Class 12th History (इतिहास) Most VVI Long Answers Questions
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प्रशन 20:- पलासी के युद्ध के कारणों तथा परिणामों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:- अठारहवीं शताब्दी के शुरूआत में भारत की राजनीति की स्थिति बहुत खराब थी। मुगल सम्राट के कमजोर होने के कारण उड़ीसा तथा दक्षिण के प्रांत स्वतंत्र हो गए ।1740 ईस्वी में अली वर्दी खान बिहार, उड़ीसा, बंगाल का शासक बना। वह नाम के लिए सम्राट के अधीन था, लेकिन वह व्यवहारिक रूप से स्वतंत्र था। उसने (1740-1756) इसवी तक शासन किया व्यापारिक सुविधाओं को लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ था। 10 अप्रैल 17 से 56 ईसवी में अली वर्दी खान की मृत्यु हो गई। उसके बाद उनका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना। यह भी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ थे कुछ ही दिनों में युद्ध छिड़ गई सिराजुद्दौला के वजीर मीर जाफर और करीबी दोस्त अमी चंद दोनों गद्दार निकले जिसके कारण सिराजुद्दौला की मृत्यु हो गई इसे ही प्लासी का युद्ध कहते हैं।
** प्लासी के युद्ध के परिणाम:- प्लासी के युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे--
1. सिराजुद्दोला की हत्या के बाद मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया।
2. मीर जाफर को इस नवाबी के बदले में पौने दो करोड़ रुपये की बड़ी धन राशि देनी पड़ी अकेले क्लाइव को ही 30 लाख रुपये भेंट स्वरूप दिए गए।
3. कंपनी को संपूर्ण बंगाल प्रांत में कर मुक्त व्यापार करने की अनुमति मिल गई।
4. कंपनी को कोलकाता में अपनी मुद्रा चलाने का अधिकार मिल गया।
5. अमित चंद को नकली संधि दिखाकर एक पैसे भी नहीं दिया।
प्रशन 21:- अकबर की मनसबदारी व्यवस्था की विवेचना करें।
उत्तर:- “मनसब” अरबी भाषा का शब्द है। जिसका हिंदी शब्द उपाधियां प्रतिष्ठा है अकबर ने जिस सैनिक असैनिक अधिकारी की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए मनसब दिया। जिसे मनसबदारी कहा जाने लगा।
मनसबदारी प्रथा की विशेषताएं:- मनसबदारी प्रथा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
** मनसबदारी का वर्गीकरण:-- कम से कम दस और अधिक से अधिक दस हजार सैनिक एक मनसबदार रख सकता था। सर्वोच्च मनसबदारी राजकीय परिवार के व्यक्ति को ही मिलता था।
** नियुक्ति:-- बादशाह खुद ही किसी मनसबदार की नियुक्ति कर सकता था।
** जात एवं सवार:-- जिस पद में व्यक्ति का पद स्थान निश्चित होता था या मासिक वेतन निश्चित होता था। उसे जात कहा जाता था परंतु घुड़सवार ओं की संख्या के आधार पर सवार पद माना जाता था।
** अच्छा वेतन:-- मनसबदारो को अनेक पद के अनुसार वेतन मिलता था जैसे--100 जाता वाले मनसब को 500 सवार मिलते थे, जबकि 5000 वाले को ₹30000 मिलते थे।
**कार्यभार:-- यह बादशाह की इच्छा पर निर्भर करता था कि वह मनसबदार को सैनिक या असैनिक कार्य करने के लिए कहता था, किसी क्षेत्र में उठे विद्रोह को दबाने या क्षेत्र को जीतने के लिए कहता था।
** घोड़ों को दागने की प्रथा:-- अकबर ने घोड़ों को दागने की प्रथा चलाई थी और यह प्रथा इसलिए चलाई गई थी कि ताकि उनका घोड़ा कौन सा है पता चल सके।
** मनसबदारी की जब्ती:-- मनसबदार की अचानक मृत्यु हो जाने पर उसकी मनसब सरकार जब्त कर लेती थी।
**मनसबदार के मिले-जुले सवार:-- पठान, तुर्क ,राजपूत ,मुगल आदि सवार मनसबदार ओं के अधीन होते थे।
BSEB Inter 2nd Year History Examination Question
प्रशन 22:-- दीन- ए -इलाही पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:-- अकबर सभी धर्मों के सार को समझने के बाद अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सभी धर्मों में कुछ ना कुछ सच्चाई है और उसने धर्म के सभी भेद-भावों को दूर करने का प्रयास किया।
जिसमें ”तोहिदे- ए- इलाही” तथा दीन- ए -इलाही चलाया।
**इसके प्रमुख विधि विधान निम्नलिखित थे----
1. दीन -ए -इलाही का प्रमुख सिद्धांत एकेश्वरवाद था। इसके अनुसार संसार में ईश्वर के अलावा और कुछ नहीं है चाहे वह भगवान हो ,चाहे वह अल्लाह हो, वह गॉड हो सब एक हैं अकबर उसका खलीफा है।
2. दीन -ए -इलाही के सदस्य आपस में मिलने पर “अल्लाह हू— अकबर” और अल्लाह जलाल हो कह कर एक दूसरे को अभिवादन करते हैं।
3. दीन ए इलाही के अनुयाई चार भागों में विभक्त थे--
(1) वे व्यक्ति जो राजा को अपनी संपत्ति देते थे। (2) वे व्यक्ति जो राजा को अपनी संपत्ति और जीवन सौंप देते थे। (3) वे व्यक्ति जो अपनी जीवन ,संपत्ति और प्रतिष्ठा सौंप देते थे। (4) वे व्यक्ति जो राजा को अपनी संपत्ति, जीवन, प्रतिष्ठा और धर्म सौंप देते थे।
4. प्रत्येक सदस्य वर्षगांठ पर अन्य सदस्यों को प्रीतिभोज देता था भोज जीवनकाल में ही दिया जाता था ना कि मरने के बाद दिया जाता था ।
5. प्रत्येक सदस्यों को कुछ दान देना पड़ता था।
6. वे लोग मांस नहीं खाते थे।
7. इसके सदस्य बूचरो, मछुआरों, कसाईयों और शिकारियों के साथ खानपान नहीं करते थे।
8. सदस्य सब सम्राट के सामने होते थे, तो वे उनको प्रणाम करते थे।
प्रशन 23:-- मुगल काल के स्थापत्य कला पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:-- मुगल काल का सबसे पहला सम्राट बाबर था, ग्वालियर अन्य जगहों पर अनेक भवनों का निर्माण करवाया। अतः हुमायूं ने दिल्ली में दीन ए पनाह नामक नगर का निर्माण करवाया था।
**अकबर एक महान सम्राट था उनकी महानता का प्रभाव लोगों पर पड़ा जिससे सभी लोग प्रभावित हुए। उसके समय कला हिंदू वह मुसलमान शैलियों का मिश्रण था। अकबर ने आगरा, इलाहाबाद और अजमेर में किलो का निर्माण करवाया। अकबर कालीन स्थापत्य कला में बुलंद दरवाजा की स्थापना हुई थी।
**जहांगीर सम्राट को चित्रकला बहुत पसंद था ।इसने अपने शासनकाल में अकबर के मकबरे को पूरा करवाया तथा नूरजहां की देखरेख में एत्माद्दौला के मकबरे का निर्माण करवाया।
** शाहजहां ने आगरे के किले में दीवान -ए -आम दीवान- ए- खास एवं शीशा महल, मोती मस्जिद का निर्माण करवाया तथा ताजमहल का भी निर्माण करवाया। शाहजहां का विश्व में बहुत सा उपहार है। इन्होंने बहुत ही अद्भुत चीज सब बनवाए हैं जिसे देखने के लिए विदेशी लोग भी आते हैं।
प्रशन 24:-- मुगल काल के केंद्रीय प्रशासन का वर्णन करें।
उत्तर:-- मुगल शासकों में अकबर को सबसे महान शासक माना जाता है इसका मुख्य कारण है उसके द्वारा चलाई गई शासन व्यवस्था व्यवस्था है। अकबर एक महान शासक के साथ साथ एक सुव्यवस्थित शासन भी स्थापित किया था।
इनके केंद्रीय प्रशासन कई विभागों में बंटे थे कुछ का वर्णन निम्नलिखित हैं——
1. राजकोष विभाग
2. न्याय विभाग
3. गुप्तचर तथा डाक विभाग
4. सैन्य विभाग
5. मुद्रा विभाग
1. राजकोष विभाग:-- इसका प्रधान दीवान कहलाता था और राज्य के आर्थिक नीति का संचालन कर्ता था।
2. न्याय विभाग:-- इसका प्रधान काजी-उल- कुजाद कहलाता था और यह विभाग न्याय व्यवस्था देखता था।
3. गुप्तचर तथा डाक विभाग:-- डाक भेजना तथा प्राप्त करना डाक विभाग का काम था तथा गुप्त रीति द्वारा राज्यों की बातों का पता लगाना गुप्तचर विभाग का काम था।
4. सनी विभाग:-- इसका प्रधान बख्शी कहलाता था तथा इस विभाग का काम सैनिकों की भर्ती, वेतन और अस्त्र शास्त्र से संबंधित था।
5. मुद्रा विभाग:-- इसका प्रधान दरोगा कहलाता था और इस विभाग का मुख्य काम मुद्रा व्यवस्था करना था।
प्रशन 25:-- अबुल फजल कौन था? अबुल फजल के “अकबरनामा” पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:-- अबुल फजल महान कवि, निबंधकार, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ, सेनापति तथा आलोचक था। उसका जन्म 1557 ईस्वी में आगरा के शेख मुबारक के यहां हुआ था। यह अकबर के दरबार में छोटे पद से लेकर प्रधानमंत्री के पद तक कार्य किया।
उसने दो ऐतिहासिक पुस्तके की रचना की थी अकबरनामा तथा आईने अकबरी यह दोनों ग्रंथ फारसी भाषा में लिखा गया था। अकबर के दरबार में नवरत्न यानी 9 लोग ऐसे थे जिसका जोड़ा संसार में नहीं था इनमें एक अबुल फजल भी है।
अबुल फजल ने अकबरनामा पर 13 वर्षों तक कार्य किया यानी लिखा। इस दौरान उसने इसके प्रारूप में कई बार सुधार किया।
तीन जिल्दे:--अकबर को तीन जिल्दे में बांटा गया है जिसमें से शुरू है दो जल्दी इतिहास है और तीसरा जिल्दे आईने- ए-अकबरी है।
**पहली जिल्द में मानवता से लेकर अकबर के काल तक का इतिहास लिखा गया है ।
** दूसरे जिल्द में अकबर के 46वें शासन वर्ष (1601) लिखना समाप्त हुआ। इसके अगले वर्ष ही सलीम ने वीर सिंह बुंदेला द्वारा अबुल फजल की हत्या करवा दी गई।
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