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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. उपमुखिया का निर्वाचन कैसे होता है ?
उत्तर - प्रत्येक नवगठित ग्राम पंचायत अपनी प्रथम बैठक में चुने हुए सदस्यों में से एक को उपमुखिया के रूप में चुनती है। मुखिया की अनुपस्थिति में उपमुखिया ही मुखिया की सभी शक्तियों का प्रयोग करता है।
2. पंचायत समिति का सचिव कौन होता है ?
उत्तर - पंचायत समिति का सचिव वही व्यक्ति होता है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होता हैं।
3. ग्राम रक्षा दल का क्या काम है ?
उत्तर - ग्राम रक्षा दल का मुख्य काम पहरा देना, निगरानी रखना, अगलगी, बाढ़, बाँध में दरार, पुल का टूटना, महामारी का फैलना, जैसी आकस्मिक घटनाओं का सामना करना तथा चोरी डकैती के समय टुटकर मुकाबला करना है।
4. जिला परिषद के उपाध्यक्ष का निर्वाचन कैसे होता है ?
उत्तर - जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य अपने बीच से एक उपाध्यक्ष को निर्वाचित करते हैं।
5. पंचायत सचिव की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर- प्रत्येक ग्राम-पंचायत में एक पंचायत सचिव होता है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
6. उपसरपंच को कौन चुनता है ?
उत्तर - ग्राम कचहरी के निर्वाचित सदस्यों द्वारा उपसरपंच को चुना जाता है।
7. ग्राम कचहरी का प्रधान कौन होता है ?
उत्तर - ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है।
8. ग्राम रक्षा दल में कितने उम्र वाले युवकों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर - 18 से 30 वर्ष आयु वाले युवकों को ग्राम रक्षा दल में शामिल किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. स्थानीय स्वशासन के महत्व का वर्णन करें।
उत्तर- भारत जैसे विशाल देश का शासन एक जगह से नहीं चलाया जा सकता। अतः सत्ता का विकेन्द्रीकरण कर तीन स्तरीय सरकार की स्थापना की गयी। स्थानीय कामों के लिए ही का प्रबंध किया गया है। वर्तमान समय में राज्य के कार्य काफी विस्तृत हो गए हैं। अब राज्य का काम सिर्फ शांति और सुव्यवस्था तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि सभी लोगों के जीवन स्तर को अधिक से अधिक विकसित करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति स्थानीय स्वशासन की स्थापना से ही संभव है। भारत में लोकतंत्र की इमारत को मजबूत करने में स्थानीय स्वशासन का काफी महत्व है।
2. 'पंचायती राज' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- भारत सरकार ने संविधान में 73 वाँ संशोधन करते हुए तथा बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिश को लागू करते हुए पंचायती राज की स्थापना की है। पंचायती राज में त्रिस्तरीय व्यवस्था होती है जैसे ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद |
3. ग्राम पंचायत के किन्हीं चार कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर - बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों की सूची बनाई गई है। ग्राम पंचायत के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(i) सामान्य कार्य – पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार करना, प्राकृतिक संकट में सहायता प्रदान करना, सामुदायिक कार्यों में सहयोग करना इत्यादि।
(ii) सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य- पेयजल की व्यवस्था करना सड़क, भवन, नाली पुलिया आदि का निर्माण कराना, गलियों में रोशनी की व्यवस्था करना आदि ।
(iii) शिक्षा संबंधी कार्य- प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में सहभागी बनना, व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देना, ग्रामीण पुस्तकालय एवं वाचनालय का संचालन करना।
(iv) लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना, परिवार कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। -
4. पंचायत समिति के किन्हीं चार कार्यों का विवेचना करें।
उत्तर- पंचायत समिति के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(i) सरकार द्वारा सौंपे कार्य- विभिन्न कार्यक्रमों की वार्षिक योजनाएँ बनाकर जिला परिषद में प्रस्तुत करना, पंचायत समिति का बजट बनाना, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना ।
(ii) कृषि एवं सिंचाई संबंधी कार्य- कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास, कीटनाशी एवं जीवनाशी औषधियों का भंडारण एवं वितरण, किसानों को प्रशिक्षण भूमि सुधार, भूसंरक्षण तथा लघु सिंचाई संबंधित।
(iii) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य — स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना, प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ावा देना।
(iv) शिक्षा संबंधी कार्य- प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देना, प्राथमिक विद्यालय के भवनों का निर्माण मरम्मत एवं देखरेख, तकनीकी प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना इत्यादि ।
5. जिला परिषद के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- जिला परिषद के चार कार्य निम्नलिखित हैं
(i) कृषि, सिंचाई एवं बागवानी संबंधी कार्य- उन्नत कृषि पद्धतियों के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना, कृषि, बीज फार्म तथा व्यावसायिक फार्म खोलना, लघु सिंचाई की व्यवस्था करना, फल एवं सब्जियों की खेती ।
(ii) सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य- ग्रामीण विद्युतीकरण, ग्रामीण सड़कों, पुल एवं पुलिया, कार्यालय भवनों का निर्माण एवं देखरेख ।
(iii) शिक्षा संबंधी कार्य- प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना एवं देखरेख, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा का प्रचार-प्रसार ।
(iv) सामाजिक कल्याण संबंधी कार्य- अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए छात्रवृत्तियों एवं छात्रावासों का प्रबंध, महिलाओं, बच्चों, विधवाओं, वृद्धों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाना, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों का प्रशिक्षण के लिए आदर्श कल्याण केंद्रों एवं शिल्प केन्द्रों का संचालन इत्यादि ।
6. ग्राम पंचायत के आय के स्रोतों पर प्रकाश डालें।
उत्तर- ग्राम पंचायत के आय के मुख्य स्रोत हैं—
(i) केन्द्र, राज्य सरकार, जिला परिषद, पंचायत समिति या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकारों द्वारा दिया गया अंशदान या अनुदान ।
(ii) केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत ऋण।
(iii) ग्राम पंचायत के नियंत्रण और प्रबंधन के अधीन विद्यालय, अस्पताल, औषधालय, भवन आदि से प्राप्त होनेवाली आय ।
(iv) कर और फीस से प्राप्त आय।
(v) दंडरूप में वसूल की गई राशि |
(vi) ग्राम पंचायत द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त की जानेवाली अन्य राशियाँ ।
7. पंचायत समिति के आय के स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर- पंचायत समिति के आय के प्रमुख स्रोतों में जिला परिषद से प्राप्त राजस्व, भू-राजस्व का अंश और अन्य रकम, कर, चुंगी, फीस से प्राप्त आय, सार्वजनिक घाट, मेलों, घाटों तथा ऐसे ही अन्य स्रोतों से आनेवाली आय, वैसे अंशदान या दान जो जिला परिषद को न्यायों एवं संस्थाओं से प्राप्त हो, भारत सरकार और राज्य सरकार से प्राप्त अंशदान या अनुदान या ऋण सहित अन्य प्रकार की निधियाँ इत्यादि ।
8. जिला परिषद की आय के स्रोतों का विवेचन करें।
उत्तर- जिला परिषद की आय के मुख्य साधन निम्नलिखित हैं
(i) केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा दिए गए अंशदान और अनुदान ।
(ii) पंचायत समिति या अन्य स्थानीय संस्थाओं से प्राप्त अंशदान एवं अनुदान।
(iii) केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत ऋण
(iv) जिला परिषद द्वारा लगाए गए शुल्क, उपहार या अंशदान तथा अस्पताल, स्कूल आदि से प्राप्त राशि तथा
(v) जुर्माना एवं अर्थदंड से प्राप्त आय इत्यादि ।
9. ग्राम कचहरी के क्षेत्राधिकार बताएँ।
उत्तर- प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यायिक कार्यों को संपन्न करने के लिए एक ग्राम कचहरी है। ग्राम कचहरी के न्यायपीठ का निर्णय लिखित रूप में सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होता है। ग्राम कचहरी भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों को देख सकती है। उसे फौजदारी और दीवानी दोनों मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार होता है। फौजदारी मुकदमे में ग्राम कचहरी को अधिकतम तीन माह तक का साधारण कारावास तथा अधिकतम एक हजार रूपए तक का जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतम पंद्रह दिनों का साधारण कारावास देने का अधिकार है। दस हजार रुपए तक के दीवानी मुकदमें सुनने का भी अधिकार ग्राम कचहरी को प्राप्त है।
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