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Class 12th Bihar Board Sociology | BSEB Class XII Exam Most Important Questions | Inter Arts Board Exam

Class 12th Bihar Board Sociology  BSEB Class XII Exam Most Important Questions  Inter Arts Board Exam

प्रशन
1:-- सामाजिक संरचना क्या है?

उत्तर: सामाजिक संरचना वह साधन है, जिसके तहत समाज को प्रत्याशित संबंधों के लिए संगठित किया जाता है। सामाजिक संगठन का सामाजिक संरचना से काफी निकट का संबंध है। यदि समाज संगठित ना हो, टोना व्यक्ति के लिए समाज की उपयोगिता होगी और ना ही समाज अस्तित्व में रह सकेगा। इसलिए सामाजिक संरचना की प्रत्येक इकाई उपयोगिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इकाइयों के माध्यम से समाज अस्तित्व में आता है तथा इन इकाइयों की परस्पर संबद्धता एवं क्रियाशीलता से ही सामाजिक संगठन का निर्माण होता है। सामाजिक संरचना शब्द का प्रयोग समाज शास्त्रियों द्वारा समाज एवं सामाजिक व्यवस्था की व्याख्या करते समय किया जाता है,

यथापरिवार, जाति, रीति रिवाज, भाषाएं, धर्म, कानून इत्यादि को ध्यान में रखते हुए भारतीय समाज का जो चित्र सामने प्रस्तुत होता है, वह भारत की सामाजिक संरचना है।

प्रशन2:—समुदाय किसे कहते हैं?

उत्तर: समुदाय शब्द को अंग्रेजी में community कहते हैं। Community शब्द  का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है com और munis com का अर्थ है एक साथ तथा munis का अर्थ है सेवा करना इस प्रकार कम्युनिटी शब्द का शाब्दिक अर्थ 17 सेवा करना है।

विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया है

1 जिन्सर्बग के अनुसार:समुदाय का अर्थ सामाजिक प्राणियों का वह समूह समझना चाहिए जो एक सामान्य जीवन व्यतीत करता हो उस सामान्य जीवन में अनेक निर्माण करने वाले तथा उसके परिणाम स्वरूप अनेक विभिन्न और जटिल संबंध समाविष्ट होते हैं।

2 मैकाइवर तथा पेज के अनुसार:जब किसी समूह के सदस्य, चाहे वह समूह छोटा हो या बड़ा, इस प्रकार एक साथ रहते हैं कि उनका एक साथ रहना किसी विशेष प्रयोजन या विशेष स्वार्थ से नहीं होता वरन् उनके साथ साथ रहने की आधारभूत बात भी एक सी होती है, तब हम उस समूह को समुदाय कहते हैं।

प्रशन3:—समुदाय की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर :- 1—समुदाय की कुछ सामान्य विशेषताएं अथवा समानताएं होती है जिनमें भाषा, रीति रिवाज एवं वेशभूषा आदि का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

2—प्रत्येक समुदाय का कुछ ना कुछ नाम अवश्य होता है। उदाहरण के लिए सिंध प्रांत के लोगों को सिंधि अथवा केरल वासियों को मलयाली कार आता है।

3—समुदाय एक प्राकृतिक समूह होता है उसकी गन्ना या निर्माण मनुष्य अपनी इच्छा अथवा आवश्यकता के बल पर नहीं कर सकता है बल्कि व्यक्ति का स्वंय का जन्म किसी स्वाभाविक रूप में निर्मित समुदाय के अंतर्गत ही होता है।

4—किसी मानव समूह के किसी विशिष्ट भूभाग में निवास करने पर उसे समुदाय कहा जाता है।

प्रशन4:—ग्रामीण समुदाय क्या है?

उत्तर: ग्रामीण समुदाय कृषि पर आधारित व्यक्तियों का एक सरल समुदाय है। ग्रामीण समुदाय परस्पर संबंधित तथा संबंधित व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो परस्पर एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़ा होता है। ये अधिक विस्तृत एक बहुत बड़े घटिया परस्पर निकट स्थित घरों में कभी नियमित तो कभी अनियमित रूप से रहते हैं। वह मुल्त: अनेक कृषि योग्य खेतों में सामान्य तौर पर खेती करता है,मैदानी भूमि को आपस में बांट लेता है और आसपास पड़ी बेकार भूमि पर अपने पशुओं को चलाता है जिस पर निकटवर्ती समुदायों की सीमाओं तक वाह अपने अधिकार का दावा करता है।

प्रशन5:—अनेकता में एकता क्या है?

उत्तर: भारतीय समाज में अनेक धर्म जाति के लोग रहते हुए भी या समाज अनेकता में एकता प्रदर्शित करता है भारतीय समाज का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को मौलिक अधिकार प्रदान करता है कि वह बिना दबाव के किसी भी धर्म के अनुसार व्यवहार कर सकता है और उसका प्रचार कर सकता है देश के सभी वर्ग के नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपनी संस्कृति भाषा ओर लिपि की रक्षा कर सकता है भारतीय समाज में अनेकों धर्म के लोगों का साथ साथ रहना सभी धार्मिक त्योहारों को मिलकर मनाना भारतीय समाज में अनेकता में एकता की शक्ति प्रदर्शित करता है। भारतीय समाज धर्म के आधार पर हिंदू, मुस्लिम पारसी, ईसाइयों में कोई अंतर नहीं करता। भारतीय संविधान सभी व्यक्तियों में समानता का अधिकार प्रदान करता है।

प्रशन6:—नव उपनिवेशवाद की अवधारणा को स्पष्ट  कीजिए।

उत्तर: लोकतंत्र तथा स्वतंत्र प्रभुसत्ता के वर्तमान युग में कोई भी देश दूसरे पर अधिकार नहीं कर सकता इसके बाद भी आज विकसित और शक्तिशाली देश अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के द्वारा कमजोर देशों को अपनी शर्त मानने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इसी दशा को नव उपनिवेशवाद कहा जाता है। नव उपनिवेशवाद शक्ति के विस्तार का वह तरीका है जिसके द्वारा शक्तिशाली देश कमजोर देश को इस तरह के समझौते तथा आर्थिक व्यवस्था लागू करने के लिए बाध्य करते है जिससे विकसित राज्यों की शक्ति का पहले से अधिक विस्तार हो जाए। वर्तमान युग में भू मंडलीकरण के नाम पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बढ़ता हुआ आर्थिक प्रभाव, उदारीकरण के द्वारा अपने बाजारों का विस्तार तथा मानवाधिकार के सिद्धांत पर व्यवहार में लाई जाने वाली कूटनीतिक चाले नव उपनिवेशवाद के विभिन्न रूप है।

प्रशन7:—भारत में उपनिवेशवाद से आए किन्हीं दो परिवर्तनों का उल्लेख करें।

या उपनिवेशवाद का भारतीय समाज पर प्रभाव का वर्णन करें।

उत्तर:ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान भारतीय समाज का पश्चिमी समाज से आमना सामना हुआ। क्योंकि पश्चिमी संस्कृति भारतीय संस्कृति से पूर्णतया भिन्न थी, अतः दोनों में आदान-प्रदान होना स्वाभाविक था। यही वह यूग है जिससे भारतीय समाज का आधुनिक युग प्रारंभ होता हैं। अंग्रेजी शासनकाल में परिवर्तन की अनेक प्रक्रियाएं क्रियाशील हो गई। भारत में उपनिवेशवाद के कारण ग्रामीण उद्योग धंधों पर बुरा प्रभाव पड़ा। इंग्लैंड के उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की भारत में खपत करने के लिए कम दाम पर वस्तुओं की आपूर्ति की जाने लगी तथा यहां की वस्तुओं को दूसरे देशों में भेजने पर भारी शुल्क लगा दिया गया, फलस्वरूप उद्योग पूरी तरह नष्ट हो गया। भारत के सभी हिस्सों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ा गया तथा पूरे भारत में समान प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था लागू की गई।

प्रशन8:—उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: वास्तव में,उपनिवेशवाद वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई विकसित या संपन्न देश किसी अन्य अविकसित या गरीब देश की व्यापारिक गतिविधियों को अपने हित में प्रयोग करने हेतु, वहां अपना उद्योग और व्यापार स्थापित करता है और वहां के संसाधनों एवं कच्चे माल के प्रयोग से बड़े पैमाने पर मशीनों द्वारा वस्तुएं तैयार कर उनका व्यापार करता है और इस प्रकार सारा आर्थिक लाभ खुद ही हड़प जाता है। धीरे-धीरे वह उस देश की संपूर्ण आर्थिक व्यवस्था पर कब्जा कर लेता है। इस प्रकार, उपनिवेशवाद की प्रक्रिया ने ना केवल भारतीय आर्थिक व्यवस्था को ही प्रभावित किया, अपितु भारतीय समाज संस्कृति को भी बड़ी गहराई तक प्रभावित किया था।

प्रशन9:—राष्ट्रवाद की धारणा को स्पष्ट करें।

या :राष्ट्रीय एकता।

उत्तर:राष्ट्रवाद का अर्थ होता है राष्ट्र के लोगों में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सम्मान एवं राष्ट्रीयता की भावना को जगाना। दरअसल एक राष्ट्र में विभिन्न जाति, धर्म,सम्प्रदाय के लोग होते हैं, इन विभिन्न नृजातीय समूहों के बीच एक भावनात्मक सूत्र का लाना ताकि वे उसमें बँध कर एक राष्ट्र के हो जाए और क्षेत्रीय प्रांतीय उद्देश्यों के ऊपर राष्ट्रीय उद्देश्यो और हितों को महत्व दे। साफ शब्दों में कहें तो राष्ट्रवाद का अर्थ है एक डण्डा एक झंडे के नीचे आना और राष्ट्रीयता की भावना से ओत प्रोत होना।

प्रशन10:—सामाजिक जनांकिकी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:सामाजिक जनांकिकी एक बहुआयामी अवधारणा है जो वैज्ञानिक दृष्टि से जनांकिकी संरचना करती है कि जनसंख्या संबंधी विशेषताएं किस तरह समाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक व्यावस्था को प्रभावित करती है तथा उससे प्रभावित होती है। 

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