Header Ads Widget

New Post

6/recent/ticker-posts
Telegram Join Whatsapp Channel Whatsapp Follow

आप डूुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है Bharati Bhawan और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

Bihar Board Class IX Politcal Science Chapter 12 | Class 9th Bharati Bhawan Politics | All Questions Answer | लोकतांत्रिक अधिकार | बिहार बोर्ड क्लास 9वीं राजनीतिक शास्त्र अध्याय 12 | कक्षा 9वीं भारती भवन राजनीतिशास्त्र | सभी प्रश्नों के उत्तर

Bihar Board Class IX Politcal Science Chapter 12 | Class 9th Bharati Bhawan Politics | All Questions Answer | लोकतांत्रिक अधिकार | बिहार बोर्ड क्लास 9वीं राजनीतिक शास्त्र अध्याय 12 | कक्षा 9वीं भारती भवन राजनीतिशास्त्र | सभी प्रश्नों के उत्तर
Bharati Bhawan
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. मौलिक अधिकार से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर- वैसे अधिकारों को मूल अधिकार या मौलिक अधिकार कहा जाता है जो भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं। इस प्रकार के अधिकारों की संविधान में स्पष्ट व्याख्या की जाती है तथा इनकी रक्षा के लिए संविधान द्वारा ठोस उपाय किए जाते हैं। 
2. अधिकार किसे कहते हैं ?
अथवा, नागरिक अधिकार से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर- अधिकार मानवजीवन की ऐसी जायज माँगें हैं, जो उनके जीवन-यापन के लिए एक अनिवार्य शर्त हैं। ऐसी माँगें समाज या राज्य द्वारा स्वीकृत होनी चाहिए। इस प्रकार के अधिकार को ही नागरिक अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
3. प्राथमिक शिक्षा के अधिकार में क्या प्रावधान किया गया है? 
उत्तर- प्राथमिक शिक्षा के अधिकार में मुफ्त अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। 
4. मौलिक अधिकारों की रक्षा का उत्तरदायित्व किस पर सौंपा गया है ? 
उत्तर- सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय। 
5. 'सूचना का अधिकार' का क्या अर्थ होता है ? 
अथवा, सूचना का अधिकार' किसे कहते हैं ? 
अथवा, 'सूचना का अधिकार' क्या है ? 
उत्तर- सूचना का अधिकार एक महत्त्वपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार है। इस अधिकार के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी भारतीय नागरिक सरकारी कार्यालय से सरकारी आदेशों की प्रति एक निश्चित रकम अदा कर प्राप्त कर सकता है। यदि सरकारी कर्मचारी इस प्रकार के आलेखों या आदेशों की प्रति नहीं देते हैं, अथवा आनाकानी करते हैं तो उनके विरुद्ध भी कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय नागरिक के किन्हीं चार समता के अधिकारों का उल्लेख करें। 
उत्तर- समता के चार अधिकार निम्नलिखित हैं
(i) अवसर की समानता — भारत में लोक सेवकों की भर्ती में किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
(ii) कानूनी समानता – कानून की नजर में सभी नागरिक एक समान महत्त्व रखते हैं। 
(iii) सामाजिक समता- जाति, भाषा, क्षेत्र, लिंग, निवास स्थान इत्यादि के आधार पर नागरिकों के बीच विभेद नहीं किया गया है।
(iv) अस्पृश्यता का निवारण – भारत में समानता के अधिकार के अंतर्गत छुआछूत, जात-पाँत इत्यादि का कानूनी ढंग से अंत कर दिया गया है।
2. भारतीय नागरिक के किन्हीं तीन प्रकार के स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन करें। 
उत्तर- भारतीय नागरिकों के स्वतंत्रता के तीन अधिकार निम्नलिखित हैं
(i) अपने विचारों को भाषण अथवा अन्य विधियों द्वारा अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता 
(ii) भारत में कहीं भी निवास करने की स्वतंत्रता
(iii) कोई भी मनपसंद धंधा, व्यापार अथवा रोजगार करने की स्वतंत्रता
3. एक भारतीय नागरिक के धार्मिक अधिकारों का उल्लेख करें।
उत्तर- धर्म भी मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए एक आवश्यक तत्त्व है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने ढंग से किसी धर्म में विश्वास करने तथा किसी धर्म को मानने या उसका प्रचार करने का अधिकार होना चाहिए। लगभग सभी लोकतंत्रात्मक देशों में मनुष्य को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
4. संविधान में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए क्या प्रावधान है।
उत्तर- भारत में नागरिकों को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि मौलिक अधिकारों के अतिक्रमण की अवस्था में वे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। मौलिक अधिकारों की रक्षा का विशेष भार भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है।
5. किन अवस्थाओं में मौलिक अधिकार स्थगित किए जा सकते हैं ? 
उत्तर- मौलिक अधिकारों पर अंकुश भी लगे हुए हैं। संकटकाल में आवश्यकता पड़ने पर नागरिकों के मौलिक अधिकार कम किए जा सकते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि मौलिक अधिकार एक हाथ से दिए जाते हैं और दूसरे हाथ से छीन लिए जाते हैं। संसद संविधान में संशोधन लाकर भी नागरिकों के मौलिक अधिकार को सीमित तथा स्थगित कर सकती है। नजरबंदी कानून तथा आंतरिक सुरक्षा अनुसंरक्षक कानून (मीसा) के अंतर्गत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए ही गिरफ्तार किया जा सकता था। 27 जुलाई 1978 को आंतरिक सुरक्षा अनुसंरक्षक कानून (मीसा) समाप्त कर दिया गया। इसकी जगह पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम पारित किया गया है। पंजाब की घटनाओं के बाद अगस्त 1984 में इस अधिनियम को भी संशोधित कर सशक्त बनाया गया है। मौलिक अधिकारों के स्थगन की व्यवस्था के बावजूद मौलिक अधिकारों को संविधान का प्राण माना जाता है।
6. संविधान में वर्णित किसी एक मौलिक अधिकार का वर्णन करें।
उत्तर- संविधान में वर्णित एक मौलिक अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार भी है। नागरिकों को उत्तरछह तरह की स्वतंत्रताएँ दी गई हैं – 
(i) भाषण तथा विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता 
(ii) शांतिपूर्वक, बिना हथियार के जमा होने की स्वतंत्रता 
(iii) संघ बनाने की स्वतंत्रता 
(iv) संपूर्ण ' देश में घूमने की स्वतंत्रता 
(v) देश के किसी भी हिस्से में बस जाने की स्वतंत्रता एवं 
(vi) पेशे या कारोबार की स्वतंत्रता । 1 सितम्बर 1989 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में फुटपाथ पर व्यापार को भी मौलिक अधिकार माना है। 
इन स्वतंत्रताओं के अतिरिक्त नागरिकों को निम्नलिखित स्वतंत्रता के अधिकार प्रदान किए गए हैं। (i) किसी व्यक्ति को अपराध के लिए तब तक दंड नहीं दिया जा सकता जब तक कि उसने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया हो।
(ii) किसी भी व्यक्ति के जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा अन्य प्रकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
(iii) किसी भी व्यक्ति को कारण बताए बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार होने के समय से 24 घंटे के अंदर किसी मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित करना होगा। उसकी अनुमति के बाद ही 24 घंटे से अधिक समय के लिए व्यक्ति को हवालात में रखा जा सकता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय संविधान में वर्णित नागरिक के मौलिक अधिकारों का वर्णन करें। 
अथवा, भारतीय नागरिकों के कौन-कौन-से मौलिक अधिकार हैं ? 
अथवा भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख करें। 
उत्तर- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को 7 प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान किए गए उत्तरहैं, जो निम्नांकित हैं
(i) समता का अधिकार— यह नागरिक का बहुत महत्त्वपूर्ण अधिकार है। यहाँ का प्रत्येक नागरिक बिना जाति, लिंग, भाषा इत्यादि का भेदभाव किए सरकारी सेवा में भर्ती हो सकता है। छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। कानून की निगाह में सभी नागरिकों का समान महत्त्व है।
(ii) स्वतंत्रता का अधिकार - प्रत्येक भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता के अनेक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जैसे— भाषण तथा विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संपूर्ण देश में घूमने तथा रहने-बसने की स्वतंत्रता, संघ बनाने, स्वतंत्र व्यवसाय करने की आजादी इत्यादि ।
(iii) शोषण के विरुद्ध अधिकार - इस अधिकार के अंतर्गत औरतों तथा बच्चों का क्रय-विक्रय नहीं किया जा सकता। बँधुआ मजदूर की प्रथा का अंत कर दिया गया है। अब 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होटलों, खानों-कारखानों तथा खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता।
(iv) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार - यह भारतीय नागरिकों का एक महत्त्वपूर्ण अधिकार है। धर्म के मामले में राज्य कोई दखल नहीं दे सकता। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। अतः, यहाँ के नागरिकों को यह अधिकार है कि वे अपनी इच्छानुसार मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या और कहीं जा सकते हैं और अपने इच्छित धर्म की उपासना एवं पूजा-पाठ कर सकते हैं।
(v) शिक्षा तथा संस्कृति का अधिकार – कोई भी भारतीय नागरिक बिना जाति, लिंग, भाषा इत्यादि के भेदभाव के किसी शैक्षणिक संस्था में पढ़ सकता है। प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपनी लिपि, भाषा, संस्कृति की रक्षा कर सके।
(vi) संवैधानिक उपचारों का अधिकार - यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण होता है तो वह इनकी रक्षा हेतु न्यायालय की शरण ले सकता है तथा न्यायालय को ऐसे मामले में कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।
(vii) प्राथमिक शिक्षा का अधिकार- प्राथमिक शिक्षा के अधिकार को दिसंबर 2002 में एक संविधान संशोधन के जरिए मौलिक अधिकारों की सूची में जोड़ दिया गया है। अतः, अब 6 - 14 विर्ष तक के सभी बालक-बालिकाओं के लिए राज्य द्वारा अनिवार्य तथा निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
अतः, यह कहा जा सकता है कि भारतीय नागरिक के ये मूल अधिकार काफी महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावी है।
2. मानव अधिकारों के लिए संघर्ष पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर - विश्व की अनेक समस्याओं में मानव अधिकारों के लिए संघर्ष भी एक मुख्य समस्या है। यह समस्या प्रत्येक समाज में किसी-न-किसी रूप में अवश्य विद्यमान है। नागरिकों को अधिकारों से वंचित रखने का प्रयास बराबर होता रहा है। कहीं नागरिकों को नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है, कहीं सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्रदत्त नहीं किए जाते हैं और कहीं नागरिक धार्मिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर पाते हैं। नागरिकों को अधिकारों से वंचित रखा जाना अन्याय है। धर्म, जाति, रंग, संप्रदाय इत्यादि के आधार पर अधिकारों के उपभोग में नागरिकों के बीच भेदभाव उचित प्रतीत नहीं होता।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के साथ विश्व रंगमंच पर मानव अधिकारों को मान्यता प्रदान कर दी गई। 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों का घोषणा पत्र स्वीकार किर लिया। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों के नागरिकों को मानव अधिकार प्राप्त गए । विश्व भर में 10 दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। जो अधिकार मानव को - मानव होने के नाते दिए जाते हैं, वे ही मानव अधिकार कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो सभी मनुष्यों को प्राप्त होने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र के साथ नागरिकों को दो प्रकार के अधिकारों के उपभोग की स्वीकृति दे दी गई। पहले प्रकार के अधिकार नागरिक और राजनीतिक अधिकार के नाम से जाने जाते हैं। इस श्रेणी के अधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार कानून के समक्ष समानता का अधिकार, विचार अभिव्यक्ति की ' स्वतंत्रता का अधिकार, न्यायिक उपचार प्राप्त करने का अधिकार, आवागमन की स्वतंत्रता का अधिकार, मताधिकार तथा निर्वाचित होने का अधिकार आदि आते हैं। दूसरे प्रकार के अधिकार आर्थिक एवं सामाजिक अधिकार कहे जाते हैं। काम का अधिकार, समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार, आवास का अधिकार, आराम एवं अवकाश का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, सामाजिक समानता का अधिकार आदि दूसरे श्रेणी के अधिकारों में आते हैं।
विश्व स्तर पर मानव अधिकारों के लिए अन्य प्रयास भी किए गए हैं। 16 दिसम्बर 1966 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने दो संविदाओं को स्वीकृति प्रदान की जिनपर आज तक अनेक राष्ट्रों ने स्वीकृति की मुहर लगा दी है। ये दो संविदाएँ हैं— आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संविदा तथा नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों से संबंधित संविदा नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों से संबंधित एक वैकल्पिक संलेख को भी स्वीकृत किया गया। इन तीनों संविदाओं को 'अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार' के नाम से जाना जाता है।
अतः, आवश्यकता इस बात की है कि विश्व स्तर पर ऐसी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों का निर्माण किया जाए जिससे विश्वभर के नागरिक अपने मानव अधिकारों का उपभोग कर सकें और उन्हें वैधानिक दर्जा दिया जा सके।
3. सूचना का अधिकार पर एक निबंध लिखें।
अथवा, सूचना का अधिकार की संक्षिप्त व्याख्या करें। 
उत्तर- भारतवर्ष में लोकतंत्र की स्थापना की गई है। अतः, सरकार द्वारा चलाए जानेवाले विकास कार्यों की जानकारी आम जनता को भी होनी चाहिए। परंतु, सूचना के अधिकार के लागू हाने से पहले लोगों को सरकार के विकास कार्यक्रमों की सही जानकारी नहीं मिल पाती थी, जिसका गलत लाभ ठेकेदार एवं सरकारी कर्मचारी उठाते थे। योजनाओं की सही-सही जानकारी से लोग आम लोगों को होने ही नहीं देते थे। अतः, भारत सरकार ने 2005 में सूचना का अधिकार नामक कानून बनाकर प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व निश्चित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
सूचना का अधिकार के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि अब कोई भी व्यक्ति सरकारी कार्यालय से विकास कार्यों से संबंधित अभिलेख की प्रति एक निश्चित राशि जमा कर प्राप्त कर सकता है। सूचना प्रदान करने में आनाकानी करनेवाले कर्मचारियों के दोषी पाए जाने पर उनके कार्रवाई करने का प्रावधान भी किया गया है। अधिकारियों को सू खिलाफ आवश्यक • प्राप्त करने संबंधी पत्र प्राप्त होने के 48 घंटे के अंदर इस पर कार्रवाई आवश्यक रूप से करनी होगी तथा जिसकी सूचना यथासंभव एक महीने के अंदर देनी होगी। इसके लिए एक स्वतंत्र सूचना आयोग भी गठित की गई है। यह आयोग लोक सेवकों को सही सूचना उपलब्ध करवाने के लिए कानूनी एवं वैधानिक ढंग से बाध्य कर सकता है ।
अतः, यह कहा जा सकता है कि सूचना का अधिकार भारतीय नागरिकों का एक अति महत्त्वपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार है। इससे विकास कार्यक्रमों में विशेष पारदर्शिता लाई जा सकेगी।
4. भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का वर्णन करें। 
उत्तर - भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है, जो निम्नांकित हैं—
(i) संविधान का पालन करना तथा राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का सम्मान करना 
(ii) राष्ट्रीय आंदोलन को प्रोत्साहित करनेवाले आदर्शों का पालन करना 
(iii) देश की रक्षा करना और राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार रहना 
(iv) वर्गीय विभिन्नता की भावना का त्याग कर भाईचारा बढ़ाना 
(v) भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत की रक्षा करना
(vi) पर्यावरण एवं वन्य प्राणियों का संरक्षण करना 
(vii) वैज्ञानिक सूझबूझ एवं मानववाद को प्रोत्साहित करना 
(viii) देश की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता की रक्षा करना 
(ix) सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना
(x) राष्ट्र के अधिकतम विकास हेतु कार्य करना
(xi) 6-14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना प्रत्येक अभिभावक का दायित्व
5. भारतीय नागरिकों के अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर - भारतीय नागरिकों के अधिकारों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है - 
(i) जीवन रक्षा का अधिकार - प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह अधिकार है कि वह अपने जान-माल की रक्षा करें। अतः, कोई भी व्यक्ति यहाँ न तो अपनी जान ले सकता है और न किसी दूसरे व्यक्ति की। कानून के मुताबिक यदि कोई नागरिक आत्महत्या करे तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और उसपर अदालत में मुकदमा चल सकता है।
(ii) विचार प्रकट करने तथा भाषण देने का अधिकार- प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह अधिकार है कि वह अपने देश के अंतर्गत कहीं भी अपना विचार प्रकट कर सके या भाषण दे सके। परंतु, इसके साथ शर्त यह रखी गई है कि इस भाषण के द्वारा किसी पर गलत दोषारोपण या किसी की मानहानि न हो।
(iii) संघ या संगठन बनाने का अधिकार- नागरिकों का यह अधिकार है कि वे अपने लाभ के लिए कोई भी संघ अथवा संगठन कायम कर सकते हैं। सरकारी तथा गैर-सरकारी कर्मचारी भी अपनी माँगों को मनवाने के लिए अनेक प्रकार के संघ अथवा संगठन का निर्माण करते हैं ताकि उनकी माँगों पर जल्द कार्रवाई हो सकें।
(iv) धार्मिक अधिकार- प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म का पालन कर सकता है या उसे छोड़ भी सकता है या चाहे तो कोई नया धर्म भी स्वेच्छा से ग्रहण कर सकता है।
(v) संपत्ति का अधिकार - यह नागरिकों का बहुत बड़ा अधिकार है। प्रत्येक मनुष्य को जीविकोपार्जन हेतु संपत्ति अर्जित करने तथा उसे खर्च करने का अधिकार है। परंतु, वह दूसरों की संपत्ति अथवा सरकारी संपत्ति हड़प नहीं सकता। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।
(vi) शिक्षा का अधिकार - राज्य के प्रत्येक नागरिक का यह अधिकार है कि वह किसी भी शिक्षण संस्था में जाति, धर्म, वंश, लिंग, भाषा, क्षेत्र इत्यादि के भेदभाव के बिना दाखिल ले सके। यही कारण है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा पर विशेष जोर दे रही है ।
(vii) पारिवारिक जीवन का अधिकार- प्रत्येक नागरिक का यह अधिकार है कि वह कहीं भी किसी के साथ शादी-ब्याह कर सकता है तथा अपना घर बसा सकता है या चाहे तो कानूनी ढंग से तलाक भी ले सकता है।
अतः, यह कहा जा सकता है कि नागरिकों के अधिकार काफी महत्त्वपूर्ण हैं। इसके अभाव मनुष्य के पूर्ण व्यक्तित्व के विकास की कल्पना करना बेकार है। 

Post a Comment

0 Comments