1. पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दियों में भौगोलिक खोजों के महत्त्व की व्याख्या कीजिए |
उत्तर :- भौगोलिक खोजों का आधुनिक इतिहास में बड़ा महत्त्व है | भौगोलिक खोजों ने यूरोपवासियों के कार्यों और चरित्र परिवर्तन ला दिया | नए देशो आनेवाली धन-संपदा ने लोगों को लोभी तथा हिंसक बना दिया | शुरू में यह चाँद व्यक्तियों के एकाधिकार में था | बाद में इस काम को सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया जिससे यह काम राष्ट्रीय गौरव का प्रतिक बन गया | एक तरफ तो व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ और दूसरी तरफ उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद का प्रसार हुआ जिसके कारण यूरीपीय देशों में आपसी झगड़ों का सूत्रपात हुआ | राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों ने उनके बीच विरोध को और बढ़ाया | अब बड़ी नौ-सेना रखना आवश्यक हो गया | व्यापार मार्गों से भी परिवर्तन आया | मुख्य व्यापार मार्ग अब भूमध्य सागर से होकर जाने के बजाए महासागरों से होकर जाने लगा |
2. भौगोलिक खोजो के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए |
उत्तर :- भौगोलिक खोजो के परिणाम काफी दूरगामी और महत्वपूर्ण साबित हुए | पंद्रहवीं सोलहवीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों ने एक नए विश्व की रूपरेखा तैयार कर दी | भौगोलिक खोजों के निम्नलिखित परिणाम इस प्रकार है -
(i) व्यापार-वाणिज्य का विकास :- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप व्यापार, वाणिज्य में अप्रत्याशी रूप से वृद्धि हुई | स्थानीय और सिमित व्यापार वैश्विक रूप में परिवर्तन होने लगा |
(ii) मुद्रा व्यवस्था का विकास :- व्यापार-वाणिज्य के विकास के मुद्रा व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया जिससे व्यापार में सुविधा हुई | मुद्रा के अतिरिक्त हुंडी, ऋण-पत्र इत्यादि भी प्रचलन में आए |
(iii) व्यापारिक नगरों का उत्कर्ष :- व्यापार-वाणिज्य के विकास के कारण अनेक व्यापारिक नगरों का उदय हुआ | ये नगर और बंदरगाह व्यापारिक गतिविधियों से जीवित हो गए |
(iv) नै व्यापारिक शक्तियों का उदय :- भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय व्यापार पर इटली के स्थान पर स्पेन, पुर्तगाल, इंग्लैण्ड और फ्रांस ने यूरोपीय व्यापार पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया | इनके द्वारा स्थापित उपनिवेशों से इन्सके व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ |
(v) बहुमूल्य धातुओं का आयात :- नए देशों की खोज ने कीमती धातुएं (सोना, चंदी) की कमी को पूरा कर दिया | इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान हुई तथा मुद्रास्फीति और कीमतों में वृद्धि हुई |
(vi) वाणिज्यवाद का विकास :- बदलती परिस्थितियों में वानिज्यवाद का भी विकास हुआ |विश्वव्यापी व्यापार के विकास पूंजीवादी को जन्म दिया |
(vii) ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार :- उपनिवेशों के माध्यम से यूरोपीय राष्ट्रों ने ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता संस्कृति का प्रसार किया |
(viii) व्यापारिक माल के स्वरूप परिवर्तन :- पहले व्यापार में स्थानीय वस्तू की खरीद-बिक्री की जाती थी | परन्तु अब विभिन्न देशों की बहुमूल्य वस्तुओं एवं खाद्द पदार्थों का भी व्यापार किया जाने लगा |
(ix) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि :- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि की | नए देशों एवं समुद्री मार्ग का पता लगा इससे विस्तृत दुनिया की जानकारी मिली |
(x) अन्य महत्वपूर्ण परिणाम :- भौगोलिक खोजों के विभिन्न प्रकार के आविष्कार हुए तथा नई फसलों का आदान-प्रदान हुआ | इसा प्रकार भौगोलिक खोजों का अन्धकार युग का अंत कर आधुनिक युग के आगमन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी |
3. उपनिवेशवाद का आरंभ कैसे हुआ ? इसके क्या परिणाम हुए ?
उत्तर :- भौगोलिक खोजों का एक महत्वपूर्ण परिणाम हुआ उपनिवेशवाद का जन्म और विकास |व्यापारिक कंपनियों के माध्यम से संगठित व्यापार का विकास कर यूरोपीय राष्ट्रों में उपनिवेश स्थापना करने की होड़ लग गई | इंग्लैण्ड, हय्लैंड, फ्रांस, पुर्तगाल और स्पेन ऐसे राष्ट्रों में प्रमुख थे | एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, हिन्दचीन और अन्य स्थानों में इनके उपनिवेश स्थापित हुए | इन उपनिवेशों के आर्थिक संसाधनों का दोहन उनकी अर्थव्यवस्था पर अधिकार कर धन कमाया गया | बाद में उपनिवेशों की शाशन-व्यवस्था पर भी अधिकार कर लिया | परिणाम उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद को भी जन्म दिया | ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार हुआ | उपनिवेशवाद के विकास के साथ दास व्यापार बढ़ता गया |
4. भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाला ? व्याख्या करे |
उत्तर :- भौगोलिक खोजों के कारण यूरोप के व्यापार तथा व्यवसाय का तेजी से विकास हुआ जिसमे विभिन्न उदोगो में भी वृद्धि हुई और वह विश्विव्यापी हो गया | व्यापार का विकास होने से अब यूरोप में बड़े-बड़े जहाज बनने लगे जिससे उद्योगों में वृद्धि हुई | इससे विविध प्रकार के माल विदेश में ढोए जाने लगे | एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि में यूरोप के निवासी बसने लगे और नए देशों में यूरोपीय सभ्यता संस्कृति का प्रचार-प्रसार हुआ और इस प्रकार यूरोप की सभ्यता का प्रवेश उन देशों में हुआ | अफ्रीका एक पिछड़ा हुआ देश था | वहाँ के लोगों को सभ्य बनाने का प्रयास किया गया | अब लोगों की रूचि से सज्जा और श्रृंगार की ओर बढ़ी | ईराक की कालीन, चीनी रेशम, अमेरिका के बहुमूल्य पत्थरों तथा अफ्रीका के स्वर्ण का श्रृंगार और सजावट में उपयोग होने लगे | पर, इसका एक दुष्परिणाम भी हुआ | भोग-विलास की वृद्धि हुई और यूरोप के लोगों का नैतिक पतन प्रारंभ हो गया |
5. भौगोलिक खोजों के महत्वपूर्ण परिणामों की विवेचना करें |
उत्तर :- 15वीं-16वीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों ने एक नए विश्व की रूपरेखा तैयार कर दी | अब पश्चिम और पूरब का सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संपर्क बढ़ा | इससे व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ | पुरबी देशों में यूरोपीय बाजार एवं बस्तियाँ बसने लगी | पुरबी व्यापार यरोपियनों के लिए अत्यंत लाभदायक था | यूरोपीय राष्ट्रों में पूरब से व्यापार करने की होड़ लग गई | भौगोलिक खोजों के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हुए -
(i) व्यापार-वाणिज्य का विकास :- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप व्यापार-वाणिज्य में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई | नए देशों की जानकारी के पहले यूरोपीय व्यापार मुख्य रूप से भूमध्यसागर और बाल्टिक सागर-क्षेत्र से ही होता था | अब इसका क्षेत्र विस्तृत हो गया | व्यापार-वाणिज्य अटलांटिका, हिन्द और प्रशांत महासागर क्षेत्र से भी होने लगा |
(ii) मुद्रा व्यवस्था का विकास :- व्यापार-वाणिज्य के विकास ने मुद्रा-व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया | मुद्रा-व्यवस्था के प्रचलन से व्यापार में सुविधा हुई | प्रत्येक देश अपनी मानक मुद्रा जारी करने लगी | धातु मुद्रा के अतिरिक्त हुंडी,m ऋणपत्र इत्यादि भी मुद्रा के रूप में प्रचलन में आए |
(iii) नई व्यापारिक शक्तियों का उदय :- भौगोलिक खोजों और व्यापार-वाणिज्य के विकास ने यूरोपीय व्यापार पर इटली का एकाधिकार समाप्त कर दिया |इटली के स्थान पर अब स्पेन, पुर्तगाल, इंग्लैण्ड और फ्रांस ने यूरोपीय व्यापार पर अपनी वर्चस्व स्थापित कर लिया |इनके द्वारा स्थापित उपनिवेशों से इनके व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ |
(iv) बैंकिंग व्यवस्था का विकास :- व्यापार के विकास ने बैंकिंग व्यवस्था को भी बढ़ावा दिया | व्यापारी अपना धन इन बैंकों में सुरक्षित रखने लगे | आवश्यकतानुसार वे इनसे ऋण लेकर अपने व्यापार का विकास भी करने लगे | 15वीं -61वीं शताब्दी में फ्लोरेंस के मेडिसी परिवार की बैंकिंग अथवा महाजनी में प्रमुख भूमिका थी | जेनेवा और अन्य नगरों में भी बैंकों की स्थापना की गई |
(v) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि :- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि की | नए देशों एवं समुद्री मार्ग का पता लगा | इससे विस्तृत दुनिया की जानकारी मिली |
(vi) प्रचलित भ्रांतियों का अंत :- मध्यकालीन अन्धकार युग में चर्च के प्रभाव से समुद्री यात्रा को लेकर अनेक भ्रांतियां थी | नै खोजों ने इन भ्रांतियों को मिटा दिया | इससे रोमन चर्च का प्रभाव कमजोर हुआ | धर्मसुधार आन्दोलन द्वारा चर्च के दकियानूसी विचारों पर नियंत्रण लग गया |
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