www.BharatiBhawan.org |
1. श्रीलंका को 'पूर्व का मोती' या 'रत्नद्वीप' क्यों कहा जाता है।
उत्तर- यहाँ नीलम, रक्तमणि, पुखराज जैसे रत्नों और मणियों के भी भंडार हैं। यहाँ समुद्र से मोती निकालने का भी व्यवसाय होता है। यही कारण है कि श्रीलंका को मोतियों का द्वीप अथवा 'पूर्व का मोती' या 'रत्नद्वीप' कहलाता था।
2. श्रीलंका की वनस्पतियों का वर्णन करें।
उत्तर - श्रीलंका के लगभग 20 प्रतिशत भाग पर वन का विस्तार है। जिसमें चिरहरित वन की प्रधानता है। इस वन में रबड़, सिनकोना, गटापार्चा, चंदन और नारियल के वृक्ष मिलते हैं। पर्वतीय ढाल एवं चाय की खेती की जाती है। तटीय भागों में नारियल के पेड़ों की बहुलता है; मध्यवर्ती पठारी भाग में सघन वन पाए जाते हैं।
3. श्रीलंका की जलवायु विशेषताओं को लिखें।
उत्तर - विषुवतरेखा के निकट स्थित होने के कारण श्रीलंका में सालोंभर गर्मी पड़ती है। यहाँ का औसत तापमान 27°C रहता है। विशेष अक्षांशीय विस्तार के कारण यहाँ सालोंभर वर्षा होती है। यहाँ का औसत तापमान 27°C रहता है। विशेष आक्षांशीय विस्तार के कारण यहाँ सालोंभर वर्षा होती है। यहाँ जाड़े की ऋतु नहीं होती है। इस देश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून से तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी मॉनसून से वर्षा होती है। तटीय भागों में 200 सेंटीमीटर तथा पर्वतीय क्षेत्र में 500 सेंटीमीटर वर्षा होती है।
4. श्रीलंका की भौगोलिक अवस्थिति का वर्णन करें।
उत्तर - श्रीलंका समुद्र के रास्ते भारत का सबसे नजदीकी पड़ोसी देश है। यह पाक जलसंधि तथा मन्नार की खाड़ी द्वारा भारत से अलग होता है। इस द्वीपीय देश की आकृति नारियल की तरह है। 66 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस देश का उत्तरी भाग प्रायद्वीपीय है। भारत के रामेश्वरम से श्रीलंका तक प्रवाल द्वीपों की लंबी श्रृंखला पाई जाती है जिसे आदम- पुल कहा जाता है।
5. श्रीलंका का जनसंख्या का वर्णन करें।
उत्तर - श्रीलंका की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ 1 लाख है। यहाँ की जनसंख्या का घनत्व 250 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। सिंहली लोगों की प्रधानता के कारण यहाँ सिंहली भाषा बोली जाती है। कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत भाग यहाँ बौद्ध धर्मावलंबी है। उत्तरी श्रीलंका में तमिलों की जनसंख्या अधिक है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि आधारित उद्योगों में संलग्न है।
6. श्रीलंका की प्राकृतिक संरचना एवं स्थलाकृति का वर्णन करें।
उत्तर- संरचना की दृष्टि से श्रीलंका गोडवाना चट्टानों से बना भू-भाग है। इसके उत्तरी भाग जाफना में चूनापत्थर की प्रधानता है, जो एक मैदानी प्रदेश है। इस देश का मध्यवर्ती भाग पुरानी कड़ी चट्टानों से निर्मित एक पठारी संरचना है। इस पठार की औसत ऊँचाई 900 मीटर है। इस पठार के चारों ओर समतल मैदानी भाग हैं। तटीय भाग उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में काफी कटा-छटा है।
7. श्रीलंका की नदियों के बारे में लिखें।
उत्तर- श्रीलंका में बड़ी नदियों का अभाव है, परंतु छोटी नदियाँ अधिक हैं। महावेली गंगा, पान, अरुवी यहाँ की कुछ प्रमुख नदियाँ है। ये नदियाँ मध्यवर्ती उच्च भागों से निकलकर अरीय प्रणाली में बहती हुई समुद्र में गिरती हैं। पूर्व में महावेली गंगा, उत्तर-पश्चिम में अरुवी तथा पश्चिम में केलानी गंगा समुद्र में जाकर मिलती है ।
8. श्रीलंका के खनन उद्योग का परिचय दें।
उत्तर- श्रीलंका में ग्रैफाइट, चूनापत्थर, अभ्रक, लोहा इत्यादि प्रमुखता से पाए जाने वाले से खनिज है। यहाँ रत्नों एवं मणियों के भी भंडार है। निकटवर्ती समुद्र से मोती भी निकाले जाते हैं। यहाँ का गोमेद काफी प्रसिद्ध है। इसके बावजूद इस देश में खनन उद्योग सुविकसित अवस्था में नहीं है। देश के उत्तरी भाग जाफना में चूनापत्थर पाया जाता है।
9. श्रीलंका की स्थलाकृति का वर्णन करें।
उत्तर - श्रीलंका भारत के प्रायद्वीपीय पठार के समान ही गोंडवाना चट्टानों से बना है। यहाँ प्री केम्ब्रियनकालीन चट्टानों की प्रधानता है। उत्तरी भाग में स्थित जाफना प्रायद्वीप है जहाँ चूनापत्थर की चट्टानें मिलती हैं जो मैदानी स्थलाकृति के रूप में है। नारियल के आकार में फैले इस देश के मध्यवर्ती भाग में पुरानी कड़ी चट्टानों से निर्मित पठारी स्थलाकृति है जिसकी औसत ऊँचाई 2,000 मीटर से भी अधिक है। यहाँ की सर्वोच्च चोटी पिडुरुतालागाला 2,527 मीटर ऊँची है। इस पठार के चारों ओर समतल मैदान है जो 100 मीटर से भी कम ऊँचा है। इन पठारी भाग में हरी-भरी घाटियाँ मिलती हैं। पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी तटीय भाग काफी कटा-छटा है जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी तटीय भाग कम कटा-छटा है।
10. श्रीलंका की कृषि व्यवस्था का उल्लेख करें।
उत्तर - श्रीलंका के लगभग 25 प्रतिशत भू-भाग पर कृषिकार्य किया जाता है। रबड़, चाय, नारियल और धान यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। धान की खेती निचले भागों में की जाती है। चाय की खेती पहाड़ी ढलानों पर तथा नारियल की खेती तटवर्ती भागों में की जाती है। जनसंख्या की अधिकता के कारण यहाँ के चावल की घरेलू खपत अधिक होने के कारण इसका निर्यात नहीं किया जाता है। इस देश में काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, कोको, कहवा, काजू, तंबाक, अनन्नास, पान सुपारी एवं गन्ने की भी खेती की जाती है। भारत के बाद श्रीलंका चाय की सर्वाधिक उत्पादन देश है। इस देश की अर्थव्यवस्था में चाय का प्रमुख स्थान है। मत्स्य व्यवसाय भी यहाँ सुविकसित अवस्था में है।
11. श्रीलंका के उद्योग-धंधों का विवरण दें।
उत्तर - श्रीलंका एक कृषि प्रधान देश है। परिणामस्वरूप, यहाँ कृषि आधारित उद्योग विकसित जो लघु एवं कुटीर उद्योग के रूप में है। इसके अतिरिक्त नारियल से तल निकालने, रस्सी बनाने, चटाई बनाने, रबड़ से ट्यूब बनाने तथा चाय की डिब्बाबंदी करने का कुटीर उद्योग संचालित होता है। सड़क एवं रेलमार्गों के विकास के कारण चाय उद्योग, नारियल एवं इससे संबंधित उद्योग तथा खनन उद्योग विकसित हुए हैं। यहाँ रत्नों एवं मणियों को निकालने का उद्योग भी काफी प्रचलित है। उत्तर में स्थित जाफना तंबाकू उद्योग का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र है।
0 Comments