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Class 9th Bharati Bhawan Geography Chapter 2 | Long Answer Question | भौतिक स्वरूप-संरचना और उच्चावच | कक्षा 9वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 2 | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan Geography Chapter 2  Long Answer Question  भौतिक स्वरूप-संरचना और उच्चावच  कक्षा 9वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 2  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारत को कितने प्राकृतिक विभागों में बाँटा जा सकता है ? उनका वर्णन करें। 
उत्तर- भारत को छह प्राकृतिक विभागों में बाँटा जा सकता है
(i) हिमालय या उत्तर का पर्वतीय प्रदेश- भारत के उत्तरी भाग में विस्तृत मोड़दार पर्वत में (वलित पर्वत) मुख्य रूप से, 'हिमालय' के नाम से विख्यात है। पश्चिम में सिंधुनद और पूर्व में ब्रह्मपुत्र नद के बीच चाप या तलवार की तरह फैले हिमालय की लंबाई 2,500 किलोमीटर है और चौड़ाई 150 से 500 किलोमीटर है। विश्व की सर्वोच्च चोटी इसी में मिलती है। इस पर्वतीय भाग की औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है।
(ii) उत्तर का विस्तृत या विशाल मैदान- यह हिमालय के दक्षिण कोई 2,400 किलोमीटर में (पूर्व-पश्चिम) फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई 240 से 500 किलोमीटर (उतर-दक्षिण) है। इसका क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह मैदान समतल और इसमें कोई पर्वत नहीं है। सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नदियों के जलोढ़ निक्षेवों से बना यह विशाल मैदान 250 मीटर से भी कम ऊँचा है और अत्यंत उपजाऊ है। प्राचीन
(iii) दक्षिण का पठार-दक्षिणी भारत प्रायद्वीप है और सबसे पुराना पठार है। यह गोडवानाभूमि का एक खंड है और मुख्य रूप से कड़ी रवादार चट्टानों से बना हुआ है। इसकी चौड़ा और दक्षिण की ओर पतला ऊँचाई मुख्यतः 400 से 900 मीटर तक है। यह उतर की ओर होता गया है। कन्याकुमारी की स्थिति सबसे दक्षिणी छोर पर है। 
(iv) समुद्रतटीय मैदान- प्रायद्वीपीपय मठार के पूर्व और पश्चिम में समुद्रतटीय मैदान मिलते हैं। ये मैदान बंगाल की खाड़ी और अरबसागर के किनारे स्थित हैं। स्थिति के अनुसार इनके दो उपविभाग किए जा सकते हैं—(i) पश्चिमतटीय मैदान और (ii) पूर्वतटीय मैदान। समस्त तटरेखा ( 712 हजार किलोमीटर लंबी है।
(v) भारतीय मरूस्थल-उतरी उच्चभूमि से सटे अरावली के पश्चिम में दूर तक मरूभूमि मिलती है, जो 'थार मरुस्थल के नाम से प्रसिद्ध है। यह 644 किलोमीटर लंबा और 160 किलोमीटर चौड़ा है। यह प्रायद्वीपीय भारत का पश्चिमोत्तर भाग है।
(vi) भारतीय द्वीपसमूह- भारत की मुख्य भूमि से हटकर दो द्वीपसमूह 'अंडमान और निकोबार' तथा लक्षद्वीप' भारत के ही अंग हैं। अंडमान और निकोबार बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इनमें कुछ ज्वालामुखी के उद्गार से बने हैं। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।
2. हिमालय के पर्वतीय भाग और दक्षिण के पठार का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करें। 
उत्तर- भारत के उतरी भाग में विस्तृत मोड़दार पर्वत मुख्य रूप से, 'हिमालय' के नाम से विख्यात है। हिमालय की लंबाई 2,500 किलोमीटर है और चौड़ाई 150 से 500 किलोमीटर है। पर्वतीय भाग की औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है।
हिमालय के उत्तर में तीन और समांतर पर्वतश्रेणियाँ मिलती हैं, जो 'जस्कर श्रेणी' 'लद्दाख श्रेणी' और 'काराकोरम' श्रेणी के नाम से प्रसिद्ध है। इस भाग में विशाल ग्लेशियर (हिमानियाँ) भी हैं जैसे—बाल्टोरो, सियाचीन।
उतर और उतर-पूर्व की पर्वतश्रेणियों से सटे पड़ोसी देशों में अनेक पर्वतश्रेणियाँ मिलती हैं : जैसे—क्यूनलुन, अराकान। मुख्य हिमालय सिंधु और ब्रह्मपुत्र की संकरी गहरी घाटियों के बीच स्थित है। यह तीन समांतर श्रेणियों में मिलता है। हिमाद्रि, हिमाचल और शिवालिक। प्रमुख शिखर हैं—नंगा पर्वत, नंदा देवी, धवलागिरि अन्नपूर्णा एवरेस्ट आदि। प्रमुख दर्रे हैं। उमासी-ला, बुर्जी-ला, , जोजि-ला, माना-ला, शिपकी-लाप, जलेप-ला, नाथू-ला आदि। दक्षिणी भारत प्रायद्वीप है और सबसे पुराना पठार भी। यह प्राचीन गोंडवाना भूमि का एक खंड है और मुख्य रूप से कड़ी रवादार चट्टानों से बना हुआ है। इसकी ऊँचाई मुख्यतः 400 से 900 मीटर तक है। यह उतर की ओर चौड़ा एवं दक्षिण की ओर पतला होता गया है। कन्याकुमारी की स्थिति सबसे दक्षिणी छोर पर है। । इस पठार के तीनों और पहाड़ियाँ मिलती हैं-उत्तर में अरावली, विंध्याचल और सतपुरा : पश्चिम में पश्चिमी घाट (सह्याद्रि) और पूर्व में पूर्वी घाट।
पश्चिमी घाट का विस्तार ताप्ती नदी से लेकर कन्याकुमारी तक है। दक्षिण की ओर इसकी ऊँचाई बढ़ती जाती है। सबसे अधिक ऊँचाई अनयमुदी चोटी की है। (2,695 मीटर) दक्षिण भारत का सबसे सुंदर पर्वतीय नगर 'ऊटी' यहीं स्थित है।
पश्चिम घाट में तीन प्रमुख दर्रे हैं—थालघाट, भोरघाट और पालघाट।
पश्चिमी घाट की तरह पूर्वी घाट शृंखलाबद्ध या अविच्छिन्न नहीं है और इसकी ऊँचाई भी उतनी अधिक नहीं है। पूर्वीघाट का सर्वोच्च शिखर महेन्द्रगिरि 1500 मीटर ऊँचा है।
3. भारत के उत्तरी मैदान को कितने उपविभागों में बाँटा जा सकता है? उनका विवरण दें। 
उत्तर- भारत के उत्तरी मैदान को चार उपविभागों में बाँटा जा सकता है जो निम्न हैं। (i) पंजाब का मैदान, (ii) राजस्थान का मैदान, (iii) गंगा का मैदान, (iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान। 
(i) पंजाब का मैदान-उतरी विशाल मैदान का सबसे पश्चिमी भाग है। पाँच प्रमुख नदियों (झेलम, चेनाव, रावी, सतलुज और व्यास) का जल प्राप्त करने के कारण यह पंजाब कहलाता है। इस मैदान की औसत ऊँचाई 200 से 350 मीटर (समुद्रतल से) है। दिल्ली पहाड़ी या सरहिंद जलविभाजवक (300 मीटर ऊँचा) द्वारा यह गंगा के मैदान से अलग होता है।
(ii) राजस्थान का मैदान- यह अरावली के पश्चिम में विस्तृत है. किंतु जलवायु-परिवर्तन के कारण यह मैदान रेतीला बन गया है। यहाँ बालू की टीलों की प्रधानता है। लूनी इस मैदान की एकमात्र नदी है। खारे जल की झीलें अनेक हैं : जैसे सांवर, विदवाना, डेगना और कुचापन। 
(iii) गंगा का मैदान—यह मुख्यतः पश्चिम में यमुना और पूर्व में ब्रह्मपुत्र के बीच का समतल में भाग है। जिसकी ढाल दक्षिण-पूर्व की ओर है। इस मैदान की लंबाई 1,400 किलोमीटर है। गंगा के मैदान से चार भागों में बाँटते हैं—–(i) भाबर, (ii) तराई, (iii) बॉगर और (iv) खादर । भाबर रोड़े-कंकड़-गिट्टीवाली भूमि है। इसकी पेटी पूर्व में तिस्ता तक फैली है। तराई पेटी दलदल भूमि है। जहाँ घने वन मिलते हैं। बाँगर पुरानी मिट्टी और खादर नई मिट्टी का क्षेत्र है। खादर बहुत उपजाऊ भूमि है।
ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर गंगा अपने मुहाने पर 'डेल्टा' बनाती है, जो संसार में सबसे बड़ा भाग है।
(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान- उतरी विशाल मैदान का सबसे पूर्वी भाग ब्रह्मपुत्र का मैदान है, जिसकी ढाल पूर्व से पश्चिम की ओर है। यह मैदान 600 किलोमीटर लंबा और 100 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी सामान्य ऊँचाई 150 मीटर है।
4. भारत के विभिन्न प्राकृतिक विभाग जन-जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? 
उत्तर-(i) हिमालय या उतर का पर्वतीय प्रदेश—यह जन-जीवन को गहरे ढंग से प्रभावित करता है। हिमालय भारत का प्रहरी है। जलवायविक दशाओं का नियंत्रक भी है। मानसून पवनों के मार्ग में खड़ा होकर यह उनसे वर्षा कराता है। हिमालय न होता तो उत्तरी विशाल मैदान अस्तित्व में न आ पाता।
(ii) उत्तर का विस्तृत या विशाल मैदान—यह मैदान विश्व के सबसे बड़े मैदानों में है और अत्यंत समतल तथा उपजाऊ है। इन कारणों से यह देश का कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र बना हुआ है। यह सघन आबाद भी है और संस्कृति, धर्म तथा राजनीति में विकसित रहा है। 
(iii) दक्षिण का पठार – प्रायद्वीपीय पठार रत्नगर्भा है। यहाँ लोहा, कोयला, ताँबा, मैंगनीज, अबरख, चूना पत्थर, सोना, हीरा इत्यादि खनिज द्रव्य प्राप्य हैं। पहाड़ी भूमि होने के कारण यहाँ वन-वैभव भी मिलता है, किंतु वनों का विस्तार सीमित क्षेत्र में है। जलविद्युत उत्पादन में यह आगे रहा है। पहाड़ी नदियों से और अधिक जलशक्ति का विकास किया जा सकता है। लावा के विखंडन से प्राप्त काली मिट्टी के क्षेत्र कपास उत्पादन में अत्युत्तम सिद्ध हुए हैं।
(iv) समुद्रतटीय मैदान—तटीय मैदान ने विदेशी व्यापार में अपार मदद पहुँचाई है। कोलकाता को छोड़कर सभी छोटे-बड़े पत्तन समुद्री तट पर ही स्थित हैं, जो व्यापार के केन्द्र बन गए हैं। देश भीतरी भागों से वे रेलमार्ग या सड़कमार्ग द्वारा जुड़े हुए हैं। समुद्र की समीपता ने इस प्रदेश कवे लोगों को साहसी नाविक बनने को प्रेरित किया है।
यहाँ समुद्री मछुआरे भी बहुत मिलते हैं, जो मछली पकड़ने जैसे आर्थिक क्रियाशीलन में लगे हुए हैं। नारियल, गर्म मसाले धान आदि की खेती के लिए ये महत्वपूर्ण स्थल हैं। "  
5. हिमालय का निर्माण किस प्रकार हुआ ? इस पर प्रकाश डालें।
उत्तर - हिमालय का निर्माण टेथिस सागर में जमा हुए अवसादों ( तलछटों) से हुआ है। भारतीय भूखंड (प्लेट) जब उत्तर की ओर सरककर उत्तरी भूखंड (प्लेट) से टकराया तो दोनों भूखंडों के बीच की तलछटी चट्टानें मुड़कर ऊपर उठ गईं जिनसे हिमालय का निर्माण हुआ। इसके निर्माण में लाखों-करोड़ों वर्ष लगे।
हिमालय के दक्षिण में जो विस्तृत खड्ड या बेसिन बना, वह उत्तर के हिमालय पर्वत और दक्षिण के पठार से प्रवाहित होनेवालवी नदियों के जमा किए गए मिट्टी-बालू (अवसादों) से - भरकर विस्तृत मैदान बन गया। हिमालय के निर्माणकाल की दो महत्वपूर्ण घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। एक है, दक्षिणी पठार के पश्चिमी भाग का अवतलित होना, अर्थात भूतल में समा जाना। दूसरा में है, अरब सागर का अस्तित्व में आना। उत्तर-पश्चिमी पठारी भाग में विस्तृत ज्वालामुखी उद्गार होने से वह भाग अवतलित हुआ।
6. प्रायद्वीपीय पठार के उपविभागों के नाम लिखें और उनमें एक का वर्णन करें। 
उत्तर- प्रायद्वीपीय पठार को दो स्पष्ट भागों बाँट देती है। (i) उत्तर-स्थित उच्चभूमि और (ii) दक्षिण-स्थित डेवकन या दक्कन का पठार उतर में पठार की ढाल उतर की ओर है। इस कारण चंबल और सोन उत्तरवाहिनी है।
(i) उत्तरी उच्चभूमि- दक्षिण भारत के पश्चिमोत्तर (राजस्थान) में अरावली श्रेणी मिलती है। यह अवशिष्ट पर्वत है, जिसकी एक शाखा दिल्ली की ओर चली गई है। अरावली की अधिकतम ऊँचाई आज 1,722 मीटर रह गई हैं। यह हिमालय से भी पुराना पहाड़ है। इसे विश्व का सबसे पुराना वलित पर्वत माना जाता है। इससे पूर्व की ओर बढ़ने पर क्रमश: 'बुंदेलखंड पठार', 'बघेलखंड पठार' और 'छोटानागपुर पठार' मिलते हैं। चंबल, बेतवा और सोन इस भाग की प्रमुख नदियाँ हैं।
अरावली के दक्षिण से पूर्व की ओर बढ़ने पर 'मालवा पठार' मिलता है, जो लावानिर्मित है। इसके दक्षिण में उससे सटे नर्मदाघाटी है, जिसके बाद सतपुरा की श्रेणी मिलती है। सतपुरा के पूर्वी भाग में महादेव पहाड़ी। (1.117 मीटर) है, जिससे पूरब बढ़ने पर मैकाल की पहाड़ियाँ मिलती हैं। (सर्वोच्च चोटी अमरकंटक, 1,036 मीटर)। महादेव पहाड़ी पर ही पंचमढ़ी नगर (1,062 मीटर) स्थित है। मैकाल से पूरब बढ़ने पर छोटानागपुर पठार' आ जाता है। यह पठार रिहंद नदी से लेकर राजमहल की पहाड़ियों तक विस्तृत है। राजमहल पर जुरासिक काल के लावा निक्षेप मिलते हैं। छोटानागपुर पठार के अंतर्गत राँची, हजारीबाग और कोडरमा के उपपठार सम्मिलित हैं। छोटानागपुर पठार की प्रमुख नदियाँ सोन, कोयल, दामोदर, बराकर, स्वर्णरेखा और शंख है। दामोदर की भ्रंशघाटी इसी में है, जहाँ गोंडवाना काल का कोयला भंडार उपलब्ध है। सूदूदर पूर्व में 'मेघालय पठार' है, जहाँ गारों, खासी और जयंतियाँ मिलती हैं। 
मेघालय की उत्तरी सीमा पर ब्रह्मपुत्र नद पूर्व से पश्चिम की ओर बहता है। उत्तरी उच्च-भूमि को 'भारत का मध्यवर्ती पठार' भी कहा जाता है।  
7. हिमालय की पर्वतश्रेणियों की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर-हिमालय की पर्वत श्रेणियों से नदी निकलती है। श्रेणियों में ग्लेशियर है। हिम ग्लेशियर के कारण ही नदियों में सालोभर पानी बहती है। जैसे-जस्कर और लद्दाख श्रेणियों के बीच सिंधु नद का पश्चिमोत्तर प्रवाहमार्ग है।
काराकोरम श्रेणी में विश्व की द्वितीय सर्वोच्च चोटी 'गाडविन आस्टिन' (8,611 मीटर) मिलती है। इसी श्रेणी को 'कैलाश पर्वत' के नाम से पुकारा जाता है।
इस भाग में विशाल ग्लेशियर (हिमानियाँ) भी हैं, जैसे—बाल्टोरो सियाचीन।
हिमालय और इन पूर्वी पर्वतश्रेणियों के बीच ब्रह्मपुत्र नद का पश्चिमी प्रवाह देखा जा सकता है। 
हिमाद्री सर्वोच्च श्रेणी है। सबसे उत्तरी श्रेणी भी यही है। इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं—नंगा पर्वत, नंदादेवी, कामेत, कंचनजंघा। सिंधु, सतलुज, गंगा, यमुना, कोसी और ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम हिमाद्रि ही है। 

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