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Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 4 | Attract of Gravity Short Questions Answer | भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 4 | गुरूत्वाकर्षण लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 4  Attract of Gravity Short Questions Answer  भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 4  गुरूत्वाकर्षण लघु उत्तरीय प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम लिखें।
उत्तर - गुरुत्वाकर्षण बल वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, जिन दो वस्तुओं के बीच यह बल लगता है।
F = G.m1m2/r²
2. गुरुत्वाकर्षण नियताक G को सार्वत्रिक नियतांक क्यों कहा जाता है ? 
उत्तर- G एक नियतांक है जिसे गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहा जाता है। चूँकि G का मान कणों की प्रकृति, उनके द्रव्यमान, उनके बीच की दूरी, माध्यम, समय, ताप इत्यादि पर निर्भर नहीं करता तथा ब्रह्मांड के सभी कणों के लिये एक ही होता है, अतः इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक भी कहा जाता है।
3. दो वस्तुओं के बीच लगनेवाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा ? यदि 
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जायेगा ? 
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुना कर दी जाये ? 
(iii) वस्तुओं के बीच की दूरी तीन गुनी कर दी जाये ? 
(iv) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिये जायें ?
उत्तर - गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से दो वस्तुओं के बीच लगनेवाला गुरुत्वाकर्षण बल -
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर दोगुना हो जायेगा। 
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी करने पर गुना हो जायेगा। 
(iii) वस्तुओं के बीच की दूरी तीन गुनी करने पर गुना हो जायेगा। 
(iv) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान को दोगुना करने पर चार गुना हो जायेगा।  
4. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का क्या महत्व है ? 
उत्तर- गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व इस प्रकार है-
(i) गुरुत्वाकर्षण बल के ही कारण हम सब पृथ्वी से बँधे रहते हैं। 
(ii) चंद्रमा पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल आवश्यक अभिकेंद्र बल प्रदान करता है जिसके कारण चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर वृत्ताकार जैसे पथ पर घूमता है। इसी प्रकार अन्य ग्रहों के उपग्रह भी उन ग्रहों का परिक्रमा करते हैं।
(iii) पृथ्वी पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा पर घूमते रहने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल देता है। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं।
(iv) चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण ही समुद्रों में ज्वार-भाटा आते हैं। 
5. सभी वस्तुओं पर लगनेवाला गुरुत्व बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती ?
उत्तर- चूँकि गुरुत्वीय त्वरण (8 = GM/R2) वस्तु के द्रव्यमान m पर निर्भर नहीं करता इसलिये अधिक द्रव्यमान की वस्तु अर्थात् भारी वस्तु, कम द्रव्यमान की वस्तु अर्थात् हल्की वस्तु की अपेक्षा तेजी से नहीं गिरती, बल्कि दोनों साथ-साथ गिरती हैं। 
6. यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती ?
उत्तर- न्यूटन के द्वितीय गति नियम से किसी दिये हुये बल के लिये त्वरण वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है, चंद्रमा की अपेक्षा पृथ्वी का द्रव्यमान बहुत अधिक है, इसलिये हम पृथ्वी को चंद्रमा की ओर गति करते नहीं देख पाते।  
7. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है ?
उत्तर- वस्तु के द्रव्यमान और भार में निम्नलिखित अंतर है

  द्रव्यमान  

1. द्रव्यमान वस्तु में द्रव्य (पदार्थ) की मात्रा है।
2. द्रव्यमान में केवल परिमाण होता है। यह एक अदिश राशि है।
3. द्रव्यमान को दण्ड तुला द्वारा मापा जाता है।
4. द्रव्यमान का SI मात्रक किलोग्राम (kg) है।
5. स्थान के परिवर्तन से द्रव्यमान नहीं बदलता है।

  भार  

1. भार पृथ्वी द्वारा वस्तु पर पृथ्वी के केन्द्र आर लगे गुरुत्व बल के बराबर होता है।
अतः
भार = द्रव्यमान x गुरुत्वीय त्वरण
2. भार में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं, यह एक सदिश राशि है। .
3. भार कमानीदार तुला द्वारा मापा जाता है।
4. भार का SI मात्रक न्यूटन (N) है।
5. स्थान के परिवर्तन से भार बदल जाता है चूँकि गुरुत्वीय त्वरण 8 में परिवर्तन होता है।
8. किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/2 गुना क्यों होता है ? 
उत्तर- किसी वस्तु का भार गुरुत्वीय त्वरण g के समानुपाती है अर्थात् w ∞ g और चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वीय त्वरण gm पृथ्वी पर इसके भार का 1/2 गुना होता है।
9. एक व्यक्ति M अपने मित्र N के लिये पृथ्वी के ध्रुव के पास की जगह पर कुछ सोना खरीदकर उसे विषुवत वृत्त के पास रहनेवाले N को देता है, क्या N खरीदे हुये सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं तो क्यों ?
उत्तर- पृथ्वी के ध्रुव (Pole) पर गुरुत्वीय त्वरण का मान g, विषुवत वृत्त (equator) पर गुरुत्वीय त्वरण के मान g. से अधिक होता है, अतः उस कुछ द्रव्यमान के सोने का भार ध्रुव की अपेक्षा विषुवत वृत्त पर कम प्रतीत होगा। इसलिये N सोने के भार से संतुष्ट नहीं होगा।
10. एक पतली परंतु मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से किताबों से भरे  बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों ?
उत्तर- जब हम पतली डोरी से बने पट्टे की सहायता से भरे स्कूल बैग को उठाते हैं तो बैग का सारा भार हमारे हाथ पर पतली डोरी के बहुत कम क्षेत्रफल के बराबर के क्षेत्रफल पर आरोपित होता है जिससे हाथ पर अत्यधिक दाब पड़ता है। इसलिये पतली डोरी के पट्टे से भारी बैग उठाना कष्टकर और कठिन होता है।
11. एक भारी बक्से को पतले तार के बने हत्थे से ले जाना कठिन होता है, पर लकड़ी या प्लास्टिक के चौड़े हत्थे से ले जाना आसान होता है, क्यों ?
उत्तर- भारी बक्से को इसके हत्थे से उठाने पर हाथ पर दाब पड़ता है और दाब बल क्षेत्रफल | बक्से को उठाने में लगा बल तो नियत है, अतः यदि क्षेत्रफल अधिक हो तो दाब कम हो जायेगा। पतले तार के बने हत्थे का क्षेत्रफल कम रहता है, इसलिये बक्से को उठाने पर तलहथी पर दाब अधिक पड़ता है। परन्तु लकड़ी या प्लास्टिक के बने मोटे-चौड़े हत्थे का क्षेत्रफल अधिक रहता है, इसलिये बक्से को उठाने पर तलहथी पर दाब अपेक्षाकृत कम पड़ता है जिससे सुविधा होती है।
12. उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर- द्रव में रखी हुयी किसी वस्तु के ऊपर, ऊपर की ओर द्रव के बल लगाने की प्रवृत्ति को उत्प्लावकता कहते हैं। जब हम कुएँ से पानी निकालते हैं तो पानी से भरी बाल्टी जबतक पानी के अन्दर रहती है, हल्की मालूम पड़ती है, परन्तु पानी से बाहर आते ही वह भारी मालूम पड़ती है, जब हम पानी में डुबकी लगाते हैं तो पानी हमें ऊपर की ओर उछालता-सा लगता है। इन बातों से यह स्पष्ट है कि द्रव में डूबी हुयी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगता है जिसके कारण उसके भार में एक आभासी कमी आ जाती है, इस उपरिमुखी बल को उस वस्तु पर द्रव की उत्प्लावकता कहते हैं ।
13. आर्किमीडिज का सिद्धांत क्या है ? 
उत्तर- जब कोई वस्तु किसी द्रव या गैस में पूर्णत: या अंशतः डुबायी जाती है, तो उसके भार में आभासी कमी आ जाती है जो वस्तु के डूबे हुये भाग द्वारा हटाये गये द्रव या गैस के भार के बराबर होता है।
14. पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों डूबती या तैरती है ? 
उत्तर- जब वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार से अधिक हो तो वस्तु पर नीचे की ओर एक परिणामी बल लगेगा और इसलिये वस्तु द्रव में नीचे डूबती जायेगी। चूँकि वस्तु का आयतन वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के आयतन के बराबर परन्तु वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार से अधिक है।
जब वस्तु का भार, वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर हो, तो वस्तु पर परिणामी बल शून्य होगा और इसलिये वस्तु द्रव में पूरी डूबी हुयी प्लवन करती रहेगी अर्थात् तैरती रहेगी।
15. पिंड के भार को क्या होता है जब उसे द्रव में डुबाया जाता है ?
उत्तर- जब किसी पिंड को द्रव में डुबाया जाता है तब उसपर एक उत्प्लावन बल ऊपर की ओर कार्य करता है। इस बल के कारण पिंड के भार में हानि होती है। पिंड के भार में यह हानि पिंड द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होती है।  
16. एक तुला (weighing machine) पर आप अपना द्रव्यमान 48 kg नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान ठीक 48 kg है या उससे थोड़ा कम या अधिक ?
उत्तर- हमारा द्रव्यमान 48 kg से कुछ अधिक होगा, क्योंकि जब किसी वस्तु को तुला के पलड़े पर रखकर तौला जाता है तो वह कुछ हवा को विस्थापित करती है और आर्किमीडिज के सिद्धांत से वस्तु द्वारा हटाये गये हवा के भार के बराबर का उत्प्लावन बल वस्तु पर ऊपर की ओर लगेगा। इससे वस्तु के भार में कुछ कमी हो जायेगी। अतः तुला द्वारा दिया गया द्रव्यमान 48 kg हमारे वास्तविक द्रव्यमान से थोड़ा कम होगा।
17. आपके पास एक रूई का बोरा है तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 10 kg दर्शाते हैं। क्या दोनों के वास्तविक भार बराबर हैं? नहीं, तो दोनों में कौन-सा भारी है और क्यों ?
उत्तर- तुला के दोनों पलड़ों पर रखे रूई के बोरे और लोहे की छड़ के भार बराबर नहीं हैं। रूई का वास्तविक भार लोहे के छड़ के वास्तविक भार से अधिक होगा।
कारण – रूई की अपेक्षा लोहे का घनत्व बहुत अधिक होता है, अतः लगभग समान द्रव्यमान के रूई और लोहे में रूई का घनत्व बहुत अधिक होगा। इसलिये एक पलड़े पर रखा हुआ रूई का बोरा दूसरे पलड़े पर रखे लोहे की छड़ की तुलना में बहुत अधिक हवा को विस्थापित करेगा। आर्किमीडिज के सिद्धांत से रूई के बोरे पर लोहे के छड़ की तुलना में अधिक उत्प्लावक बल लगेगा। ऊपर की ओर रूई के बोरे पर अधिक उत्प्लावक बल लगाते हुये भी तुला के पलड़े संतुलित हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि रूई के बोरे को द्रव्यमान लोहे के छड कुछ अधिक है। कें द्रव्यमान से
18. लोहे की कील पारे में तैरती है, परन्तु पानी में डूब जाती है, क्यों ? 
उत्तर- लोहे का घनत्व 7.8 x 103 kg/m3 तथा पारे का घनत्व 13.6 x 103 kg/m3 है, जब लोहे की कील को पानी में जिसका घनत्व 1× 103 kg/m3 है, डुबाया जाता है तब उसके द्वारा है विस्थापित द्रव (पानी) का भार कील के भार से कम होता है, इसलिये वह पानी में डूब जाता है। परन्तु, उसी झील को जब पारे में डुबाया जाता है तब उसके द्वारा विस्थापित पारे का भार कील के भार से अधिक होता है, इसलिये कोल पारे में तैरती है।

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