1. लोकतंत्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- लोकतंत्र की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) लोकतंत्र में चुने गए प्रतिनिधि ही राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम फैसला लेते हैं एवं कानूनों का निर्माण करते हैं।
(ii) लोकतंत्र में वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनाव होता है। इसमें सभी व्यक्ति के मत का समान मूल्य होता है।
(iii) लोकतंत्र में विधि के शासन को प्रमुखता दी जाती है। कानून की नजर में ऊँच-नीच, जात-पाँत, अमीर-गरीब, शिक्षित - अशिक्षित का भेदभाव नहीं किया जाता है।
(iv) लोकतंत्र की यह भी एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि यह बहुमत पर आधारित होता है। लोकसभा में बहुमत के कारण ही डॉ० मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री एवं बिहार में श्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं।
अतः, यह कहा जा सकता है कि ये विशेषताएँ ही लोकतंत्र के मजबूत आधार स्तंभ है।
2. लोकतंत्र शासन की सर्वोत्तम प्रणाली है, कैसे ? तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर- वास्तव में लोकतंत्र शासन की सर्वोत्तम प्रणाली है। यही कारण है कि विश्व के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक प्रणाली की सरकार कायम हो चुकी है। विशेषकर 1980 के बाद स्वतंत्र हुए मुल्कों में इस प्रणाली को तेजी से अपनाया जा रहा है। म्यांमार जैसे कुछ ऐसे भी देश हैं जहाँ लोकतंत्र के लिए एक लम्बे अरसे से निरंतर संघर्ष चल रहा है। अब राजतंत्र, सैनिकतंत्र, साम्यवादी तंत्र का जमाना लद चुका है। प्राचीन विश्व इतिहास में भी लोकतंत्र के कुछ उदाहरण मिलते हैं। चीन, यूनान तथा रोम में भी सदियों पूर्व लोकतंत्र किसी न किसी रूप से कायम था।
प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी में बुद्धकाल में गंगाघाटी के विभिन्न गणराज्यों में भी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था कायम थी। इन गणराज्यों में कपिलवस्तु के शाक्य, सुभार पर्वत के भागों का प्रान्त, मिथिला के विदेह, वैशाली के लिच्छवी आदि शामिल थे, जहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रमाण मिलते हैं। आजादी के बाद भारत में भी लोकतंत्र की स्थापना की गई है। अतः, यहाँ भी अन्य लोकतांत्रिक देशों की भाँति शासकों का चुनाव 'लोग' यानी 'आम जनता' करती है ।
वास्तव में लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए एवं जनता द्वारा बनाई गई सरकार होती है। अतः, यह नि:संदेह विश्व की सर्वोत्तम शासन प्रणाली है।
3. कुछ देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क उपस्थित करें।
उत्तर - यों तो लोकतंत्र शासन की सर्वाधिक सर्वोत्तम प्रणाली होती है, परंतु इसके बावजूद भी यह नहीं कहा जा सकता है कि इस शासन-प्रणाली में कोई दोष नहीं हैं। प्रायः प्रत्येक प्रकार की शासन-प्रणाली में गुण के साथ-साथ कुछ दोष भी अवश्य ही निहित होते हैं। अतः लोकतंत्र में यानी लोकतांत्रिक पद्धति में भी कुछ दोष अवश्य होते हैं। इन दोषों या अवगुणों का वर्णन हम इस प्रकार कर सकते हैं
(i) शासन-व्यवस्था में स्थिरता का अभाव – लोकतंत्र का प्रथम दोष यह है कि इस प्रकार की शासन-प्रणाली में नेता बराबर बदलते रहते हैं। इसका शासन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। बार-बार नेता बदलने से शासन में अस्थिरता पैदा हो जाती है। प्रायः प्रत्येक नेता एवं दल शासन-व्यवस्था पर कम ध्यान देता है और बराबर वह अपनी गद्दी ( सत्ता) येन केन प्रकारेण बचाने में लगा रहता है। og fore
(ii) नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं - लोकतंत्र का दूसरा दोष यह है कि इसमें नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती है। प्रायः अधिकांश नेतागण दलबदल एवं सत्ता चिपकू होते हैं। अतः, वे कुर्सी के मोह में दलीय सिद्धांतों एवं राष्ट्रीय महत्त्व को गौणकर देते हैं। अतः, स्पष्ट है कि लोकतंत्र में नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती है।
(iii) प्रत्येक फैसले में विलंब - लोकतंत्र का तीसरा दोष यह है कि इस शासन प्रणाली में किसी भी विषय पर कोई ठोस निर्णय लेने में काफी बिलंब होता है, जिसका परिणाम यह होता है कि फैसले अथवा निर्णय का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। प्रत्येक छोटी-से-छोटी बात के लिए भी बहस एवं चर्चा में काफी वक्त लग जाता है।
(iv) लोगों के हितों का पता ही नहीं—लोकतंत्र का चौथा दोष यह है कि अधिकांश नेताओं को लोगों अर्थात बहुमत के हितों का पता ही नहीं होता। आजकल वैसे सिने स्टार क्रिकेट स्टार तथा चुने हुए अपराधी भी राजनीति में एकाएक कूद जाते हैं जिन्हें कल तक राजनीति से कुछ लेना-देना नहीं था, उनको अपने चुनाव क्षेत्र की समस्याओं का खुद पता ही नहीं होता, क्योंकि वे खुद दूसरे क्षेत्रों से आए हैं। स्थानीय क्षेत्र के लोग ही स्थानीय समस्याओं को ठीक से समझ सकते हैं एवं उनका सही हल सही समय पर खोज सकते हैं।
(v) खर्चीली शासन व्यवस्था— लोकतंत्र का पाँचवाँ दोष यह भी है कि यह काफी खर्चीली शासन व्यवस्था होती है। प्रायः प्रत्येक महत्त्वपूर्ण फैसले के लिए पटना एवं दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है, जिसका परिणाम यह होता है कि सरकारी खजाने पर आवश्यक बोझ बढ़ जाता है ।
(vi) मूर्खों का शासन- लोकतंत्र का छठा दोष यह है का शासन भी कहा जाता है। वास्तव में चुनाव के समय नेता की वास्तविक योग्यता, नैतिकता, ईमानदारी, शैक्षिक योगयता एवं कर्मठता को कोई नहीं देखता है और जो सबसे धनबल एवं जनबल में आगे होता है, वही चुनावी बाजी में सफल हो पाता है।
(vii) अन्य दोष – उपर्युक्त दोषों के अलावा भी लोकतंत्र यानी लोकतांत्रिक पद्धति में कई दोष व्याप्त हैं। परंतु, इसके बावजूद भी यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र के अनेक महत्त्वपूर्ण गुण भी होते हैं। यह आधुनिक वैश्विक जगत की प्रमुख माँग है। यही कहारण है कि आज दुनिया · के अधिकांश देशों में लोकतंत्र की लहर काफी तेजी से फैल रही है।
अतः, स्पष्ट है कि लोकतंत्र में अनेक दोष होते हैं।
4. विभिन्न लोकतांत्रिक देशों के सामने जो समस्याएँ हैं उन्हें ध्यान रखते हुए लोकतंत्र की समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर - आजादी के बाद भारत में लोकतंत्र की स्थापना की गई है। हमारे देश में लोकतंत्र के सामने निम्नलिखित ज्वलंत समसयाएँ हैं—
(i) शिक्षा की कमी – हमारे देश में शिक्षा की कमी है। यहाँ अशिक्षित लोगों की बहुत बड़ी संख्या है, जो देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है। अतः, शिक्षा के अभाव में अधिकांश लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी नहीं है।
(ii) आर्थिक असमानता — भारत में आर्थिक असमानता अपनी चरम सीमा पर है। किसी के पास अपार संपत्ति है एवं किसी के पास न तो खाने को अन्न है और न तो रहने के लिए घर । तंगी की हालत में जनता अपने अधिकार एवं देश की बात सोच भी नहीं सकती है। यहाँ उसके वोट चंद सिक्कों में खरीदे जाते हैं। जहाँ समाज में इस प्रकार की असमानता व्याप्त है वहाँ भला लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है।
(iii) समाजिक असमानता - सामाजिक असमानता भी भारतीय लोकतंत्र की बहुत बड़ी समस्या है। सामाजिक समानता के बिना सच्चे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। यहाँ अमीर-गरीब के बीच की खाईं, जातिवाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद अपने चरम पर है।
(iv) लोकतंत्र के प्रति आस्था का अभाव – भारत में लोकतंत्र के प्रति अधिकांश जनता आस्थावान नहीं दीखती है। लोग अपने-अपने हित के लिए तो हर समय सोचते हैं, परंतु वे देशहित एवं समाजहित के बारे में शायद ही सोच पाते हैं। लोगों को यह चिंता ही नहीं है कि लोकतंत्र की रक्षा कैसे की जाए।
(v) राजनीति का अपराधीकरण- राजनीति का अपराधीकरण भी लोकतंत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है। लोकतंत्र में अच्छे लोग राजनीति में आने से कतराते हैं एवं अपराधी चरित्र के लोग जोर-जुल्म एवं भ्रष्टाचार द्वारा चुनाव में जीत हासिल कर लेते हैं। इन समस्याओं का निदान करके ही हम भारतीय लोकतंत्र की रक्षा कर सकते हैं।
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