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Class 12th History (इतिहास) 2022 Exam | Bihar Board Exam 2022 Most VVI Questions & Answers

Class 12th History (इतिहास) 2022 Exam | Bihar Board Exam 2022 Most VVI Questions & Answers

 
प्रशन 1 से 13 तक के उत्तर के लिए क्लिक करे 

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प्रशन 14:-- महावीर के जीवन एवं उपदेशों पर प्रकाश डालें।

उत्तर:-- महावीर कि जीवन वृत्त:--- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें र्तीथकर थे। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा 23 वें श्री पार्श्वनाथ। महावीर स्वामी का जन्म आधुनिक बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित वैशाली समीप कुंड ग्राम में 599 ईसा पूर्व हुआ। इन के बचपन का नाम वर्धमान था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था बह ज्ञात्रृक कुल के थे। इनकी माता का नाम त्रिशला था जो वैशाली के राजा चेतक की बहन थी त्रिशला के तीन संतान थे एक कन्या 2 पुत्र बड़े पुत्र का नाम नंदी वर्धन था उनका विवाह यशोधा नामक राजकुमारी के साथ हुआ था उसे एक लड़की थी, परंतु महावीर गृह जीवन में बंधा नहीं रह सके वे 30 वर्ष की आयु में अपने भाई नंदी वर्धन की आज्ञा लेकर जंगल चले गए और घर बार छोड़कर सन्यासी बन गए। अत्यंत कठोर तपस्या करने लगे और अपने शरीर को कष्ट पहुंचाने लगे। 12 वर्ष तक उन्होंने इतनी कठोर तपस्या की उनका शरीर सूखकर कांटा हो गया।

उनकी तपस्या के 13 वर्ष में उन्हें एक ऋजुपालिका नदी के टप्पर साल वृक्ष के नीचे (केवल्य निर्मल) ज्ञान प्राप्त हुआ।

»» महावीर धर्म प्रचारक के रूप में:-- महावीर स्वामी केवल्य  ज्ञान प्राप्त करने के बाद 30 वर्ष तक घूम घूम कर मगध ,कौशल, अंग, मिथिला आदि प्रदेशों में जैन धर्म का प्रचार किया।

महावीर जैन धर्म के सच्चे प्रचारक थे हर प्रकार की यातनाओं को खेलते हुए भी जैन धर्म का प्रचार सच्ची लगन के साथ करते रहे कुछ दिनों तक प्रचार के लिए अकेले ही घूमते रहे परंतु कुछ ही दिनों के बाद वे नालंदा पधारे तो वहां उसे घोषाल नामक सच्चा साथी मिल गया जो 6 वर्ष तक उनके साथ रहकर धर्म प्रचार करता रहा धर्म प्रचार के दौरान इन दोनों में मतभेद हो गया। जिसके कारण एक दूसरे से अलग होना पड़ा।अतः 72 वर्ष की आयु में 527 ईसा पूर्व पटना के पावापुरी नामक स्थान पर इनकी मृत्यु हो गई।

»» महावीर के उपदेश:---

(1) अहिंसा

(2) सत्य

(3) अस्तेय

(4) अपरिग्रह

(5) ब्राह्मचार्य

इन्हें पांच महाव्रत भी कहा जाता है।

(1) अहिंसा:-- महावीर का कहना था कि संसार के कन कन में जीव है। उनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए उनके शिष्य रात होने से पहले भोजन कर लेते थे, ताकि अंधकार में कोई कीड़े मकोड़े ना मर जाए।

(2) सत्य:-- इसका अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा सच बोलना चाहिए कठोर बातें तथा झूठ नहीं बोलना चाहिए।

(3) अस्तेय:-- इसका अर्थ है कि चोरी नहीं करना चाहिए। चोरी का माल खरीदना, कम तौलना, मिलावट करना, सरकारी उपदेशों का पालन न करना यह सब छोरी के ही प्रकार हैं।

(3) अपरिग्रह:-- इसका अर्थ है कि धन का संग्रह नहीं करना चाहिए। पेट भर खाओ लेकिन पेटी भर ना रखो।

(4) ब्रह्मचार्य:-- इसका अर्थ है कि शादी ना करना यह मनुष्य की मुक्ति मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है।

»» जैन धर्म के सिद्धांत:---

1. ईश्वर संबंधी विचार

2. आत्मवाद

3. कर्म की प्रधानता

4. आत्मा की मुक्ति

5. तपस्या

1. ईश्वर संबंधी विचार:-- जैन धर्म ईश्वर में विश्वास नहीं रखता था। उनका कहना है कि इस बार का कोई आकार नहीं है। इस धर्म में तीर्थंकर को ही ईश्वर कहा गया है।

2. आत्मवाद:-- महावीर का कहना था कि सजीव और निर्जीव दोनों में आत्मा है तथा दोनों ही स्वतंत्र हैं चाहे वह सजीव हो या निर्जीव दोनों को कोई कष्ट नहीं देना चाहिए।

3. कर्म की प्रधानता:-- महावीर का कहना था कि मानव जैसा कर्म करेगा उनको वैसा ही फल मिलेगा अर्थात कर्म के ऊपर ही पुनर्जन्म लेगा।

4. आत्मा की मुक्ति:-- आत्मा को कर्म बंधन से मुक्त कराने के लिए जैन धर्म त्रिरतत्न पर चलना सही समझा है। सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र यह तीनों पर चलने पर ही आत्मा को मुक्ति मिल सकती है।

5. तपस्या:-- महावीर ने कठिन तपस्या पर जोड़ दिया है। उसने खुद कठिन तपस्या करके ज्ञान प्राप्त किया है।

प्रशन 15:-- सूफी आंदोलन पर प्रकाश डालिए। इनके जन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

या:-- सूफी मत के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख सिद्धांतों का वर्णन करें।

उत्तर:-- इस्लामी इतिहास में सूफी रहस्यवाद की उत्पत्ति 10 वीं शताब्दी के आसपास हुई थी। सूफी मत किसी के धर्म का प्रचार प्रसार नहीं करना चाहता था बल्कि उनके अच्छाइयों को एक नए ढंग से दुनिया के सामने लाना चाहता था। उस समय में हिंदू और इस्लाम धर्म में कुछ बुराइयां आ गई थी हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा में देवी देवताओं को पूछते थे उन लोगों का कहना था कि हम जो बोल रहे हैं यह हम नहीं बल्कि हमारे मुंह से भगवान बोल रहे हैं जैसे अगर कोई इंसान किसी को मार देता था तो उस इंसान का मन विचलित हो जाता था कि अरे मैंने यह क्या कर दिया अब तो मुझे पाप लगेगा और उस पाप से मुक्ति पाने के लिए ब्राह्मण के पास जाता था और उस पाप की मुक्ति के लिए ब्राह्मण कहते थे कि 5000 या 2000 रुपए का रसीद कटवा ली तो तुम्हारा पाप धुल जाएगा तो ऐसी-ऐसी प्रथाएं आ गई थी ।हिंदू धर्म में कुछ हिन्दूओं ने तो अपना धर्म ही छोड़ दिया और इस्लाम धर्म को कबूल कर लिया। परंतु जो इंसान एक बार इस्लाम धर्म अपना लेते थे तो उन्हें दोबारा हिंदू बनने का अधिकार नहीं था।

इस तरह जब हिंदू धर्म खत्म होने लगा और सब इस्लाम धर्म को अपनाने लगे तो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार आ गई एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गए। मुसलमानों का कहना था कि हिंदू अपने ही धर्म में रहे जब ऐसी   स्थिति उत्पन्न हुई तो कुछ लोग हिंदू धर्म से तो कुछ लोग इस्लाम धर्म से निकले और वे हिंदू तथा इस्लाम धर्म की अच्छाइयों एवं बुराइयों को प्रकट किया  और इनकी बुराइयों को ना सिर्फ दूर करने का प्रयास किया बल्कि दूर भी कर दिया । इनका काम किसी धर्म का प्रचार प्रसार करना नहीं बल्कि हर धर्म के अच्छाइयों को अपने अपने धर्म में लाओ यह मार्ग दिखाना था, जिस कारण उन्हें सूफी कहां गया। क्योंकि कहते हैं कि अगर ईश्वर  को पाना है तो सीधे ईश्वर की उपासना करो ना की किसी बीच की विचौलियो का उनका मानना था कि ईश्वर केवल एक है चाहे वह भगवान हो, चाहे वह अल्लाह हो, गॉड हो, रब हम सब एक हैं। ईश्वर की भक्ति और उनके आदेशों का पालन किया उन्होंने पैगंबर मोहम्मद को इंसान-ए-कामिल बताते हुए उनका अनुसरण करने की सीख दी है सूफियों ने कुरान की व्याख्या अपने निजी अनुभव के आधार पर किए हैं।

»» सूफी मत के विश्वास एवं सिद्धांत निम्नलिखित हैं---

1. एकेश्वरवाद

2. आत्मा

3. मानव

4. प्रेम साधना पर बल

1. एकेश्वरवाद:-- इसका अर्थ है कि ईश्वर एक है इसका कोई रुपया आकार नहीं होता है। अतः पैगंबर मोहम्मद एवं पीरों के उपदेशों को मानना चाहिए।

2. आत्मा:-- सूफी साधकों ने आत्मा को ईश्वर माना है इनके अनुसार आत्मा शरीर में कैद रहती है। परंतु मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा का मिलन ईश्वर से होता है।

3. मानव:-- सूफी साधकों के अनुसार सभी जीवो में विशेष दर्जा मानव का दिया जाता है।

4. प्रेम साधना पर बल:-- ईश्वर को प्रेम से याद करना और उसकी इबादत करने से ही मनुष्य ईश्वर के निकट रहते हैं।

प्रशन 16:-- भक्ति आंदोलन की किन्ही पांच सर्तों  की चर्चा करें।

उत्तर:-- भक्ति आंदोलन की 5 शर्तों की चर्चा निम्नलिखित हैं---

1. रामानंद ( 15 वी शताब्दी):-- रामानंद उत्तर भारत के पहले महान भक्ति संत थे। इन्होंने बिना किसी जन्म, जाति, धर्म या लिंग के सभी के लिए भक्ति का द्वार खोल दिए। इसके दो महान सिद्धांत---

(क) ईश्वर के प्रति पूर्ण प्रेम

(क) मानव बंधुत्व में विश्वास रखती थी ।

2. मलूकदास (1574 से 1682) :-- मलूक दास का जन्म सोल वी शताब्दी के अंत में इलाहाबाद जिले में हुआ था। यह मूर्ति पूजा के विरुद्ध थे इनका मानना था कि सच्चे एवं साफ दिल से अपनी मुक्ति के लिए ईश्वर पर निर्भर होना चाहिए।

3. दादू (1544 से 1603) :-- दादू का जन्म 1544 ईस्वी में अहमदाबाद में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके जीवन का महान सपना था कि सभी धर्मों को एक साथ बांधकर रखना।

4. चैतन्य (1486 से 1533):-- चेतन्य भक्ति आंदोलन के एक महान संत थे इसने ईश्वर को कृष्ण एवं हरि का नाम दिया।

5. वल्लभाचार्य (1479 से 1531):-- इनका जन्म 1479 ई०  में वाराणसी में हुआ था। इसके अनुसार ईश्वर की अनुमति के लिए मनुष्य को कोशिश करना पड़ता है कबीर और नानक की तरह  ये विवाहित जीवन को उन्नति के लिए बाधक नहीं माना।

प्रशन 17:-- भक्ति आंदोलन से आप क्या समझते हैं? मध्यकाल में भक्ति आंदोलन के उदय के कारणों पर विचार विमर्श कीजिए।

उत्तर:--- मध्यकाल भारत में समाजिक, धार्मिक जीवन में सुधार लाने के लिए आंदोलन शुरू हुआ जो भक्ति आंदोलन के नाम से जाना जाता है। भक्ति आंदोलन का आशय इस आंदोलन से है जो तुर्की के आगमन 12 वीं सदी से ही यहां  चला आ रहा था, और 16 वीं सदी यानी अकबर के काल तक चलता रहा। उस आंदोलन में मानव तथा ईश्वर के बीच रहस्यवादी संबंधों पर बल दिया है।

** मध्यकाल में भक्ति आंदोलन के उदय के कारणों एवं प्रचार के कारण निम्नलिखित हैं----

1. इस्लाम धर्म का प्रभाव:-- इस्लाम धर्म में ईश्वर की एकता, बंधुता और समानता की भावना प्रबल दिया गया है, परंतु यह सिद्धांत हिंदू धर्म में नहीं था इसलिए भक्ति आंदोलन शुरू हुआ।

2. हिंदुओं पर अत्याचार:-- मुस्लिम शासकों ने धर्मांधता के कारण हिंदुओं की राजनीतिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता छीन ली थी, आता हिंदुओं पर कड़े अत्याचार किए गए।

3. मुस्लिम धर्म का खतरा:-- इस्लाम धर्म के सिद्धांत आसान थे। इससे प्रभावित होकर अधिकांश हिंदू इस्लाम धर्म कबूल कर लिए। अतः इस खतरा से बचने के लिए हिंदू धर्म में सुधार लाने के लिए भक्ति आंदोलन शुरू हुआ।

4. मुस्लिम आक्रमण:-- मध्यकाल में इस्लाम एवं हिंदू दोनों एक दूसरे पर आक्रमण करते थे। असहाय होकर उन्होंने भक्ति मार्ग का सहारा लिया।

5. हिंदू धर्म की बुराइयां:--- हिंदू धर्म में बेकार की रीति रिवाज जैसे सती प्रथा एवं बाल विवाह में विश्वास रखना भक्ति आंदोलन से इनमें सुधार आया।

प्रशन 18:--भक्ति आंदोलन के प्रमुख कारणों परिणामों प्रभावों का वर्णन करें।

या:- भक्ति आंदोलन की विशेषताएं बतलाइए ।2019 मोस्ट वीवीआइ क्वेश्चन

उत्तर:-- मध्यकाल भारत में सामाजिक,धार्मिक जीवन में सुधार लाने के लिए भक्ति आंदोलन प्रारंभ किया।

1. हिंदू धर्म में सुधार

2. निम्न जातियों का उत्थान

3. हिंदू मुसलमान संपर्क

4. प्रादेशिक भाषाओं का विकास

5. इकेश्वरवाद का प्रचार

1. हिंदू धर्म में सुधार:-- भक्ति आंदोलन से मूर्ति पूजा, जाती पांती व्यर्थ के कार्यों को खंडन कर हिंदू धर्म में सुधार लाएं।

2. निम्न जातियों का उत्थान:-- इस आंदोलन से किसी धर्म में भेदभाव एवं छुआछूत को खत्म करके भाईचारा का प्रभाव आया इस्लाम जो हिंदू को आकर्षित करता था वह समाप्त हो गया।

3. हिंदू मुसलमान संपर्क:--- कबीर एवं गुरु नानक कवियों ने धर्म के भेदभाव को अंत करके हिंदू मुसलमान को नजदीक किया।

4. प्रादेशिक भाषाओं का विकास:--- भक्ति आंदोलन के संत ने देश के कोने कोने में अपनी शिक्षा एवं भाषा का प्रचार किया। जैसे मराठी, हिंदी, उर्दू आदि भाषाओं का  काफी विकास हुआ।

5. एकेश्वरवाद का प्रचार:--- इस धर्म के सभी लोगों में विश्वास हो गया कि ईश्वर एक है, परंतु इन्हें अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है चाहे वह भगवान हो, अल्लाह हो, रब हो चाहे वह गॉड हो सब एक हैं।

प्रशन 19:-- मुगल साम्राज्य के भू राजस्व नीति पर प्रकाश डालें।

या:-- अकबर की भूमि कर प्रणाली पर प्रकाश डालें।

या:-- अकबर की भू बंदोबस्त प्रणाली का मूल्यांकन करें।

उत्तर:--- मुगल काल यानी अकबर के समय में भारत की आर्थिक स्थिति की जानकारी के लिए इतिहासकार अबू फजल की पुस्तक आईने अकबरी से हमें सहायता मिली।

कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय था। अकबर ने किसानों की दशा सुधारने के लिए कृषि उत्पादन में तालाब, नहर एवं नदियां बनवाएं।

»» भू राजस्व की पद्धतियां:---

** कणकूट प्रणाली

**नास्क या कच्चा प्रणाली

** गल्लाबख्शी या बटाई आई प्रणाली

** कणकूट प्रणाली:-- इस प्रणाली के अनुसार फसलों के पकते समय सरकार अनुमान लगाकर कर्मचारियों को टैक्स लेने के लिए भेजते थे। यह प्रणाली अत्यंत खर्चीली है।

** नस्क या कच्चा प्रणाली:-- इस प्रणाली के अनुसार पूरे गांव की फसल का अनुमान लगाकर निश्चित टैक्स बताता है फिर किसानों द्वारा टैक्सी सीधे सरकार के पास जमा होता है।

** गल्ला बस्सी या बटाई प्रणाली:-- इस प्रणाली को गल्ला बक्शी या बटाई प्रणाली कहते हैं। इस प्रणाली के अनुसार फसल को काटकर तीन भागों में बांट दिए जाते थे। जिसमें से एक भाग सरकार लेती थी और दो भाग किसान लेते थे।

»» अकबर की उपलब्धियां:-- अकबर ने आवश्यकता पड़ने पर किसानों को बीज, औजार, पशुओं आदि को खरीदने के लिए ब्याज पर ऋन भी दिए। उसने किसानों को उपज में सुधार और अच्छी फसल बोने के लिए उत्साहित किया।

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