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Class 10th Bharati Bhawan History Chapter 7 | Short Answer Question | व्यापार और भूमंडलीकरण | कक्षा 10वीं भारती भवन इतिहास अध्याय 7 | लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10th Bharati Bhawan History Chapter 7  Short Answer Question  व्यापार और भूमंडलीकरण  कक्षा 10वीं भारती भवन इतिहास अध्याय 7  लघु उत्तरीय प्रश्न
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लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सत्रहवीं शताब्दी के पूर्व होनेवाले आदान-प्रदान का एक उदाहरण एशिया से और एक अमेरिका से दें।
उत्तर- विभिन्न देशों के संपर्क का एक अन्य महत्वपूर्ण परिणाम यह हुआ कि खाने-पीने की वस्तुएँ एक देश से दूसरे देश में जाने लगी। व्यापारी और यात्री अपने देश का सामान ले जाते थे और विदेशों की विशिष्ट वस्तुओं को अपने यहाँ लाते थे। नूइल्स के विषय में विद्वानों का मानना है कि यह चीनी मूल का था और वहाँ से ही यह पश्चिमी जगत में पहुंचा। क्रिस्टोफर कोलम्बस अमेरिका से आलु, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर इत्यादि अपने साथ यूरोप ले गया जहाँ से वे से एशिया आए।
2. औद्योगिक क्रांति का विश्व बाजार के विस्तार पर क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर- औद्योगिक क्रांति ने विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत रूप से प्रभावित किया। 18वीं सदी के मध्य भाग से इंगलैंड में मशीनों के द्वारा कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन आरंभ हुआ। इस प्रक्रिया से वस्तुओं के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। उत्पादन के बढ़ते आकार और कच्चे माल की आवश्यकता तथा तैयार सामानों की बिक्री हेतु उसे बाजार की आवश्यकता महसूस हुई। अतः कच्चे माल की प्राप्ति तथा बाजार की आवश्यकता ने इंगलैंड का ध्यान उत्तरी अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर आकर्षित किया। औद्योगिक क्रांति के फैलाव के साथ-साथ इस बाजार का स्वरूप भी विश्वव्यापी होता चला गया।
3. ब्रिटेन में कॉन लॉ समाप्त करने के क्या कारण थे? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर- 18वीं शताब्दी से ब्रिटेन की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई जिसके कारण खाद्यान्न की मांग बढ़ने लगी। शहरों के विकास और औद्योगीकरण ने भी खाद्यान्नों की मांग बढ़ा दी। खाद्यानों की बढ़ती मांग ने कृषि उत्पादों की मांग में तेजी ला दी। इससे कृषि उत्पादों का मूल्य बढ़ गया। इसका लाभ बड़े कृषकों एवं भूस्वामियों ने उठाया। अपने उत्पादों को बेचने के लिए इन दोनों ने सरकार पर दबाव डालकर ब्रिटेन में कॉर्न लॉ द्वारा मक्का के आयात को प्रतिबंधित करवा दिया। फलतः इंगलैंड में भू-स्वामी कृषि उत्पादों को ऊँची कीमत पर बेचकर लाभ कमाने लगे। दूसरी ओर अनाज की बढ़ी कीमतों से उद्योगपति और शहरों में रहने वाले लोग त्रस्त हो गए। इन लोगों ने कॉर्न लॉ का जबर्दस्त विरोध किया और इसे वापस लेने की माँग की। सरकार को बाध्य होकर कॉर्न लॉ को समाप्त करना पड़ा तथा खाद्यान्न के आयात की अनुमति देनी पड़ी। 
4. न्यू डील से आप क्या समझते हैं ? इसे क्यों लागू किया गया ?
उत्तर- आर्थिक महामंदी के प्रभावों को समाप्त करने एवं उसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से 1932 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेकलिन डी. रूजवेल्ट ने नई आर्थिक नीति अपनाई। इसे न्यू डील का नाम दिया गया। इस नई नीति के अनुसार जनकल्याण की व्यापक के  राजनीतिक एवं प्रशासनिक नीतियों को नियमित करने का प्रयास किया गया। नई योजना का उद्देश्य कृषि और उद्योग में संतुलन स्थापित करना तथा मानव समान और स्वाधीनता को सुरक्षित रखना था। जनकल्याण की नीति के अंतर्गत परिवहन के साधनों तथा स्थानीय विकास कार्यों के लिए आर्थिक सहायता दी गयी जिससे रोजगार के लिए नए अवसर उपलब्ध हो सके। औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक और उत्पादन में नियमन का प्रयास किया गया। श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि की गयी, उनके काम के घंटे भी नियत किए गए। किसानों की क्रयशक्ति को बढ़ाने तथा उनकी सामान्य आर्थिक स्थिति को युद्ध के पूर्व की स्थिति तक ले जाने का प्रयास किया गया।  
5. भारत पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर- भूमंडलीकरण का प्रभाव तो विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ा ही साथ ही भारत भी इसके प्रभाव से अपने को अछूता नहीं रख सका। भूमंडलीकरण के कारण भारत में जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया। भारत में रहनेवाले लोगों के लिए भूमंडलीकरण के दौर में रोजगार के कई नवीन अवसरों को उपलब्ध कराया जैसे—टूर एवं ट्रेवल एसी (यातायात की सुविधा), रेस्टोरेंट, रेस्ट हाउस आवासीय होटल इत्यादि। सूचना एवं संचार के क्षेत्र में भी क्रांति आई जिससे इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर पैदा हुए। आर्थिक भूमंडलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को बढ़ाया है और उसी अनुरूप उसकी पूर्ति हेतु नये-नये सेवाओं का उदय हो रहा है जिससे जुड़कर लाखों लोग अपनी जीविका चला रहे हैं। भारतीयों का जीवन स्तर ऊँचा उठने का प्रमुख कारण भूमंडलीकरण का प्रभाव ही है।
6. प्रथम विश्वयुद्ध ने अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर-युद्ध के सभी देशों ने अपनी पूरी शक्ति, समय, धन व ध्यान लगा दिया। जिसे कारण उद्योग, व्यापार, कृषि व वाणिज्य का विकास अवरुद्ध हो गया। इस प्रकार उत्पादन-क्षमता का हास हो गया जिससे वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो गयी। फलतः लोगों को आर्थिक रूप से अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। राष्ट्रों को ऋण भार बढ़ने के कारण जनता पर विभिन्न करों का भार बढ़ गया। युद्ध के दौरान तत्कालीन आवश्यकताओं को देखते हुए लोगों को भारी मात्रा में रोजगार दिया गया था। किन्तु युद्ध समाप्ति के बाद बेरोजगारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। पूँजीवादी देशों ने मुक्त व्यापार की नीति को त्यागकर संरक्षणवाद को बढ़ावा दिया। 
7. मित्रराष्टों ने वर्साय की संधि किसके साथ की?
उत्तर-मित्रराष्ट्रों ने वर्साय की संधि (28 जून, 1919) जर्मनी के साथ की। 
8. पूर्व आधुनिक काल में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिका के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार सहायता पहुँचाई ?
उत्तर-पूर्व आधुनिक काल में अमेरिका के उपनिवेशीकरण में पुर्तगाल और स्पेन सबसे आगे थे। इन देशों ने अमेरिका पर विजय प्राप्त करने के लिए अमेरिका में बीमारियों का वैश्विक प्रसार किया। स्पेन के लोगों जब अमेरिका में आए तब वे अपने साथ चेचक के कीटाणु भी ले गए जिससे अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का सफाया हो गया।  
9.रिंडरपेस्ट पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-रिडरपेस्ट पशुओं में फैलनेवाली एक खतरनाक बीमारी है। यह अफ्रीका से 1890 में प्लेग के तरह फैल गया। यह बीमारी अफ्रीका में उन पशुओं से फैली जो अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ रहे भारतीय सिपाहियों के भोजन के लिए अनेक पूर्वी देशों से मंगवाए गए। जैसे ही ये पशु पूर्वी अफ्रीका पहुंचे वहाँ के पशुओं को भी रिडरपेस्ट की बीमारी ने लपेट लिया। 1892 से शुरू होकर अगले 5 वर्षों में पशुओं की यह घातक बीमारी दक्षिणी और पश्चिमी - अफ्रीका की सीमाओं तक फैल गई। इस प्रसार क्रम में अफ्रीका की 90% मवेशी नष्ट हो गए। इस बीमारी से अफ्रीका के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर घातक प्रभाव पड़ा। इस विनाश के कारण उपनिवेशकों ने उन्हें गुलाम बना लिया तथा अफ्रीका के आर्थिक संसाधनों को अपने नियंत्रण में लेकर संपूर्ण अफ्रीका पर अपना कब्जा कर लिया। 10. जी-77 से आप क्या समझते हैं ? इहें वेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया क्यों कहा गया?
उत्तर-जी-77 विकासशील देशों का ऐसा समूह था जिन्हें 1944 में गठित होनेवाले संगठनों से कोई लाभ नहीं मिला। इसलिए विकासशील देशों ने एक नई आर्थिक प्रणाली की माँग की और अपना अलग गुट बना लिए जिसे जी-77 कहा गया।
ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ था जिन्हें ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानं कहा जाता है। इनपर विकसित देशों का ही दबदबा था इसलिए इनसे विकासशील देशों को कोई लाभ नहीं हुआ। अतः, ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया के रूप में विकासशील देशों के जी-77 नामक संगठन ने कई आर्थिक प्रणाली की माँग कर डाली ताकि उनके आर्थिक उद्देश्य पूरे हो सके।

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