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1. आग लगने के कारणों और इनके निदानों का वर्णन करें।
उत्तर- कारण – (i) भोजन बनाते समय स्टोव, गैस चूल्हा या लकड़ी के चूल्हे से असावधानी वश आग लग सकती है। आजकल गैस सिलिंडर से लगनेवाली आग प्राय: आम घटना हो गई है।
(ii) बिजली के हीटर या बिजली के उपकरण पंखा, बल्ब, टीवी इत्यादि की गड़बड़ी या तार की वायरिंग की गड़बड़ी से शार्ट सर्किट द्वारा आग लगने की संभावना रहती है।
(iii) धूम्रपान करनेवाले लोग प्राय: अधजली बीड़ी, सिगरेट फेंक देते हैं। इनसे भी आग लग सकती है।
(iv) उद्योगों या भंडार गृहों में ज्वलनशील पदार्थ रहने पर आग तेजी से भड़कर आपदा का रूप ले लेती है।
निदान – (i) जहाँ तक हो सके घर के भीतर ज्वलनशील पदार्थ नहीं रखना चाहिए।
(ii) घरों में अग्निशमन यंत्र को रखना चाहिए और इसके उपयोग की विधि से भी घर के हर व्यक्ति को अवगत रहना चाहिए।
(iii) घर से बाहर निकलते समय बिजली के उपकरणों को बंद कर देना चाहिए ।
(iv) भोजन बनाने के बाद सिलिंडर का स्विच ऑफ कर देना चाहिए।
(v) किसी भी परिस्थिति में घर से बाहर निकलने का मार्ग याद रखना चाहिए ।
(vi) घर मैं आग से धुआँ भर जाने की स्थिति में जमीन पर लेटकर तथा रेंगकर बाहर निकलना चाहिए।
(vii) बिजली के कारण लगी आग को पानी से नहीं बुझाना चाहिए, नहीं तो बिजली का झटका लग सकता है।
(viii) बच्चों को दियासलाई नहीं देनी चाहिए और बिजली के स्विच तथा उपकरण उनकी पहुँच से दूर रखना चाहिए।
2. आतंकवाद की समस्या का वर्णन करें और इन्हें रोकने के उपाय बताएँ।
उत्तर - पूरे विश्व के अनेक भागों में आतंकवादी संगठन विकसित हो गये हैं। इनकी शक्ति बढ़ती जा रही है और यह विश्वव्यापी आपदा का रूप ले चुकी है। वस्तुतः, आतंकवाद मानवजनित वह आपदा है जो धर्म संप्रदाय की आड़ में अपने राजनीतिक उद्देश्यों के पूर्ति के लिए विकसित की गई है। आतंकवादी संगठनों का न कोई निश्चित क्षेत्र है और न ही कोई राजनीतिक सीमा। आज 'अलकायदा' सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है, जिसने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर वायुयान से हमलाकर इसे ध्वस्त कर दिया। आतंकवादी प्रायः बम या ग्रेनेड जैसे अस्त्रों का प्रयोग करते हैं। इनसे बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ आवश्यक हैं
(i) अनजानी गठरी, झोला, सूटकेस या किसी सामान को नहीं छूना चाहिए, बल्कि इसकी सूचना तुरंत पुलिस या किसी जिम्मेवार व्यक्ति को देनी चाहिए |
(ii) संदेहात्मक गतिविधि के व्यक्ति की सूचना भी पुलिस को देनी चाहिए। उससे उलझने की आवश्यकता नहीं है।
(iii) मकान में किरायेदार को रखते समय उसकी जानकारी ले लें और उसके फोटो सहित पूलिस को सूचित करें।
(iv) विद्यालयों में आतंकवाद की समस्याओं की जानकारी छात्रों को देनी चाहिए।
3. लघु स्तरीय आपदाओं के कारणों और निदानों का उल्लेख करें।
उत्तर- कारण–
(क) गरीब परिवारों में भोजन की समस्या रहती है। कभी-कभी वे ऐसे पदार्थ खाने के लिए विवश होते हैं जो या तो अपाच्य होता है या अखाद्य । इससे पेट की बीमारियाँ हो जाती हैं।
(ख) गंदी बस्तियों में जल के दूषित होने या हवा की गंदगी से हैजा, प्लेग, मलेरिया तथा कलाजार होता रहता है। यह परिवार से फैलकर सामूहिक रूप ले लेता है।
निदान –
(क) पेट की गड़बड़ी में नमक और चीनी का घोल अथवा इलेक्ट्रॉल पाउडर का घोल एक-एक घंटे के अंतराल पर देते रहना चाहिए।
(ख) यदि समस्या गंभीर हो तो फोन या अन्य साधनो से निकटवर्ती स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित करना चाहिए। हो सके तो संबंधित व्यक्ति को स्वास्थ्य केन्द्र पहुँचाना चाहिए।
(ग) स्वयंसेवी संस्थाएँ या ग्राम पंचायतें नुक्कड़ नाटकों या परिचर्चाओं द्वारा लोगों को इस संबंध में सावधानी रखने के लिए जागरूक कर सकती हैं।
(घ) हैजा, प्लेग इत्यादि शीघ्र ही महामारी का रूप ले लेते हैं, अतः स्वास्थ्य केंद्रों को सूचित करने के साथ ही इन बीमारियों के कारणों, अर्थात गंदगियों की सफाई भी आवश्यक है।
(ङ) कुछ ऐसी सामान्य बीमारियों के लक्षण जानना आवश्यक है जिससे उनकी पहचान शीघ्र हो सके जैसे मलेरिया या कालाजार गंदे जल या हवा से फैलते हैं। दोनों में तेज बुखार होता है और कंपकंपी होती है। इनसे मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। इनके इलाज की सुविधा बड़े अस्पतालों में ही होती है। परिवार को घबराने से रोकने के लिए उसे ढाढ़स देना भी आवश्यक है।
4. विद्यालय स्तर पर आपदा प्रबंधन की विवेचना करें।
उत्तर- विद्यालयों में आते समय तथा अवकाश होने पर एक साथ झुंड में बच्चे सड़क पर चलते हैं। कभी-कभी उनके रास्ते में रेल फाटक भी पड़ता है। अतः, विद्यालय में प्रति सप्ताह नियमपूर्वक एक घंटी भी वर्गानुसार या सामूहिक रूप से इन दुर्घटनाओं से बचने एवं यातायात के नियमों की जानकारी देने के लिए रखनी चाहिए, जैसे—
(i) सड़क पर चलते समय हमेशा बाईं ओर से चलें।
(ii) सड़क पार करते समय दाहिने बाएँ देखकर तथा जेब्रा क्रॉसिंग के सहारे सड़क पार. करें। क्रॉसिंग पर हरी बत्ती की प्रतीक्षा करें। जेब्रा पार करने के लिए भी एक प्रकार की बत्ती लगी होती है।
(iii) गाड़ी चलाते समय सड़क पर बने गति अवरोधक पर गाड़ी धीरे चलानी चाहिए।
(iv) सड़क के किनारे लगे पुल, मोड़ इत्यादि के संकेतों का पालन करना चाहिए।
(v) विद्यालय में समय-समय पर परिवहन दुर्घटनाओं की व्याख्या, मॉडल इत्यादि प्रदर्शित करना चाहिए।
(vi) विद्यालय की बसों के ड्राइवर का प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। गाड़ी के खड़े होने पर ही उतरना या चढ़ना चाहिए ।
(vii) गाड़ी में बढ़ने के बाद शरीर का कोई अंग गाड़ी की खिड़की से बाहर नहीं रहना चाहिए।
(viii) प्रत्येक बस में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स रखना चाहिए। और चालक तथा कंडक्टर को प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी होनी चाहिए।
(ix) किसी कारण जल जाने पर जले अंग पर बर्फ या ठंडा पानी तुरंत डालना चाहिए और जलते समय कंबल से ढक देना चाहिए।
5. सांप्रदायिक एवं आतंकवादी घटनाओं पर एक निबंध लिखें।
उत्तर- सांप्रदायिक दंगे और आतंकवादी मानवजनित आपदा हैं जो धर्म, संप्रदाय की आड़ में अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विकसित की गई हैं। इन मानवविरोधी संगठनों का न तो कोई निश्चित क्षेत्र होते है और न ही कोई राजनीतिक सीमा। वर्तमान समय में अलकायदा सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन माना जाता है जिसने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर वायुयान से हमलाकर उसे ध्वस्त कर दिया था। भारत की आतंकवादी गतिविधियों का सबसे बड़ा भुक्तभोगी है। कश्मीर की समस्या आजादी के साथ ही मिली थी, इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच भयंकर युद्ध भी हो चुके हैं। परंतु, अभी भी पाकिस्तान आतंकवादियों की सहायता से जम्मू-कश्मीर में प्रतिदिन कुछ-न-कुछ हरकतें करता रहता है। अब तो पूरा भारत ही आतंक के साए में है।
सर्वप्रथम, 1980 के दशक में पंजाब आतंकवाद की आग में जला और इससे उबर भी गया, फिर भी यह आग दूसरे प्रांतों में धीरे-धीरे सुलगती रही । उत्तर पूर्वी राज्य भी आतंकवादी गतिविधियों से ग्रसित हैं जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में सांप्रदायिक गतिविधियाँ कुछ ज्यादा ही असर डालती है। संप्रदाय और प्रदेश के नाम पर लोगों के बीच नफरत की आग फैलायी जाती है तथा समूह-विशेष को अपना शिकार बनाया जाता है।
इन गतिविधियों से देश की राजधानी दिल्ली भी अछूती नहीं है। 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद पर भी आतंकवादी हमला हो चुका है। 2008 में बंगलुरु, जयपुर, सूरत और दिल्ली जैसे महानगरों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए। इसी कड़ी में 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित ताज होटल आतंकवादी गतिविधियों का शिकार बना। ताज के अतिरिक्त ओबराय होटल और नरीमन हाउस में भी आत्मघाती आतंकवादियों ने जघन्यतम कार्य किए। लगभग 200 निरपराध देशी एवं विदेशी लोग इनकी गोलियों के शिकार हुए।
ऐसी सांप्रदायिक एवं आतंकवादी घटनाएँ देश की एकता, प्रगति और शांति के लिए चुनौती हैं जिनको समूल नष्ट किया जाना अत्यावश्यक है।
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