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Class 12th Sociology Short Questions | Bihar Board Class XII Sociology Most VVI Short Answers | BSEB Inter 2nd Year Exam Important Question Answer

Class 12th Sociology Short Questions | Bihar Board Class XII Sociology Most VVI Short Answers | BSEB Inter 2nd Year Exam Important Question Answer

प्रश्न 1 से 42 तक के प्रश्नों के उत्तर के लिए क्लिक करे 

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प्रशन42 :-- अनुसूचित जाति की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।

उत्तर:-- हिंदू जाति व्यवस्था में सदियों से जिन्हें शूद्र, पंचम या अन्तयज  कहा जाता था। उन्हें ही भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है। हिंदू जाति व्यवस्था में वे अनेक वंचनाओं के सिखा रहे हैं। शिक्षा का अधिकार नहीं था, संपत्ति ग्रहण का अधिकार नहीं था, सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश का अधिकार नहीं था बल्कि वे अस्पृश्यता के शिकार थे। शोषण, अपमान, गरीबी, भूमिहीनता, और अस्पृश्यता उनकी प्रमुख समस्याएं रही है।

प्रशन 43:-- महिलावद  पर नोट लिखें।

उत्तर:-- महिलावाद एक विचारधारा है, जो महिलाओं की मौजूदा अधीनता को सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों एवं संस्थाओं की देन मानता है। वे इस बात को मानते हैं कि सभी सामाजिक संस्थाओं में महिलाओं का शोषण एवं उत्पीड़न होता है।

इसलिए महिलावादी इस सामाजिक व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन की बात करते हैं तथा महिला शोषण के विरूद्ध लड़ते हैं। यह विचारधारा पुरुष एवं महिलाओं की समानता में विश्वास करती है और इनका लक्ष्य पुरुष एवं महिलाओं की समानता पर आधारित समाज की स्थापना करना है।

प्रशन 44:-- लैंगिक विषमता का क्या अर्थ है?

या:--भारतीय समाज में लिंग भेद के परिणामों की चर्चा करें ।

या:--भारत में लैंगिक विषमता के प्रमुख आधारों का उल्लेख करें:--

उत्तर:-- किसी समाज में जब लिंग के आधार पर स्त्री और पुरुषों में भेदभाव किया जाने लगता है, तब सामान्य शब्दों में इसी दशा को हम लैंगिक विषमता कहते हैं। लैंगिक विषमता शब्द का उपयोग जैविकीय तथा सामाजिक दोनों अर्थों में किया जाता है। 

* लैंगिक विषमता को इस रूप में देखा जा सकता है---

1. पितृसत्तात्मक समाज में वंश उत्तराधिकार आदि पिता से पुत्र को प्राप्त होते हैं यानी पुरुषों को प्रधानता दी जाती है ।

2. बेटी को पराया धन माना जाता है तथा उसके विवाह में ससुराल वालों को दहेज एवं उपहार दिए जाते हैं ।

3. माता पिता का अंतिम संस्कार सिर्फ पुत्र ही करता है। पुत्री को यह अधिकार प्राप्त नहीं है पुत्र ना होने की स्थिति में पुत्री करती है ।

4. संताहीन एवं पुत्रविहीन स्त्री को डायन व बांझ  कहकर लांछित किया जाता है ।

5. बेटे के पालन पोषण को बेटी  के लालन-पालन के मुकाबले विशेष महत्व दिया जाता है। बेटे  के जन्म पर खुशी प्रकट की जाती है और बेटी के जन्म पर शोक किया जाता है। इसी तरह बेटे कोई स्कूल पढ़ने भेजा जाता है और बेटी को घरेलू कामों में लगाया जाता है।

* यह विषमता पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की निम्न परिस्थिति को स्पष्ट करती है।

प्रशन:-- 46:-- भ्रूण हत्या पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर:-- भारतीय समाज में पुरुष प्रधान है तथा यहां लड़की की तुलना में लड़कें को अधिक महत्व दिया जाता है। धार्मिक दृष्टि से भी पुत्र प्राप्ति आवश्यक माना गया है क्योंकि वही श्राद्ध एवं तर्पण द्वारा मृत पिता एवं पूर्वजों को स्वर्ग पहुंचाता है। उत्तराधिकारी की दृष्टि से भी पुत्र का होना आवश्यक है। वैज्ञानिक प्रगति ने मानव को हजारों सुख-सुविधा के साधन जुटाए हैं ,आज हम माता के गर्भ की जांच जिसे एमनियोसेंटेंसेस कहा जाता है, के द्वारा भ्रूण हत्या की जांच कर यह पता लगा सकते हैं कि उत्पन्न होने वाला शिशु लड़का है या लड़की। इस वैज्ञानिक ज्ञान को लोगों ने दुरुपयोग किया है और वह यदि भ्रूण लड़की का है तो उसका गर्भपात करवा देते हैं जो भ्रूण हत्या है। लड़की की चाह में लड़की की हत्या मानवता के माथे पर बहुत बड़ा कलंक है।

अतःलोगों के मन से यह भरम निकालना होगा कि पुत्र प्राप्ति आवश्यक है और उसकी चाह में किसी भी रूप में नारी हत्या अमानवीय है एवं नैतिकता व कानून के विरुद्ध अपराध है। नारी हत्या में पुरुष की अपेक्षा स्वयं नारी का योगदान भी कम नहीं होता है। अतः सर्वप्रथम तो नारी को ही नारी के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए उठ खड़ा होना पड़ेगा।

प्रशन 47:-- अतिपिछड़ा पर नोट लिखें।

उत्तर:-- आर्थिक सामाजिक दृष्टि से पहले जाति को अगड़े- पिछड़ों में बांटा गया। लेकिन पिछड़ी जातियों में भी बहुत विभेद पाया गया तो कुर्मी एवं यादव जैसी जातियां भी अन्य पिछड़ों के पणजी में रखा गया और पिछड़ों में भी जो ज्यादा पिछड़े हैं उन्हें अति पिछड़ा कहा गया। जैसे-- कहार, कानू ,तेली आदि ये हरिजनों से तो आगे हैं लेकिन अन्य पिछड़ों से काफी पीछे है। इसलिए बिहार सरकार ने पंचायतों में उनके लिए विशेष आरक्षण दिया है।

प्रशन 48:-- अनुसूचित जनजाति से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:-- जनजाति के संबंधों में विद्वान द्वारा दी गई परिभाषाओं में मतभेद पाया जाता है। इसके संबंध में अनेक विद्वानों ने अलग-अलग रूप में परिभाषा दी है। कुछ विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं----

इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया में कहा गया है कि, जनजाति समान नाम धारण करने वाले परिवारों का एक संकलन है, जो सामान बोली बोलते हो एक ही भूखंड पर अधिकार करने का दावा करते हो अथवा दखल रखते हो जो साधारणतः अन्तविवाह ना हो यद्यपि मूल रूप में चाहे वैसे रहे हो। रोल्फ निंटन ने कहा की सरलतम रूप में जनजाति ऐसी टोलियों का समूह है, जिसका एक संध्या वाले भूखंड अथवा भूखंडों पर अधिकार हो और जिन में एकता की भावना, संस्कृति में गहन समानता, निरंतर संपर्क तथा कतिपय समुदायिक हितो में समानता से उत्पन्न हुई हो।

प्रशन 49:-- मध्यम वर्ग किसे कहते हैं?

उत्तर:-- वर्ग निर्माण में आर्थिक आधार को ही प्रधानता दी जाती है। सामान्यतः समाज तीन प्रमुख वर्गों में विभक्त होता है। (1) उच्च वर्ग (2) मध्यम वर्ग (3) निम्न वर्ग ।

मध्यम वर्ग के अंतर्गत डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, व्यापारी आदि आते हैं। इस वर्ग के लोगों का उच्च वर्ग के लोगों से संपर्क बना रहता है। यह लोग पढ़ लिखकर अपनी योग्यता के बल पर सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में कार्य करते हैं। यह वर्ग उच्च वर्ग के लिए संचालन वर्ग का कार्य करता है। यह लोग परंपरा व रूढ़ियों का सम्मान करते हैं तथा अपनी सुविधानुसार सामाजिक, आर्थिक तथा नैतिक नियमों का पालन करते हैं। अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद यह वर्ग  अपने भविष्य को समृद्ध बनाने के लिए बचत करता है।

प्रशन 50:-- पिछड़ा वर्ग शब्द का विश्लेषण करें।

उत्तर:--कमजोर वर्गों में अनुसूचित जातियों के अतिरिक्त अन्य पिछड़े वर्ग भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन वर्गों को भी शिक्षा व रोजगार में कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं। अन्य पिछड़े वर्गों का निर्धारण दो प्रमुख आधार पर किया गया है ----प्रथम जाति और द्वितीय व्यवसाय। काका कालेलकर की अध्यक्षता में नियुक्त कमीशन ने पिछड़ेपन के निर्धारण हेतु चार आधार रखे हैं----

(1) जातीय संस्तरण में निम्नी स्थिति, (2) शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन, (3) सरकारी नौकरियों में  अपर्याप्त प्रतिनिधित्व,(4) व्यापार , वाणिज्यि व उद्योग  के क्षेत्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व ।

प्रशन 51:-- धार्मिक अल्पसंख्यक से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:-- समाजशास्त्रीय आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय की अवधारणा को चार मुख्य विशेषताओं के आधार पर स्पष्ट दिया है ।

1. जो किसी न किसी रूप में बहुसंख्यक समुदाय के अधीन होता है ।

2. जिसे बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अपने से हीन समझा जाता है ।

3. जिसकी राष्ट्रीय व सामाजिक जीवन में बहुत कम भागीदारी होती है ।

4. जिसकी संस्कृति तथा भौतिक विशेषताएं बहुसंख्यक समुदाय से भिन्न होती है ।

प्रशन 52:-- अस्पृश्यता की बुराई पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:-- भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में अस्पृश्यता शब्द का प्रयोग ऐसे लोगों के लिए किया गया है, जिन्हें अपवित्र, गंदा और सर्वाधिक अशुद्ध माना जाता था। ऐसे लोगों के छूने देखने या नजदीक आने मात्र से दूसरे लोगों (द्बिज जातियों के व्यक्ति) के  अपवित्र होने की संभावना व्यक्त की गई है। ऐसे लोगों का कुआं, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश निषेध था। नियम भंग करने की दशा में उन्हें भारी शरीर एक दंड दिया जाता था। ऐसे लोगों की गांव ,कस्बे और नगर से दूर अलग बस्तियां होती थी। इन लोगों के द्बिज जातियों के साथ किसी भी प्रकार के सामाजिक संबंध उठने बैठने, हुक्का पानी, खानपान आदि नहीं हुआ करते थे। इन्हें छुआछूत ,अंत्यज, निषाद, चांडाल डोम आदि कई नामों से जाना जाता था।

 प्रो० मजूमदार ने अस्पृश्यता की परिभाषा देते हुए लिखा है कि, अस्पृश्यता जाति वे हैं जो विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक  न्यू योग्यताओं  से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकतर निर योग्यताओं को परंपरा द्वारा निर्धारित कर के सामाजिक रूप में उच्च जातियों द्वारा लागू किया गया है।

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