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Bharati Bhawan Class 10th Economics Chapter 5 | Long Questions Answer | Bihar Board Class 10 Arthshastr | रोजगार एवं सेवाएँ | भारती भवन कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र अध्याय 5 | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

longBharati Bhawan Class 10th Economics Chapter 5  Long Questions Answer  Bihar Board Class 10 Arthshastr  रोजगार एवं सेवाएँ  भारती भवन कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र अध्याय 5  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 
1. सेवा क्षेत्र का महत्व बताएँ।
उत्तर- आर्थिक विकास और रोजगार की दृष्टि से सेवा क्षेत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सेवा क्षेत्र के द्वारा ही किसी अर्थव्यवस्था की आधार संरचना का निर्माण होता है जो कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान कर उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाती है। सेवा क्षेत्र की सेवाओं में परिवहन, संचार, विपणन, वाणिज्य तथा सभी प्रकार की सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। सेवा क्षेत्र की सेवाओं से सुख-सुविधाओं में विस्तार होता है।
भारत का सेवा क्षेत्र बहुत विकसित नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय उत्पाद में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। सेवा क्षेत्र द्वारा प्रदान की जानेवाली विभिन्न प्रकार की संरचनात्मक सुविधाएँ ही एक अर्थव्यवस्था को क्रियाशील बनाती है। उदाहरण के लिए शक्ति आद्योगिक उत्पादन का आधार है। आधुनिक उद्योगों में मुख्यतः मशीनों का प्रयोग होता है, जो शक्ति अथवा बिजली से संचालित होते हैं। संरचनात्मक सुविधाओं के अभाव में कृषि एवं उद्योग किसी भी क्षेत्र का विकास संभव
भारत के तीव्र आर्थिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश की आवश्यकता है। संरचनात्मक सुविधाओं की उपलब्धता निवेश को भी प्रोत्साहित करती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पूँजी निवेश उन्हीं राज्यों या क्षेत्रों में करते हैं जहाँ सड़क, बिजली, पानी आदि संरचनात्मक सुविधाएँ उपलब्ध है।
संरचनात्मक सुविधाओं का विकास हमारे देश की बेरोजगारी एवं निर्धनता की समस्याओं के समाधान में भी सहायक होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा क्षेत्रों के विस्तार द्वारा रोजगार सृजन तथा गरीबी के निवारण में बहुत सहायता मिलेगी।
2. रोजगार सृजन में सेवाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर- आज विश्व के सभी देशों में कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादन विधियों एवं तकनीक में परिवर्तन हो रहे हैं। इन परिवर्तनों से सेवा क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन मिला है। सेवा क्षेत्र किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हो गया है तथा इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ निरंतर बढ़ रही है।
सेवा क्षेत्र की पारंपरिक सेवाओं में परिवहन वित्त, संचार विपणन, व्यापार आदि महत्वपूर्ण है। सेवा क्षेत्र में 'शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को भी सम्मिलित किया जाता है। सेवा क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार की व्यवस्था करती है तथा इससे आर्थिक विकास के साथ ही इनमें रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है। सुरक्षा सेवाओं के बाद रेलवे देश में सबसे अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
ग्रामीण सड़कों के निर्माण द्वारा बहुत अधिक रोजगार सृजन संभव है। जहाजरानी और विमान सेवाएँ भी आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन में सहायता प्रदान कर रही है । वित्तीय सेवाओं का जैसे बैंकिंग और बीमा क्षेत्र का बहुत अधिक विस्तार हुआ है। शहरीकरण विनिर्माण, व्यापार आदि की प्रगति के साथ ही बीमा क्षेत्र की सेवाओं की माँग निरंतर बढ़ रहवी है। उदारीकरण के फलस्वरूप भी हमारे विदेश व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है।
आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन की दृष्टि से संचार सेवाएँ बहुत महत्वपूर्ण है। आज देश में संचार उपग्रह और सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से नई-नई प्रकार के उद्योगों तथा रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। टेलीविजन की वाणिज्य सेवाएँ व्यापार के विस्तार में बहुत सहायक सिद्ध हुई है। संचार सेवाओं में कंप्यूटर का योगदान भी महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रम - प्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है।
3. 'विगत वर्षों के अंतर्गत विश्व में सेवा प्रदाता के रूप में भारत के सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है।" इसके क्या कारण है। 
उत्तर- भारतीय आरंभ से ही विश्व के विकसित देशों में जाकर अपनी सेवाएँ प्रदान करते रहे हैं। अपने देश में अवसरों की कमी तथा इन देशों का उच्च जीवन स्तर ही भारतवासियों को विकसित देशों में जाने के लिए प्रेरित करता हैं सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का बहुत तेजी से विस्तार तथा विकास होने से आज विभिन्न देश के निवासियों से संपर्क करना तथा सूचनाओं आदान-प्रदान अधिक आसान हो गया है। अब हम अपने देश में रहकर ही विश्व के अन्य देशों को अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। इससे सेवा क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात तेजी से होने लगा है। हमारे देश में श्रम की बहुलता है। इसके फलस्वरूप यहाँ कई प्रकार की सेवाएँ अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध है। इसका लाभ उठाने के लिए विकसित देशों की अनेक कंपनियाँ अब अपनी सेवाओं का भारत तथा अन्य विकासशील देशों में आउटसोर्सिंग करने लगी है। 
इस प्रकार श्रम की बहुलता तथा सेवाओं की कम कीमत में उपलब्धता ही ने भारत का विश्व में सेवा प्रदाता के रूप में समाने आया है।
4. बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ सेना क्षेत्र के विकास में किस प्रकार सहायक होती है 
उत्तर- सेवा क्षेत्र का संबंध मनुष्य की आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं से है। आर्थिक विकास एवं आय में वृद्धि के साथ ही इस क्षेत्र द्वारा उत्पादित सेवाओं की माँग बढ़ती है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों के साथ ही परिवहन संचार, शक्ति आदि सेवाओं की माँग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। सेवा क्षेत्र के विकास द्वारा ही हम कृषि एवं उद्योग की वर्तमान तथा भावी माँग को पूरा कर सकते हैं।
योग्य, कुशल और प्रशिक्षित श्रम के अभाव में सेवा क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। एक सक्षम श्रमबल के निर्माण के लिए कुछ बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ आवश्यक है। बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ निम्नांकित हैं—
1. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण- मानवीय संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देश में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएँ ही एक सक्रिय श्रम शक्ति का निर्माण करती है। परिवार कल्याण कार्यक्रम नागरिकों को औसत आयु बढ़ाने और जीवन स्तर को ऊँचा करने में सहायक है।
2. आवास- आवास मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है। आवास की उचित  मानवीय संसाधनों के विकास में सहायक होती है। 
3. स्वच्छता- स्वच्छता अर्थात साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने में सहायक होता है ।
4. जलापूर्ति- स्वस्थ जीवन एवं कार्यकुशलता को बनाए रखने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था अनिवार्य है।
5. शिक्षा— मानवीय संसाधनों के विकास तथा सेवा क्षेत्र के विस्तार में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 21 वीं सदी के ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है। हमारे देश में यथाशक्ति का विशाल भण्डार है। इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं।  
5. सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर- सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षा द्वारा ही मानवीय संसाधनों का पूर्ण विकास तथा विस्तार हो सकता है। 21वीं सदी को ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है। अर्थात् शिक्षित तथा प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही सेवा तथा अन्य क्षेत्रों का कार्य संपन्न हो सकेगा। कार्यकुशल लोगों का ही कृषि, उद्योग, सेना क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रों में माँग रहेगी। भारत ने संचार एवं सूचना सेवाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। इसका प्रमुख कारण शिक्षा में सुधार तथा ज्ञान और कौशल का विकास है।
हमारे देश भी युवाशक्ति का विशाल भण्डार हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं। इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा और प्रशिक्षण के तीन मुख्य स्तर होते हैं— 
प्रारंभिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा | 
(i) प्रारंभिक शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा युवावर्ग को न्यूनतम एवं आधारभूत कौशल सिखाती है। प्रारंभिक शिक्षा का हमारी उत्पादक क्रियाओं पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण प्रारंभिक शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई हैं। 
(ii) माध्यमिक शिक्षा- आर्थिक विकास एवं संरचनात्मक सुविधाओं को बनाए रखने के लिएह में बहुत बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम की आवश्यकता पड़ती है। माध्यमिक शिक्षा द्वारा ही इस प्रकार की श्रमशक्ति का निर्माण होता है।
(iii) उच्च शिक्षा- देश के आर्थिक विकास के लिए कुछ चुने हुए प्रतिभावान छात्रों की उच्च एवं तकनीकि शिक्षा प्रदान करना भी अनिवार्य है। उच्च शिक्षा द्वारा ही देश में डॉक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं अन्य उच्च स्तर के कर्मचारियों की पूर्ति होती है।

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