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मानव स्मृति, Class 11 Psychology Chapter 7 in Hnidi, कक्षा 11 नोट्स, सभी प्रश्नों के उत्तर, कक्षा 11वीं के प्रश्न उत्तर

मानव स्मृति, Class 11 Psychology Chapter 7 in Hnidi, कक्षा 11 नोट्स, सभी प्रश्नों के उत्तर, कक्षा 11वीं के प्रश्न उत्तर

  Chapter-7 मानव स्मृति  

प्रश्न 1. कूट संकेतन, भंडारण और पुनरुद्धार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: स्मृति एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम सीखे हुए ज्ञान तथा प्राप्त अनुभवों को संचित करके भविष्य के लिए रखते हैं। स्मृति नामक प्रक्रिया में तीन स्वतंत्र किन्तु अन्तः संबंधित अवस्थाएँ होती हैं -
1. कूट संकेतन: स्मृति का प्रारम्भ इसी पहली अवस्था के रूप में होता है। वांछित सूचनाएँ कूट संकेतन के द्वारा स्मृति तंत्र तक पहुँचता है। तंत्रिका आवेग की उत्पति ज्ञानेन्द्रियों पर बाह्य उद्दीपक के प्रभाव के कारण होती है। उत्पन्न आवेग मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में पुनः प्रक्रमण के लिए ग्रहण कर लिए जाते हैं।
कूट संकेतन के रूप में आनेवाली सूचनाएँ तंत्रिका तंत्र में ली जाती हैं संचित संकेतनों से अभीष्ट अर्थ पाने का प्रयास किया जाता है तथा उसे भविष्य में पुनः प्रक्रमण के लिए सुरक्षित रखा जाता है। अर्थात् कूट संकेतन एक ऐसी विशिष्ट प्रक्रिया है जिसकी सहायता से सूचनाओं को एक ऐसे आकार या रूप में बदल लिया जाता है ताकि वे स्मृति में स्थान पाकर सार्थक रूप में संचित रहे। इस अवस्था को पंजीकरण भी कहा जा सकता है। यह स्मृति की पहली अवस्था है ।
2. भंडारण: सार्थक एवं उपयोगी सूचनाओं को कूट संकेतन के माध्यम से प्राप्त करने के बाद जिस विशेष प्रक्रिया के द्वारा कुछ समय सीमा तक धारण किये रहने की व्यवस्था की जाती है, उस प्रक्रिया को भंडारण कहते हैं। यह स्मृति की द्वितीय अवस्था है। भंडारित सूचना का उपयोग आवश्यकतानुसार आने वाले समय में किया जाता है। इसे 'याद रखना' भी कहा जाता है।
3. पुनरुद्धार: पुनरुद्धार स्मृति की अंतिम एवं तीसरी अवस्था है। इसे 'याद आना' भी माना जा सकता है। समस्या समाधान अथवा किसी आवश्यक प्रपत्र को खोजने में हम अपनी चेतना को जगाकर जानना चाहते हैं कि अमुक व्यक्ति का कागज कहाँ मिलेगा और किस तरह इसका अधिक-से-अधिक उपयोग किया जा सकता है। अतः कूट संकेतन से मिली सूचना का भंडारण करने के पश्चात् संचित सूचना को चेतना में लाने (याद करने) की प्रक्रिया को पुनरुद्धार कहा जाता है। इस प्रक्रिया को स्मरण जैसा नाम भी दिया जा सकता है।
प्रश्न 2. संवेदी, अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक स्मृति तंत्र से सूचना का प्रक्रमण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
● 1968 में, एटकिंसन और शिफरीन ने द स्टेज मॉडल पेश किया, जिसके अनुसार संवेदी स्मृति, अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति नामक तीन स्मृति प्रणाली मौजूद हैं
• संवेदी स्मृति - इस प्रकार की स्मरणशक्ति एक बड़ी क्षमता के साथ बहुत कम अवधि (एक सेकंड से भी कम)के लिए होती है। सभी इंद्रियों से प्राप्त सूचना संवेदी स्मृति में उचित मात्रा में सटीकता के साथ दर्ज होती हैं। इस के द्वारा बाहरी गतिविधियों की सदृश अनुकृति अंकित करने के कारण इसे संवेदी रजिस्टर के रूप में भी जाना जाता है। उदाहरणार्थ सूर्य को सीधे देखने के बाद जिस प्रकार प्रकाश का निशान रहता है, उसी प्रकार दृश्य के बाद की छवियां भी रह जाती हैं।
अल्पकालिक स्मृति - इस प्रकार की स्मृति में एक संक्षिप्त समय अवधि (30 सेकंड या उससे कम) के लिए कम मात्रा में जानकारी रहती है। इस में केवल संवेदी स्मृति से प्राप्त होने वाली जानकारी सम्मलित होती है, उसे ही अल्पकालिक स्मृति के रूप में संग्रहीत किया जाता है। संवेदी स्मृति की तुलना में इस तरह की स्मृति कम क्षण भंगुर होती है और मुख्यत: से ध्वनिक रूप से (ध्वनि के रूप में) सांकेतिक होती है।
• दीर्घकालिक स्मृति - यह स्मृति पटल सूचनाओं के लिए विशाल क्षमता वाला स्थायी भंडार है। प्राप्त जानकारी के शब्दार्थ संकेतीकरण के कारण, दीर्घकालिक स्मृति में प्रवेश करने वाली किसी भी जानकारी को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। उदाहरणार्थ दिन की शुरुआत पढ़े में गये अखबार के लेख को ताजी बात की तरह जबकि बचपन की यादों के रूप में पुरानी यादों के रूप याद रखा सकता है।
प्रश्न 3. अनुरक्षण एवं विस्तृत पूर्वाभ्यास में क्या अंतर है?
उत्तर: अनुरक्षण एवं विस्तृत पूर्वाभ्यास दोनों स्मृति-तंत्र से सम्बन्धित है। दोनों की विशेषताओं को अलग-अलग अनुच्छेदों के द्वारा सूचित करके उनमें अंतर बताने का प्रयास किया गया है -
(क) अनुरक्षण पूर्वाभ्यास: अनुरक्षण पूर्वाभ्यास की महत्ता अल्पकालिक स्मृति के लिए नियंत्रक का कार्य करता है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास के द्वारा सूचना को वांछित समय तक धारित बनाने का प्रयास किया जाता है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास सूचना को अनुरक्षित रहने के लिए सूचना को दुहराने का अभ्यास निरंतर करने की सलाह देता है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास जब रुक जाता है तब सूचना की स्मृति मिटने लग जाती है।
(ख) विस्तृत पूर्वाभ्यास: विस्तृत पूर्वाभ्यास के प्रयोग से कोई सूचना, अल्पकालिक स्मृति से दीर्घकालिक स्मृति में प्रवेश करती है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास पूर्वाभ्यास के विपरीत, जिसमें मूक या वाचिक रूप से दुहराया जाता है। विस्तृत पूर्वाभ्यास के द्वारा दीर्घकालिक स्मृति में पूर्व निहित सूचना के साथ धारिता के लिए अभीष्ट सूचना को जोड़ने का प्रयास किया जाता है। विस्तृत पूर्वाभ्यास के द्वारा किसी सूचना को उससे उद्वेलित विभिन्न साहचयो के आधार पर कोई व्यक्ति विश्लेषित कर पाता है।
सूचनाओं को संगठित करने, तार्किक ढाँचे में विस्तृत करना तथा समान स्मृतियों के साथ मिलाने, उपयुक्त मानसिक प्रतिमा बनाने जैसी क्रियाओं में विस्तारपरक पूर्वाभ्यास का सक्रिय योगदान होता है। अर्थात् दोनों पूर्वाभ्यास में स्पष्ट अंतर के रूप में कहा जा सकता है कि अनुरक्षण पूर्वाभ्यास जहाँ अल्पकालिक स्मृति के नियंत्रक के रूप में जाना जाता है वहीं दीर्घकालिक स्मृति के विश्लेषण में विस्तारपरक पूर्वाभ्यास का योगदान होता है।
अनुरक्षण पूर्वाभ्यास अल्पकालिक स्मृति की धारिता को विकसित करने का काम करता है वहीं विस्तारपरक पूर्वाभ्यास दीर्घकालिक स्मृति के स्तर को विकसित करता है। अनुरक्षण विधि का विकल्प खंडीयन विधि के रूप में उपलब्ध हो चुका है जबकि विस्तारपरक पूर्वाभ्यास के लिए कोई विकल्प नहीं मिल सका है। सूचना के अवस्था परिवर्तन की व्याख्या करने में अनुरक्षण पूर्वाभ्यास का कोई योगदान नहीं होता है जबकि विस्तारपरक पूर्वाभ्यास अवस्था परिवर्तन की कला को समझता है।
प्रश्न 4. घोषणात्मक एवं प्रक्रिया मूलक स्मृतियों में क्या अंतर है?
उत्तर: 
दीर्घकालिक स्मृति में अनेक प्रकार की सूचनाएं संचित रहती हैं। समुचित अध्ययन के लिए दीर्घकालिक स्मृति का वर्गीकरण किया गया है। पहला वर्गीकर में दो वर्गों को प्राथमिकता दी गई है -
(क) घोषणात्मक तथा
(ख) प्रक्रियामूलक (या अघोषणात्मक) ।
इन दोनों वर्गों में मुख्य अंतर निम्न वर्णित हैं
1. आधार: घोषणात्मक स्मृति में वैसी सूचनाओं का रखा जाता है जो तथ्य, नाम आदि से संबंधित होते हैं जबकि प्रक्रिया झलक स्मृति में किसी क्रिया के सम्पादन के लिए वांछनीय कौशल से जुड़ी सूचनाएं ली जाती हैं।
2. वर्णन: घोषणात्मक स्मृति से जुड़ी सूचनाओं का वर्णन मौखिक अथवा लिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है जबकि प्रक्रिया मूलक स्मृति के अन्तर्गत जो सूचनाएँ होती हैं उन्हें शब्दों में सहजता से वर्णित नहीं किया जा सकता है।
3. उदाहरण: घोषणात्मक स्मृति के उदाहरण हैं - आपका नाम क्या है? भारत की राजधानी दिल्ली है। मेढ़क उभयचर प्राणी है। समुद्र में जल भरा रहता है। चिड़िया घोंसला बनाकर रहती है। जबकि प्रक्रिया मूलक के उदाहरण हैं- साइकिल चलाना, चाय बनाना, नीम की पत्तियों तथा मिरचाई के तीखापन में अंतर व्यक्त करना इत्यादि ।
प्रश्न 5. दीर्घकालिक स्मृति में श्रेणीबद्ध संगठन क्या है ?
उत्तर: इस तरह के प्रश्नों का उत्तर देने में लोगों को कितना समय लगता है, इसके आधार पर दीर्घकालिक स्मृति में संगठन के स्वरूप का अनुमान लगाया गया है। दीर्घकालिक स्मृति में ज्ञान प्रतिनिधान की सबले महत्त्वपूर्ण इकाई संप्रत्यय उन वस्तुओं और घटनाओं के मानसिक संवर्ग हैं जो कई प्रकार से एक दूसरे के समान हैं। संप्रत्यय स्कीमा में भी संगठित होते हैं, जो एक मानसिक ढाँचा होता है तथा जो इस वास्तु जगत के बारे में हमारे ज्ञान एवं अभिग्रह का प्रतिनिधान करते हैं।
सन 1969 में एलन कोलिन्स एवं रॉस क्किवुलियन ने एक ऐतिहासिक शोधपत्र प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने बताया की दीर्घकालिक स्मृति में सूचना श्रेणीबद्ध रूप से संगठित होती है तथा उसकी एक जालीदार संरचना होती हैं। इस संरचना के तत्त्वों को निष्पंद बिंदु कहा जाता है। निष्पंद बिंदु संप्रत्यय होते हैं किंतु इनके बीच के संबंध को नामपत्रिका संबंध कहते हैं जो संप्रत्ययों के गुणधर्म या श्रेणी सदस्यता दर्शाते हैं।
प्रश्न 6. विस्मरण क्यों होता है?
उत्तर: विस्मरण या भूलना एक मानसिक क्रिया है जिससे स्मृति तंत्र में संचित स्मृति चिह्न मिट जाते हैं तथा हम ज्ञात साधनों या घटनाओं के संबंध में कोई भी सूचना देने में असमर्थ हो जाते हैं। विस्मरण के कारण परिचितों को पहचानना या गणितीय सूत्र या नियमों को शुद्ध रूप में बतलाना संभव नहीं रह जाता है।
विस्मरण नामक मानसिक विकृति उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -
1. चिह्न-हास के कारण विस्मरण: केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में स्मृति के द्वारा किये जाने वाले संशोधनों के फलस्वरूप शारीरिक परिवर्तन देखे जाते हैं। शारीरिक विकृति के कारण सूचनाओं को उपयोग से बाहर रहने से स्मृति चिह्न मिट जाते हैं।
2. अवरोध के कारण विस्मरण: स्मृति भंडार में संचित विभिन्न सामग्री के बीच अवरोध के कारण विस्मरण होता है।
विस्मरण में दो प्रकार के अवरोध उत्पन्न होते हैं -
(क) अग्रलक्षी: पहले सीखी गई क्रिया विधि आने वाली नई क्रिया विधि के सम्पादन में अवरोध प्रकट करता
(ख) पूर्वलक्षी अवरोध: पूर्वलक्षी अवरोध में पश्चात् अधिगम, पूर्व अधिगम सामग्री के प्रत्यावान में अवरोध पहुंचाता है।
3. पुनरुद्धार असफलता के कारण विस्मरण: प्रत्याहान के समय पुनरुद्धार के संकेतों के अनुपस्थित रहने या अनुपयुक्त होने के कारण विस्मरण होता है।
प्रश्न 7. अवरोध के कारण विस्मरण, पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर: (क) अवरोध के कारण विस्मरण का आधार संचित साहचर्यों के बीच उत्पन्न प्रतिद्वंद्विता होती है जबकि पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण प्रत्याहान के समय पुनरुद्धार के संकेतों के अनुपस्थित रहने या अनुपयुक्त होने के कारण होता है।
(ख) अवरोध के कारण विस्मरण में दो प्रकार के अवरोध उत्पन्न होते हैं. -
1. अग्रलक्षीः पहले सीखी गई क्रिया बाद में सीखी जाने वाली क्रिया को याद करने में अवरोध उत्पन्न करती है ।
2. पूर्वलक्षी: पश्चात् अधिगम, पूर्व अधिगम सामग्री के प्रत्याहान में अवरोध पहुँचाता है। पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण को वर्गीकृत नहीं किया जाता है।
(ग)
• अंग्रेजी सीखने के क्रम में पूर्व में सीखी गई भाषा का ज्ञान अवरोध का काम करता है।
• इसके साथ यह भी ज्ञात है कि कई लक्षणों वाले शब्दों को निश्चित क्रम में प्रस्तुत करने पर उसे कुछ समय बाद यथावत बतलाना संभव नहीं होता है क्योंकि के संकेत समय बीतने पर लुप्त हो चुके थे। 
प्रश्न 8. 'स्मृति एक रचनात्मक प्रक्रिया है' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: स्मृति एक रचनात्मक प्रक्रिया है जहाँ सूचनाएँ व्यक्ति के पूर्व ज्ञान, समझ एवं प्रत्याशों के अनुसार संकेतित एवं संचित की जाती है। मनोवैज्ञानिक बार्टलेट ने क्रमिक पुनरुत्पादन विधि पर आधारित प्रयोग किया जिसमें प्रतिभागी याद की हुई सामग्री को भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर प्रत्याहान करते थे। प्रयोग में पाई जाने वाली को बार्टलेट ने स्मृति की रचनात्मक प्रक्रिया को समझने के लिए उपयोगी माना। उन्होंने गलतियों को वांछनीय संशोधनों तथा समयानुकूल अर्थ प्रकट करने का प्रयास मानकर खुशी व्यक्त की।
बार्टलेट ने बताया कि कोई विशिष्ट स्मृति व्यक्ति के ज्ञान, लक्ष्यों, अभिप्रेरणा; वरीयता तथा अन्य कई मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से प्रभावित होते हैं। स्मृति के कारण ही हम भूतपूर्व अनुभवों और ज्ञान के आधार पर नयी सूचना के विश्लेषण, भंडारण तथा पुनरुद्धार में सहयोग करने की क्षमता प्राप्त करते हैं। इस आधार पर स्पष्ट हो जाता है कि स्मृति के कारण विकास के लिए कई उपयोगी प्रक्रियाओं को सफलतापूर्ण पूरा करने में सहयोग मिलता है अर्थात् स्मृति एक रचनात्मक प्रक्रिया है।
प्रश्न 9. स्मृति-सहायक संकेत क्या है? अपनी स्मृति सुधार के लिए एक योजना के बारे में सुझाव दीजिए।
उत्तर: स्मृति-सहायक संकेत स्मृति में सुधार लाने के लिए होते हैं। स्मृति सुधार के अनेक योजनाएँ हैं। इनमें से एक सुझाव निम्नलिखित है :
गहन स्तर का प्रक्रमण कीजिए: यदि आप किसी सुचना को अच्छी तरह से याद करना चाहते है तो गहन स्तर का प्रक्रमण कीजिए क्रैक एवं लॉकहार्ट ने यह प्रदर्शित किया है कि सूचना के सतही गुणों पर ध्यान देने के बजाय उसके अर्थ के रूप में प्रक्रमण किया जाए तो अच्छी स्मृति होती है। गहन स्तर के प्रक्रमण में सूचना से संबंधित जितना संभव हो ऐसे प्रश्न पूछे जाएँ जो उसके अर्थ तथा संबंधो से जुड़े हों। इस प्रकार नयी सूचना आपके पूर्वस्थापित ज्ञान तथा दृष्टिकोण का एक हिस्सा बन जाएगी, और इसके याद रहने की संभाव्यता बढ़ जाएगी।

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