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Bharati Bhawan Class 10th Political Science Chapter 6 | Bihar Board Class 10 Politics Question Answer | लोकतांत्रिक जनसंघर्ष एवं आन्दोलन | भारती भवन कक्षा 10वीं राजनीतिशास्त्र अध्याय 6

Bharati Bhawan Class 10th Political Science Chapter 6  Bihar Board Class 10 Politics Question Answer  लोकतांत्रिक जनसंघर्ष एवं आन्दोलन  भारती भवन कक्षा 10वीं राजनीतिशास्त्र अध्याय 6
भारती भवन 
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 
1. जनसंघर्ष के रूप में राजनीतिक आंदोलन के उदाहरण दें। 
उत्तर- जनसंघर्ष के रूप में राजनीतिक आंदोलन के उदाहरण हैं—चिली में सैनिक तानशाही के विरुद्ध आंदोलन, पोलैंड में एकल दल की तानाशाही के विरुद्ध जनसंघर्ष तथा म्यांमार में सैनिक शासन के विरुद्ध चल रहा जनसंघर्ष इत्यादि। 
2. जन संघर्ष के रूप में सुधारवादी आंदोलन के उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर- जनसंघर्ष के रूप में सुधारवादी आंदोलन के उदाहरण हैं—महाराष्ट्र में दलित पैंथर्स का आंदोलन, भारतीय किसान यूनियन का आंदोलन, आंध्र प्रदेश में महिलाओं द्वारा चलाया गया ताड़ी विरोधी आंदोलन।
3. जनसंघर्ष के दो पक्षों का उल्लेख करें।
उत्तर- जनसंघर्ष के दो पक्ष होते हैं नकारात्मक एवं सकारात्मक। नकारात्मक अर्थ में “वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध अपनी असंतुष्टि तथा असहमति को अभिव्यक्त करता है। तथा सकारात्मक दृष्टि से सामाजिक तथा राजनीतिक व्यवस्था में जो विकृतियाँ उत्पन्न होती है उन्हें दूर करने के उद्देश्य से किया गया जन संघर्ष अथवा आंदोलन।
4. जनसंघर्ष की एक उपयोगिता बताएँ।
उत्तर- जनसंघर्ष की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि यह लोकतंत्र की स्थापना और उसकी वापसी में तो सहायक होता ही है, लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में लोकतंत्र के विस्तार में भी सहायक होता है।
5. जनसंघर्ष या आंदोलन की सफलता के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर - जनसंघर्ष या आंदोलन की सफलता के लिए आवश्यक है कि इसका संचालन किसी संगठन द्वारा किया जाए। नेपाल में सात राजनीतिक दलों के गठबंधन तथा माओवादियों के सहयोग से जनसंघर्ष सफल हुआ।
6. नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर- नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट करना रहा है।
7. लोकतंत्र की बहाली के लिए किस देश में सप्तदलीय गठबंधन तैयार किया गया था? 
उत्तर- नेपाल में।
8. सूचना के अधिकार के लिए सर्वप्रथम कहाँ और कब आवाज उठाई गई थी ? 
उत्तर- राजस्थान के भीम तहशील में, 1990 में ।
9. दलित पैंथर्स नामक संगठन कहाँ स्थापित किया गया था ?
उत्तर- महाराष्ट्र में। 
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. दबाव समूह किसे कहते हैं ? इसके उदाहरण दें।
उत्तर- दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा सत्ता में भागीदारी करने से नहीं होता। जब कभी जनसंघर्ष या आंदोलन होता है तब राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव-समूह भी उसमें सम्मिलित हो जाते हैं और वे संघर्षकारी समूह बन जाते हैं। दबाव समूह किसी आंदोलन का समर्थन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए करते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के बाद उनका सत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता। दबाव समूह के उदाहरणों में 1974 की संपूर्ण क्रांति नेपाल में सात राजनीतिक दल, किसान, मजदूर व्यवसायियों शिक्षक अभियंता के समूह बोलिविया में फोडेकोर इत्यादि दबाव समूह के उदाहरण हैं।
2. समूह तथा राजनीतिक दल में मुख्य अंतर बताएँ।
उत्तर - राजनीतिक दल एवं दबाव समूह में सबसे बड़ा अंतर यह है कि राजनीतिक दल का उद्देश्य सत्ता में परिवर्तन लाकर उसपर आधिपत्य करना होता है, वहीं दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा सत्ता में भागीदारी नहीं होता। दबाव समूह किसी आंदोलन का समर्थन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए करते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के बाद उनका सत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता। इसके विपरीत राजनीतिक दल उद्देश्य की पूर्ति के बाद सत्ता पर नियंत्रण भी करना चाहते हैं।
3. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में हित समूहों की उपयोगिता पर प्रकाश डालें। 
उत्तर- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में हित समूहों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। दबाव समूह या हित समूहों की निम्नलिखित मुख्य उपयोगिताएँ -
i. सरकार को सजग बनाए रखना — दबाव समूह विभिन्न तरीकों से सरकार का ध्यान जनता की उचित माँगों की ओर दिलाकर एक सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसके लिए हित समूह जनता का समर्थन और सहानुभूति भी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
ii. आंदोलन को सफल बनाना – लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में कई तरह के जनआंदोलन चलते रहते हैं हित समूह या दबाव समूह ऐसे आंदोलनों को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
iii. दबाव समूह और उनके द्वारा चलाए गए आंदोलनों से लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं। लोकतंत्र की सफलता के मार्ग में हित समूह बाधक नहीं है, बल्कि सहायक होती हैं। 
4. हित समूह या दबाब समूह राजनीतिक दलों पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं।
उत्तर- दबाव समूह सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लेते, परंतु अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए राजनीतिक दलों पर भी प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक आंदोलन का राजनीतिक पक्ष अवश्य होता है जिसके कारण दबाव समूह एवं राजनीतिक दलों के बीच प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध अवश्य स्थापित हो जाता है। कभी-कभी राजनीतिक दल ही सरकार को प्रभावित करने के उद्देश्य से दबाव समूहों का गठन कर डालते हैं। ऐसे समूहों का नेतृत्व भी राजनीतिक दल ही करने लगते हैं। ऐसे दबाव समूह उस राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करने लगते हैं। 
5. जन संघर्ष का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर- जन संघर्ष का अर्थ जनता द्वारा कुछ निश्चित बातों या वस्तुओं से संतुष्ट नहीं रहने पर सत्ता के विरुद्ध किया जानेवाला संघर्ष है। जनसंघर्ष अथवा जन आंदोलन का अर्थ "वर्त्तमान व्यवस्था के विरुद्ध अपनी असंतुष्टि तथा असहमति को अभिव्यक्त करना है।" यह जनसंघर्ष का नकारात्मक अर्थ है। लेकिन साकारात्मक अर्थ में सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अनेक विकृतियाँ उत्पन्न होती रहती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के उद्देश्य से जो जन संघर्ष अथवा आंदोलन होते हैं उसे जन संघर्ष का सकारात्मक पक्ष कहा जाता है। 
6. जनसंघर्ष के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर- जनसंघर्ष के अर्थ के आधार पर इसके कई प्रकार भी होते हैं। राजनीतिक जनसंघर्ष के प्रकारों में मुख्य हैं—चिली में सैनिक तानाशाही के विरुद्ध नेपाल में राजशाही के विरुद्ध, पोलैंड में एकल दल की तानाशाही के विरुद्ध जनसंघर्ष तथा वर्तमान में म्यांमार में सैनिक शासन के विरुद्ध चल रहा जनसंघर्ष।
कभी-कभी लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी जनसंघर्ष सत्ता के अधिकार के दुरुपयोग के विरुद्ध भी होता है। जैसे 1974 का जन संघर्ष जो भारत में हुआ। कुछ जनसंघर्ष को सुधारवादी आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है जैसे—किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन, नारी उत्थान आंदोलन |
लोकतांत्रिक सामाजिक आंदोलन भी जनसंघर्ष का एकरूप है जिसमें धर्म, भाषा, संस्कृति, जाति इत्यादि पर आधारित समुदायों के संघर्ष के रूप में देखने को मिलता है।
7. सूचना के अधिकार का आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। 
उत्तर- सूचना के अधिकार आंदोलन का प्रारंभ 1990 में हुआ। राजस्थान में काम कर रहे मजदूर किसान शक्ति संगठन ने सरकार के सामने यह मांग रखी कि विकास के कार्यों में मजदूरों को दी जानेवाली मजदूरी का सार्वजनिक खुलासा किया जाए। अप्रैल 1996 में राजस्थान के व्यावार नामक शहर में इस आंदोलन ने व्यापक रूप धारण कर लिया। लोगों ने यह अनुभव किया कि उनकी आजीविका और जीवन से इस आंदोलन का गहरा संबंध है। इस आंदोलन के दौरान सूचना का अधिकार का नारा दिया गया। इस अधिकार के लिए धरना और प्रदर्शन शुरू हो गए। राजस्थान सरकार को जन-आंदोलन के सामने झुकना पड़ा और 2000 में सूचना का अधिकार-संबंधी कानून बनाया। अंततः, 2005 में केन्द्र सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया।

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