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Class 12th Sociology (समाजशास्त्र) Question & Answer 2022 | 2022 के परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

Class 12th Sociology (समाजशास्त्र) Question & Answer 2022  2022 के परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

प्रशन 1:- भारतीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर:- भारतीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं----

1. जन्म दर में वृद्धि

2. मृत्यु दर में कमी

3. विभिन्न धर्मों और संप्रदायों का समावेश

4. जीवन अवधि में वृद्धि

5. नगरीकरण पर बल

6. साक्षरता में वृद्धि

1. जन्म दर में वृद्धि:- इस जमाने में जन्म दर में वृद्धि हो रही है। क्योंकि वर्तमान समय में हर बीमारी का इलाज है।

2. मृत्यु दर में कमी:- इस जमाने में मृत्यु दर में कमी हो रही है। क्योंकि यहां स्वतंत्रता के बाद चिकित्सा व्यवस्था को काफी बढ़ाया गया। जिससे मृत्यु दर में कमी होने लगी।

3. विभिन्न धर्मों और संप्रदायों का समावेश:- पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसमे हर धर्म के लोग से मिलजुल कर रहते हैं ।

4. जीवन अवधि में वृद्धि:- भारत में जीवन काल में भी वृद्धि हो रही है। चिकित्सा व्यवस्था के सुधारने से मनुष्य का औसत जीवन काल बढ़  गया है ।

5. नगरीकरण पर बल :- भारत के अधिकांश लोग नगरीकरण पर बल दे रहे हैं। क्योंकि नगर में हर चीज की अधिक सुविधाएं हैं।

6. साक्षरता में वृद्धि:- साक्षरता में धीरे धीरे वृद्धि हो रहा है भारत में साक्षरता संबंधी कई उन्मूलन चलाए जा रहे हैं जिससे साक्षरता दर बढ़ता जा रहे हैं।

प्रशन 2:- जनांकिकीय ( demography ) का अर्थ एवं विषय क्षेत्र का वर्णन करें।

उत्तर:- '' demography '' शब्द जिस का हिंदी में अर्थ जनांकिकीय होता है। इसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है। Demography ग्रीक भाषा के  दो शब्दों से मिलकर बना है पहला "Demos"जिसका अर्थ होता है मनुष्य और दूसरा "grapho"जिसका अर्थ होता है लिखना या अंकित करना , इस प्रकार "demography" का शाब्दिक अर्थ है--- मनुष्य या जनसंख्या के बारे में लिखना या अंकित करना।

जनांकिकीय एक ऐसा गणित है जिससे किसी एक आंकड़ा से सब आंकड़ा  निकालना जनांकिकीय कहलाता है।

** जनांकिकीय के प्रमुख तत्व: जनांकिकीय के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं----

1. संक्षेप में जनांकिकी मानव विज्ञान की वह शाखा है, जो जनसंख्या वितरण से संबंधित है।

2. इसके अंतर्गत जनसंख्या के निम्न दो  पहलुओं का अध्ययन किया जाता है----

(1) जनसंख्या का गुणात्मक पहलू

(2) जनसंख्या का गनात्मक पहलू

3. इस क्षेत्र के अंतर्गत इन तत्वों को सम्मिलित किया जाता है---

(1) मानव जनसंख्या का आकार

(2) जनसंख्या की संरचना

(3) जनसंख्या का स्थानीय वितरण

(4) प्रजनन दर

(5) मृत्यु दर

(6) विवाह

(7) प्रवासिता

(8) बेरोजगारी

(9) सामाजिक गतिशीलता

** जनांकिकी का महत्व:--

»» वास्तव में आज बिना जनांकिकीय अध्ययन और ज्ञान के कोई भी देश अपने विकास व प्रगति कि ना तो सही दिशा ही निर्धारित कर सकता है और ना ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। आज का युग नियोजन का युग है। नियोजन का साध्य और साधन दोनों जनसंख्या ही है। जब तक देश की जनसंख्या, उसकी संरचना, आकार,वितरण, आयु ,लिंग, जन्मदर, आवास प्रवासव्यवसायिक वितरण तथा जनसंख्या में होने वाली वृद्धि व ह्रास का सही ज्ञान नहीं होगा तब तक जीवन के किसी भी क्षेत्र से संबंधित योजनाओं, कार्यक्रमों व नीतियों का निर्माण नहीं हो सकता है। इस इस दृष्टि से जनांकिकी का आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक संस्कृतिक व समाज कल्याण आदि सभी क्षेत्रों में विशेष महत्व है।

प्रशन 3:- लैंगिक विषमता से आप क्या समझते हैं? लैंगिक विषमता की वर्तमान समस्याओं की चर्चा करें।

या:- भारतीय समाज में लिंग भेद के परिणामों की चर्चा करें।

उत्तर:- भारत की सामाजिक व्यवस्था पूर्णता: पुरुष प्रधान हैं भारत में लिंग के आधार पर काफी भेदभाव रखा जाता है सामान्य शब्दों में इसे  ही लैंगिक विषमता कहते हैं।

दूसरे शब्दों में लैंगिक विषमता का अर्थ है सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों पर भेदभाव करना।

** लैंगिक विषमता की समस्याएं:- लैंगिक विषमता की समस्याएं निम्नलिखित हैं---

1. सामाजिक शोषण

2. नैतिक शोषण

3. सामाजिक हिंसा

4. शैक्षणिक विषमता

5. वैवाहिक विषमता

1. सामाजिक शोषण:- समाज में लैंगिक विषमता के कारण स्त्रियों का सामाजिक शोषण होता है, उन्हें बराबर का दर्जा प्राप्त नहीं होता है।

2. नैतिक शोषण:- लैंगिक विषमता के कारण समाज द्वारा स्त्रियों का नैतिक शोषण होता है, क्योंकि नैतिकता के आधार पर उन्हें बराबर का अधिकार प्राप्त नहीं है।

3. सामाजिक हिंसा:- लैंगिक विषमता का एक रूप सामाजिक हिंसा के रूप में भी दिखता है , भ्रूण हत्या इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

4. शैक्षणिक विषमता:- शिक्षा के क्षेत्र में भी स्त्रियों को दूसरे दर्जे का स्थान प्राप्त है। महिलाओं की शिक्षा के प्रतिशत में तेजी से वृद्धि होने के बावजूद ग्रामीण समुदाय आज भी उच्च शिक्षा नहीं देना चाहता है।

5. वैवाहिक विषमता:- विवाह के क्षेत्र में भी पुरुषों और स्त्रियों के बीच एक स्पष्ट असमानता है। लड़कों को अपनी जीवन साथी चुनने की पूरी स्वतंत्रता मिलती है, लड़की की पसंद अथवा नापसंद का कोई महत्व नहीं दिया जाता है।

प्रशन 4:- भारत के जनसंख्या वृद्धि के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर:- भारत में जनसंख्या वृद्धि प्रमुख समस्या है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित होने से रोकता है। ‍   ‍‍‍

हमारे समाज में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या और इससे पैदा होने वाली दशाओं के लिए अनेक कारण जिम्मेदार हैं -----

1. अशिक्षा

2. निम्म जीवन स्तर

3. बाल विवाह की प्रथा

4. संयुक्त परिवार व्यवस्था

5. भाग्य में विश्वास

6. जन्म और मृत्यु दर का असंतुलन

1. अशिक्षा:- अशिक्षा के कारण अधिकांश व्यक्ति परिवार में अधिक बच्चों के जन्म से पैदा होने वाली हानियों को नहीं समझ पाते हैं।

2. निम्न जीवन स्तर:- निम्न  जीवन स्तर और जनसंख्या वृद्धि के बीच प्रत्यक्ष संबंध है जीवन स्तर नीचा होने से लोगों को मनोरंजन करने की सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।

3. बाल विवाह की प्रथा:- बाल विवाह की प्रथा में कुछ कमी हुई है, लेकिन ग्रामीण समुदायों और नगरों में रहने वाले निम्न आय वर्ग के लोगों में आज भी बाल विवाह प्रथा  का प्रचलन काफी अधिक है। बाल विवाह के फल स्वरुप पति पत्नी को बच्चों को जन्म देने के लिए कहीं अधिक समय मिल जाता है।

4. संयुक्त परिवार व्यवस्था:- संयुक्त परिवार वह  परिवार हैं जिसमें मां पिता ,भाई-बहन , बेटा बेटी ,भाई की पत्नी,भाई का बच्चा सब साथ मिलकर रहे। उसे संयुक्त परिवार व्यवस्था कहते हैं।

5. भाग्य में विश्वास:- हमारे समाज में ऐसे विश्वास आज भी बहुत प्रभावपूर्ण है की बच्चे ईश्वर की देन है तथा पुत्र जन्म के बिना व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिल सकता। इस तरह के विश्वास जनसंख्या को बढ़ाते हैं।

6. जन्म और मृत्यु दर का असंतुलन:- भारत में जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण जन्म और मृत्यु दर का असंतुलन है।

प्रशन 5:- जनजातीय समुदाय किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर :- भारतीय समाज एवं संस्कृति को जनजातियां निराली  छवि  प्रदान करती है। भारत में लगभग 352 जनजातियां निवास करती हैं। तथा 2001 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या 8. 4 करोड़ हो गई है जो कुल जनजातियो का लगभग 8. 2% है। जनजातियों को वन्य जाति  ,गिरिजन  आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है ।

** जनजातियां समाज की विशेषताएं बताएं :- जनजातीय समाज की विशेषताएं निम्नलिखित हैं---

(1) जनजाति परिवारों या परिवारों के समूहों का संकलन है।

(2) प्रत्येक जनजाति एक निश्चित भूभाग में रहती है।

(3) इन जनजातियों की अपनी एक भाषा होती है।

(4) प्रत्येक जनजाति का अपना एक नाम होता है।

(5) भारतीय जनजाति की अपनी एक संस्कृति होती है।

(6) उनका अपना एक राजनीतिक संगठन होता है।

(7) इनके विवाह, रीति रिवाज तथा व्यवस्था से इनकी पहचान कायम होती है।

प्रशन 6:- ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।

उत्तर:- ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्या निम्नलिखित हैं---

1. सड़क की समस्या

2. उच्च शिक्षा की समस्या

3. गरीबी

4. बेरोजगारी

5. उपचार

1. सड़क की समस्या:- ग्रामीण समुदाय के लोगों को बहुत सड़क की समस्या होती हैं। उनलोगों का सड़क अच्छा नहीं होता है। उनका सड़क टूटा फूटा गिट्टी पत्थर वाला होता है जिस वजह से उन लोगों को कोई भी काम करने में परेशानियां होती हैं । सड़क की समस्या उन लोगों के लिए प्रमुख समस्या होती हैं।

2. उच्च शिक्षा की समस्या:- ग्रामीण समुदायों के लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं होता है। उन लोगों को शिक्षा की कमी होने के कारण वह अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं। उन लोगों को शिक्षा की कमी होने के कारण सरकारी नौकरी नहीं दिया जाता है।

3. गरीबी:- ग्रामीण समुदाय के लोग बहुत गरीब होते हैं। वह अपने बच्चों का पालन पोषण सही से नहीं कर पाते हैं इसलिए अपने बच्चों का सही से पालन पोषण करने के लिए कुछ कार्य  करते हैं। कुछ व्यक्ति भूमि के स्वामी होने के बावजूद भी खेती नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें खेती करने का पैसा नहीं होता है। परंतु उनकी आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही होती है। ऐसे लोगों का जीवन स्तर उन्नत नहीं होता है। ऐसे लोग अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को कठिनाई से ही पूरा कर पाते हैं।

4. बेरोजगारी:- ग्रामीण समुदाय के लोग बहुत बेरोजगार होते हैं। इन्हें काम जल्दी नहीं मिल पाता है जिस कारण  बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती हैं। कुछ ग्रामीण समुदाय अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर नहीं होते, बल्कि दस्तकारी, कारीगरी एवं शिल्पी होते हैं। इनकी भूमि कम उपजाऊ होती हैं। इनका जीवन यापन मुश्किल भरा होता है। जीवन अस्तर भी साधारण रहता है।

5. उपचार:- नई प्रौद्योगिकी के उपलब्ध होने के बावजूद ग्रामीण कृषक सिंचाई के आधुनिक साधन कीटनाशक दवा, रासायनिक खाद आदि के उपयोग से वंचित हैं। इसका कारण ग्रामीण समुदाय में विद्यमान शिक्षा का अभाव, अंधविश्वास, कुरीतियों आदि है।

प्रशन 7:- ग्रामीण समुदाय की परिभाषा दें तथा इसकी विशेषताओं की विवेचना करें।

उत्तर:- ग्रामीण समुदाय से आशय उस छोटे से समुदाय से हैं जो प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक पर निर्भर होता है तथा अपने हितों की संतुष्टि के लिए एक दूसरे पर निर्भर होता है।

** ग्रामीण समुदाय की विशेषताएं:- ग्रामीण समुदाय की विशेषताएं निम्नलिखित हैं----

1. प्राथमिक संबंध

2. मुख्य पेशा कृषि

3. जजमानी प्रथा

4. सादा और शुद्ध जीवन

5. स्त्रियों  की निम्न दशा

6. छोटा आकार

1. प्राथमिक संबंध:- ग्रामीण समुदाय का हर सदस्य एक दूसरे को पूर्ण रूप से जानता है। सभी एक दूसरे के नाम से परिचित होते हैं तथा ग्राम में बड़े छोटे के आधार पर ताऊ चाचा कह कर पुकारते हैं।

2. मुख्य पेशा कृषि:- ग्रामीण समुदाय का मुख्य पेशा कृषि है क्योंकि ग्रामीण समुदाय का अधिकांश आदमी कृषि पर ही आधारित है।

3. जजमानी प्रथा:- इस प्रथा के अनुसार जाति के कुछ सदस्यों के अपने-अपने जजमान होते हैं। जिन्हें वे कुछ विशेष सेवा प्रदान करते हैं। जैसे---ब्राह्मण पुरोहित का काम करते हैं, धोबी कपड़े धोता है, नई बाल बनाता है। इन ब्राह्मणों, धोबियों के कुछ परिवार बंधे होते हैं, जो अपनी अपनी सेवाएं आज से नहीं ,बल्कि  पूश्तों से करते आ रहे हैं।

4. सादा और शुद्ध जीवन:- ग्रामीण समुदाय के लोगों का जीवन सादा और शुद्ध होता है। वे जितना परिश्रम करते हैं उसके अनुसार उन्हें परिश्रमिक नहीं मिल पाता है। हमारे भारत का किसान बहुत गरीब है।

5. स्त्रियों की निम्न दशा:- भारतीय ग्रामीण समुदाय में स्त्रियों की स्थिति अत्यंत निम्न होती है। गांवों में लड़कियों के लिए शिक्षा का प्रबंध ना होने के कारण उनकी दशा खराब होती है।

6. छोटा आकार:- ग्रामीण समुदाय का आकार छोटा होता है। क्योंकि लोग गांव को छोड़कर शहर में निवास करने लगे हैं क्योंकि शहर में हर चीज की सुविधा प्रदान होती है इसलिए ग्रामीण समुदाय का आकार छोटा होता है।

प्रशन 8:- राष्ट्रवाद की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।

या:- राष्ट्रीय एकता क्या है?

उत्तर:- राष्ट्रवाद का आशय उस राष्ट्रीय एकता से है जिसमें राष्ट्र के प्रति प्रेम, राष्ट्र सम्मान एवं राष्ट्रीय एकता की भावना को जगाना। दरअसल एक राष्ट्र में विभिन्न जाति, विभिन्न धर्म , विभिन्न संप्रदाय के लोग रहते हैं। और सब लोग मिल जुल कर रहना चाहिए। अगर सब लोग यह सोचे कि राष्ट्र की समस्या उनकी अपनी समस्या है तो हमारा राष्ट्र जरूर विकास करेगा किसी राष्ट्र से संबंधित लोगों का रहन सहन चाहे कितनी भी अलग हो उन्हें यह सूचना चाहिए कि उनका अस्तित्व अपने राष्ट्र से जुड़ा है तो इसी भावना को राष्ट्रवाद कहते हैं।

अतः एक दूसरे का साथ देकर ही उसे मजबूत बनाया जा सकता है। उन्हें सोचना चाहिए कि हम लोग जिस राष्ट्र में रहते हैं, जिस राष्ट्र में जन्म लिए हैं उसके प्रति कुछ राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए।

प्रशन 9:- जाति व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर:- जाति व्यवस्था से तात्पर्य समाज की उस व्यवस्था से हैं जिसमें समाज का वर्गीकरण जातिगत आधार पर किया जाता है ।

** कूले  के अनुसार:- जब एक वर्ग लगभग पूर्णयता वंशानुक्रमण पर आधारित होता है तब हम उसे जाति कहते हैं।

** जाति व्यवस्था की विशेषताएं:-जाति व्यवस्था की विशेषताएं निम्नलिखित हैं---

1. धर्म का बंटवारा

2. समाज का खंडन

3. ऊंच-नीच की भावना

4. निश्चित व्यवस्था

5. जनजातियों में विभाजन

1. धर्म का बंटवारा:-- एक धर्म को कई सारे जाति में विभाजित किया जाता है, अर्थात धर्म के छोटे-छोटे विभाजन को जाति कहते हैं।

2. समाज का खंडन:- हर समाज अपने अपने जाति में विभाजित होता है जाति के आधार पर समाज को पहचाना जाता है।

3. ऊंच-नीच की भावना:- जातिगत बंटवारे के कारण प्रत्येक समाज या धर्म में ऊंच-नीच की भावना पनप जाती है।

4. निश्चित व्यवसाय:- प्रत्येक जाति का एक निश्चित व्यवसाय होता है जिस व्यवसाय के कारण उस जाति का नामकरण या पहचान होता है।

5. जनजातियों में विभाजन:- हर जाति को ऊंच-नीच के आधार पर सामाजिक व धार्मिक विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं। ब्राह्मण जाति सबसे उच्च जाति मानी जाती हैं। वे आज भी धार्मिक स्थानों पर पुजारी व पुरोहित का काम करते हैं।

प्रशन 10:- संयुक्त परिवार की विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर:- संयुक्त परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें शादीशुदा भाई, चाचा चाची आदि सब साथ में हो  उसे संयुक्त परिवार कहते हैं।

** संयुक्त परिवार की विशेषताएं:- संयुक्त परिवार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं---

1. बड़ा आकार

2. अधिकार और दायित्व

3. परिवार का मुखिया

4. सदस्यों में एक निश्चित संस्तरण

5. सामान्य सामाजिक प्रकार्य

6. सहयोगी व्यवस्था

1. बड़ा आकार:- संयुक्त परिवार में कई छोटे-छोटे परिवार होते हैं तथा तीन या अधिक पीढ़ियों के लोग रहते हैं। संयुक्त परिवार में बहुत सारे लोग रहते हैं। इसके सदस्यों की संख्या 50 से 60 होती है।

2. अधिकार और दायित्व:- संयुक्त परिवार के सब सदस्य अपने अधिकार और कर्तव्यो से जुड़े होते हैं। सभी व्यक्ति अपने अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। जैसे --- कोई बीमारी, वृद्ध व्यवस्था और दुर्घटना के अवसर पर सेवा की जाती है। जन्म, विवाह एवं मृत्यु के अवसर पर एक दूसरे लोग  मिलजुल कर कोई काम करते हैं।

3. परिवार का मुखिया:- संयुक्त परिवार में परिवार का एक मुखिया होता है, जो किसी भी काम को करते हैं तथा उनके फैसले का सब लोग पालन भी करते हैं। जैसे-- वही विवाह, उत्सव, संपत्ति तथा घर के महत्वपूर्ण कार्य एवं बाहरी कार्य का फैसला करते हैं , एवं वही अनुशासन और एकता को बनाए रखते हैं क्योंकि वह सभी के साथ प्रेम, समानता एवं स्नेह का व्यवहार करते हैं। इसी आधार पर संयुक्ता बनी रहती है।

4. सदस्यों में एक निश्चित संस् तरण:- संयुक्त परिवार में सदस्यों का स्थान एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित रहता है जो उम्र के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

5. सामान्य सामाजिक  प्रकार्य:- सभी सामाजिक कार्यों के लिए परिवार को एक व्यक्ति माना है और उसका प्रतिनिधि ही सारे परिवार की तरफ से भाग लेता है जो अधिकांशत: मुखिया होता है , चाहे वह जाति पंचायत की सभा हो या किसी के यहां विवाह , मृत्यु , भोज या उत्सव आदि में सम्मिलित होना हो।

6. सहयोगी व्यवस्था:- संयुक्त परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहते हैं। जिस कारण उन लोगों के बीच सहयोग की भावना स्थापित रहती है।

प्रशन 11:- परिवार से आप क्या समझते हैं? परिवार के विभिन्न स्वरूपों (प्रकारों) की विवेचना कीजिए/

या:- परिवार की विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर:- परिवार से आशय व्यक्तियों के उन समूहों से हैं जिनका संबंध संरक्षण के आधार पर होता है। इसमें विवाहित पुरुष एवं महिलाएं एवं उनकी संतानें रहती है। इन्हें सामाजिक मान्यता प्राप्त है तथा सामाजिक संरक्षण भी है।

** परिवार के प्रकार:- परिवार के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित है---

»» निवास के आधार पर परिवार के प्रकार:- निवास के आधार पर परिवार के दो प्रकार हैं----

1. पितृस्थानीय परिवार

2. मातृस्थानीय परिवार

1. पितृस्थानीय परिवार:-- पितृ स्थानीय परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें विवाह के बाद पत्नी को पति के घर ही रहना पड़ता है उसे पितृ स्थानीय परिवार कहते हैं। भारतीय समाज में यही प्रथा प्रचलित है अधिकांश परिवार पितृस्थानीय परिवार हैं। हमारे भारत में पितृस्थानीय परिवार हैं।

2. मातृस्थानीय परिवार:- मातृ स्थानीय परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें विवाह के बाद पति को पत्नी के घर ही रहना पड़ता है उससे मातृ स्थानीय परिवार कहते हैं। जैसे---खाशी,गारों आदि जनजातियों में ऐसे परिवार पाए जाते हैं।

»» वंश के आधार पर परिवार के प्रकार:- वंश के आधार पर परिवार के दो प्रकार हैं-----

1. पितृवंशीय परिवार

2. मातृवंशीय परिवार

1. पितृवंशीय परिवार:- पितृ वंशीय परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें वंश परंपरा पिता से ही चलती है और पिता के वंश का ही महत्व होता है। परिवार की सारी संपत्ति पुत्र को दी जाती है उसे पितृवंशीय परिवार कहते हैं। भारत में अधिकांश परिवार पितृवंशीय परिवार हैं।

2. मातृवंशीय परिवार :-- मातृ वंशीय परिवार से आशय श उस परिवार से हैं जिसमें वंश परंपरा माता से ही चलती है और माता के वंश का ही महत्व होता है। परिवार की संपत्ति माता से उसकी पुत्री को दी जाती है उसे मातृवंशीय परिवार कहते हैं।मालावार के नायर लोगों में ऐसे परिवार पाए जाते हैं।

»» सत्ता के आधार पर परिवार के प्रकार:-- सत्ता के आधार पर परिवार के दो प्रकार होते हैं---

1. पितृसत्तात्मक परिवार

2. मातृसत्तात्मक परिवार

1. पितृसत्तात्मक परिवार:- पितृसत्तात्मक परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें पिता या पति या वरिष्ठ पुरुष की प्रधानता होती है और कोई भी कार्य करने के लिए उनकी सहमति लेनी पड़ती है। भारत में अधिकांश परिवार पितृसत्तात्मक परिवार ही है।

2. मातृसत्तात्मक परिवार:- मातृसत्तात्मक परिवार से आशय उस परिवार से हैं जिसमें परिवार में माता या स्त्री की प्रधानता होती है और कोई भी कार्य करने के लिए उनकी सहमति लेनी पड़ती है। संपत्ति उसकी माता से उनकी पुत्रियों को मिलती है, इसका अर्थ यह है कि पुरुष को भी अधिकार मिलते हैं, पर वे अपने माता-पिता से नहीं, बल्कि अपनी बहन से प्राप्त होते हैं। असम की खाशी जनजाति में ऐसे परिवार पाए जाते हैं।

प्रशन 12:- मैकाइवर एवं पेज द्वारा दी गई परिवार की विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर:- मैकाइवर एवं पेज के अनुसार---परिवार ऐसा समूह है जो यौन संबंधों पर आश्रित है तथा इतना छोटा और शक्तिशाली है कि संतान के जन्म और पालन-पोषण की व्यवस्था करने की क्षमता रखता है ।

»» परिवार की विशेषताएं:-- परिवार की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं---

1. सर्व व्यापकता

2. भावात्मक आधार

3. सीमित आकार

4. सामाजिक नियमन

5. स्थाई एवं अस्थाई

1. सर्व व्यापकता:- परिवार सर्वाधिक सर्व भौमिक समूह है। सभी सामाजिक संस्थाओं और समितियों में परिवार सबसे अधिक व्यापक है। यह सभी सभ्य और आदिम समाजों में विद्यमान है और सामाजिक विकास के सभी अफसरों पर यह किसी ना किसी रूप में पाया जाता है।

2. भावात्मक आधार:- परिवार समाज की मौलिक इकाई है। यह यौन संबंध, संतानोत्पादन, मातृ वात्सल्य तथा पैतृक संरक्षण की मूल प्रवृत्तियों पर आधारित है। यह इन प्रवृत्तियों को दृढ़ बनाने वाला निकट संबंधित समूह है।

3. सीमित आकार:- परिवार का आकार आवश्यक रूप से सीमित होता है क्योंकि इसकी सदस्यता जन्म मूलक होती है।

4. सामाजिक नियमन:- परिवार सामाजिक रीति-रिवाजों एवं कानूनी नियमों में विशेषतया सुरक्षित होता है। उन को भंग करना सरल नहीं है।

5. स्थाई एवं अस्थाई:- परिवार संस्था के रूप में स्थाई एवं सर्व भौमिक है परंतु एक सीमित रूप में अस्थाई है। उदाहरण , जब पुत्र का विवाह हो जाता है तो वह नया परिवार बसा लेता है, जो पुनः अन्य नए परिवार को जन्म देता है।

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