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Bharati Bhawan Class 9th History Chapter 5 | Long Answer Question | नाजीवाद और हिटलर का उत्कर्ष (1934-45) | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th History Chapter 5  Long Answer Question  नाजीवाद और हिटलर का उत्कर्ष (1934-45)  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. जर्मनी में नाजीवाद अथवा हिटलर के उत्कर्ष के कारणों पर प्रकाश डालें। 
उत्तर- हिटलर (नाजीवाद) के उत्कर्ष के कारण जर्मनी में हिटलर और उसकी नाजी पार्टी के सत्ता में आने अथवा नाजी क्रांति के अनेक कारण थे। इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं
 I. 1919 की वर्साय की अपमानजनक संधि- मित्र राष्ट्रों ने प्रथम विश्वयुद्ध के लिए जर्मनी को उत्तरदायी ठहराया और संधि की कड़ी शर्ते रखीं। इस संधि के अनुसार जर्मनी को अपने सभी उपनिवेशों अपने साम्राज्य के 13% क्षेत्र और 10% जनसंख्या से हाथ धोना पड़ा। हर्जाना में 6 अरब पौंड देना पड़ा । खनिज संपदा से परिपूर्ण राइनलैंड पर मित्र राष्ट्रों ने अधिकार कर लिया। हिटलर नें अपने भाषणों में इस संधि की कड़ी आलोचना कर जनता को प्रजातंत्रवादियों से अपनी ओर कर लिया।

II. आर्थिक मंदी- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक स्थिति अत्यधिक बिगड़ गई थी। उदाहरण के लिए, एक पावरोटी खरीदने के लिए एक गाड़ी कागजी मुद्रा (जर्मन मार्क) जारी करना पड़ा। 1925 के अंत तक एक महाशंख कागजी मार्क का मूल्य एक डॉलर के बराबर हो गया। हिटलर ने इस दयनीय स्थिति के लिए प्रजातंत्र वादियों को दोषी ठहराया। जनता को ने लगा कि हिटलर और नाजी पार्टी उनके दुर्दिन को समाप्त कर देंगे। अतः, हिटलर को जनसमर्थन मिलने लगा।

III. साम्यवाद का बढ़ता प्रभाव- वेमर गणतंत्र में सामाजिक प्रजातांत्रवादियों का प्रभुत्व था। ये मार्क्सवादी थे। ये जर्मनी में रूस जैसी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे। साम्यवादी विचारधारा जर्मनी में राष्ट्रीयता के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हिटलर ने जनता को साम्यवाद के विनाशकारी प्रभावों से परिचित कराया। जर्मनवासी साम्यवादी चंगुल से बचने के लिए बड़ी संख्या में नाजी दल में सम्मिलित होने लगे ।

IV. यहूदी-विरोधी भावना- जर्मनी का एक बड़ा जनसमुदाय, जिसमें मध्यम वर्ग और बेरोजगार थे, यहूदी-विरोधी थे। उनका मानना था कि प्रथम विश्वयुद्ध में यहूदियों के विश्वासघात के कारण ही जर्मनी की पराजय हुई थी। हिटलर यहूदियों के विरुद्ध जनता को उभारा । सभी हिटलर को जर्मनी का मसीहा मानकर उसके साथ हो गए।

V. हिटलर का व्यक्तित्व– नाजी दल और हिटलर के राजनीतिक उत्कर्ष का एक प्रमुख कारण स्वयं हिटलर का आकर्षक और प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व था। वह भाषण देने में अत्यंत निपुण था । वह अपने भाषणों से श्रोताओं का मंत्रमुग्ध कर अपनी ओर आकर्षित कर लेता था। इससे जनमत का उसके पक्ष में होना सहायक हो गया।

2. नाजीवाद दर्शन की व्याख्या करें। क्या यह निरंकुशता का समर्थक था?
उत्तर- नाजी दर्शन हिटलर की विचारधाराओं पर केन्द्रित था । विश्व और मानव समुदाय के प्रति उसका एक विशिष्ट दृष्टिकोण था । नाजी दर्शन की निम्नलिखित विशेषताएँ थी। 
I. प्रजातीय स्तरीरकण- उसके अनुसार नॉर्डिक जर्मन आर्य प्रजातीय स्तरीकरण के शीर्ष पर तथा यहूदी सबसे निचले स्तर पर थे। वह यहूदियों को आर्यों का दुश्मन मानता था। उनका मानना था कि आर्य प्रजाति सर्वश्रेष्ठ है। पूरे विश्व पर शासन करने के लिए इसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी होगी तथा इसे मजबूत और शक्तिशाली बनाना होगा।
II. भौगोलिक- राजनीतिक दृष्टिकोण नाजीवाद का दूसरा दर्शन लिबेनस्तम अर्थात् रहने योग्य स्थान की तलाश से संबद्ध था । हिटलर का मानना था कि निवास के लिए नए क्षेत्रों पर अधिकार करना आवश्यक है । इस उद्देश्य से हिटलर ने पूर्व की ओर प्रसार करने की नीति अपनाई जिससे की सभी जर्मनों को एक भौगोलिक क्षेत्र पोलैंड में बसाया जा सके।
III. सर्वाधिकार का प्रसार एवं गणतंत्र की आलोचना- नाजी दर्शन सर्वाधिकारवाद का समर्थक था । वह सारी शक्ति एक व्यक्ति अथवा राज्य में केन्द्रित करना चाहता था। इसलिए, यह जनतंत्रात्मक व्यवस्था एवं लोकतंत्र का विरोधी था।
IV. उग्र राष्ट्रवाद का समर्थक- नाजी उग्रराष्ट्रवाद में विश्वास करते थे। उनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था । जर्मनवासियों में अन्तर्निहित भावना को उभारकर हिटलर ने उग्र राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया ।
V. यहूदी-विरोधी नीति- नाजीवाद की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विशिष्टता यह थी कि यह यहूदियों के प्रति असीम घृणा का भाव रखता था। यहूदियों को "अवांछित समुदाय" माना गया । उन्हें ईसा मसीह का हत्यारा और सूदखोर माना गया । लाखों यहूदियों की हत्या करवा दी गई नाजियों ने एक ऐसे राज्य की कल्पना कि जिसमें सिर्फ शुद्ध नस्लवाले आर्य ही निवास कर सकें।
VI. सैनिकवाद को प्रोत्साहन- जनतांत्रिक व्यवस्था को विफल करने के लिए सैनिकों का सहयोग लेने की योजना से नाजियों ने सैनिकवाद और युद्ध को बढ़ावा दिया। नाजी अपने लक्ष्य की पूर्ति बल और युद्ध का सहारा लेकर करना चाहते थे। नाजियों ने समाजवाद का विरोध किया ने एवं पूँजीवादी व्यवस्था को समर्थन दिया ।

3. हिटलर की गृह नीति की समीक्षा करें |
उत्तर-हिटलर की गृहनीति निम्नलिखित हैं
I. अधिनायकतंत्र की स्थापना- जर्मनी में सत्ता संभालते ही हिटलर ने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में केन्द्रित कर ली तथा एक तानाशाह बन बैठा ।
II. विशेष सुरक्षा दल का गठन–नाजी दर्शन के अनुकूल सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने के उद्देश्य से विशेष पुलिस एवं सुरक्षा दल का गठन किया गया। इनमें गेस्टापो अथवा गुप्तचर पुलिस दल सबसे महत्त्वपूर्ण था।
II. यहदियों पर भीषण अत्याचार- यहूदियों पर अवर्णनीय अत्याचार किये। यहूदियों की संपत्ति जब्त कर ली गई । यहूदी छात्रों एवं शिक्षकों को स्कूल से निकाल दिया गया। डॉक्टरों को अस्पतालों एवं वकीलों को कोई निकाला गया। गैस चैंबर में डालकर लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई।
IV. शिक्षा-व्यवस्था में परिवर्तन- स्कूलों में दी जानेवाली शिक्षा को भी नाजी दर्शन के अनुकूल बनाया गया। पाठ्यपुस्तकों को पुनः लिखवाया गया। इनमें नाजीवाद की प्रशंसा कर इसे अपनाने को कहा गया।
V. युवाओं के प्रति नीति-हिटलर युवकों एवं छात्रों को मजबूत, शक्तिशाली और सैनिक गुणों से परिपूर्ण बनाना चाहता था। इसलिए उनमें युद्धोन्माद उत्पन्न किया गया। छात्रों को कड़े अनुशासन में रखने की व्यवस्था की गई।
VI. धर्म के प्रति नीति- हिटलर धर्म पर भी राजकीय नियंत्रण स्थापित करना चाहता था । इसिलए उसने जर्मनी के प्रोटेस्टेंट चर्च को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया, लेकिन वह इसमें पूरी तरह सफल नहीं हो सका
VII. आर्थिक सुधार-हिटलर के समकक्ष राष्ट्र की अर्थव्यवस्था सुधारने का भी समस्या सने जालमर शाष्ट नामक अर्थशास्त्री को अपना अर्थमंत्री बनाया। उसने अधिकतम इतान और अधिक-से-अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की नीतिअपनाई।
उद्योगों के विकास के लिए चतुवर्षीय योजना 1936 में लागू की गई। उद्योगों को बढ़ावा ने की नीति से बेरोजगारी कम हुई। हिटलर के इन कार्यों से जर्मनी में पुन: आर्थिक प्रगति हुई।
4. हिटलर की विदेश नीति की विवेचना करें। क्या यह जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने का साधन था?
उत्तर-हिटलर की विदेशनीति खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने का साधन था। हिटलर की विदेश नीति के मूल तत्व थे अपमानजनक विर्साय संधि को समाप्त करना, जर्मनी को एकसूत्र में बाँधना तथा जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना । वह यूरोप में साम्यवाद के प्रसार को भी रोकना अतः सत्ता में आते ही वह अपनी नीतियों के कार्यान्वयन में सक्रिय हो गया।
I. राष्ट्रसंघ से संबंध-विच्छेद-जर्मन राष्ट्रसंघ का सदस्य था, परंतु यह उसके हितों की रक्षा नहीं कर सका। वर्साय की कठोर और अपमानजनक संधि से जर्मन आहत थे। उसने जेनेवा निरस्त्रीकरण की शर्तों को सभी देशों पर लागू की जाने की माँग की, परंतु रेसा नहीं हुआ। 1933 में उसने राष्ट्रसंघ की सदस्यता त्याग दी ।
II. वर्साय की संधि को अस्वीकार करना- वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी पर क्षतिपूर्ति के रूप में जो हर्जाना थोप दिया गया था उसे हिटलर ने देने से इंकार कर दिया । सेना संख्या बढ़ाई गई तथा बड़ी मात्रा में अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया गया। 1935 में उसने वर्साय की संधि को मानने से इंकार कर दिया ।
III. ऑस्ट्रिया-जर्मनी का एकीकरण- ऑस्ट्रिया में जर्मन प्रजाति की बहुत बड़ी संख्या थी। इसलिए, 1938 में उसने 'एक जनता, एक साम्राज्य और एक नेता' का नारा देकर ऑस्ट्रिया को जर्मनी के साथ एकीकृत कर लिया ।
IV. राइनलैंड और चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार- हिटलर ने राइनलैंड पर 1936 में पुनः अधिकार कर लिया । 1939 में उसने चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया, क्योंकि वहाँ भी जर्मन प्रजाति के लोग बड़ी संख्या में थे। 
V. रोम. बर्लिन-टोकियो धुरी का गठन- 1936 में जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक आपसी समझौता किया। 1937 में इटली भी इसमें सम्मिलित हो गया । फलतः यह त्रिदलीय संधि रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी के नाम से विख्यात हुई।
VI. इंगलैंड से समझौता- 1935 में हिटलर ने ब्रिटेन के साथ एक समझौता किया। इसके अनुसार इंगलैंड इसके लिए सहमत हो गया कि जर्मनी अपनी स्थल एवं वायु सेना में वृद्धि कर सकता है।
VII. पोलैंड पर आक्रमण- वर्साय की संधि में पोलैंड को जो 'पोलिश गलियारा' दी गई थी उसे हिटलर ने वापस माँगा । हिटलर की माँग को पोलैंड ने ठुकरा दिया। फलत: 1 सितम्बर, 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया। इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ हो गया।

Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 1 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 2 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 3 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 5 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 9th Bharati Bhawan History Chapter 6 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

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