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Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 5 | Work Energy and Power Short Questions Answer | भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 5 | कार्य ऊर्जा और शक्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 5  Work Energy and Power Short Questions Answer  भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 5  कार्य ऊर्जा और शक्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

  कुछ अन्य प्रश्न और उनके उत्तर  

लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सदिश राशियाँ क्या हैं ? क्या बल तथा विस्थापन सदिश राशियाँ हैं ? 
उत्तर - ऐसी भौतिक राशियाँ सदिश राशियाँ कहलाती हैं जिनके मान में परिमाण के साथ-साथ - दिशा भी हो । बल तथा विस्थापन दोनों के मान में परिमाण के साथ-साथ दिशा का भी ज्ञान होता है अतः ये सदिश राशियाँ हैं।
2. जब हम किसी दीवार या भारी संदूक या किसी भारी चट्टान को धक्का देते हैं तो उसमें कोई विस्थापन नहीं होता, परन्तु हमारे शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है। हम थक जाते हैं, क्यों ?
उत्तर- जब हम किसी दीवार या भारी संदूक या चट्टान को धक्का देते हैं तो इनमें कोई विस्थापन नहीं होता, अतः वस्तु पर किया गया कार्य शून्य है। अर्थात्, वस्तु पर कोई कार्य नहीं होता। परन्तु, हमारे शरीर द्वारा किया गया कार्य शून्य नहीं होता। दीवार को धक्का देने से हमारी मांसपेशियाँ खिंच जाती हैं तथा खिंची हुई मांसपेशियों में रक्त विस्थापित होती है। इन विस्थापनों को प्राप्त करने में ऊर्जा व्यय होती है और हम थक जाते हैं। 
3. एक लैम्प 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 सेकेंड में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है?
उत्तर- समय, t = 10s, ऊर्जा = कार्य = 1000J 
शक्ति = कार्य/समय
 = 100J/10s
= 100 वाट
4. कार्य क्या है ? यदि एक व्यक्ति किसी क्षैतिज सड़क पर किसी सन्दूक को हाथ है तो क्या वह कार्य करता है ?
उत्तर- जब कोई वस्तु किसी बल के प्रभाव के अन्तर्गत विस्थापित होती है, तब यान्त्रिक कार्य होता है। किसी बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
अत: कार्य = बल x विस्थापन
जब कोई व्यक्ति किसी क्षैतिज सड़क पर किसी सन्दूक को उठाये जाता है तो गुरुत्व बल नीचे की ओर लगता है, परन्तु विस्थापन बल की दिशा के लम्बवत् होता है। अतः किया गया कार्य शून्य होगा।
5. ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ? इसका मात्रक क्या है ?
उत्तर- किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता, अर्थात परिवर्त्तन करने की क्षमता को ऊर्जा क हैं। यदि किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता रहती है तो हम कहते हैं कि वस्तु में ऊर्जा है। किसी वस्तु की गति, उसकी स्थिति तथा आकृति - परिवर्तन के कारण हो सकती है। 
6. कार्य और ऊर्जा में संबंध बताएँ।
उत्तर- जब कोई वस्तु कार्य करती है तो उसकी ऊर्जा में कुछ कमी हो जाती है। जिस वस्तु किया जाता है उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है।
जैसे— जब हम किसी गेंद को ठोकर मारते हैं तो हम कार्य करते हैं। ऐसा करने में हमारे शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है तथा गेंद की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जब हम कार्य करते हैं तो सदैव ऐसा ही होता है। जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है, परन्तु जो वस्तु कार्य करता है उसकी ऊर्जा कम हो जाती है।
7. सरल दोलक से क्या समझते हैं ?
उत्तर - एक भारी बिन्दुमात्रा (पिण्ड) को किसी भारहीन अवर्द्धनीय धागे से दृढ़ आधार से लटकाया जाए और वह घर्षणहीन दोलन करे तो इस प्रयासी (system) को सरल दोलक कहा जाता है।
कथन को आदर्श स्थिति में होना असंभव है, क्योंकि बिन्दुमात्रा का भारी होना, धागा का भारहीन होना और अवर्द्धनीय होना संभव नहीं है। इसलिए रेशम के एक हल्के तथा मजबूत धागे से धातु की एक छोटी गोली बाँधकर लटका दी जाती है, और यही व्यावहारिक रूप से सरल दोलन का काम करता है।
8. हथेली पर पिण्ड को स्थिर रखने पर भी व्यक्ति कार्य करता हुआ क्यों माना जाता है? 
उत्तर- हथेली पर भार रखने से मांसपेशियाँ खिंच जाती हैं, अर्थात् उनकी आकृति बदल जाती है। इसके अतिरिक्त हृदय को मांसपेशियों में अधिक रक्त भेजना पड़ता है। जटिल रासायनिक क्रिया होती है, जिसमें ऊर्जा खर्च होती है और हम थकान महसूस करते हैं। इस तरह व्यक्ति कार्य करता है।
9. जब आप सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, तब क्या कुछ कार्य करते हैं ? 
उत्तर-हाँ। जब हम सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, तब गुरुत्व बल के विरुद्ध हमारा विस्थापन होता है। अतः, हम गुरुत्व बल के विरुद्ध कार्य करते हैं। यदि हमारा द्रव्यमान m एवं चढ़ी गई ऊँचाई h हो, तो किया गया कार्य W = mg x h = mgh जहाँ 8 गुरुत्वीय त्वरण है।  
10. कार्य से आप क्या समझते हैं ? इसका Si मात्रक क्या है ? कार्य के SI मात्रक की परिभाषा भी दीजिए।
उत्तर- कार्य जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाए और वस्तु बल की दिशा में गति करे तो हम कहते हैं कि कार्य हुआ है। वस्तु द्वारा किए गए कार्य की गणना बल तथा वस्तु द्वारा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल द्वारा की जाती है।
किया गया कार्य = बल x बल की दिशा में चली गई दूरी 
W = F × s
कार्य के मात्रक- जब बल को न्यूटन तथा दूरी को मीटर में मापा जाए तो कार्य का मात्रक 'न्यूटन मीटर' होगा। न्यूटन मीटर को ब्रिटेन के वैज्ञानिक जैम्स जूल के सम्मान में 'जूल' भी लिखते हैं। जूल या न्यूटन मीटर की परिभाषा-जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन बल लगाने से वस्तु बल की दिशा में एक मीटर चले तो किया गया कार्य एक जूल कहलाता है।
1J = 1Nx1m=1Nm.
11. किसी 'm' द्रव्यमान की वस्तु को ‘h' ऊँचाई तक उठाने में किए गए कार्य की गणना कीजिए।
अथवा, किसी ‘m’ द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी तल से ‘h' ऊँचाई तक उठाने में संचित ऊर्जा के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर- मान लो कि कोई वस्तु जिसका द्रव्यमान 'm' है पृथ्वी तल पर 'A' बिंदु पर रखी है जहाँ पर उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य है।
पृथ्वी पत्थर को एक बल F ( गुरुत्वाकर्षण बल) से अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है तो,
F= GM₂m/R²
परंतु गुरुत्वीय त्वरण (g) = GM/R²
अतः F = mg
हमें वस्तु को पृथ्वी तल से 'h ' ऊँचाई तक उठाने में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर परंतु विपरीत दिशा में एक बल 'mg' लगाना पड़ता है। वस्तु को ‘h' ऊँचाई तक उठाने में किया गया कार्य में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। वस्तु
अतः वस्तु में संचित स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को h ऊँचाई तक उठाने में किया गया कार्य अतः वस्तु में संचित स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को h ऊँचाई तक उठाने में किया गया कार्य या, अतः h ऊँचाई तक उठाने में वस्तु में संचित ऊर्जा = mgh. में = बल x दूरी = Fx h = mgh
12. बल की दिशा तथा विस्थापन की दिशा के मध्य कोण के मान में वृद्धि करने पर वस्तु द्वारा किए गए कार्य में क्या परिवर्तन होता है ? 
उत्तर- यदि बल की दिशा तथा विस्थापन की दिशा के मध्य कोण हो तो के मान में वृद्धि के साथ-साथ कार्य के मान में कमी हो जाती है। जब 0 का मान शून्य (0° ) होता है तो कार्य अधिकतम होता है तथा जब 0 का मान (90°) होता है तो कार्य का मान शून्य हो जाता है। । इस तथ्य को हम भली प्रकार समझ सकते हैं क्योंकि इस दशा में वस्तु द्वारा किया गया कार्य W = F.s cosé होता है।
13. एक ऐसा उदाहरण दीजिए जहाँ बल, वस्तु की गति की दिशा के लंबवत् कार्य कर रहा हो। इस स्थिति में बल द्वारा वस्तु पर कितना कार्य किया जाता है ? 
उत्तर- जब हम किसी डोरी के एक सिरे पर पत्थर बाँधकर उसे सिर के ऊपर क्षैतिज तल में वृत्ताकार मार्ग पर घुमाते हैं तो इस स्थिति में पत्थर पर बल, डोरी की दिशा में लग रहा है । क्योंकि पत्थर वृत्ताकार पथ पर गति करता है इसलिए हर क्षण पत्थर की गति की दिशा वृत्त की स्पर्श रेखा के अनुदिश होगी जो कि बल की दिशा के लंबवत् है।
यहाँ बल की दिशा में पत्थर के विस्थापन का प्रक्षेप शून्य होगा।
अतः बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य भी शून्य होगा।
14. यांत्रिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- किसी वस्तु की स्थितिज तथा गतिज ऊर्जा का योग, उसकी यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है। किसी वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा पूर्ण रूप से गतिज भी हो सकती है जैसे किसी सड़क पर चल रही मोटर कार या साइकिल में केवल गतिज ऊर्जा होती है। किसी वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा पूर्णतः स्थितिज भी हो सकती है जैसे किसी ऊँचाई तक उठाया गया पत्थर यदि विराम अवस्था में हो तो उसमें केवल स्थितिज ऊर्जा होती है।
ऊर्जा उड़ते हुए वायुयान में दोनों प्रकार की ऊर्जा होती है। यात्रिक अंशतः गतिज तथा अंशतः स्थितिज भी हो सकती है जैसे उड़ते हुए पक्षी,
15. ऊर्जा का रूपांतरण किस प्रकार होता है ? 
उत्तर- झरने में पानी ऊँचाई पर होता है जिसके कारण उसमें स्थितिज ऊर्जा होती है। झरने से पानी नीचे गिरते समय पानी की स्थितिज ऊर्जा का रूपांतरण गतिज ऊर्जा में हो जाता है। हो रहा हो ।
16. दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें जिनमें कार्य ऋणात्मक
उत्तर- (i) यदि एक आदमी द्वारा पत्थर के टुकड़े को पृथ्वी की सतह से कुछ ऊँचाई तक ले जाएँ तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध सम्पन्न कार्य ऋणात्मक होता है। इसका मान mgh, जहाँ mg पत्थर का भार और h उदग्र ऊँचाई है ।
(ii) जब किसी गतिमान पिण्ड को प्रतिरोध बल लगाकर रोका जाता है तो प्रतिरोध बल के विरुद्ध किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। यदि प्रतिरोध बल F तथा विस्थापन s हो, तो कार्य W = Fs
17. स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिए तथा उदाहरण दीजिए । 
उत्तर- किसी वस्तु में उसकी स्थिति अथवा आकार के कारण जो ऊर्जा निहित होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं ।
उदाहरण- (i) छत के ऊपर स्थित पानी की टंकी में भरे पानी में अपनी दशा (ऊँचाई) के कारण स्थितिज ऊर्जा निहित है।
(ii) घड़ी के स्प्रिंग में विन्यास (configuration) के कारण स्थितिज ऊर्जा है।
(iii) अपनी सामान्य आकृति से अधिक खींची गई कमानी में स्थितिज ऊर्जा है। 
18. जलशक्ति को सौर ऊर्जा का अप्रत्यक्ष स्रोत क्यों कहा जाता है ? जलशक्ति को विद्युत ऊर्जा में बदलने हेतु अपेक्षित चरणों की व्याख्या करें। हमारी देश की ऊर्जा आवश्यकता का कितना हिस्सा, जलशक्ति के द्वारा पूरा किया जाता है ? 
उत्तर- सौर विकिरण से प्राप्त ताप ऊर्जा द्वारा स्थलीय पानी का वाष्पीकरण होता है। ये जलवाष्प संघनित होने के बाद पुन: वर्षा जल या बर्फ के रूप में धरती पर वापस लौट आते हैं। बहते हुए पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जल से प्राप्त ऊर्जा एक तरह से सौर ऊर्जा का अप्रत्यक्ष स्रोत है।
बाँधों में जमा किए गए पानी या बहते हुए पानी को एक विशेष ऊँचाई से जलचक्री या टरबाइन के पंखों पर गिराया जाता है। टरबाइन के घूमने से डायनेमो भी घूमता है, फलतः विद्युत का उत्पादन होता है। इस तरह उत्पादित विद्युत को जलविद्युत कहते हैं। हमारे देश की कुल ऊर्जा आवश्यकता के लगभग 25% हिस्से की पूर्ति जलविद्युत द्वारा होती है।

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