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Class 10th Bharati Bhawan Political Science Chapter 5 | Long Answer Questions | बिहार में पंचायती राज एवं नगरीय संस्थाएँ | कक्षा 10वीं भारती भवन राजनीतिशास्त्र अध्याय 5 | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10th Bharati Bhawan Political Science Chapter 5  Long Answer Questions  बिहार में पंचायती राज एवं नगरीय संस्थाएँ  कक्षा 10वीं भारती भवन राजनीतिशास्त्र अध्याय 5  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. ग्राम पंचायत के संगठन एवं कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 में ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि बिहार सरकार के आदेश से जिला दंडाधिकारी जिला गजट में अधिसूचना निकालकर किसी स्थानीय क्षेत्र को जिसमें कोई गाँव या निकटस्थ गाँवों के समूह अथवा किसी गाँव के कोई भाग को ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकता है। इस क्षेत्र की जनसंख्या लगभग सात हजार के करीब होगी। अधिनियम में जिला दंडाधिकारी को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह ग्राम पंचायत से किसी गाँव को या उसके भाग को अलग कर सकता है या उसमें शामिल भी कर सकता है।
ग्राम पंचायत के निम्नलिखित मुख्य कार्य हैं
i. सामान्य कार्य- पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजनाओं को तैयार करना, वार्षिक बजट तैयार करना, प्राकृतिक संकट में सहायता प्रदान करना, सार्वजनिक संपत्ति पर से अतिक्रमण हटाना इत्यादि ।
ii. कृषि विकास संबंधी कार्य- कृषि और बागवानी का विकास एवं उन्नति, बंजर भूमिका विकास, चारागाह का विकास और उसका संरक्षण।
iii. पशुपालन संबंधी कार्य- गव्यशाला, कुक्कुट पालन, मत्स्यपालन, के लिए उचित उपाय करना ।
iv. सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य- ग्रामीण गृह निर्माण करना, पेयजल की व्यवस्था करना, सड़क, भवन, नाली, पुलिया आदि का निर्माण कराना और उनकी सुरक्षा करना । सार्वजनिक गलियों और अन्य स्थानों पर रोशनी की व्यवस्था करना ।
v. शिक्षा संबंधी कार्य - शिक्षा के प्रति लोगों में रूचि उत्पन्न करना, वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देना और सर्वशिक्षा अभियान को बढ़ावा देना । 
vi. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना, परिवार कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, महामारियों से निपटना, सार्वजनिक टीका कार्यक्रमों को सफल बनाना इत्यादि।
2. पंचायत समिति के संगठन एवं कार्यों की विवेचना करें। 
उत्तर- प्रत्येक प्रखंड के लिए एक पंचायत समिति होती है। पंचायत समिति में निम्नलिखित प्रकार के सदस्य होते हैं—
निर्वाचित सदस्य- प्रखंड को कई निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित होते हैं जो 5,000 लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के जनसंख्या के हिसाब से स्थान सुरक्षित होते हैं। महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित है।
पदेन सदस्य- निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त ग्राम पंचायत का मुखिया पंचायत समिति का पदेन सदस्य होता है। इसके अलावे सह- सदस्य के रूप में विधान सभा और लोकसभा के सदस्य होते हैं। सभी सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। पंचायत समिति का एक प्रमुख होता है, जिसका निर्वाचन पंचायत समिति के सदस्य अपने में से करते हैं। पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने में से एक उपप्रमुख निर्वाचित करते हैं। सामान्यतः प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी होता है। 
पंचायत समिति के कार्य पंचायत समिति के निम्नलिखित प्रमुख कार्य है-
i. सरकार द्वारा सौंपे कार्य- विभिन्न कार्यक्रमों की वार्षिक योजनाएँ बनाकर जिला योजना में सम्मिलित करने हेतु जिला परिषद में प्रस्तुत करना, पंचायत समिति का बजट बनाना, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना।
ii. कृषि एवं सिंचाई संबंधी कार्य- कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास, कृषि, बीज फार्मों एवं उद्यान पौधशालाओं की देखरेख कीटनाशी एवं जीवनाशी औषधियों का भंडारण एवं वितरण | खेती के उन्नत तरीकों का प्रचार, सब्जियों, फलों औषधियों पौधों एवं फूलों को उगवाना।
iii. सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य- पेयजल की व्यवस्था करना, सार्वजनिक सड़कों, नालियों, पुलियों आदि का निर्माण एवं संरक्षण, बाजार एवं मेलों का प्रबंधन, गरीबी 'उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाना।
iv. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना, प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाना। 
v. शिक्षा संबंधी कार्य- प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देना, प्राथमिक विद्यालयों के भवनों का निर्माण, मरम्मत एवं देखरेख । व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था |
इनके अतिरिक्त सरकार तथा जिला परिषद द्वारा समय-समय पर सौंपे गए अन्य कार्यों को भी पंचायत समिति पूरा करती है। 
3. जिला परिषद के संगठन एवं कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- प्रत्येक जिला में एक जिला परिषद का गठन किया गया है। जिला परिषद में निम्नलिखित सदस्य होते हैं— संपूर्ण जिला को क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित होते हैं जो 50,000 की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिले की सभी पंचायत समितियों के प्रमुख । लोकसभा और राज्य विधानसभा के वैसे सदस्य जो जिले के किसी भाग या पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हों तथा राज्यसभा और राज्यविधान परिषद के वैसे सदस्य जो जिले के अंतर्गत मतदाता के रूप में पंजीकृत हों।
जिला परिषद का कार्यकाल उसकी प्रथम बैठक की निर्धारित तिथि से अगले पाँच वर्षों तक के लिए निश्चित होता है।
जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य भी अपने में से एक को अध्यक्ष और एक को उपाध्यक्ष निर्वाचित करते हैं। जिलाधिकारी की श्रेणी का पदाधिकारी जिला परिषद का मुख्य का कार्यपालन पदाधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। जिला परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं-
i. कृषि, सिंचाई एवं बागवानी संबंधी कार्य- कृषि उत्पादन को बढ़ानेवाले साधनों को प्रोत्साहित करना, कृषि, बीजफार्म तथा व्यावसायिक फार्म खोलना, कृषि मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना, कृषि एवं बागवानी प्रसार प्रशिक्षण केंद्रों का प्रबंधन करना।
ii. उद्योग-धंधे संबंधी कार्य – घरेलु एवं लघु उद्योगों का विकास, पशुपालन एवं गत्य विकास, मत्स्यपालन, वृक्षारोपण और उसकी देखरेख ।
iii. सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य- ग्रामीण विद्युतीकरण, आवश्यक वस्तुओं का वितरण, ग्रामीण सड़कों, पुल एवं पुलिया, कार्यालय भवनों का निर्माण एवं देखरेख 
iv. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य- अस्पतालों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और औषधालयों का निर्माण एवं देखरेख, रोग प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम का कार्यान्वयन, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन तथा प्रदूषण नियंत्रण के उपाय ।
v. शिक्षा संबंधी कार्य- प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना एवं देखरेख, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा का प्रचार-प्रसार, पुस्तकालयों की व्यवस्था ।
vi. सामाजिक कल्याण संबंधी कार्य- अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए छात्रवृत्तियों एवं छात्रावासों की व्यवस्था करना, निरक्षरता उन्मूलन कार्यक्रम, आदर्श कल्याण केंद्रों एवं शिल्प केन्द्रों का संचालन, महिलाओं, बच्चों, विधवाओं, वृद्धों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाना इत्यादि जिला परिषद के प्रमुख कार्य हैं।
4. ग्राम कचहरी के संगठन एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन करें।
उत्तर- प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में न्यायिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए एक ग्राम कचहरी का गठन किया जाता है। ग्राम कचहरी का गठन प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है जिसमें एक निर्वाचित सरपंच होता है और निश्चित संख्या में प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित पंच। प्रत्येक पंच लगभग पाँच सौ आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। ग्राम कचहरी में भी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं के स्थान आरक्षित हैं। ग्राम पंचायत की तरह ग्राम क का भी कार्यकाल पाँच वर्ष है। यदि ग्राम कचहरी को पहले विघटित कर दिया जाता है तो पुनर्निवाचन छह महीने के अंदर करा लेना पड़ता है। ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है। अधि नियम के अनुसार ग्राम कचहरी का सरपंच उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं के बहुमत द्वारा प्रत्यक्ष ढंग से निर्वाचित किया जाएगा। निर्वाचन के बाद प्रत्येक ग्राम कचहरी अपनी पहली बैठक में निर्वाचित पंचों में से बहुमत द्वारा एक उपसरपंच का चुनाव करती है। ग्राम कचहरी का एक सचिव होता है जिसे न्यायमित्र के नाम से जाना जाता है जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा विहित रीति से की जाती है।
ग्राम कचहरी का अधिकार क्षेत्र - ग्राम कचहरी अपने न्यायपीठ द्वारा विवादों का पहले सौहार्दपूर्ण समझौता कराने का प्रयास करती है। इसके लिए वह उचित कदम उठाने को अधिकृत ऐसा समझौता हो जाने पर न्यायपीठ अपना निर्णय देता है। ग्राम कचहरी के न्यायपीठ का निर्णय लिखित रूप में होता है और उसपर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होता है। ग्राम कचहरी भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों को देख सकती है। उसे फौजदारी और दीवानी दोनों मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार है। फौजदारी मुकदमों में ग्राम कचहरी की अधिकतम एक हजार रुपये तक का जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतम पंद्रह दिन का साधारण कारावास देने का अधिकार है। जब किसी व्यक्ति को ग्राम कचहरी के किसी न्यायपीठ द्वारा कारावास की संज्ञा दी जाए और दोषी व्यक्ति न्यायपीठ को संतुष्ट कर दे कि वह अपील करने का इरादा रखता है तब न्यायपीठ उसे उतनी अवधि तक के लिए जमानत पर छोड़ देने का आदेश दे सकता है। दस हजार रुपये तक के दीवानी मुकदमें सुनने का भी अधिकार ग्राम कचहरी को प्राप्त है।

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