1. शहर किस प्रकार के क्रियाकलापों के केन्द्र होते हैं?
उत्तर-शहर सामाजिक आर्थिक राजनीतिक, प्रशासनिक, सैनिक तथा धार्मिक क्रियाकलापों के केन्द्र होते हैं। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार वाणिज्य तथा यातायात के केन्द्र शहर ही होते हैं। शहर गतिशील अर्थव्यवस्था जो मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था होती है उसके भी केन्द्र होते हैं। शहर राजनीतिक प्राधिकार का भी एक महत्वपूर्ण केन्द्र होते हैं।
2. 18वीं शताब्दी के मध्य से लंदन की आबादी बढ़ने के क्या कारण थे?
उत्तर-लंदन इंगलैंड का एक बड़ा नगर था। इंगलैंड की राजधानी होने के कारण इसकी आबादी लगातार बढ़ती गई। जहां 1750 तक इसकी आबादी 6 लाख थी वहीं 1890 तक लंदन की जनसंख्या 40 लाख हो गई। यद्यपि लंदन में कारखाने नहीं थे परंतु वहाँ रोजगार के अन्य अवसर उपलब्ध थे। इसलिए इंगलैंड के विभिन्न भागों से लोग वहाँ आकर बसने लगे। प्रथम विश्वयुद्ध तक लंदन में मोटर और बिजली के समान भी बड़े स्तर पर बनाए जाने लगे। इससे नए-नए कारखाने खुला इससे भी लंदन की आबादी बढ़ती गयी।
3. 19वीं शताब्दी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई?
उत्तर- 19वीं शताब्दी के मध्य से बंबई का विकास एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर के रूप में होने लगा था। यहाँ से अफीम और कपास का निर्यात किया जाता था। व्यापार के विकास के साथ-साथ यह प्रशासनिक रूप में पश्चिम भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगीकरण का जब विकास हुआ तो बम्बई बड़े औद्योगिक केन्द्र के रूप में बदल गया। 1819 में आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों की पराजय के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बम्बई को बम्बई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाई। इसके बाद बम्बई शहर का तेजी से विकास हुआ। व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में यहाँ आकर बसने लगे। इससे बम्बई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया तथा इसकी आबादी में काफी वृद्धि हुई।
4. 19वीं 20वीं शताब्दियों में लंदन में कामकाजी महिलाओं में किस प्रकार का बदलाव आया? इसके क्या कारण थे?
उत्तर- 18वीं, 20वीं शताब्दी में जब इंगलैंड में कारखाने स्थापित होने लगे तब बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी इनमें काम करने लगी। लेकिन कुछ समय बाद तकनीक में परिवर्तन के कारण जब कुशल श्रमिकों की आवश्यकता हुई तो इन स्त्रियों को कारखानों से हटाया जाने लगा। कारखानों काम बंद होने पर स्त्रियाँ घरेलु काम-धंधों में लग गई। कुछ स्त्रियाँ अपने घर ही रहकर कपड़े सिलने, ऊनी वस्त्र बुनने तथा कपड़ा धोने का काम करने लगी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब पुरुष बड़ी संख्या में युद्ध में शामिल होने लगे तथा युद्धकालीन आवश्यक सामग्रियों की मांग बढ़ गई तो लंदन की कामकाजी महिलाओं में फिर से बदलाव आया। वे विभिन्न उद्योगों तथा दफ्तरों में काम करने लगी। इस प्रकार महिलाओं के आर्थिक क्रियाकलापों में महत्वपूर्ण बदलाव आया। औद्योगीकरण तथा प्रथम विश्वयुद्ध इस बदलाव के प्रमुख कारण थे।
5. 19 वीं शताब्दी में धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की वकालत क्यों की?
उत्तर-19 वीं शताब्दी में लंदन में गरीबों के आवास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या थी। कारखाने व्यवस्था ने लंदन नगर का स्वरूप परिवर्तित कर दिया। कारखानों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में लोग इंगलैंड के विभिन्न भागों से लंदन में आकर बसने लगे थे। परंतु उनके सामने मुख्य समस्या आवास की थी। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए धनी लंदन वासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की वकालत शुरू की। वैसे धनी लोग जिनके पास पर्याप्त जमीन उपलब्ध की शहर में बाहर से आनेवाले गरीब लोगों के लिए टेनेमेंट्स बनाने लगे। ये कामचलाऊ और असुरक्षित अपार्टमेंट या मकान थे। ऐसे मकान शहर के गरीब इलाकों में बनवाए गए।
6. बम्बई की बहुतेरी फिल्में शहर में बाहर से आनेवालों की जिन्दगी पर क्यों आधृत होती थी?
उत्तर-बंबई नगर भीड़-भाड़, गंदगी, गरीबी, सम्पन्नता के साथ-साथ सपनों का शहर भी था। यहाँ अनेक लोग सुनहरे सपने संजोए हुए आते थे। इनमें बहुतों के सपने पूरे होते थे तो अनेक निराश हो जाते थे। बंबई को लोग सपनों का शहर या 'मायापुरी' मानते थे। औद्योगिक और आर्थिक केन्द्र होने के अतिरिक्त बम्बई रूपहले दुनिया या फिल्म उद्योग का भी केन्द्र था। पिल्मी दुनिया से आकृष्ट होकर इस उद्योग में अपना भविष्य तलाशने एवं संवारने प्रतिवर्ष हजारों लोग इस शहर में आते इसलिए बंबई में अधिकांश फिल्में शहर से आनेवालों की जिन्दगी और उनकी आशाओं और निराशा पर केन्द्रित कर बनाई जाती थी।
7. किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापनां निर्णायकू रूप से हुई?
उत्तर-आधुनिक शहरों की स्थापना में जिन तीन प्रक्रियाओं ने निर्णायक भूमिका निभाई वे निम्नलिखित हैं
(i). औद्योगिक पूँजीवाद का उदय
(ii) उपनिवेशवाद का विकास तथा
(iii) लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास।
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