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Bihar Board Class 10th Examination 2023 | Most VVI Question in Maithili | बिहार बोर्ड क्लास 10वीं परीक्षा 2023 में पूछे जाने वाले मत्वपूर्ण निबंध | निबंध लेखन 10 अंक का प्रश्न

Bihar Board Class 10th Examination 2023  Most VVI Question in Maithili  बिहार बोर्ड क्लास 10वीं परीक्षा 2023 में पूछे जाने वाले मत्वपूर्ण निबंध  निबंध लेखन 10 अंक का प्रश्न

  अनुशासन  

अनुशासनक अर्थ थिक समाजिक ओ प्रकाशकीय नियमक पालन करब । नियम एवं शृंखजा प्रकृतिक शाश्वत नियम थिक। सूर्य एवं चन्द्रमा ओहि नियम में बान्हल विराटक नित्य दिन आरती उतारैत रहैत छथि । समस्त प्रकृति अपन गतिचक्र पर घुमैत एक अनुशासन में आबद्ध अविराम ओ अबाध रीतिएँ नचैत रहैत छथि । समाजक लेल सफलताक खेल आओर समृद्धिक लेल जँ सर्वोत्तम गुण अपेक्षित अछि से अनुशासन अछि।
जाहि समाज में आचार-विचार आं रहन-सहन जतेक सुन्छर ढंग सँ पालन हेतैक ओ समाज ओतेक शिष्ट आ सभ्य होयत । तै अनुशासन के सभ्यताक पहिल सोपान कहल गेल अछि। अनुशासित समाज सदा विकासोन्मुख रहैत अछि । इएहु कारण छैक व्यक्ति अपना सँ श्रेष्ठक आदर करैत अछि आ श्रेष्ठ व्यक्ति अपना सँ छोट के स्नेह दैत छथि । अनुशासित व्यक्ति सदा नम्र होइत छथि । नम्रताकें लोक सफलताक सबसँ पैघ सोपान मानैत अछि। अनुशासन सँ समाज मे भ्रातृत्व भावनाक आ लोक मे आपसी एकताक भावना के संचार होयत छैक । अनुशासनक महत्त्व जीवनक प्रत्येक क्षेत्र में रहैछ । जीवन नियमहीनता आ उच्छ- श्रृंखलताक नहि, संतुलन नियमबद्धता आ अनुशासन नाम थिक । जखन कोनहुँ स्तर सँ अनुशासन भंग होएत, उच्छ- शृंखलताक आ विरुपता पसरि जायत ।
जन-जीवन अस्त-व्यस्त भए जायत । परिवार, समाज एवं राष्ट्रक सुन्दर आ सुव्यवस्थित रहबा हेतु माता-पिता संतान पर, शिक्षक छात्र पर अफसर सैनिक पर आ सरकार अपन कर्मचारी पर अनुशासन द्वारा नियंत्रण राखि सकैत अछि। अनुशासन समाजक धुरी थिक । अनुशासन महान बनबैत अछि । आ तें वृद्ध-पिताक ! वक्र भौंह देखते युवा आ शक्तिशाली पुत्र सहमि जाइत छैक । माइ- सासुक कड़गर । रुखि बेटी - पुतोहुँ के घर मे नुकाकें बैसबाक हेतु बाध्य कऽ दैत छैक । कमाणोडरक एक स्वर पर सैनिक प्राणत्सर्ग करबाक हेतु उद्यत भऽ जाइत छैक । ई सब मात्र, अनुशासनक भावना सँ होइत छैक।

  विज्ञानक चमत्कार  

आधुनिक युग तँ अछि कलयुग परंच विज्ञान एकरा स्वर्णयुग बना देलक अछि। नव आविष्कार आओर नव अनुसंधान हमर संभक जीवनक प्रत्येक क्षेत्र मे नवीन क्रांति आनि रहल अछि। आजुक प्रत्येक वस्तु नव रूप आ नव परिधान मे आवेष्ठित अछि। असंभव बात सभ संभव भऽ रहल अछि । विज्ञान आधुनिक मानव कें प्राकृतिक रहस्य बुझौलक, अज्ञान कें दूर कएलक, प्रकाशक किरण देलक, रूढ़िवादिता के हटेबाक लेल दिव्य आलोक देलक, एकरा द्वारा लोक समय आ दूरी पर विजय प्राप्त केलक। कहबाक तात्पर्य ई जे विज्ञान मानव जीवनक सभ क्षेत्र मे ततेक अभ्यस्त भए गेल अछि जे विज्ञानक विहीन जीवनक कल्पना पर्यन्त आब नहि कए सकैत अछि। विज्ञानक शक्ति अनन्त अछि। पृथ्वी, आकाश, क्षितिज आ अंतरिक्ष सभपर विज्ञान अधिकार कऽ लेने अछि। ओ मृत्यु सँ सेहो मुकाबला कएलक अछि, रेल, मोटर, जहाज, वायुयान, तार, टेलीविजन, बिजली, कम्प्यूटर आदि वैज्ञानिक आविष्कार भेल अछि। एहि संभक एकहिटा लक्ष्य अछि ओ मानव विकास कल्याणक भावना। विज्ञानक बल पर आई पृथ्वीक मनुष्य चन्द्रमा, अंतरिक्ष आ कतेको ग्रह पर भ्रमण कऽ अएलाह अछि । 
प्राचीन काल मे लोक एक स्थान सँ दोसर स्थान धरि जयबा मे पैदल यात्रा करैत कठिनाई अनुभव करैत छलाह। किन्तु यातायातक साधन ई कठिनाई के अति सुलभ कऽ देलक अछि । आई घर बैसले, देश - विदेशक समाचार टेलीविजन स सचित्र लोक बुझि जाइत अछि । घर बैसले मिनट भरि मे दूरभाष (टेलीफोन) स देश-विदेश सँ लोकक समाचार प्राप्त कऽ लैत अछि। आई लोकक बनाओल कम्प्यूटर मशीन एक क्षण मे लाख-लाख मनुष्यक कार्य सम्पादित कऽ दैत अछि।
चिकित्सा विज्ञान मे सेहो पर्याप्त उन्नति भेल अछि। कृषि क्षेत्र मे कतेको क्रान्तिकारी आविष्कार भेल अछि। इंजीनियरिंग, उद्योग आ युद्धक क्षेत्र मे सेहो विज्ञानक अपूर्व चमत्कार भेल अछि। मशीनगन स ल कय हाइड्रोजन बम तक के आविष्कार विज्ञान कऽ चुकल अछि जे पल मे प्रलय कऽ सकैत अछि । विज्ञानक चमत्कार हमरा सभकें सुख-सुविधा आ ऐश्वर्य देलक। हम विज्ञानक ओहि गुणकें कार्य मे लावी जाहि सँ मानव मात्र के लाभ हो । परंच एकर दुरुपयोग कयल गेल तऽ समस्त विश्व के भयंकर परिणाम भोगय पड़तैक ।

  सह-शिक्षा एक वरदान  

मानव-जीवन रूपी गाड़ीक दू गोट पहिया होइछ । एक पहिया पुरुष थीक तँ दोसर पहिया स्त्री। एहि दुनूक संयोग सँ जीवन यात्रा सुफल होइत अछि। सृष्टि आ जीवन स्त्री-पुरुषक सहयोग सँ चलैत अछि।
पहिने स्त्री कें असूर्यमपश्या कहल जाइत छल। स्त्रीक परिधि आंगन धरि सीमित रहैत छल। पुरुष कमाइत छल आ स्त्री खाइत छलि । लोक स्त्री शिक्षाक कोनो महत्व नहि दैत छल । तै स्त्रीगणक मानसिक धरातल उपर नहि उठि सकल । लोक ओकर कोनो आवश्यकता सेहो ने बुझैत छल । समाज में पहिने लड़काक हेतु स्कूल, कॉलेज आदि खुलल । मुदा किछु दिनक बाद लोक महसूस कएलक जे स्त्रीशिक्षा बिना समाजक उत्थान नहि होएत तखन गर्लस स्कूल खोलल गेल। लड़काक स्कूल में मात्र लड़का पढ़त छल आ लड़कीक स्कूल में लड़की । व्यक्ति विशेष आ सरकार सेहो दुनूक लेल अलग-अलग पढ़ाइक व्यवस्था कएलक । मुदा बाद मे आबि कए ई अनुभव भेल जे जाबत धरि स्त्री-पुरुषक शिक्षा एक ही संगे समान रुप सँ नहि होयत ताबत धरि लड़का-लड़की मे मैत्री वा अपनापन नहि आओत ।
पहिने पुरुषे टा पढ़त छल तैं वैह टा शिक्षक बनैत छलथि । बाद में स्त्रीगण सेहो पढ़य लगलीह तँ ओहो सभ शिक्षिका होमय लगलीह। पुरुष-स्त्रीक सहयोग सँ शिक्षण संस्था चलय लागल । एहि हेतु बहुत लड़काक शिक्षण संस्थान मे लड़की के सेहो पढ़बाक अधिकार सरकार द्वारा देल गेल । अतः लड़का-लड़की संगहि एक ही शिक्षण संस्थान में पढ़य लागल | .
सहशिक्षा सँ लड़का-लड़कीक बीचक दूरी समाप्त भए गेल । ओ एक- दोसर कँ मदति कए रहल अछि।
एतावत ज्ञात होइत अछि जे सह - शिक्षा सँ भौतिक युग मे पति-पत्नीक कमएला सँ परिवार सुचारु ढंग सँ चलत । नेना-भुटका के मायक शिक्षाक लाभ भेटतैक । राष्ट्रक निर्माण मे स्त्रीगणक भागीदारी होएतैक । एतवय नहि सह - शिक्षाक कारण सेना में पर्यन्त स्त्रीगण जाय रहल छथि ।

  इंटरनेटक महत्त्व  

वर्तमान युगके सेटलाइट युग कहल जाइत अछि । सेटलाइट अनेक रूपँ आइ मानव जीवनके प्रभावित कए रहल अछि। एहि मे सबसँ प्रमुख अछि इन्टरनेट । इन्टरनेट सेटलाइट सँ संचालित होइत अछि। एहिसँ जीवन क्षीप्त आ तीव्र भए गेल अछि। आई संसारक ! प्रत्येक वस्तुक विस्तृत वर्णन इन्टरनेट पर उपलब्ध भए गेल अछि। 
भारत उपग्रहक क्षेत्रमे आत्मनिर्भर भए गेल अछि। एहिठाम अनेक उपग्रह अलग-अलग कार्यक लेल कक्षा में स्थापित कएल गेल अछि । इन्टरनेट वेब पर आधारित होइत छैक जकरा कम्प्यूटर वा मोवाइल सँ जोड़ि कए ओहि वेब पर स्थित सम्पूर्ण जानकारी सुगमता सँ क्षण मात्रमे उपलब्ध कएल जा सकैछ । एक बटन दबएला पर कम्प्यूटरक वा मोबाइलक स्क्रीन पर ओ वस्तु देखाय देबय लगैत अछि । कोनो वस्तुक चित्र, वर्णन, डाटा, आदि इन्टरनेट पर उपलब्ध अछि। आइ अनेक बहुमूल्य पुस्तक जे सामान्य लोकक लेल कीनब असम्भव होइछ ओ इन्टरनेट पर सरलता सँ उपलब्ध कए ओकरा पढ़ल जा सकैत अछि। एकरा वर्तमान युगक प्राण वायु कहल जाइत अछि। कोनो फैक्ट्री, हॉस्पीटल, शोध, तकनीक, धर्म, संस्कृति, समाज आदि सभवस्तुक जानकारी इन्टरनेट पर उपलब्ध अछि । एना कहल जा सकैत अछि जे संसारक कोनो एहन वस्तु नहि अछि जे इन्टरनेट पर नहि अछि । 
कृषिक क्षेत्र में सेहो इन्टरनेट क्रान्ति आनि देलक अछि। कखन कोन खादक प्रयोग करी, कखन सिंचाई करी, कखन कीटनाशक कें प्रयोग करी आदि सभ प्रकारक जानकारी सुगमता सँ इन्टरनेट पर उपलब्ध अछि । इएह कारण अछि जे आइ उत्पादन मे अतीव वृद्धि भेल अछि।
इन्टरनेट पर अनेक मनोरंजक एहन वस्तु अछि जकर आदी भेला सँ युवा सभ दिग्भ्रमित मार्ग पर जाय अपन जीवन सँ भटकि नरकीय भोग भोगय लेल विवश भए जाइत अछि।
निष्कर्ष रूपें ई कहल जाय सकैत अछि जे इन्टरनेट बहुत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण अछि, यदि एकर उपयोग सकारात्मक सोच एवं उच्चतम आदर्शक संग एकर प्रयोग कएल जाय । मुदा व यदि गलत विचार एवं नकारात्मक दृष्टिकोण सँ एकर प्रयोग कएल जाय तऽ व्यक्तिक सर्वनाश भए सकैत अछि।

  बाढ़ि  

दैहि, दैविक आओर गर्मीक बीच मानवक संघर्षपूर्ण जीवन जलैत रहैत अछि। जतय विरोध के बादल हो, ओतय साधना कें बरसात होएत आओर तहने सृष्टि में अंकुर उपजैत अछि। साधारणतया बाढ़ि केँ एक दैविक प्रकोप मानल जायत अछि । एहि सम्बंध में राष्ट्रपति महात्मा गाँधी एक बेर कहने रहथि - "जब परमात्मा हमारी धरती पर बढ़ते हुए पाप की छाया देखकर करूण भाव में रो पड़ते है, तो बाढ़ की रचना होती है। 
पावस ऋतुक शुभागमनक संग वर्षाक प्रारंभ होएत अछि । ग्रीष्म ऋतु में घर, वन, मैदान, पहाड़ आदि भीषण ताप सँ जलैत रहैत अछि। प्राणी-मात्र कें प्राण पानिक अभाव मे संकट में पड़ जायत अछि लेकिन वर्षा होइते घर, वन, मैदान, पहाड़ आ समस्त जीव-जन्तु वर्षाक जल पविते तृप्त भऽ जायत अछि। परंच जहन वर्षा अत्यधिक होयत अछि तऽ ओ विनाशकारी बनि जायत अछि। ओ बाढ़ि के रूप धारण कऽ लैत अछि । नदी, नाला सब में पानि भरला सँ ओ अपन ताण्डव कर लागैत अछि। 
बाढ़ि सँ बहुत क्षति होयत अछि जाहि में किसान के सबसँ बेसी क्षतिक सामना करऽ पड़ैत छनि । हुनक फसल पानि सँ जलमग्न भऽ जाइत छन्हि आ हुनक सब आशा के पानि में डुबा लऽ चलि जाइत छन्हि । बाढ़िक प्रकोप सँ लोकक सभ समान नष्ट भऽ जाइत अछि । मकान धराशायी भऽ जाइत अछि । लोक गृहविहीन भऽ जाइत अछि। आवागमन के मार्ग सभ बाधित भऽ जाइत अछि । संचार माध्यम सभ बाधि त भऽ जाइत अछि । जन-जीवन अस्त-व्यस्त भऽ जाइत अछि । 
बाढ़िक कारण आएला सड़नसँ बाढ़िक बादक स्थिति सेहो खतरनाक रहैत छैक, कारण सड़नसँ अनेक भयानक बिमारी यथा मलेरिया, हैजा आदि महामारीक रूप धारण कए गामक गाम तबाह कए दैत अछि । लोक गृहविहीन तऽ भए जाइत छथि मुदा हुनका भोजन आ पीबए ला पानि तक नहि भेटैत छनि ।
लोकक जन-जीवन भीषण विपदा सँ निवट में लागि जाइत अछि । बाढ़िक प्रकोप सँ लोकक रक्षा करबाक हेतु सरकार द्वारा बाढ़ि नियंत्रण योजना सभ चलाओल जाइत रहैत अछि । मुदा एहि प्राकृतिक आपदा के अवितहि सब योजना नष्ट भऽ जाइत अछि । आ सरकार द्वारा बाढ़ि पर नियंत्रण करबाक प्रयास कयल जायत अछि मुदा पूर्ण सफलता नहि भए रहल अछि।

  दुर्गापूजा  

भारतवर्ष मे अनेक पर्व-त्योहार मनाओल जाइछ । ओहि मे दुर्गापूजा कें विशेष महत्त्वपूर्ण पर्व मानल गेल अछि । ई हिन्दू जातिक महत्त्वपूर्ण पर्व अछि। एकरा विजयादशमी आ दशहरा सेहो कहल जाइत अछि। देशमे सबठाम ई पर्व मनाओल जाइछ। एहि मे माता दुर्गाक पूजा अत्यंत भक्ति भावना सँ कएल जाइत अछि । ई पर्व साल में दू बेर होइछ । पहिल आश्विन मास में आ दोसर चैत मास में । शरद ऋतु (आश्विन) में आयोजित एहि महोत्सव के राष्ट्रीयक पर्वक रूप में मनाएल जाइत अछि । ई पूजा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सँ आरंभ होइत अछि आ दस दिन ध ई रि चलैत अछि। कलश स्थापना सँ माँ दुर्गाक पूजा प्रारंभ होइत अछि आ दसो दिन चण्डीपाठ एवं संयम नियम सँ भगवतीक आराधना कएल जाइत अछि। एहि अवसर पर भगवती दुर्गाक अनेक प्रकारक प्रतिमा बना कऽ हुनकर संपूर्ण विधि-विधान सँ पूजा कयल जाइत अछि। नवमी दिन धरि पूजा कयलाक बाद दशमी दिन प्रतिमाक विसर्जन कए जल में भसा देल जाइत अछि ।
भारतवर्ष मे जतेक पर्व-त्योहार मनाओल जाइत छैक तकरा पाछाँ कोनो ने कोनो तथ्य अवश्य रहैत छैक । दुर्गापूजाक विषय मे दू गोट पौराणिक कथाक उल्लेख अछि । महिषासुर नामक असुरक अत्याचार सँ देवलोक, प्रकम्पित भए उठल। सभ देवता महाशक्तिक आराधना कएलनि। देवी प्रसन्न भए प्रकट भेलीह आ महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसक वध कए संसारक परित्राण कएलनि। दोसर रामक लंका विजय सँ संबंधित अछि । राम दुर्गाक आराधना कए रावण पर विजय पौलनि । तँ एहि पर्व कें विजयादशमी सेहो कहल जाइछ ।
दुर्गापूजा सम्पूर्ण भारतवर्ष में धूम-धाम सँ मनाओल जाइत अछि। हमर राष्ट्रीय आ सांस्कृतिक पर्व थिक । एहि अवसर पर जगह-जगह मेला सेहो लगैत अछि। मिथिलांचल तँ देवीक नाद में लीन रहैत अछि। एतय घर-घर देवीक पूजा-अर्चना होइत अछि। दीनता, भीरूता, अकर्मण्यता, शिथिलता, परमुखापेक्षिता, स्वार्थपरता, संकीर्णता, अनबधानता, असमर्थता आत्मवचकता एहि पाप केँ विनष्ट करबाक कारण ई दशहरा कहबैत अछि।
दशहरा महोत्सव हमरा देशक सांस्कृतिक एकताक प्रतीक अछि। अनेकता मे एकता, अनीति पर नीति, अधर्म पर धर्म, पापाचार पर सदाचारक विजयक संदेश दैत अछि । ई पर्व हमर सांस्कृतिक, राष्ट्रीय ओ सामाजिक जीवन मे प्रेरणा आओर स्फूर्ति प्रदान करत अछि।

  लॉकडाउन  

लॉकडाउन अर्थात् तालाबंदी । एहि अन्तर्गत सब कें अपन-अपन घर में रहबाक सलाह देल गेल अछि। जाहि मे सरकारक तरफ सँ कड़ाई सँ पालन करायल जा रहल अछि । ई जरूरी अछि किएक तँ कोरोना-वायरस नामक महामारी मानव जातिक इतिहास मे पहिल बेर आयल अछि।
आब पूरा देश एहि वायरस सँ लड़बाक लेल अपन-अपन घर मे कैद भऽ गेल अछि। कोरोनाक संक्रमण बहुत तेजी सँ फैलैत अछि। जाहि कारण सँ भारत सरकार लॉकडाउन एहि महामारी सँ देश के बचबैक लेल आवश्यक भऽ गेल अछि। 
अर्थात् लॉकडाउन एकटा आपातकालीन व्यवस्था अछि। जे कोनो आपदा अथवा महामारीक समय में लागू कएल जाइछ। एहि समय में सिर्फ दवा आओर खेनाय - पीनाय समान कें खरीदैक लेल बाहर जाइक इजाजत भेटैत अछि। 
एहि दौरान लोग सब कें अपन परिवारक संग समय बितेबाक बहुत बढ़ियाँ पल भेटल अछि। अपन घरक बुजुर्ग सबहक संग समय बिता रहल छथि। 

  छठि पूजा  

भारत धर्मप्रधान देश अछि । एतय चौरासी कोटि देवी-देवताक पूजा होइत अछि। एहि क्रम सूर्यक उपासना मे छठि पूजा होइत अछि । ई पर्व तीन दिनक होइत अछि। पहिल दिन छठि पूजा मे सूर्य भगवान कें अर्घ देनिहार नहाय कैरवाइत अछि। दोसर दिन साँझ मे पावनि कयनिहारि अथवा अर्घ देनिहारि भरि दिन सहैत अछि आ साँझ मे खीर, पुरी, सोहारी अथवा भात दालि खाइत अछि । ततपश्चात् छठि व्रत प्रारम्भ भय जाइत अछि।
तेसर दिन डुबैत सूर्य भगवान कें अर्घ देबाक हेतु पूरी पकवान बनाओल जाइत अछि। एकर अतिरिक्त फल आदि छिट्टा मे अथवा ढाकी मे लए नदी अथवा कोनो जलाशयक नजदीक लोक सब पहुँचैत अछि। ओतय पबनैती पानि मे स्नान कय सूर्य कें प्रणाम करैत अर्घ देमयवला प्रत्येक वस्तु कें हाथ मे लय डुबैत सूर्य भगवान केँ अर्घ दैत छथि।
पुनः भोर मे उगैत सूर्य भगवान कें अर्घ देलाक उपरान्त पबनैती घर आबि पारबन कय व्रत समाप्त करैत छथि । लोकक कहब अछि जे छठि दिन सूर्य भगवानक अर्घ देला सँ सब मनोकामनाक पूर्ति होइत छैक ।
ई पर्व बहुत धुमधाम सँ बनाऔल जाइत अछि। एहि अवसर पर छठि गीत गाओल जाइत अछि।

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