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Class 12th Sociology Short Question | Bihar Board Intermediate Sociology Exam 2022 | BSEB Class XII Sociology Most VVI Question Answer

Class 12th Sociology Short Question  Bihar Board Intermediate Sociology Exam 2022  BSEB Class XII Sociology Most VVI Question Answer
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प्रश्न 1 से 60 तक के प्रश्नों के उत्तर के लिए क्लिक करे 

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प्रशन 61:-- क्षेत्रवाद का क्या अर्थ है?

उत्तर:-- क्षेत्रवाद का अर्थ किसी क्षेत्र के लोगों की उस भावना या प्रयत्नों से है जिनके द्वारा अपने क्षेत्र विशेष के लिए आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक शक्तियों में वृद्धि चाहते हैं। क्षेत्रवाद आज भारतीय सामाजिक जीवन में एक व्यापक घटना बन गया है , जो प्राय:नियोजित एवं सुव्यवस्थित आंदोलनों एवं अभियानों के रूप में प्रकट होता है। आधुनिक युग में संचार व्यवस्था के पश्चात आधुनिकरण को अत्यधिक महत्व और  तीव्रता प्रदान करके पढ़ क्रियाओं ने क्षेत्रवाद को जागरूक बनाया है। इसके कारणों को सांस्कृतिक , भौगोलिक , ऐतिहासिक, आर्थिक तथा भाषा आदि तथ्यों के अंतर्गत देखा जा सकता है। भारत में राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता के लिए क्षेत्रीय तावाद एक गंभीर समस्या है। ब्रिटिश शासन ने स्वतंत्रता आंदोलन की चेतना को कमजोर करने के लिए इसको बढ़ावा दिया। स्वाधीनता के बाद भारतवर्ष में क्षेत्रीय तावाद पर आधारित राजनीति की शुरुआत हुई। भाषा एवं धर्म आदि के नाम पर   क्षेत्रीय तावाद की समस्या उत्पन्न हुई। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी पिछड़ापन के नाम पर क्षेत्रीय तावाद पाया जाता है।

प्रशन 62:-- आधुनिकीकरण मॉडर्नाइजेशन का अर्थ स्पष्ट करें।        

उत्तर :-- परंपरागत समाजों में होने वाले परिवर्तनों या औद्योगिकीकरण के कारण पश्चिमी समाजों में आए परिवर्तनों को समझने तथा दोनों में भिन्नता को प्रकट करने के लिए विद्वानों ने आधुनिकीकरण की अवधारणा को विकसित किया। कुछ लोगों ने आधुनिकीकरण को एक प्रक्रिया के रूप में माना है तो कुछ ने एक प्रतिफल के रूप में स्वीकार किया है। यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार के मूल्यों से बंधी हुई नहीं है परंतु कभी-कभी ज्ञान का अर्थ इच्छा या इच्छित परिवर्तन से लिया जाता है। आधुनिकीकरण को विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित किया है। योगेंद्र सिंह ने कहा कि," आधुनिकीकरण को एक सांस्कृतिक प्रत्यय मानते हैं जिसमें तार्किक अभिवृत्ति, सार्वभौम, दृष्टिकोण,  परानुभूति , वैज्ञानिक विश्व दृष्टि मानवता, प्रौद्योगिक परगति आदि सम्मिलित है।" लर्नर  ने कहा कि," आधुनिकीकरण में सार्वजनिक संस्था और निजी आकांक्षाओं को स्पष्ट करने वाली एक बेचैनी उत्पन्न करने वाली प्रेषणवादी भावना  निहित रहती है, किंतु आधुनिकीकरण के लिए केवल प्रेषणवादी भावना ही पर्याप्त नहीं है अपितु संचार व्यवस्था में भी क्रांति की आवश्यकता होती है।

पी०ए० पाई० के अनुसार आधुनिकीकरण एक नए प्रकार के मानसिक दृष्टिकोण की उपज है, जिसमें मशीनों तथा प्रविधियो के उपयोग के लिए एक नवीन पृष्ठभूमि का निर्माण होता है। सामाजिक संबंधों का एक नया प्रारूप बनता है।

प्रशन 63:-- जाति व्यवस्था पर औद्योगिकरण के प्रभावों का उल्लेख करें।

उत्तर:-- भारतीय जाति व्यवस्था पर पड़ने वाले औद्योगीकरण के प्रभाव भारत में जाति व्यवस्था से संबंधित संस्करण और नियमों को बदलने में भी औद्योगीकरण का प्रमुख योगदान रहा है। औद्योगिकरण केंद्रों में सभी जातियों के लोगों द्वारा साथ साथ काम करने के कारण उनके बीच सामाजिक संपर्क, खानपान, पवित्रता और अपवित्रता तथा अनुवंशिकता व्यवसाय के नियम लगभग पूरी तरह समाप्त हो गए। विशेषीकरण का महत्व बढ़ने से लोगों की परिस्थिति का निर्धारण जन्म के आधार पर ना होकर उनकी योग्यता और कुशलता के आधार पर होने लगा। आज सभी जातियों के लोग उन व्यवसायों के द्वारा आजीविका उपार्जित का निर्धारण जन्म के आधार पर ना होकर उनकी योग्यता और कुशलता के आधार पर होने लगा । आज सभी जातियों के लोग उन व्यक्तियों के द्वारा आज भी का उपार्जित करते हैं जिन्हें कुछ समय पहले तक वे जाति के नियमों के अनुसार नहीं कर सकते थे। इस परिवर्तन ने भारतीय समाज की परंपरागत संरचना को पूरी तरह बदल दिया।

प्रशन 64:-- भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभाव का वर्णन करें।

उत्तर:-- आज विश्व के सभी देश एक दूसरे के काफी निकट आ गए हैं क्योंकि आवागमन और संचार माध्यम बहुत अधिक विकसित हो गए हैं। किसी भी देश में घटित होने वाली किसी भी घटनाओं का प्रभाव पूरे विश्व के देशों पर पड़ता है। यह वैश्वीकरण के कारण संभव हुआ है। इस संबंध में चांग ने कहा कि वैश्वीकरण के कारण स्थानांतरण, अनुकूलन और मूल्य का विकास, ज्ञान, यांत्रिकी और व्यवहारिक प्रतिमान विश्व के विभिन्न देशों और समाज तक पहुंचता है। प्रतीकात्मक घटना और विशेषताएं वैश्वीकरण में सम्मिलित है, साथ ही वैशवीय जाल का विकास (जैसे---इंटरनेट, विश्वस्तरीय, ई० संचार तथा यातायात इत्यादि) यांत्रिकी, आर्थिक,सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, अंतरराष्ट्रीय संधि तथा प्रतिस्पर्धा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विनियम में वैशवीय स्थानांतरण  और अंतरप्रवाह होता है।

प्रशन 65:-- भूमंडलीकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:-- भूमंडलीकरण राष्ट्रों की राजनीतिक सीमाओं के आर पर आर्थिक लेन-देन की प्रक्रियाओं और उनके प्रबन्धन का प्रवाह है । विश्व अर्थव्यवस्था में आया खुलापन, आपसी जुड़ाव और परस्पर निर्भरता के फैलाव को भूमंडलीकरण कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में इसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण की प्रक्रिया कहा जा सकता है।

उन्मुक्त व्यापार इस व्यवस्था के पीछे सोच यह है कि अमेरिका कंप्यूटर जैसे माल उत्पादित करें जो उसके लिए सुलभ है और भारत चावल जैसे माल उत्पादित करे जो उसके लिए सुलभ हैं। भारत चावल निर्यात करके कंप्यूटर आयात करेगा जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।

प्रशन 66:-- नगरीकरण से क्या अभिप्राय है?

उत्तर:-- जब ग्रामीण जनता काम की खोज में नगरों की ओर प्रस्थान करने लगती हैं तो नगरों की जनसंख्या बढ़ने लगती है। इससे ही नगरीकरण कहते हैं। नगरीकरण का अर्थ नगरों के विकास से लिया जाता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से ग्रामीण समाज नगरीय समाज में परिवर्तित होता है। इसे औद्योगीकरण का परिणाम और कारण दोनों ही कह सकते हैं। औद्योगिकरण के कारण नगरों का विकास होता है। श्रीनिवास के अनुसार नगरीकरण से अभिप्राय केवल संकुचित क्षेत्र में अधिक संख्या से नहीं होता बल्कि सामाजिक आर्थिक संबंधों के परिवर्तन से भी होता है।

प्रशन 67:-- नगरीकरण के प्रमुख तत्व कौन से हैं?

उत्तर:-- नगरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से नगरीय तत्व या शहरीपन का विकास एवं प्रसार होता है। सामान्य रूप से जनसंख्या के घनत्व एवं आकार में वृद्धि, सामाजिक संबंधों में विषमता एवं औपचारिकता का अधिक्य, सामाजिक गतिशीलता एवं परिवर्तनशीलता में वृद्धि, व्यक्तिवादी जीवन दर्शन का बोलबाला तथा सांस्कृतिक विविधता को नगरीय तत्व माना जाता है। इन तत्वों में वृद्धि एवं प्रसार ही नगरीकरण है।

प्रशन 68:-- भारत में नगरीकरण के प्रमुख कारण बताइए।

या:-- भारत में नगरीकरण की प्रमुख प्रवृत्ति की चर्चा करें।

उत्तर:--नगरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से ग्रामीण समाज में परिवर्तन होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भी देश में नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होने लगती हैं। नगरीकरण सामाजिक परिवर्तन की एक जटिल प्रक्रिया है। नगरीकरण  वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से नगरीय तत्व का विकास और प्रसार होता है। भारत में नगरीकरण के निम्न कारण बताए जा सकते हैं-- 

1. जनसंख्या में वृद्धि और औद्योगीकरण:-- भारत में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह बढ़ी हुई जनसंख्या अपनी आजीविका की खोज की और गतिशील हो जाती है।

2. औद्योगिकरण:-- वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण उद्योग धंधों का तेजी से विकास हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप नगरों का विकास हुआ। जिन स्थानों पर उद्योग लगे, वहां नए नगर विकसित हो गए।

3. यातायात और संदेश के साधनों का विकास:-- यातायात के साधनों के विकास के कारण जनसंख्या एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से आ जा सकती हैं। संदेश के साधनों के विकास से सामाजिक गतिशीलता और नगरों के विकास को प्रोत्साहन मिला है।

4. शिक्षा और मनोरंजन के साधन:-- आधुनिक युग में शिक्षण संस्थाएं शहरों का केंद्र बनी और दूर-दूर स्थानों से विद्यार्थी आकर शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा पाने लगे। नगरों में सिनेमा, थियेटर आदि मनोरंजन के साधनों ने नगरों के विकास में सहयोग दिया।

प्रशन 69:-- संस्कृतिकरण से क्या समझते हैं?

उत्तर:-- संस्कृतिकरण सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। जिसके द्वारा निम्न जातियां उच्च स्थान प्राप्त करती है। यह जातियां उच्च जातियों के रीति रिवाज, कर्मकांड, विचारधारा का अनुकरण करके अपनी जीवित पद्धति को बदलने का प्रयास करती है। साथ ही ऊंचे स्थान का दावा भी करती है।संस्कृतिकरण एक व्यक्तिगत प्रक्रिया नहीं है बल्कि इसमें पूरी जाति अथवा जनजाति सामूहिक रूप से पयत्न करती है। तब जाकर उसे सफलता प्राप्त होती हैं। यह केवल हिंदू जातियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि जनजातियों एवं अध्दृजनजातियों में भी पाई जाती हैं।

प्रशन 70:-- पश्चिमीकरण  की संक्षेप में चर्चा करें।

उत्तर:-- पश्चिमीकरण का तात्पर्य किसी देश में उस देश के भौतिक एवं सामाजिक जीवन का विकास होता है जिसके अंकुर पश्चिमी धरती में प्रस्फुटित हुए और पश्चिमी या यूरोपीय शक्ति की विस्तार के साथ साथ जो विश्व के विभिन्न कोनों में अविराम गति से बढ़ाया गया।

आधुनिक काल में भारतवर्ष में सामाजिक परिवर्तन उत्पन्न करने में पश्चिमीकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। पश्चिमीकरण का अर्थ पाश्चात्य संस्कृतिकरण के रंग में रंगने से है। पाश्चात्य संस्कृति करण का यह प्रभाव भारतवर्ष में अंग्रेजों के शासनकाल में पड़ा। पश्चिमीकरण के कारण प्रौद्योगिकी, समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं में परिवर्तन हुए। 

पश्चिमीकरण  की स्पष्ट व्याख्या करते हुए निवास ने कहा 150 वर्षों के अंग्रेजी राज्य के फल स्वरुप भारतीय समाज संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों को आधुनिकीकरण से संबंधित किया जा सकता है। यह शब्द प्रौद्योगिकी संस्थाएं, विचारधारा तथा मूल्य आदि विभिन्न स्तरों पर आधारित होने वाले परिवर्तनों को आत्मसात किया है।

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