1. अन्तराणुक बलों के आधार पर ठोस, द्रव तथा गैसों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- ठोसों में अन्तराणुक बल अत्यधिक प्रबल होते हैं तथा इसे बनाने वाले अवयव कण इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि उनके मध्य रिक्त स्थान नगण्य होता है। इसी कारण ठोसों को संपीडित नहीं किया जा सकता तथा इनका घनत्व अधिक होता है।
द्रवों में अन्तराणुक बल इतने प्रबल होते हैं कि वे अवयव कणों को एक साथ बाँधे रख सकें, लेकिन इतने प्रबल नहीं होते कि अवयव कणों की स्थिति निश्चित रख सकें। इसी कारण द्रवों का आकार निश्चित नहीं होता तथा द्रव बहते हैं।
गैस में अन्तराणुक बल नगण्य (अत्यधिक निर्बल) होते हैं। इसलिए गैसों के अवयव कण स्वतंत्र रूप से गतिशील होते हैं तथा उपलब्ध स्थान को घेर लेते हैं।
2. गैसें बर्तन की दीवारों पर दाब क्यों डालती हैं ? संपीडित गैसों के सामान्य उदाहरण दीजिए व उनके उपयोग लिखिए।
उत्तर- गैसीय अवस्था में, कण सभी दिशाओं में गतिशील रहते हैं और बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं और बर्तन की दीवारों पर दाब आरोपित करते हैं। सिलिंडर में गैस उच्च दाब (Pressure) पर भरी जाती है और वह अत्यधिक संपीडित होती है। वह गैस संपीडित गैस (Compressed gas) कहलाती है। अत्यन्त उच्च दाब पर संपीडित गैस द्रवित हो जाती है, इसे द्रवीकृत गैस (Liquified gas) कहते हैं।
उदाहरणार्थ, (i) घरों में खाना बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले सिलिंडर में उच्च दाब पर पेट्रोलियम गैस भरी जाती है जिसे द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (Liquified Petroleum Gas, LPG) कहते हैं।
(ii) संपीडित ऑक्सीजन (Compressed oxygen) अस्पतालों में प्रयोग की जाती है और मरीजों को दी जाती है जो सामान्य रूप से श्वसन नहीं कर पाते हैं।
(iii) संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas, CNG) का उपयोग आजकल एक स्वच्छ ईंधन (Clean fuel) के रूप में वाहन चलाने में किया जाता है।
3. निम्न पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-दृढ़ता- ठोसों की दृढ़ता प्रबलतम, द्रवों में कम प्रबल तथा गैसों में नगण्य होती है।
संपीड्यता- ठोसों को अधिक दबाया नहीं जा सकता। द्रवों को भी अधिक नहीं दबाया जा सकता है। गैसों को आसानी से दबाया जा सकता है।
तरलता- तरलता का अर्थ है पदार्थ का वह गुण जिसमें वह आसानी से बह सकता है तथा उसे रखने के लिए बर्तन (धारक) आवश्यक होता है। ठोस बहते नहीं हैं। द्रव सामान्यतया आसानी से बहते हैं। गैसें आसानी से बहती हैं।
बर्तन में गैस का भरना- ठोस अपने धारक (बर्तन) को पूर्णतया नहीं भर पाता है। द्रव अपने बर्तन का आकार धारण कर लेते हैं। गैसें उस बर्तन का आकार व आयतन धारण कर लेती हैं जिनमें उन्हें रखा जाता है।
गतिज ऊर्जा- अणुओं की गतिज ऊर्जा ठोसों में न्यूनतम, द्रवों में अधिक तथा गैसों में अधिकतम होती है।
घनत्व- ठोसों का उच्च घनत्व होता है। द्रवों के औसत से उच्च घनत्व होते हैं। गैसों का घनत्व बहुत कम होता है।
4. कारण बताएँ (a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है, जिसमें इसे रखते हैं।
(b) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
(c) हवा में हम आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं, लेकिन एक ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
उत्तर- (a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें उसे हम रखते हैं क्योंकि उच्च गतिज ऊर्जा तथा नगण्य आकर्षण बलों के कारण, गैस के अणु उच्च वेग से सभी दिशाओं में गतिशील रहते हैं।
(b) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है क्योंकि इसका निश्चित आकार तथा निश्चित आयतन होता है।
(c) हवा में अणुओं के बीच अंतराणुक बल नगण्य होते हैं जबकि ठोस के अणुओं के बीच अंतरा अंतराणुक प्रबलतम होते हैं।
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |