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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. नेपाल की स्थलाकृति, मृदा, जलवायु और नदियों का वर्णन करें।
उत्तर- भूस्थलों की आकृति के आधार पर नेपाल को तीन भागों में विभक्त किया गया है।
(i) दक्षिण का तराई क्षेत्र, (ii) मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश, (iii) हिमालय प्रदेश।
मृदा— नेपाल की विशिष्ट स्थलाकृति का उसकी मृदा अथवा भूमि संसाधन पर विशेष पड़ता रहती है। बीच में उबड़-खाबड़ है। पर्वतीय प्रदेश में तीखे ढालों के कारण क्षरण की समस्या बनी पर्वतीय प्रदेश में अस्थिरता के उपजाऊ मिट्टी रह नहीं पाती, इस अनुर्वर मिट्टी को 'पॉडजोल' कहा जाता है। इसका रंग भूरा होता है। निचले पर्वतीय ढालों पर लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है। इसकी उर्वरता कम होती है। मात्र तराई और घाटियों में नदियों से लाई गई मिट्टी जलोढ़ रहती है। इसकी उर्वरता अच्छी होने के कारण कृषि-कार्य इन भागों का प्रमुख आर्थिक क्रियाकलाप है।
जलवायु–नेपाल में चार स्पष्ट ऋतुएँ होती हैं
1.शीतऋतु-दिसंबर से फरवरी तक।
2. वसंतऋतु-मार्च से मई तक
3. ग्रीष्मऋतु-जून से अगस्त तक (इसमें वर्षा होती रहती है)
4. शरदऋतु-सितंबर से नवंबर तक (इस समय आसमान खुला रहता है और सुखद ठंडक पड़ती है)
काठमांडू-घाटी का तापमान जनवरी में 20°C से 18°C के बीच रहता है, परंतु जुलाई 20°C से 29°C के बीच। तराई का तापमान 7°C से 44°C तक। काठमांडू-घाटी में वार्षिक वर्षा 130 सेमी. तराई में 200 सेमी. पूर्वी भाग में 500 सेमी. और पश्चिमी भाग में 25 सेमी. होती है। इस प्रकार नेपाल की वर्षा में बहुत विभिन्नता पाई जाती है।
नदियाँ- नेपाल में अनेक छोटी नदियाँ है। परंतु, कोसी, गंडक और घाघरा प्रमुख हैं। सबसे लंबी नदी करनाली है जो भारत में प्रवेश करने पर घाघरा में मिल जाती है। नेपाल की राजधानी काठमांडू भी बागमती नदी के तट पर अवस्थित है।
2. नेपाल के औद्योगिक विकास की स्थिति पर प्रकाश डालें।
उत्तर-नेपाल के औद्योगिक विकास में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। काठमांडू के दक्षिण में फारपिंग तथा उत्तर-पूर्व सुंदरीजन में जलविद्युत संयंत्र लग गए हैं। थोडोखोला, रोसीखोला और त्रिशूली नदियों पर 'त्रिशुली योजना' के अन्तर्गत भारत सरकार के सहयोग से जलविद्युत संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। कोसी-परियोजना से उत्पन्न विद्युत भी भारत द्वारा सस्ती दर पर नेपाल को उपलब्ध कराई जाती हैं।
विराटनगर में जूट, चीनी, दियासलाई और प्लाईवुड, वीरगंज में दियासलाई और सिगरेट के कारखाने तथा तराई के धान उत्पादक क्षेत्रों में चावल मिलें स्थापित हैं। इनमें से बहुतों का आधुनिकीकरण किया गया है। हठौडा में लकड़ी का एक विशाल कारखाना खोला गया है। लकड़ी की नक्काशी संयंत्रों और तकनीकों से परिवर्द्धित किया जा रहा है।
3. नेपाल की अर्थव्यवस्था का विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर- नेपाल की जनसंख्या 3 करोड़ तक पहुँचनेवाली है। इनमें प्राय: 1 प्रतिशत लोग काठमांडू के राजधानी क्षेत्र में निवास करते हैं। यहाँ बौद्ध धर्मावलवियों की संख्या भी बहुत है, परंतु मूलतः यह एकमात्र हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता रहा है।
प्राचीनतम संस्कृति की विरासत भी नेपाल के पास है और प्राचीन स्थापत्यकला का बेजोड़ संग्रह भी है। पर्यटकों के कारण नेपाल की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधर रही है। यदि इसका समुचित विकास किया जाय तो यह पूर्वी एशिया का स्विटजरलैंड बना सकता है। हाल ही में हुए चुनावों ने यहाँ विगत 240 वर्षों से चली आ रही राजतंत्रीय शासन प्रणाली को समाप्त कर प्रजातंत्रिक शासन प्रणाली की नींव रखी है और अब नेपाल एक गणराज्य के रूप में चर्दिक विकास के पथ पर अग्रसर हो रह है
।
4. नेपाल में परिवहन के साधनों की स्थिति पर प्रकाश डालें।
उत्तर- नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र में सड़क और रेलमार्ग का निर्माण कठिन है। भारत समी पर रक्सौल से अमलेखगंज तक और जयनगर से विजुलपुरा तक ही रेलमार्ग है। रक्सौल से काठमांडू तक त्रिभुवन राजपथ भारत के सहयोग से बनाया गया है। एक और राजमार्ग सिद्धार्थ भी भारत द्वारा बनाया गया है। चीन के सहयोग से तिब्बत तक जाने के लिए कोडारी-काठमांडू सड़क बनाई गई है। भारत पूर्व सोवियत संघ, ब्रिटेन और अमेरिका के सहयोग से महेन्द्र राजपथ नाम से तराई क्षेत्र में लड़कें बनी हैं। पूर्व-पश्चिम राजमार्ग भी प्रगति पर है। 1950 से नेपाल में वायुसेवा प्रारंभ हुई। तराई क्षेत्र में सिमरा विराटनगर, भैरवा, नेपालगंज तथा पहाड़ी क्षेत्र में काठमांडू, पोखरा, डॉग और नारायणगढ़ में हवाई अड्डे बने हैं।
5. नेपाल की भौतिक विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा, नेपाल की स्थलाकृति, मृदा, जलवायु तथा नदियों का विवरण दें।
उत्तर- भौतिक विशेषताओं के आधार पर नेपाल की पहली विशेषता इसकी स्थलाकृति से उत्तरसंबंधित है। स्थलाकृति की दृष्टि से नेपाल की उत्तरी भाग में हिमालय प्रदेश का विस्तार है। यहाँ विश्व की सर्वोच्च चोटी एवरेस्ट के साथ-साथ कई अन्य उच्चतम चोटियाँ स्थित हैं। अत्यधिक ऊँचाई के कारण ये चोटियाँ सदैव हिम से ढंकी रहती हैं। ये सभी शिखर महान हिमालय में स्थित है। इसके दक्षिण में मध्य हिमालय की स्थिति है जिसे महाभारत लेख कहा जाता है। इन दो हिमालय की श्रेणियों के मध्य प्रसिद्ध काठमांडू घाटी है। नेपाल के सबसे दक्षिणी भाग में तराई भूमि है। यह समतल भूमि की पतली पेटी है।
मृदा की दृष्टि से पर्वतीय उच्च भागों में पॉडजोल तथा निचले भागों में लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है। जबकि तराई एवं घाटी प्रदेश में जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी का विस्तार मिलता है।
नेपाल के जलवायु पर उच्चावच विभिन्नता का स्पष्ट प्रभाव पड़ा है। 4,800 मीटर से अधिक ऊँचे भागों में सालोंभर तापमान निम्न रहता इस देश का 75 प्रतिशत से अधिक भाग समुद्रतल से काफी ऊपर है। इसलिए, सिर्फ तराई प्रदेश में ही यहाँ उच्च तापमान पाया जाता है। इस देश में वार्षिक वर्षा की 80 प्रतिशत भाग ग्रीष्मकाल में होता है। यहाँ वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर क्रमशः घटती जाती है।
नेपाल की कई छोटी-छोटी नदियाँ, परंतु यहाँ कोसी, गंडक और घाघरा ही प्रमुख नदी तंत्र बनाती है। करनाली देश की सबसे लंबी नदी है। गंडक इस देश के बीच से होकर बहती है। बागमती नदी के किनारे ही काठमांडू शहर बसा है। नेपाल की अधिकांश उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई भारत में प्रवेश करती है।
6. नेपाल में उद्योगों के विकास का वर्णन करें।
अथवा, नेपाल में औद्योगिक विकास का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर- उद्योगों का विकास खनिजों की उपलब्धता पर काफी हद तक निर्भर करता है। इसके उत्तरसाथ-साथ पूँजी एवं अन्य कारकों का होना भी आवश्यक होता है। नेपाल में खनिजों का भंडार पर्याप्त है, परंतु इनकी खोज कम होने के कारण खनिज उद्योग अविकसित अवस्था में है। झिरपांग, थोसे नामक स्थानों से कुछ लौह-अयस्क निकाला जाता है। साथ ही, अन्य स्थानों से ताँबा, सीसा, जस्ता, निकेल, जप्सम, कोबाल्ट इत्यादि भी प्राप्त होते हैं। लिग्नाइट, ग्रेफाइट एवं चूनापत्थर भी यहाँ मिलते हैं। इसके बावजूद इस देश में बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए उपयुक्त कारकों का अभाव है।
नेपाल में लघु उद्योगों के विकास की अपार संभावनाएं हैं। परिणमस्वरूप, लघु उद्योगों के अंतर्गत यहाँ कृषि एवं वन आधारित उद्योग स्थापित किए गए हैं तथा कई उद्योग अभी स्थापित किए जा रहे हैं। इन उद्योगों में सूती वस्त्र, चीनी, जूट, चमड़ा तंबाकू, दियासलाई, कागज तथा वनस्पति तेल के उद्योग प्रमुख हैं। सीमेंट तथा कृषि उपकरणों के उद्योग भी विकसित हो रहे है। वास्वत में, नेपाल के औद्योगिक विकास में भारत की अहम भूमिका है।
इस देश के अंतर्गत विराटनगर एकमात्र औद्योगिक नगर है जहाँ जूट, चीनी, दियासलाई और प्लाईवुड के साथ-साथ अन्य उद्योग स्थापित हैं। इनके अतिरिक्त वीरगंज में दियासलाई और सिगरेट के कारखाने तथा तराई क्षेत्र में चावल मिलें स्थापित है। इनमें से बहुतों का आधुनिकीकरण किया गया है। लकड़ी का एक त्रिशात कारखाना हठौडा में खोला गया है। लकड़ी की नक्काशी, ऊन से कंबल बुनने और कालान तैयार करने के परंपरागत उद्योगों का अत्याधुनिक यंयंत्रों एवं तकनीकों से परिवर्द्धित किया जा रहा है। पर्यटन उद्योग यहाँ का सबसे विकसित उद्योग है, जिसक विकास की यहाँ और संभावनाएँ मौजूद हैं।
7. नेपाल की अर्थव्यवस्था का विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर- नेपाल की अर्थव्यवस्था के आधार कृषि, पशुपालन, खनन और उद्योग है। नेपाल में कृषि यहाँ के कुछ क्षेत्रफल के लगभग 18% भाग पर की जाती है जो प्रायः दक्षिणी भागों में सीमित है। यहाँ के प्रमुख खाद्यान्नों में चावल, गेहूँ, मक्का, ज्वार तथा बाजरे की फसलें हैं जबकि व्यावसायिक फसलों में गन्ना, जूट, तबांकू, चाय और कपास महत्वपूर्ण है। पहाड़ियों के बीच नारंगी तथा कुछ अन्य फलों का उत्पादन किया जाता है। हराई प्रदेश का पूर्वी भाग देश के कुल कृषि-उत्पादन का 70% भाग देता है। काठमाडू घाटी में सघन कृषि की जाती है। यहाँ चावल और फलों के साथ सब्जी का बहुत उत्पादन होता है। पर्वती ढालों पर चाय की खेती की जाती है। पशुपालन के रूप में यहाँ भेड़ बकरियाँ बहुतायत में पाली जाती है।
नेपाल की अर्थव्यवस्था के विकास में जलविद्युत उत्पादन भी महत्वपूर्ण है। नेपाल की नदी -तंत्र जलविद्युत उत्पादन के लिए लिए अनुकूल है। ।
खनन कार्य भी इस देश की अर्थव्यवस्था का एक आधार है। परंतु, इस दिशा में खोज कम होने के कारण यह उद्योग अविकसित अवस्था में है। नेपाल में उच्च कोटि का लौह-अयस्क निकाला जाता है। इसके अतिरिक्त ताँबा, सीसा, जस्ता, निकेल, जिप्सम, कोबाल्ट, लिग्नाइट, ग्रेफाइट एवं चूनापत्थर भी सीमित मात्रा में निकाले जाते हैं।
नेपाल के बड़े उद्योगों की बजाय लघु उद्योगों के विकास की पूरी संभावनाएं हैं। यहाँ कृषि एवं वन आधारित लघु उद्योगों की कई इकाइयाँ कार्यरत हैं। नेपाल का सबसे विकसित उद्योग पर्यटन उद्योग है। नेपाल के औद्योगिक विकास । भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस देश में विराटनगर एकमात्र औद्योगिक नगर है। कुछ उद्योग वीरगंज में भी स्थापित हैं।
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