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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्वशांति की स्थापना के लिए किस अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की गई थी?
उत्तर- राष्ट्रसंघ
2. राष्ट्रसंघ की स्थापना किसके दिमाग की उपज मानी जाती है।
उत्तर-वुडरो विल्सन ।
3. राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग कौन है ?
उत्तर—जेनरल एसेम्बली ।
4. राष्ट्रसंघ का अंतरराष्ट्रीय न्यायालय किस देश और नगर में स्थित था?
उत्तर-हॉलैंड के हेग नगर में।
5. राष्ट्रसंघ की कौंसिल में कितने स्थायी और अस्थायी सदस्य थे ?
उत्तर—स्थाई-5, अस्थायी सदस्य-9 ।
6. अटलांटिक चार्टर की घोषणा किस वर्ष की गई?
उत्तर-1941।
7. संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र किस सम्मेलन में तैयार किया गया?
उत्तर-सेन फ्रांसिस्को।
8. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना किस तिथि को हुई थी ?
उत्तर- 24 अक्टूबर ।
9. संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव का नाम लिखें।
उत्तर- वान की मून।
10. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में कितनी धाराएँ हैं ?
उत्तर- 111 धाराएँ।
11. सुरक्षा परिषद में कितने स्थायी सदस्य हैं ?
उत्तर-5।
12. स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण किस वर्ष हुआ?
उत्तर- 19561
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राष्ट्रसंघ की स्थापना कैसे हुई?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद अंतरराष्ट्रीय झगड़ों के शांतिपूर्ण निष्पादन एवं विश्वशांति की स्थापना के उद्देश्य से राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। यह माना जाता है कि राष्ट्रसंघ संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के 'दिमाग की उपज' था। 1918 में उन्होंने विश्व-शांति की स्थापना के लिए सुप्रसिद्ध चौदह सूत्री सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ही अनेक राजनीतिज्ञ इस प्रकार के संगठन की स्थापना पर बल दे रहे थे। ऐसे राजनीतिज्ञों में प्रमुख थे-ब्रिटेन के रॉबर्ट सेंसिल, दक्षिण अफ्रीका के जान स्मट्स तथा फ्रांस के लियो बुर्जियो । इन सबों के सम्मिलित प्रयासों से 10 जनवरी, 1920 को जिस दिन वर्साय की संधि व्यवहार में आई, राष्ट्रसंघ भी अस्तित्व में आया ।
2. क्या राष्ट्रसंघ निरस्त्रीकरण को रोकने में सफल हुआ?
उत्तर- राष्ट्रसंघ का एक उद्देश्य निरस्त्रीकरण को रोकना था, परंतु उसका यह प्रयास भी विफल हो गया । 1932 में राष्ट्रसंघ ने जेनेवा में एक निरस्त्रीकरण सम्मेलन का आयोजन किया जर्मनी ने इसमें भाग नहीं लिया। इतना ही नहीं, उसने जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा भी लागू कर दी। फलतः, यूरोप में हथियारबंदी की होड़ जारी रही। राष्ट्रसंघ इसे नहीं रोक सका।
3. राष्ट्रसंघ की विफलता के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-(i) शांति समझौते से राष्ट्रसंघ का संबद्ध होना- राष्ट्रसंघ की विफलता का एक प्रमुख कारण था कि यह शांति सम्मेलन द्वारा की गई संधियों से संबद्ध था। इस सम्मेलन और इन संधियों से पराजित राष्ट्र, विशेषकर जर्मनी अत्यंत असंतुष्ट था। ऐसे राष्ट्रों का मानना था कि राष्ट्रसंघ विजित राष्ट्रों का संगठन था जिसका उद्देश्य बड़ी शक्तियों के हितों को देखना था। इसलिए जब असंतुष्ट और पराजित राष्ट्र शक्तिशाली बन गए तो उन लोगों ने राष्ट्रसंघ की उपेक्षा करनी आरंभ कर दी।
(ii) संयुक्त राज्य अमेरिका का अलग रहना- अमेरिका स्वयं इसका सदस्य नहीं बना । 1920 में अमेरिकी सिनेट ने राष्ट्रसंघ और वर्साय संधि को मान्यता प्रदान नहीं की। विल्सन के लाख प्रयासों के बावजूद अमेरिकी सिनेट ने अमेरिका को राष्ट्रसंघ में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी । फलतः राष्ट्रसंघ को विश्व के एक शक्तिशाली राष्ट्र का सहयोग एवं समर्थन नहीं मिल सका। इससे यह आरंभ से ही एक दुर्बल संस्था बन गई।
(iii) सैन्य शक्ति का अभाव- राष्ट्रसंघ की विफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह था कि उसके पास उसकी अपनी सेना नहीं थी। सेना की आवश्यकता की पूर्ति सदस्य-राष्ट्रों पर निर्भर थी। सदस्य-राष्ट्र हमेशा राष्ट्रसंघ को सैनिक सहायता उपलब्ध नहीं कराते थे। अतः सेना के अभाव में राष्ट्रसंघ आक्रमणकारी राज्यों के विरुद्ध सैनिक अथवा दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता था।
(iv) धन का अभाव- राष्ट्रसंघ की आर्थिक स्थिति भी असंतोषजनक थी। उसे अपनी सदस्य राष्ट्रों की आर्थिक सहायता पर आश्रित रहना पड़ता था । इससे इसकी शक्ति दुर्बल हो गई।
4. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य और सिद्धांत क्या थे?
उत्तर-द्वितीय विश्वयुद्ध के समय राष्ट्रसंघ निष्क्रिय बना रहा। युद्ध की विभीषिका एवं विनाश को देखते हुए तथा भविष्य में विश्व को युद्ध से बचाए रखने के उद्देश्य से पुनः एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गई। इस संस्था को राष्ट्रसंघ से अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता थी। अतः, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही इसके लिए प्रयास आरंभ कर दिए गए । फलतः 24 अक्टूबर, 1945 ई० को संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। संयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्तों में विश्वशांति, विश्व-बंधुत्व, समानता और सह-अस्तित्व की भावना को प्रधानता दी गई।
5. संयुक्त राष्ट्र के गैर-राजनीतिक कार्यों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-अंतराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन- यह संस्था युद्ध, अकाल और महामारी से उत्पन्न हुए शरणार्थियों के पुनर्वास एवं कल्याण के लिए कार्य करती है। इनके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाएँ भी हैं जो मानव-कल्याण एवं विश्वशांति के लिए प्रयास है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन- यह विश्व स्तर पर घातक और संक्रामक रोगों की रोकथाम का प्रयास करता है तथा आवश्यकतानुसार समुचित चिकित्सा की भी व्यवस्था करता है।
बाल सहायता कोष- इस संस्था का उद्देश्य अनाथ एवं दीन-हीन बच्चों की सहायता करना है।
संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान एवं सांस्कृतिक संगठन—इसका काय विश्व में शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक स्तर के विकास के लिए प्रयास करना तथा सभी देशों में पारस्परिक सहयोग एवं सद्भावना को प्रोत्साहन देना है।
6. संयुक्त राष्ट्र की किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धियों का उल्लेख करें।
उत्तर- रूस-ईरान विवाद ईरान में रूसी सेना जमी हुई थी। 1946 में ईरान ने इसकी यत सुरक्षा परिषद में की। 1946 में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद रूस ने ईरान से अपनी पस बुला ली।
इंडोनेशिया- इंडोनेशिया (ईस्ट इंडीज) हॉलैंड (डच) का उपनिवेश था। 1942 में जब जापान ने इंडोनेशिया पर आक्रमण किया तब हॉलैंड ने एक राष्ट्रवादी नेता सुकर्णो को इंडोनेशिया का शासन चलाने का अधिकार दे दिया। हॉलैंड ने यह वचन भी दिया कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद वह इंडोनेशिया को स्वतंत्र कर देगा। लेकिन वह अपने वचन से मुकर गया । संयुक्त राष्ट्र के दबाव में 1949 में इंडोनेशिया स्वतंत्र हो गया। आगे भी इंडोनेशिया के मामले में संयुक्त राष्ट्र को हस्तक्षेप करना पड़ा।
सीरिया-लेबनान समस्या- सीरिया-लेबनान की समस्या का भी समाधान संयुक्त राष्ट्र को करना पड़ा । इन दोनों स्थानों में ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेनाएँ थीं। दोनों ने विदेशी सैनिकों को हटाने की माँग रखी । संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों से ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी सेनाएँ हटा लीं । पुनः जब 1959 में लेबनान पर संकट आया तो संयुक्त राष्ट्र ने अपना प्रेक्षक दल वहाँ भेजकर समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकाला।
अन्य समस्याएं- संयुक्त राष्ट्र को अन्य अनेक विवादास्पद मामलों में भी हस्तक्षेप करना पड़ा है । अरब-इजरायल संघर्ष, खाड़ी युद्ध, अफगानिस्तान की समस्या, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया की स्वतंत्रता इत्यादि प्रश्नों पर संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप और सूझबूझ से अभी तक तृतीय विश्वयुद्ध नहीं हो सका । यही इसकी सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है।
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