बापू ने सच बोलना सिखाया ... बेधड़क
सत्य शब्द सत से बना है | सत यानि होना, सत्य यानि हस्ती | सत्य क सिवा और किसी चीज की हस्ती नहीं है | परमेश्वर का सही नाम ही सत्य है | विचार में, बोलने में और बरतने में सच्चाई ह सत्य है | हमारा हर काम, हर सांस सत्य के लिए होनी चाहिए |
बापू की जीवन सत्य के साधक के रूप में हमारे प्रेरणा बनकर मौजूद है | बचपन में चोरी करने की अपनी एक भूल को उन्होंने चिट्ठी लिखकर पिता के सामने स्वीकार किया था | यह निजी जीवन में सत्य का प्रयोग था | उस दिन पछतावे के आंसुओं ने उन्हें पवित्र कर दिया था | जब ये युवा हुए तो दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के कारण ट्रेन से उतार दिए गए | इसके खिलाफ उन्होंने लोगों को जाग्रत किया |
यह समाज के हित में सत्य की लड़ाई थी | फिर जब वे भारत लौटे तो सत्य के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन खड़ा लिया | इसकी शुरुआत नील की खेती के खिलाफ सत्याग्रह आन्दोलन से हुई |
आज सत्य से जुड़ी बापू की सीख भारत के मन में स्थापित है की ... सत्य बेधड़क बोलो ... उसकी कभी हार नहीं होती | सत्य से बड़ा कोई हथियार नहीं है, सत्य से अलग ईश्वर नहीं है ...
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