दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. SI मात्रक के साथ विद्धुत-धारा, विभावंतर और प्रतिरोध को परिभाषित करें और इनमे जिस नियम द्वारा संबंध प्राप्त होता है, उसे व्याख्या के साथ स्थापित करें
उत्तर : विभावांतर :- दो बिन्दुओं के बीच विभावंतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) धावेश को ले जाने में किया जाता है| इसका S.I.मात्रक (V) होता है |
विभव धारा :- दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है | विधुत धारा का S.I. मात्रक एम्पियर (A) होता है |
प्रतिरोध :- किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध या केवल प्रतिरोध कहलाता है | इसका S.I. मात्रक ओम (Ω) होता है|
प्रश्न 2. ओम का नियम क्या है ? इसे कैसे स्थापित किया जाता है ?
उत्तर : ओम का नियम :- नियत ताप पर किसी चालक से प्रवाहित धारा चालक के सिरों के विभवान्तर का समानुपाती होता है |
माना की चालक से प्रवाहित धारा I तथा विभवान्तर V है | अत: नियम से-
सत्यापन :- चित्रानुसार आमीटर, वोल्टमीटर, प्रतिरोध,सेल, स्विच आदि को संयोजन तार से जोड़ा | एक सेल लगाकर विभवमापी से विभवान्तर तथा धारामापी से धारा का माप प्राप्त किया | उसी ढंग से क्रमशः दो, तीन,चार एवं पाँच सेल लगाकर प्रत्येक स्थिति में विभवान्तर और धार का मान प्राप्त किया | प्रत्येक स्थिति में इसके अनुपात का मान समान आता है, जो इस नियम को सत्यापित करता है |
यदि विभवान्तर और धारा के बीच ग्राफ खींचते है, तो जो ग्राफ प्राप्त होता है, उससे भी यह नियम सत्यापित होता है |
3. प्रतिरोध क्या है? एक तार की कुंडली का प्रतिरोध ऐमीटर तथा वोल्टमीटर की सहायता से कैसे ज्ञात किया जाता है? एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर-
निम्नांकित चित्र में दिखाई गई विधि के अनुसार परिपथ पूरा करते हैं। बिन्दु P और Q के बीच बारी-बारी से तांबे के तार, एक लोहे का तार, एक ऐलुमिनियम का तार जोड़कर प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान ऐमीटर से नोट कर लेते हैं। हम पाते हैं कि प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान भिन्न भिन्न होता है।कुछ पदार्थ अपने से होकर दूसरे पदार्थों की अपेक्षा कम धारा प्रवाहित होने देते हैं। किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस प्रतिरोध का केवल प्रतिरोध (resistance) कहलाता है।
R = V/I
4. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है ? व्याख्या करें।
उत्तर- किसी चालक पदार्थ से बने तार का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(क) तार की लम्बाई (l)
(ख) तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)
(ग) तार के पदार्थ की प्रकृति
प्रयोग द्वारा यह पाया जाता है कि किसी भी चालक तार का प्रतिरोध तार की लंबाई के समानुपाती होता है तथा उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
गणितीय रूप में
R Φ I
तथा R Φ I/A
अत: R Φ I/A
या, R = ℙ(I/A)
जहाँ एक नियतांक है जिसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।
5. श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किसी प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस संयोजन के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
अथवा, समांतरक्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार संयोजित किया जाता है। इस संयोजन के लिए प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर- श्रेणीक्रम समूहन (Series grouping) - निम्नांकित चित्र में AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े दिखाए गए हैं। उनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2, R3 है। इनके मुक्त सिरे A और D बैटरी के ध्रुवों से जुड़े हैं। मान लिया a कि तीनों प्रतिरोधों से धारा I प्रवाहित हो रही है और प्रतिरोधक AB, BC एवं CD के सिरों के बीच विभवांतर क्रमश: V1 V2 तथा V3 हैं। अतः ओम के नियम से V1 = IR,, V2 = IR2 तथा V3 = IR3.
A यदि बैटरी का विभवांतर V हो, अर्थात् यदि सिरों A और D के बीच विभवांतर V हो, तो V = V1 + V2 + V3 = IR1 + IR2 + IR3 = I (R1 + R2 + R3)
इस समूहन का समतुल्य प्रतिरोध (Equivalent resistance ) उस अकेले प्रतिरोधक के प्रतिरोध के बराबर होता है। जिसे यदि जुड़े हुए तीनों प्रतिरोधकों के स्थान पर लगा दिया जाए तो विद्युत परिपथ से प्रवाहित धारा पर कोई प्रभाव न पड़े।
अतः ओम के नियम से
V = IRs
समीकरण (i) तथा (ii) की तुलना करने पर,
IRş= I (R1 + R2 +R3)
Rş = R1 + R2 + R3
अथवा,
समांतरक्रम समूहन- निम्नांकित चित्र में बिन्दु A एवं B के बीच तीन प्रतिरोधक हैं, जिनके प्रतिरोध क्रमश: R, R, तथा R, है, पार्श्वक्रम या समांतरक्रम में पड़े हुए दिखाए गए हैं। बैटरी द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा I है। बिन्दु A पर यह धारा तीन भागों में बँट जाता है। मान लिया कि R1, R2, एवं R3 प्रतिरोध वाले प्रतिरोधकों से क्रमश: I1, I2 तथा I3 धारा प्रवाहित होती है। बिन्दु B पर तीनों धाराएँ मिलकर पनः मख्य धारा बन जाती है। अतः I = I + I + I
मान लिया कि A और B बिन्दुओं के बीच विभवांतर V है। चूँकि प्रत्येक प्रतिरोधक A और B के बीच जुड़ा है, अतः प्रत्येक के सिरों के बीच विभवांतर V ही होगा। ओम के नियम से
I1 = V/R1, I2 = V/R2, तथा I3 = V/R3
इन मानों को समीकरण (i) में रखने पर,
I = V/R1 +V/R2 + V/R3
या, V/Rp = V/R1 + V/ R2 + V/R3
6. श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों एवं समांतरक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोधी के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर- श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोध-
यदि कई प्रतिरोधों का संयोजन पहले प्रतिरोध का दूसरा किनारा दूसरे प्रतिरोध के पहले किनारे से तथा तीसरे प्रतिरोध का पहला किनारा दूसरे प्रतिरोध के दूसरे किनारे से जोड़ा जाए, तो प्रतिरोधों के इस प्रकार के संयोजन को श्रेणीबद्ध संयोजने कहते हैं। इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से एक ही धारा प्रवाहित होती है।
माना कि R1, R2, तथा R3 तीन प्रतिरोध हैं। इन तीनों की श्रेणीबद्ध संयोजन किया गया है। माना कि A पर विभव V1, B पर विभव V2 तथा C पर विभव V3 तथा D पर विभव V4 है। इसलिये A और B के बीच विभवांतर V1 - V2, B और C के बीच विभवांतर V2 - V3 तथा C और D के बीच विभवांतर V3 -V4 है। परिपथ में I धारा प्रवाहित होती है।
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