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Bihar Board Class 10th Examination 2023 | Most VVI Question in Non-Hindi Book | बालगोबिन भगत, हुंडरू का जलप्रपात, बिहारी के दोहे, ठेस

Bihar Board Class 10th Examination 2023  Most VVI Question in Non-Hindi Book  बालगोबिन भगत, हुंडरू का जलप्रपात, बिहारी के दोहे, ठेस

  बालगोबिन भगत  

रेखाचित्र - रामवृक्ष बेनीपुरी
1. बालगोबिन भगत कौन हैं? 
उत्तर - बालगोबिन भगत मंझौले कद के गोरे चिट्ठे आदमी थे। वे गृहस्थ होते हुए भी सच्चा साधु थे। बालगोबिन भगत कबीर को 'साहब' मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदर्शों पर चलते थे । कभी झूठ नहीं बोलते खरा व्यवहार रखते थे। वे हर वर्ष तीस कोस पैदल यात्रा कर गंगा स्नान करने जाते थे। संत समाज में उनकी गहरी आस्था थी।
2. बालगोबिन कबीरदास को मानते थे, इसके क्या-क्या कारण हैं ? 
उत्तर – बालगोबिन भगत साधु थे। कमर में एक लँगोटी मात्र पहनते और सिर में कबीरपंथियों की-सी कनपटी टोपी पहनते थे । बालगोबिन भगत कबीर की तरह और सामाजिक आडम्बर को नहीं मानते गृहस्थ वैरागी थे। वे बाहरी क्रियाकलाप थे। वे बाहर से गृहस्थ और मन से संन्यासी थे।
3. बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की?  
उत्तर- बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर कहा कि यह रोने का नहीं उत्सव का समय है। आत्मा-परमात्मा के पास चली गयी है। विरहिणी अपने प्रेमी से जा मिली है। भगत का विश्वास मृत्यु पर विजय प्राप्त कर चुका था। 
4. पुत्रवधू द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाना बालगोविन भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है?  
उत्तर – पुत्र वधू द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाना– भगत के व्यक्तित्व की निर्लिप्तता का परिचायक है। उनका व्यक्तित्व राग-मोह से ऊपर था। वे आसक्तिरहित गृहस्थ संन्यासी थे।
5. पतोहू बालगोबिन भगत को छोड़कर जाना क्यों नहीं चाहती है? ! 
उत्तर बेटे के मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत को पतोहू के सिवा देखभाल करने वाला कोई नहीं था । वह जानती थी कि मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में उनके लिए भोजन कौन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लु पानी देगा? इसलिए पतोहू बालगोबिन भगत को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी । 
6. इस पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुए भी सच्चा साधु थे। उनके कंठ में मधुर स्वर था। उनका व्यवहार सबके प्रति सुखद था। उन्हें ईश्वर में गहरा विश्वास था। वे रोग-शोक, माया - मोह से ऊपर थे।

  हुंडरू का जलप्रपात  

यात्रा वृतांत - कामता सिंह 'काम'
1. 'हुंडरू का जलप्रपात' के सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। 
उत्तर- फुट का यह जलप्रपात निराला है। सुंदरता यहाँ साकार हो गयी और वर्णन - शक्ति को यहाँ और भावों की कमी हो गयी है। विचित्र शोभा है, जो कभी पुरानी नहीं पड़ती और धन्य प्रपात है, जो सदा एक-सा बह रहा है। अविरल और अविचल । जलप्रपात का दिव्य प्राकृतिक सौंदर्य अविस्मरणीय है। 
2. हुंडरू का झरना कहाँ है तथा इसकी क्या विशेषता है? 
उत्तर- हुडरू का झरना छोटानागपुर में है जो राँची से 27 मील दूर है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है इसकी सुन्दरता और इसके चारों तरफ का वातावरण। मानो हम देव लोक के समीप पहँच गए। #
3. हुंडरू के संबंध में कौन-सी किम्बदंती प्रचलित है ? 
उत्तर- किम्बदंती यह है कि इस हुंडरू से 7 मील पर कुछ लोगों ने एक प्रपात देखा है जो इससे कई गुना बड़ा है। परंतु वहाँ जाने का रास्ता इतना बीहड़, घनघोर और भयंकर है कि जंगल के उस भाग में पहुँच सकना दुशवार है। 
4. “जैसे हुंडरू का झरना वैसे उसका मार्ग " इस कथन की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर – हुंडरू का झरना जितना मनोरम है, उसका मार्ग भी उतना ही दर्शनीय है। कहीं सुंदर मैदान दीखते हैं, कहीं भीषण जंगल दीखते हैं और कहीं पहाड़ और झाड़ियाँ | जैसा मनोरम झरना वैसा उसका मनोरम मार्ग। 
5. लेखक ने झरने से कहीं ज्यादा खूबसूरत झरने से आगे का दृश्य को क्यों बताया है
उत्तर – झरने से ज्यादा पहाड़ों के बीच एक पतली दीखता है। उसके आगे पहाड़ अवर्णनीय है। खूबसूरत होता है झरने के आगे की घाटी का दृश्य । सी नदी बहती है। वह थर्मामीटर में पतला पारा-सा - मानो नदी को ललकार रहा हो ।

  बिहारी के दोहे  

कविता - बिहारीलाल
1. सुख-दुख को समान रूप से क्यों स्वीकारना चाहिए? 
उत्तर- कवि बिहारी लोगों को सुख-दुख दोनों स्थिति में एक समान रहने की सलाह दी है। कवि का कहना है कि विपत्ति या दुख की घड़ी में व्यक्ति को हताश या निराश नहीं होना चाहिए न ही सुख में ईश्वर / पैगम्बर / अल्लाह को भूलना चाहिए।
मनुष्य को सुख-दुख को समान रूप से स्वीकारना चाहिए क्योंकि सुख और दुख रूपी पहिए के सहारे ही जीवन की गाड़ी कर्मपथ पर बढ़ती है।
2. बिहारी के दोहे के अनुसार गुण नाम से बड़ा होता है? 
उत्तर – गुण नाम से ज्यादा बड़ा होता है, क्योंकि गुण व्यक्ति का आभूषण होता है। गुणवान व्यक्ति को हर जगह, हर परिस्थिति में सम्मान मिलता है। जिस व्यक्ति में जितना भी अधिक गुण होता है, वह उतना ही आदर का पात्र होता है। व्यक्ति का नाम महत्वपूर्ण नहीं होता है, जैसे धतूरा को कनक कहा जाता है, लेकिन इससे आभूषण नहीं बन सकता है।
3. गोपियाँ कृष्ण की मुरली क्यों चुरा लेती हैं ? 
उत्तर – बातचीत के लोभ से गोपियाँ कृष्ण की मुरली चुरा लेती हैं।
4. दुर्जन का साथ किस प्रकार हानिकारक है? 
उत्तर–दुर्जन के साथ यदि अच्छे लोग सम्पर्क में आते भी हैं तो उनके स्वभाव में परिवर्तन नहीं होता और अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती क्योंकि वह अपनी आदत और स्वभाव नहीं बदल पाते। जिस प्रकार हींग कपूर के साथ रहने पर भी अपना दुर्गन्ध नहीं छोड़ता बल्कि उसी रूप में रहता है।
5. कवि ने नर की तुलना नल के जल से क्यों की है? 
उत्तर- नर का मन और नल का जल नीचे की ओर ज़्यादा तीव्रता से बहते हैं। दोनों निम्न मार्ग में ज्यादा गतिशील होते हैं।
6. बिहारी ने बाहरी आडम्बर को क्यों बेकार कहा है ? भगवान कैसे मिलते हैं, ?
उत्तर- बिहारी लाल के अनुसार माला जपना, रामनामा ओढ़ना, तिलक बाहरी आडम्बर है। इससे कोई काम पूरा नहीं होता। ईश्वर तो सच्चे हृदय में निवास करते हैं। अतः ईश्वर को पाने के लिए बाहर नहीं भीतर ठीक करने की ज़रूरत है।
7. राधा की सुंदरता का प्रभाव कृष्ण पर कैसे पड़ता है? 
उत्तर- राधा की सुंदरता को देखकर कृष्ण का मन हरा हो उठता है। जैसे पीले रंग जब काले रंग के ऊपर पड़ता है तो वह हरा हो जाता है। राधा गोरी है और कृष्ण काले हैं । राधा के लावण्य को देखकर कृष्ण आनंदित हो उठते हैं। 
8. निम्नांकित दोहे का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें। 
नर की अरु, नल-नीर की गति एकै करि जोइ ।
जेतौ नीचौ हवै चलै, तेतौ ऊँचो होइ ।
उत्तर – प्रस्तुत दोहा 'बिहारी के दोहे पाठ से उद्धृत है। इस दोहे के रचनाकार 'कवि बिहारी ' हैं। प्रस्तुत दोहा के माध्यम से कवि बिहारी विनम्र व्यक्ति की श्रेष्ठता के संबंध में बतलाते हैं। आदमी जितना नम्र होता है वह उतना ही सम्मान पाता है, उसी प्रकार नदी जितनी गहरी होती है उसमें उतना ही अधिक पानी रहता है। कवि मनुष्य की तुलना नदी से करते हैं। कवि का मानना है कि नम्रता एक अनुपम गुण है, उससे जीवन का मूल्य बढ़ जाता है और उसके व्यक्तित्व में निखार आता है।
9. 'केवल बड़ाई पाकर कोई आदमी बड़ा नहीं होता' इसके समर्थन में बिहारी ने क्या उदाहरण दिया है? 
उत्तर –'केवल बड़ाई पाकर कोई आदमी बड़ा नहीं होता, इसके समर्थन में बिहारी ने धतूरे के पत्ते का उदाहरण दिया है। कवियों ने तों धतूरे की तुलना सोना से कर दिया है। परंतु धतूरे के पत्ते से गहने नहीं गढ़े जा सकते हैं ।

  ठेस  

कहानी - फणीश्वर नाथ रेणु 
1. इस कहानी का नाम 'ठेस' क्यों पड़ा ? 
उत्तर—ठेस कहानी कारीगर सिरचन के चरित्र पर आधारित है। सिरचन एक ! प्रसिद्ध हस्त कारीगर है। उनकी बनायी गयी चीजों की बड़ी माँग होती है। सिरचन एक कारीगर के साथ स्वाभिमानी कलाकार भी है। इस कहानी में मँझली भाभी के व्यंग्यबाण और तिरस्कार से उसके स्वाभिमान में ठेस पहुँचती है। इसी कारण इसका नाम ठेस पड़ा है।
2. सिरचन का चरित्र चित्रणु करें। 
उत्तर- सिरचन स्वाभिमानी व्यक्ति है । वह भाव का भूखा है । वह जी का चटोर अवश्य है लेकिन किसी का अप्रिय व्यवहार बर्दाश्त नहीं करता। वह उच्च कोटि का कारीगर है। उसकी कारीगरी देख लोग दंग रह जाते हैं। उसे परिस्थितिवश मजदूरी. करनी पड़ती है किन्तु इस काम में उसका मन नहीं रमता है, जिस कारण लोग उसे कामचोर कहते हैं। अतः कारीगर का जीवन जहाँ सुखमय रहा, मजदूर का दुःखमय हो गया। है
3. सिरचन कैसा व्यक्ति था?  
उत्तर- सिरचन एक प्रसिद्ध हस्त कारीगर था। उसकी बनायी गयी चीजों की बड़ी माँग थी। सिरचन एक कुंशल कारीगर के साथ-साथ स्वाभिमानी कलाकार एवं संवेदनशील व्यक्ति था। काम करते समय उसकी तन्मयता में जरा भी बाधा पड़ी कि गेहुँअन साँप की तरह फुंफकार उठता। सिरचन मुँहजोर है कामचोर नहीं । वह स्वादिष्ट भोजन और चटपटे व्यंजन का प्रेमी है।
4. 'सिरचन कामचोर था, कलाचोर नहीं।' कैसे? 
उत्तर- सिरचन जाति का कारीगर था। कारीगरी उसकी स्वाभाविक पेशा थी, जिसमें उसकी काफी प्रसिद्धि थी। उसके द्वारा निर्मित शीतलपाटी, चिक, आसनी देख लोग दंग रह जाते थे। कलाप्रिय होने के कारण उसका भावुक हृदय किसी की खरी खोटी सुनना पसंद नहीं करता था। मजदूरी में उसका मन नहीं रमता, जिस कारण लोग उसे कामचोर समझते थे।
5. रेलगाड़ी पर बैठी मानू को सिरचन ने अपनी ओर से कौन-से सौगात दिये? 
उत्तर – रेलगाड़ी की खिड़की के पास खड़े होकर सिरचन ने एक बोझा उतारा। सिरचन ने कहा- मेरी ओर से है। सब चीज हैं दीदी– शीतलपाटी, चिक और एक जोड़ी आसनी कुश की।
6. सिरचन, चिक, शीतलपाटी आदि लेकर स्टेशन पर मानू को देने क्यों जाता है ?
उत्तर – मानू दीदी के ससुराल वालों ने विदाई में तीन जोड़ी फैशनेबल चिक, शीतलपाटी आदि लेकर आने को कहा था। लेखक की माँ ने सिरचन को बुलाकर इसे बनाने के लिए कहती है। काम करते समय मँझली भाभी की बात सिरंचन को बुरा लग जाता है और वह काम छोड़ देता है। सिरचन एक सामाजिक और संवेदनशील कारीगर था । इसलिए वह मानू दीदी के विदाई के समय सारे सामानों को स्टेशन पर पहुँचा देता है।
7. 'ठेस' कहानी में आये हुए विभिन्न पात्रों के नाम लिखिए।
उत्तर – 'ठेस' कहानी में आये हुए विभिन्न पात्रों के नाम है- सिरचन, मानू दीदी, मँझली भाभी, बड़ी भाभी, लेखक की माँ आदि । 
8. सिरचन के सौगात को किसने खोला, वह कैसा था? 
उत्तर – सिरचन के सौगात को लेखक ने खोला । सिरचन का सौगात अद्भुत था। ऐसी कारीगरी ऐसी बारीकी रंगीन सुतलियों के फँदों का ऐसा काम जिसे लेखक ने पहली बार देखा था।
9. छोटी चाची सिरचन पर क्यों बिगड गई?
उत्तर- सिरचन जी का चटोर था। इसी चटोरता के कारण उसे लेखक की छोटी चाची के व्यंग्य - बाण का शिकार बनना पड़ा। वह लेखक के यहाँ चिक, शीतलपाटी आदि बना रहा था। मानू, जो लेखक की छोटी बहन थी, ने उसे पान का बीड़ा दे दिया। उसने पान का बीड़ा मुँह में डाला और चाची से सुगंधित जर्दे की मांग कर दी। यह सुनते ही चाची की त्योरियाँ चढ़ गई। उसने सिरचन को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया।
10. सिरचन को लोग चटोर क्यों समझते हैं?
उत्तर- सिरचन स्वादिष्ट भोजन और चटपटे व्यंजन का प्रेमी है। उसे काम के बदले बढ़िया भोजन चाहिए | तली बघारी हुई सब्जी, दही की कढ़ी, मलाईदार दूध, घी की डाढ़ी उसे बहुत प्रिय है। स्वादिष्ट भोजन देखते ही वह काम के लिए दौड़ पड़ता है। इसीलिए लोग सिरचन को चटोर कहते हैं।

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