1. ऊर्जा का अच्छा स्रोत क्या है ?
उत्तर- ऊर्जा का अच्छा स्रोत वह है जो -
(i) प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करें।
(ii) सरलता से सुलभ हो सके।
(iii) भंडारण तथा परिवहन आसान हो ।
(iv) यह सस्ता भी है।
2. अच्छा ईंधन क्या है ?
उत्तर - वैसा ईंधन जो जलने पर अधिक ऊष्मा प्रदान करे तथा प्रदूषण कम उत्पन्न करे अच्छा ईंधन है। अच्छे ईंधन के निम्न गुण हैं-
(i) जो जलने पर अधिक ऊष्मा निर्मुक्त करे।
(ii) जो आसानी से उपलब्ध हो ।
(iii) जो अधिक धुआँ उत्पन्न न करे।
(iv) जिसका भंडारण और परिवहन आसान हो ।
(v) जिसके दहन की दर मध्यम हो ।
(vi) जिसके जलने पर विषैले उत्पाद पैदा न हों।
इस तरह उपर्युक्त गुण रखने वाले पदार्थ को अच्छा ईंधन कहते हैं।
3. जीवाश्म ईंधन क्या है? उदाहरण सहित लिखें!
उत्तर- पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा बनाये गये ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
उदाहरण- कोयला (Coal), पेट्रोलियम (Petroleum) तथा प्राकृतिक गैस (Natural Gas) जीवाश्म ईंधन ऊर्जायुक्त कार्बन यौगिक के अणु है।
4. कौन-सा ऊर्जा स्रोत भोजन को गर्म करने के लिए काम में लाया जाएगा और क्यों ?
उत्तर- हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे। क्योंकि इसमें उत्तम ईंधन की अनेक विशेषताएँ विद्यमान हैं। इसका ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरी-मान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।
5. जीवाश्म ईंधन के खामियाँ क्या हैं?
उत्तर- जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं और अब हमारे पास इनके सीमित भंडार ही बचे हैं। यह शीघ्र रिक्त हो जाएँगे। जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होते हैं। सल्फर के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं और वे अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जिससे हमारे जल और मृदा संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु में हानिकारक कणिकाएँ और धुआँ प्रदूषण फैलाते हैं जिस कारण कई तरह से श्वसन संबंधी रोग फैलते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाऊस प्रभाव से वातावरणीय तापमान में वृद्धि करती है और कार्बन मोनोऑक्साइड तो बंद कमरों में सोते हुए लोगों में कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर उनका जीवन ही तो ले लेती है।
6. क्यों हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजते हैं ?
उत्तर - पृथ्वी में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेमियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भंडार बहुत ही सीमित हैं। यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जायेंगे। इसलिये हम ऊर्जा संकट से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
7. पवन और जल से प्राप्त ऊर्जा के परंपरागत उपयोग में किस प्रकार का सुधार हमारी सुविधा के लिए किया गया है ?
उत्तर - पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है। वर्तमान में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो ।
1. पवन ऊर्जा – सूर्य के विकिरणों से भूखंडों और जलाशयों के असमान गर्म होने के कारण वायु में गति उत्पन्न होती है और पवनों का प्रवाह होता है। पहले पवन ऊर्जा से पवन चक्कियाँ चलाकर कुओं से जल खींचने का काम होता था, लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को किसी विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। जिन स्थानों पर 15 km/h से अधिक गति से पवनें चलती हैं। जनित्रों से भी पवन चक्कियों की पंखुड़ियों को घूर्णी गति दी जा सकती है।
II. जल ऊर्जा- जल विधुत संयंत्रो में ऊंचाई से गिरते जल की स्थिजित ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है। ऐसे जल प्रपातों की संख्या बहुत कम है जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है। इसलिए अब जल विद्युत संयंत्रों को बाँधों से संबंधित किया गया है। विश्व भर में बड़ी संख्या में बाँध बनाए गए हैं। हमारे देश में विद्युत ऊर्जा की माँग का एक-चौथाई भाग जल वैद्युत संयंत्रों से पूरा होता है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बाँध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न कराते हैं।
8. नदियों पर बाँध बनाकर जल विद्युत उत्पादन के दो लाभ तथा दो हानियाँ बताएँ।
उत्तर- लाभ (i) जल विद्युत ऊर्जा का एक नवीनकरणीय स्रोत है।
(ii)' जल से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने पर पर्यावरण में प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है।
'हानि - (i) पर्यावरण असंतुलित हो जाता है।
(ii) बहुत से पौधे, मकान एवं जंतु बाँध बनाने के कारण डूब जाते हैं।
9. ऊर्जा जो महासागरों से प्राप्त की जा सकती है, की सीमाएँ (limitations) क्या हैं?
उतर- महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है लेकिन सदा ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनी-अपनी सीमाएँ हैं।
1. ज्वारीय ऊर्जा- ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध बना कर किया जाता है। बाँध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध निर्मित करने योग्य उचित स्थितियाँ सरलता से उपलब्ध नहीं होती।
2. तरंग ऊर्जा - तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहाँ तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहाँ सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हैं कि उनकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।
3. सागरीय तापीय ऊर्जा- सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है। तब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि०मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो इस प्रकार विद्युत ऊर्जा प्राप्त हो सकती है पर यह प्रणाली बहुत महँगी है।
10. भूऊष्मीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर- पृथ्वी के अन्दर दबावकारी शक्तियाँ कार्य करती हैं जिस कारण चट्टानें पिघल जाती हैं और गहरे गर्म क्षेत्र का निर्माण हो जाता है। भूमिगत जल इस गर्म क्षेत्र के संपर्क में आता है तो बड़ी मात्रा में गर्म भाप उत्पन्न होता है। कभी-कभी इस क्षेत्र से गर्म पानी एवं भाप बाहर झरने के रूप में निकलते हैं। चट्टानों में कैसी भाप पाइप से होकर टरबाइन तक भेज दी जाती है तथा विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इस प्रकार पृथ्वी के भू-गर्भ से निकले गर्म भाप एवं पानी का जो ऊर्जा प्राप्त होता है उसे भू-ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं।
11. नाभिकीय ऊर्जा के क्या लाभ हैं।
उत्तर- नाभिकीय ऊर्जा के निम्नलिखित लाभ हैं
(i) नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है।
(ii) बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
(iii) ऊर्जा के साथ त्वरित होने वाले कणों के प्रयोग से बड़ी संख्या में शोध किये जाते हैं।
(iv) कम खर्च में अत्यधिक ऊर्जा उपलब्ध
(v) अवशिष्ट पदार्थों का पुनः इस्तेमाल संभव।
12. क्या ऊर्जा का कोई स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर- किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्रोत के समाप्त होने से वातावरण असंतुलित होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है। उदाहरणार्थ, यदि हम लकड़ी को ऊर्जा स्रोत की तरह उपयोग करते हैं तब पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न होता है। वायु में CO, और O, का भी संतुलन प्रभावित होता है। लकड़ी जलने से उत्पन्न CO,, SO, और NO, वायु प्रदूषण करते हैं। यहाँ तक कि सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से भूमण्डलीय उत्पन्न होगा।
13. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप नवीकरणीय होना सोचते हैं। अपने चुनाव के लिए कारण लिखें।
उत्तर- दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं
(a) जल ऊर्जा, (b) पवन ऊर्जा।
(a) जल ऊर्जा- बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं। यहाँ ऊँचाई से नीचे बहते जल की ऊर्जा का उपयोग कर लिया जाता है तथा उपयोग के बाद बहता हुआ पानी समुद्र में चला जाता है। जल चक्र के कारण पानी पुनः ऊँचाई पर पहुँच जाता है। इसलिए जल ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं।
(b) पवन ऊर्जा - पवन ऊर्जा का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। प्रकृति में पवनें चक्रीय प्रक्रमों के कारण उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
14. जीवाश्म ईंधन क्या है? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर- पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा बनाये गये ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
उदाहरण- कोयला (Coal), पेट्रोलियम (Petroleum) तथा प्राकृतिक गैस (Natural Gas) जीवाश्म ईंधन ऊर्जायुक्त कार्बन यौगिक के अणु है।
15. विद्युत की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए सौर पैनलों के उपयोग में कौन सी रूकावटें है?
उत्तर- सिलिकन जो सौर सेलों को बनाने के लिए इस्तेमाल होता है, प्रकृति में भरपूर है, किन्तु सौर सेल को बनाने के लिए विशिष्ट ग्रेड (Grade) वाले सिलिकन की उपलब्धता सीमित है। निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया अभी भी बहुत खर्चीली है, पैनल के सेलों से अंतःसंबंध (Interconnection) के लिए प्रयुक्त चाँदी इसकी कीमत को और भी बढ़ा देती है।
16. पवनचक्की के कार्य करने का क्या सिद्धांत है। इससे उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?
उत्तर- पवनचक्की पवन ऊर्जा का रूपांतर यांत्रिक ऊर्जा में होता है। विशेष आकार प्रकार के ब्लेडो के कारण, पवन के टकराने पर इसके विभिन्न क्षेत्रों में दावांतर उत्पन्न होता है जिससे एक घूर्णी प्रभाव उत्पन्न होता है। जो लेडो को घुमा देता है। इसका प्रयोग विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमान के लिए किया जाता है। पवन का न्यूनतम वेग 15 km/hr होना चाहिए।
17. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप समाप्त होने वाला समझते हैं। के के अपने चुनाव के लिए कारण लिखें।
उत्तर- कोयला तथा पेट्रोलियम समाप्त होने वाला ऊर्जा स्रोत है। कोयला उन पौधों का जीवाश्म अवशेष है जो करोड़ों वर्ष पूर्व भूपर्पटी के नीचे गहराइयों में दब गए थे। इसी प्रकार पेट्रोलियम समुद्री जीवों व पौधों के जीवाश्म अवशेष हैं। इस प्रकार इन ईंधनों के बनने की यह . प्रक्रिया अत्यन्त धीमी है वर्षों का समय लगा है। एक बार यदि यह समाप्त हो गए तो दोबारा नहीं बन सकेंगे। इसलिए इन्हें समाप्त होनेवाला ऊर्जा स्रोत समझते हैं।
18. सौर कुकर के उपयोग के लाभ और अलाभ (हानि) क्या हैं ? क्या ऐसे स्थान हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता होगी ?
उत्तर- सौर कुकर के उपयोग के लाभ-
(i) यह बिना प्रदूषण किए भोजन पकाने में सहायक है।
(ii) सौर कुकर का उपयोग सस्ता भी है क्योंकि सौर ऊर्जा के उपयोग का मूल्य नहीं चुकाना है। पड़ता
(iii) सौर कुकर का रख-रखाव आसान होता है। इसमें किसी प्रकार के खतरे की संभावना नहीं होती है।
सौर कुकर के उपयोग के हानि-
(i) रात में और बादल वाले दिनों में सौर कुकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
(ii) यह भोजन पकाने में अधिक समय लेता है।
(iii) सभी स्थानों पर हर समय सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं होती।
(iv) इसका उपयोग शीघ्रता से खाना बनाने में नहीं किया जा सकता।
सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र – हाँ, कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकर की सीमित उपयोगिता है। ध्रुवों पर जहाँ सूर्य आधे वर्ष तक नहीं दिखाई देता है। वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है। पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए और काफी तिरछी पड़ती हैं वहाँ सौर कुकर का उपयोग बहुत कठिन है।
19. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए आपके सुझाव क्या होंगे?
उत्तर- ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बाँध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो। उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो। स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
20. शारीरिक कार्यों को करने के लिए विभिन्न वैद्युत साथित्रों को चलाने के लिए तथा भोजन पकाने अथवा वाहनों को चलाने के लिए किस प्रकार के ऊर्जाओं की आवश्यकता होती है ?
उत्तर- शारीरिक कार्यों को करने के लिए विभिन्न वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए तथा वाहनों को चलाने के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा भोजन को पकाने के लिए ऊष्मीय ऊर्जा का आवश्यकता होती है।
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