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Bharati Bhawan Class 9th Biology | Chapter 4 Health and Disease | Long Answer Question | भारती भवन कक्षा 9वीं जीवविज्ञान | अध्याय 4 स्वास्थ्य एवं रोग | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th Biology  Chapter 4 Health and Disease  Long Answer Question  भारती भवन कक्षा 9वीं जीवविज्ञान  अध्याय 4 स्वास्थ्य एवं रोग  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
www.BharatiBhawan.org

1. अच्छे स्वास्थ्य की मूल शतें क्या हैं? 
उत्तर- अच्छे स्वास्थ्य की मूल शर्ते इस प्रकार हैं
(i) सन्तुलित आहार (Balanced Diet) :- सन्तुलित आहार अर्थात् एक ऐसा आहार जिसमें सभी पोषक तत्त्व (जैसे—कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज और विटामिन) समुचित मात्रा में उपलब्ध हों।

(ii) व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वास्थ्य (Personal and DomesticHygiene) :- व्यक्तिगत और घरेलू स्तरों पर स्वच्छता भी स्वस्थ रहने की महत्वपूर्ण मूल शर्तों में एक है। हमें प्रतिदि स्नान करना चाहिये और साफ कपड़े पहनना चाहिये। यदि कपड़े साफ और शरीर स्वच्छ न तो इनकी गंदगी सूक्ष्मजीवाणुओं की वृद्धि में सहायक हो जाती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिये  को साफ एवं हवादार रखना भी आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर घर कीटाणुओं (Germs) के पनपने का क्षेत्र बन जाता है। यह भी आवश्यक है कि घर के आस-पास के स्थान साफ हों और कहीं पानी का ठहराव न हो। ऐसे स्थान मच्छर, मक्खी की वृद्धि में सहायक होते हैं।

(iii) स्वच्छ भोजन एवं जल (Clean food and Water) :- रोग उत्पन्न करनेवाले जीव एवं रसायन, भोजन एवं पेयजल के माध्यम से आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अत: स्वच्छ भोजन एवं जल का सेवन स्वास्थ्यकर जीवन के लिये अनिवार्य है। इन्हें अच्छी तरह धो-पोंछकर ही उनका सेवन करना चाहिये। पके हुये भोजन को साफ-सुथरे एवं ढंके हुए बर्तन में रखना चाहिये। मिलावट वाले खाद्य-पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिये। जल में भी रोग फैलानेवाले अनेक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। इसलिये यदि शुद्ध पेयजल उपलब्ध न हो तो पानी को उबालकर पीना स्वास्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है। इससे रोग फैलानेवाले बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। स्वस्थ रहने के लिये शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल का सेवन अत्यंत आवश्यक है।

(iv) शुद्ध एवं स्वच्छ हवा (Pure and clean air) :- शुद्ध एवं स्वच्छ वायु अच्छे स्वास्थ्य की प्राथमिक आवश्यकताओं में एक है। प्रदूषित वायु में साँस लेने से श्वसन संबंधी रोग जैसेदमन, ब्रॉन्काइटिस उत्पन्न हो जाते हैं। स्वच्छ वायु के लिये घर पर्याप्त हवादार होना चाहिये। रसोईघर में चिमनी या पंखों (Exhaust) का प्रयोग करना चाहिये।

(v) व्यायाम एवं विश्राम (Exercise and Relaxation) :—व्यायाम और विश्राम शरीर एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिये आवश्यक है। नियमित व्यायाम स्वस्थ रहने में सहायक होता है। वे लोग जो नियमित व्यायाम करते हैं उन्हें दिल के दौरे एवं हृदय संबंधी रोग होने की संभावना कम होती है। नियमित व्यायाम पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इससे रात में अच्छी नींद भी आती है। व्यायाम विशेषकर उन लोगों के लिये आवश्यक है जो एक ही स्थान पर बैठकर बहुत देर तक काम करते हैं। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिये विश्राम एवं नींद भी अत्यंत आवश्यक है। ये शरीर को आराम एवं पुनः काम करने के योग्य बनाने में सहायक है। ये तनाव को भी कम करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को नियमित तथा पूर्ण अवधि तक सोना चाहिये। विश्राम करने के विभिन्न तरीके हैं। जैसे—संगीत सुनना, पार्क में घूमना, कोई खेल खेलना, पढ़ना इत्यादि।

(vi) दुर्व्यसन का न होना (No addiction):—व्यसन एक स्थिति है जिसमें व्यक्ति मनोवैज्ञानिक या कार्यिक तौर पर किसी ऐसे चीज पर निर्भर हो जाता है जो उसके स्वास्थ्य को जब हम व्यसन के विषय में बात करते हैं तो हमारा तात्पर्य धुम्रपान, मादक द्रव (ड्रग्स) लेने से होता है। व्यसन स्वास्थ्य समस्या को उत्पन्न करती है। शराब पीना, मानसिक एवं शारीरिक चुस्ती को कम करती है और ज्यादा शराब का सेवन तंत्रिका तंत्र और यकृत को हानि पहुंचाता है। धुम्रपान श्वसन संबंधी बीमारियों, हृदय रोग और कैंसर जैसे भयानक रोग पैदा करती है। तंबाकू चबाना, मुँह का कैंसर और दाँतों की समस्याओं को पैदा करती है। मादक द्रव, जैसे हेरोइन, कोकीन, हशीश तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। अत: स्वस्थ जीवन-यापन हेतु किसी भी दुर्व्यसन से दूर रहना चाहिये। हानि पहुंचाता है। सामान्यत: ॥

2. संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपायों का वर्णन करें। 
उत्तर- संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं
(i) संक्रमणरहित शुद्ध पेयजल का प्रयोग करना। 
(ii) अपशिष्ट पदार्थों का उचित निबटारा करना।
(iii) सूक्ष्म रोगाणुओं के वाहकों का नियंत्रण रोगाणु को नष्ट करनेवाली दवाओं से करना। 
(iv) शरीर में प्रभावशाली प्रतिरक्षक तंत्र का होना या प्रविष्ट; जैसे—टीका या वैक्सीन द्वारा करना।

3. टीकाकरण क्या है?
उत्तर- सबसे पहले मनुष्यों के लिये टीके का विकास के चेचक से हुआ। आगे चलकर इसी तरह कई रोगों से सुरक्षा के लिये विभिन्न तरीकों से टीके विकसित किये गये। टीके को शरीर में प्रवेश कराने की विधि टीकाकरण (Vaccination) कहलाता है। Vaccination की उत्पत्ति लैटिन शब्द Vacca तथा Vaccinia (Vacca = cow, Vaccinia = cowpox) से हुआ टीकाकरण वह विधि है जिसके द्वारा सूक्ष्म रोगाणुओं को किसी विशिष्ट रसायन के माध्यम में विकसित कर अत्यंत कम मात्रा में किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश कराया जाता है। रोगाणुमिश्रित इस प्रकार का विशिष्ट रसायन टीका (Vaccine) कहलाता है। टीका सूर्य लगाकर या दवा के रूप में पिलाकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है।

किसी विशिष्ट रोग का टीका जब शरीर के अन्दर पहुंचता है तब शरीर का प्रतिरक्षक तंत्र उस रोग के विरुद्ध एंटीबॉडीज बना लेता है। इस प्रकार उत्पन्न एंटीबॉडी शरीर में अस्थायी या स्थायी रूप से मौजूद रहता है। जब कभी वही रोगाणु वास्तव में शरीर के अन्दर अपने आप पहुँचता है, तब पहले से शरीर में मौजूद एंटीबॉडी उक्त विशेष रोगाणुओं को नष्ट कर देता है। इस प्रकार शरीर उस विशेष रोग से मुक्त रहता है। कॉलेरा, टाइफाइड, पोलियो, डिप्थेरिया, कुकुरखाँसी, टिटनस, चेचक (Small pox and measles), हेपेटाइटिस तथा रेबीज कुछ ऐसे प्रमुख रोग हैं जिनसे प्रतिरक्षा के लिये टीका विकसित हो चुके हैं। ऐसे रोगों के टीके का व्यवहार प्रभावी रूप से किया जा रहा है। टीकों का संरक्षण (Storage) सामान्यतः अत्यंत कम तापक्रम पर ये आसानी से नष्ट हो जाते हैं। संरक्षित टीकों का क्रियाशीलता भी एक निश्चित अवधि के भीतर उनका उपयोग नहीं होने पर वे स्वत: नष्ट हो जाते हैं। कई संक्रामक रोग पालतू जानवरों के माध्यम से भी मनुष्यों में फैलते हैं। अत: पालतू जानवरों का भी समय-समय पर टीकाकरण करवाना अनिवार्य है। कई संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिये टीकाकरण एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में चलाया जाता है। हमारे देश में भी 'मलेरिया उन्मूलन तथा पल्स पोलियो' अभियान के रूप में चलाये गये हैं जिसमें बहुत सफलता मिली है।

4. डायरिया या टाइफाइड रोग के कारण, रोग के लक्षण तथा उसकी रोकथाम के उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर- डायरिया :- बच्चों में होने वाली एक सामान्य बीमारी है। यह संक्रमित भोजन एवं पान के उपयोग के कारण :- उत्पन्न होता है। इसमें 24 घंटों तक लागातार पतला पाखाना होता रहत है कारण- डायरिया, इशरशिया, कोली, शिगेला आदि जैसे बैक्टीरिया तथा प्रोटोजोआ ए वायरस द्वारा उत्पन्न होता है।

लक्षण - (i) लगातार पतला पाखाना तथा उल्टी होना। (ii) शरीर में पानी की कमी के कार रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है, उसकी आँखें सी नजर आती हैं, नाक में चींटी रेंगती महसूस हो है, जीभ तथा मुँह सूखा लगता है। अचानक भार में कमी, धीमी नाड़ी गति, गहरा श्वास ज्वर या बेहोशी इसके लक्षण हैं।

रोकथाम- (i) भोजन तथा अन्य दूसरे खाद्य पदार्थों को ढंक कर रखना चाहिए। (ii) एवं सब्जियों को प्रयोग से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। (iii) व्यक्तिगत साफ-सफाई र चाहिए। भोजन करने से पहले अच्छी तरह से साबुन से हाथ धोने चाहिए। (iv) सामुदायिक स्वच्छ भी महत्त्वपूर्ण है। (v) बासी एवं बिना ढंका खाना नहीं खाना चाहिए।

नियंत्रण- (i) रोगी को पूर्ण आराम करना चाहिए। (ii) जीवाणु विरोधी दवाइयों । डायरियारोधी उपायों का उपयोग डायरिया के उपचार हेतु किया जाना चाहिए। (iii) शरीर में ए. की कमी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा ORS लगातार देकर पूरी करनी चाहिए। (iv) ईसबगोल की भूसी पानी अथवा दही के साथ लेनी चाहिए। (v) कच्चे केले के उबले हुए गुदे के साथ जरूरत के अनुसार नमक, हल्दी चूर्ण तथा चूना का प्रयोग रोगी को आराम पहुँचाता है। 

टाइफाइड के कारण - टाइफाइड सलमोनेला टाइफी (Salmonella Typhis) नामक बैक्टीरिया के कारण होनेवाला संक्रामक रोग है।

टाइफाइड का लक्षण- (i) तेज बुखार, कमजोरी, सिरदर्द, पसीना आना, नाड़ी की गति (pulse rate) धीमी होना, प्रायः इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है।

(ii) टाइफाइड का बुखार करीब 3 सप्ताह तक लगा रहता है। इस समय रोगी की जीभ हमेशा सूखी रहने लगती है तथ्य जीभ की सतह पर सफेद हल्की परत जम जाती है। तेज बुखार के कारण रोगी को कँपकँपी भी होती है।

(iii) रोगी के छोटी आंत में कभी-कभी अल्सर (Ulcer) हो जाता है जिससे रक्त बहने लगता है। 

टाइफाइड का रोकथाम -

(i) इस रोग को फैलने से रोकने के लिये सभी व्यक्तियों को स्वच्छता के महत्त्व का सान होना अत्यंत जरूरी है।

(ii) व्यक्तिगत सफाई के साथ-साथ रहने की जगह तथा पास-पड़ोस को साफ रखकर मक्खियों को पनपने से रोका जाना चाहिये।

(iii) पेयजल और भोजन को संक्रमित होने से बचाना, इस रोग को फैलने से रोकने के लिये अत्यंत आवश्यक है।

(iv) टाइफाइड को फैलने से रोकने के लिये रोगी को परिवार के अन्य सदस्यों से पूरी तरह अलग रखना चाहिये। रोगी के इस्तेमाल में लाये जानेवाले सामानों को किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को व्यवहार में नहीं लाना चाहिये।

(v) आँत में अल्सर होने की संभावना को रोकने के लिये रोगी को हल्का तथा आसानी से पचनेवाला भोजन देना चाहिये।

(vi) रोगी को पूर्णरूप से आराम करना अत्यावश्यक है। रोग से मुक्त होने के बाद भी 13 के दिनों तक आराम करना अनिवार्य है।

(vii) TAB (Typhoid Antibacterial या Typhoid Para A and B) के टीके करीब 3 वर्षों तक टाइफाइड के संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को हर तीन वर्ष के बाद चिकित्सक से परामर्श कर TAB का टीका अवश्य लगवाना चाहिये।

Class 9th Biology Chapter 1 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 1 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 2 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 3 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Biology Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न

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