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Bharati Bhawan Class 9th History Chapter 4 | फ्रांस और द्वितीय विश्वयुद्ध (1914-1945) | लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th History Chapter 4  फ्रांस और द्वितीय विश्वयुद्ध (1914-1945)  लघु उत्तरीय प्रश्न
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लघु उत्तरीय प्रश्न

1. सर्वस्लाववाद आंदोलन पर प्रकाश डालें । इसने अंतरराष्ट्रीय कटुता को किस प्रकार बढ़ावा दिया?
उत्तर—तुर्की साम्राज्य तथा ऑस्ट्रिया-हंगरी के अनेक क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों का बाहुल्य था। जो अलग स्लाव राष्ट्र की मांग कर रहे थे। रूस का यह मानना था कि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र होने के बाद स्लाव रूस के प्रभाव में आ जाएंगे। इसलिए ने सर्वस्लाववाद आंदोलन को बढ़ावा दिया। इससे रूस और ऑस्ट्रिया हंगरी के संबंध कटु हुए। इससे यूरोपीय राष्ट्रों में कटुता की भावना बढ़ती गई।

2. प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध के तात्कालिक कारण निम्न थे
(i) यूरोप की शक्ति संतुलन का बिगाड़ना 
(ii) गुप्त संधियों एवं गुटों का निर्माण 
(iii) जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता
(iv) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा 

3. पेरिस शांति सम्मेलन क्यों बुलाया गया? इसके क्या कार्य थे? 
उत्तर- नवंबर, 1918 में विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् विजित राष्ट्रों ने पेरिस में एक शाति सम्मेलन का आयोजन जनवरी, 1919 में किया। इसमें विश्वशांति स्थापना के तत्त्व निहित थे। इस सम्मेलन में सभी विजयी राष्ट्रों के राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया । पराजित राष्ट्रों के साथ अलग-अलग पाँच संधियाँ की गईं। (1) सॉजर्मे की संधि ऑस्ट्रिया के साथ (2) प्रियानो की संधि हंगरी के साथ (3) निऊली की संधि बुल्गेरिया के साथ (4) वर्साय की संधि जर्मनी के साथ (5) सेब्र की संधि तुर्की के साथ । इन संधियों ने यूरोप का मानचित्र बदल दिया।

4. उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्वयुद्ध का कारण कैसे बना स्पष्ट करें।
उत्तर- उग्र अथवा विकृत राष्ट्रवाद भी प्रथम विश्वयुद्ध का एक मौलिक कारण बना । यूरोप के सभी राष्ट्रों में इस भावना का समान रूप से विकास हुआ। यह भावना तेजी से बढ़ती गई में कि समान जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परंपरा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी। पहले भी इस आधार पर जर्मनी और इटली का एकीकरण हो चुका था । बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी । तुर्की तथा ऑस्ट्रिया-हंगरी के अनेक क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों का बाहुल्य था। वे अलग स्लाव राष्ट्र की माँगब कर रहे थे। रूस ने इसका समर्थन किया। इससे रूस और ऑस्ट्रिया हंगरी के बंध कटु हुए। इसी प्रकार सर्वजर्मन आंदोलन भी चला । सर्व, चेक तथा पोल प्रजाति के लोग स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे। इससे यूरोपीय राष्ट्रों में कटुता की भावना बढ़ती गई।

5. बरसय की संधि द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए किस प्रकार उत्तरदायी बनी? स्पष्ट करें। 
उत्तर - द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि में ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन जनमानस कभी भी भूल नहीं सका। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया । संधि की शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बाँट लिया। उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया । अतः जर्मन वर्साय की संधि को "एक राष्ट्रीय कलंक" मानते थे। मित्र राष्ट्रों के प्रति उनमें प्रबल प्रतिशोध की भावना जगी । हिटलर ने इस मनोभावना को और अधिक उभारकर सत्ता हथिया ली। सत्ता में आते ही उसने वर्साय संधि की धज्जियाँ उड़ा दी और घोर आक्रामक नीति, अपनाकर दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ कर दिया।

6. "द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणाम था।" स्पष्ट करें। 
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज को बो दिया । पराजित राष्ट्रों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया गया इससे वे अपने को अपमानित समझने लगे। उन राष्ट्रों में पुनः राष्ट्रीयता प्रभावी बन गई । प्रत्येक राष्ट्र एक बार फिर से अपने को संगठित कर अपनी शक्ति बढ़ाने लगा। एक-एक कर संधि की शर्तों को तोड़ा लगा। एक-एक कर संधि की शर्तों को तोड़ा जाने लगा। इससे विश्व एक बार फिर से चिंगारी के ढेर पर बैठ गया। इसकी अंतिम परिणाम द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई।

7. द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका के सम्मिलित होने से युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर- 7 दिसम्बर, 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर के अमेरिकी नौ-सैनिक अड्डा पर आक्रमण कर दिया । फलतः अमेरिका भी युद्ध में सम्मिलित हो गया। मित्र राष्ट्रों की शक्ति बढ़ गयी। धुरी राष्ट्र धीरे-धीरे पराजित होने लगे। 1944 में पराजित होकर इटली ने आत्मसमर्पण कर दिया । इससे जर्मनी शक्ति को आघात लगा। 7 मई, 1945 को हिटलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा । 6 अगस्त एवं 9 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एटम बम गिराकर पूर्णतः नष्ट कर दिया।

8. तुष्टीकरण की नीति से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या परिणाम हुआ? 
उत्तर- तुष्टीकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बनी। किसी भी यूरोपीय राष्ट्र ने जर्मनी इटली के आक्रामक नीति को रोकने का प्रयास नहीं किया । वस्तुत: 1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ब्रिटेन और फ्रांस खतरा महसूस कर रहे थे। 
दूसरी ओर जर्मनी, इटली और जापान (धुरी राष्ट्र) साम्राज्यवाद विरोधी थे। इसलिए, ब्रिटेन और फ्रांस चाहते थे कि फासीवादी शक्तियाँ (धुरी राष्ट्र) साम्राज्यवाद का विरोध करें और वे सुरक्षित रहें। इस तुष्टीकरण की नीति की प्रतिमूर्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेंबरलेन था। इससे फासीवादी शक्तियों के हौसले बढ़ते गए।

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 1 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 1 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 2 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 3 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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