का दूसरा मुख्य उत्पादक क्षेत्र मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य में है। यह पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र है। यहां मध्यप्रदेश में सिंगरौली, छत्तीसगढ़ में कोरबा, उड़ीसा में तालचर उत्पादन के लिए प्रमुख है। 

*कोयले का उपयोग:-- कोयले का सबसे अधिक उपयोग ताप विद्युत उत्पादन में किया जाता है और कोयले का दूसरा बड़ा उपयोग लौह इस्पात उद्योग में होता है ।

प्रशन 6:-- भारत में कोयले के विवरण का वर्णन दे।

उत्तर:-- कोयला भारत का महत्वपूर्ण खनिज और ऊर्जा का संसाधन है। हमारा देश संसार का पांचवां बड़ा कोयला उत्पादक देश है । कोयला को काले सोने के नाम से जाना जाता है। कोयले को कांच एवं रासायनिक उद्योग में मुख्य रूप से कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है।

* कोयले का प्रादेशिक वितरण:-

(1) गोंडवाना कोयला क्षेत्र:-- इस क्षेत्र का कोयला गोंडवाना युग से संबंधित है।इसके निकट दामोदर घाटी, गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा घाटी में तीन चौथाई कोयले के भंडार हैं।

(2) झारखंड:-- भारत के कुल कोयले का 60% कोयला झारखंड राज्य से प्राप्त होता है। झारिया, बोकारो, दौलतगंज, झारखंड राज्य के मुख्य जिले हैं जहां से कोयला प्राप्त किया जाता है।

(3) पशिचमी बंगाल :-- इस क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र रानीगंज है जिसके 1276 वर्ग किलोमीटर में 25,303.71 मिलियन टन कोयले के भंडार हैं।

(4) मध्य प्रदेश-- सोहमपुर, कोरबा,रामपुर,वातापानी, सिंगरौली, इन राज्यों में 42,772.43  मिनियन टन कोयले के भंडार है।

(5) तृतीय कोयला क्षेत्र:-- इसके अंतर्गत  नेवेली तमिलनाडु में , मादून आसाम में, बीकानेर राजस्थान में , मेघालय की गारो खासी की पहाड़ियां,रौबसी (जम्मू कश्मीर) आते हैं।

प्रशन 7:-- भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों? इस कथन की पुष्टि करें।

उत्तर:-- भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है। यहां सौर ऊर्जा प्राप्त करने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। सौर ऊर्जा नवीकरणीय तथा प्रदूषण मुक्त संसाधन है । भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 20 मेगावाट और सौर ऊर्जा उत्पन्न किया जा सकता है। इस विद्युत का घरेलू उपयोग बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसको बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

गुजरात राज्य के क्षेत्र में इसका सबसे बड़ा संयंत्र स्थापित किया गया है। थार मरुस्थल में भी इसका बड़ा केंद्र स्थापित किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लैंप, सोलर चूल्हे बहुत अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। क्योंकि इसमें खर्च कम पड़ता है और प्रदूषण मुक्त भी है। इसलिए सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है।

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