1. भारत में कितने राज्य और कितने केन्द्रशासित प्रदेश हैं ?
उत्तर- 28 राज्य और 7 संघीय क्षेत्र ।
2. राज्यपाल का मासिक वेतन क्या है ?
उत्तर- 1,10,000 रु.।
3. राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण कौन देता है ?
उत्तर- राज्यपाल।
4. राज्य कार्यपालिका से क्या समझते हैं ?
उत्तर- राज्य सरकार की कार्यपालिका को ही राज्य कार्यपालिका कहते हैं।
5. राज्य मंत्रिपरिषद में तीन प्रकार के मंत्री का उल्लेख करें।
उत्तर- मंत्रिमंडल स्तर के मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राज्यपाल पद के लिए निर्धारित योग्यताओं का वर्णन करें।
उत्तर- राज्यपाल की नियुक्ति के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई है
(ii) उसकी उम्र कम-से-कम 35 वर्ष की हो।
(i) वह भारत का नागरिक हो ।
(iii) वह विधानमंडल या संसद का सदस्य नहीं हो। यदि हो भी तो राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद वह सदस्य नहीं रहेगा।
(iv) वह किसी लाभ के पद पर नहीं हो।
2. कार्यपालिका के क्षेत्र में राज्यपाल के किन्हीं चार कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर- कार्यपालिका के क्षेत्र में राज्यपाल के चार कार्य निम्न हैं—
(i) राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है एवं मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
(ii) राज्यपाल मंत्रियों के बीच कार्यों का बँटवारा करता है।
(iii) राज्यपाल मुख्यमंत्री से मंत्रिमंडल के निर्णयों की सूचना प्राप्त करता है।
(iv) राज्यपाल राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों तथा अन्य उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है।
3. मंत्रिपरिषद के किन्हीं चार कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर- मंत्रिपरिषद के चार कार्य निम्न हैं
(i) विधानमंडल द्वारा बने कानूनों को कार्यान्वित करना।
(ii) राज्य की प्रशासकीय नीति निर्धारित करना।
(iii) राज्य में प्रशासन के लिए उचित व्यवस्था करना।
(iv) राज्य के लिए बजट
4. जिन आधारों पर उनका वर्णन करें। IR तैयार कर विधानमंडल के सामने उपस्थित करना। राज्यपाल राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करता है
उत्तर- राज्य पर भी संकट आते रहते हैं। वह है, राज्य में संविधान की विफलता का संकट। ऐसे संकट में उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है। राज्यपाल की रिपोर्ट पर ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। राज्यपाल केन्द्रीय सरकार के एजेंट के रूप में काम करता है। में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्यपाल राष्ट्रपति के आदेशानुसार शासन का संचालन करता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. राज्यपाल की नियुक्ति किस प्रकार होती है ? उसके अधिकार एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर- नियुक्ति राज्यपाल राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है। उसी के नाम से राज्य के सारे कार्य संपादित होते हैं। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, परंतु राज्यपाल की नियुक्ति करते समय वह केंद्रीय मंत्रिमंडल से परामर्श लेने के लिए बाध्य है। राज्यपाल की नियुक्ति 5 वर्ष के लिए होती है। उसकी नियुक्ति हेतु कुछ आवश्यक शर्तें हैं जो इस प्रकार हैं-
(i) वह भारत का नागरिक हो,
(ii) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
(iii) वह किसी विधानमंडल या संसद का सदस्य नहीं हो, अगर ऐसा है तो राज्यपाल का पद ग्रहण करने के पूर्व वह अपने पूर्व पद से त्यागपत्र दे दे।
(iv) वह किसी लाभ के पद पर न हो। राज्यपाल का पद ग्रहण करते वक्त उसे संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेनी पड़ती है।
कार्य एवं अधिकार राज्यपाल के कार्य एवं अधिकार निम्नलिखित हैं
(i) व्यवस्थापिका संबंधी अधिकार- व्यवस्थापिका के क्षेत्र में भी उसके अधिकार काफी. व्यापक हैं। वह विधानमंडल के किसी सदन अथवा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है। वह चाहे तो बैठक को स्थगित अथवा विधानसभा को भंग भी कर सकता है। वह विधानपरिषद के 1/6 सदस्यों को मनोनीत करता है। विधानमंडल की बैठक नहीं होने की स्थिति में वह अध्यादेश भी जारी कर सकता है।
(ii) कार्यपालिका संबंधी अधिकार- राज्यपाल को कार्यपालिका के क्षेत्र में व्यापक अधिकार प्रदान किए गए हैं। वह राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा मुख्यमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी करता है। वह मंत्रियों के बीच कार्यों का बँटवारा करने के साथ-साथ राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोकसेवा आयोग एवं अन्य आयोगों के अध्यक्षों एवं सदस्यों को नियुक्त भी करता है ।
(iii) वित्त संबंधी अधिकार- राज्य के विधानमंडल के समक्ष बजट पेश करना भी राज्यपाल का मुख्य कार्य है। उसकी सिफारिश पर ही धन विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
(iv) न्यायपालिका संबंधी अधिकार- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति राज्यपाल से भी परामर्श लेता है । वह किसी अपराधी के दंड को कम कर सकता है, माफ कर सकता है या अन्य सजा में परिणत कर सकता है। राज्य में संवैधानिक संकट उपस्थित होने पर वह राष्ट्रपति से वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
2. मंत्रिपरिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- राज्य सरकार की एक मंत्रिपरिषद भी होती है। इसका गठन राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह से किया जाता है।
गठन—मंत्रिपरिषद को गठित करने का अधिकार राज्यपाल को है। राज्यपाल पहले मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है, फिर उसी की सलाह से अन्य मंत्रियों को भी नियुक्त करता है। मंत्रिपरिषद के अधिकार और कार्य राज्य के शासन का भार मंत्रिपरिषद पर ही हैं। मंत्रिपरिषद के अधिकार और कार्य निम्नांकित प्रकार के हैं
(i) विधानमंडल द्वारा बने कानूनों को कार्यान्वित करना ।
(ii) राज्य की प्रशासकीय नीति निर्धारण करना।
(iii) राज्य में प्रशासन के लिए उचित व्यवस्था करना ।
(iv) राज्य सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का काम राज्य विधानमंडल का है। परंतु, मंत्रिपरिषद ही यह निश्चित करती है कि किस विषय पर कानून बनाया जाए तथा किस तरह का विधेयक विधानमंडल में पेश किया जाए।
(v) राज्य के लिए बजट तैयार कर विधानमंडल के सामने उपस्थित करना ।
(vi) राज्य के मुख्य पदाधिकारियों की नियुक्ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश से ही की जाती है। (vii) राज्यपाल अपने न्यायसंबंधी अधिकारों का प्रयोग भी मंत्रिपरिषद की सलाह से ही करता है।
3. मुख्यमंत्री के अधिकार एवं कार्यों का वर्णन करें। अथवा, मुख्यमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है ? उसके कार्य एवं अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर- मुख्यमंत्री राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति का वास्तविक प्रधान होता है। वास्तव में सामान्य दिनों में राज्यपाल के सारे अधिकारों का वास्तविक प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है। नियुक्ति — मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है। परंतु, राज्यपाल उसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है जो विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो । यदि विधानसभा में उसे निरंतर बहुमत मिलता रहे तो वह विधानसभा के भंग होने के समय तक अपने पद पर कायम रह सकता है। स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री का कार्यकाल विधानसभा के कार्यकाल पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री पद धारण करने की योग्यता यह है कि वह विधानमंडल का सदस्य हो । यों तो बाहर के व्यक्ति भी इस पद पर नियुक्त किए जाते रहे हैं, परंतु इस संबंध में एक आवश्यक शर्त यह होती है कि अगले 6 माह के अंदर उन्हें चुनाव जीतकर आना पड़ता है। और, यदि ऐसा करने में वह असफल सिद्ध होता है तो उसे तत्काल त्यागपत्र देकर अपने पद से हट जाना पड़ता है। कार्य एवं अधिकार- मुख्यमंत्री के कार्य एवं अधिकार निम्नलिखित हैं-
(i) मंत्रिमंडल का निर्माण- वास्तविकता तो यह है कि मुख्यमंत्री ही मंत्रिमंडल का निर्माण स्वेच्छा से करता है और राज्यपाल उसपर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा ही देता है ।
(ii) विभागों का बँटवारा- कौन-सा विभाग किस मंत्री को दिया जाए, इस बात का निर्ण मुख्यमंत्री ही करता है।
(iii) विधानसभा का नेतृत्व- विधानसभा एवं बहुमत प्राप्त दल का प्रधान नेता होने के कारण वह सदन का कुशल नेतृत्व करता है। सरकार की ओर से वह विधानसभा में भाषण देता है।
(iv) प्रमुख नीतियों का निर्धारण- राज्य प्रशासन से संबंधित नीतियों के निर्धारण में मुख्यमंत्री की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
(v) विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करना - समन्वय स्थापित करना वह क्रिकेट टीम के कप्तान की भाँति मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों एवं विभागों पर नियंत्रण रखता है। विभिन्न विभागों के मध्य विवाद की स्थिति में उसे सुलझाने का प्रयास भी करता है।
(vi) नियुक्तियाँ राज्य के महत्त्वपूर्ण पदों पर- नियुक्तियाँ करते समय राज्यपाल मुख्यमंत्री से आवश्यक परामर्श लेते हैं।
अतः, यह स्पष्ट है कि राज्य के अंदर समस्त प्रशासनिक कार्यों का दायित्व मुख्यमंत्री के कंधों पर ही होता है।
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