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Class 12th Sociology Short Questions | Bihar Board Class XII Exam 2022 | BSEB 2nd Year Arts Most VVI Questions and Answers

Class 12th Sociology Short Questions  Bihar Board Class XII Exam 2022  BSEB 2nd Year Arts Most VVI Questions and Answers

 प्रश्न 1 से 10 तक के प्रश्नों के उत्तर के लिए क्लिक करे   

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प्रशन11:—जनांकिकीय संरचना से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: किसी भी देश की जनसंख्या उसका घनत्व, बनावट और गुण उस देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाला कारक है। देश की प्रगति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण कारण संतुलित जनसंख्या होती है। अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। किसी भी देश की संरचना में देश के उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या होना ही आदर्श जनसंख्या कहलाती है।

प्रशन12:—भारत में स्त्री पुरुष अनुपात की व्याख्या करें।

उत्तर: स्त्री पुरुष अनुपात का आशय प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या से हैं जो किसी निश्चित क्षेत्र में किसी समय वादी मैं निकाला जाता है। विश्व के अधिकांश देशों में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या अधिक है। भारत की जनांकिकीय संरचना की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां स्त्रियों की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक है। 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1000 पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या 933 है, जबकि 1901 मे यह संख्या 972 थी। इस तरह, देश के विगत 108 वर्षों में यह अनुपात निरंतर कम होता गया है

प्रशन13:—जन्म दर तथा मृत्यु दर के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर: जनसंख्या के आधार के विषय में अनुमान लगाने वाला मुख्य सिद्धांत जन्म दर तथा मृत्यु दर है। यदि किसी समाज में मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक होती है तो निश्चित रूप से उस समाज में जनसंख्या की वृद्धि होती है। इसके विपरीत यदि जन्म दर की अपेक्षा मृत्यु दर अधिक होती है तो निश्चित रूप से जनसंख्या घटने लगती है। जालंधर में वृद्धि के कारण हैप्रजनन क्षमता में वृद्धि,शारीरिक रोगों से मुक्ति, विवाह की कमाई, *प्रकृति से अनुकूलन करने की क्षमता में वृद्धि आदि जब इस प्रकार के कारण सक्रिया हो जाते हैं तो जनसंख्या बढ़ने लगती है। इसके विपरीत, मृत्यु दर विभिन्न कारणों से बढ़ जाती है। *महामारी, *युद्ध, *पोस्टिक भोजन का अभाव तथा *प्रतिकूल जलवायु आदि कारणों से मृत्यु दर बढ़ जाती है। भिन्न भिन्न कारणों के सक्रिया होने से भिन्न भिन्न वर्ग के व्यक्तियों की मृत्यु दर  के बढ़ने से जहां एक और जनसंख्या घटती है,वही साथ ही साथ समाज में विभिन्न आयु वाले व्यक्तियों का अनुपात भी बदल जाता है। वास्तव में आदर्श जनसंख्या उसे कहा जाता है, जब जन्म दर एवं मृत्यु दर लगभग समान होती है।

प्रशन14:—जाति या जाति व्यवस्था अथवा जातीयता की परिभाषा दीजिए।

उत्तर: जातीयता या जातिवाद दरअसल एक मनोवैज्ञानिक भावना है। कोई भी व्यक्ति अपनी अपनी इच्छा अनुसार जाति को ना तो त्याग सकता है और ना ही ग्रहण कर सकता है। अतः जब एक जाति के सदस्य अंतः समूह की भावना के आधार पर अपनी जाति के सदस्यों को दूसरी जातियों से अलग कर उन्हें कोई लाभ या सुरक्षा देना चाहते हैं तो इसे ही जातीयता या जातिवाद कहते हैं। स्पष्टत: जातिवाद के दो पहलू हैं एक मनोवैज्ञानिक तथा दूसरा व्यवहारिक, दूसरे शब्दों में जातीयता की भावना पहले किसी व्यक्ति  केमन में उठती है और तब व्यवहारिक तौर पर अपनी जाति के सदस्य को हर तरह का संरक्षण या लाभ देना चाहता है। अतः जाति एक बंद समूह है।

प्रशन15:—जाति एवं जनजाति के अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर: जाति और जनजाति में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं

(1) जाति मुख्यत:जन्म के आधार पर विकसित होती है जबकि जनजाति एक निश्चित भूक्षेत्र में निवास करने के कारण।

(2) एक जाति का एक निश्चित परंपरागत व्यवसाय होता है, लेकिन जनजाति का नहीं और ही उन पर प्रेशर संबंधी कोई नियंत्रण होते हैं।

(3) जनजातियां अपनी उत्पति कल्पनिक पूर्वज से मानती है, जबकि जाति या नहीं।

(4) प्रत्येक जनजाति का एक राजनीतिक संगठन होता है जबकि जाति में जाति पंचायतें होते हुए भी जनजाति की भांति उसका राजनीतिक संगठन नहीं होता है।

(5) जनजाति आत्मनिर्भर होते हैं, किंतु जाती नहीं।

(6) जाति में ऊंच-नीच का भाव जनजाति से अधिक होता है।

रिजले ने कहा कि जाति एवं जनजाति के बीच अंतर होने के बावजूद जनजातियां क्रमश: जाति के रूप में बदलती जा रही है। जैसेहिंदू धर्म के संप्रदाय को मानकर, हिंदू धर्म में शामिल होकर आदि।

प्रशन16:—वर्ग व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: सामाजिक वर्ग सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रकार है जो कि सबसे अधिक औद्योगिक समाजों में देखने को मिलता है। सामाजिक वर्ग सामान्यतः ऐसे लोगों का समूह है जो धन,आय, व्यवसाय, और शिक्षा जैसे कारकों के आधार पर संबंधित होते हैं। वर्ग स्तरीकरण की वह व्यवस्था है जिसमें एक व्यक्ति की सामाजिक परिस्थिति उसके धन के अर्जन पर निर्भर करती है। या व्यक्तियों को अपना विकास करने की स्वतंत्रताव्यक्तियों को अपना विकास करने की स्वतंत्रता देता है और इससे अपनी स्थिति को बदल सकता है। वर्ग व्यवसाय को चुनने के लिए बढ़ावा देता है। वर्ग की सदस्यता जाति की सदस्यता की भांति वंशानुगत नहीं होती। विभिन्न वगों के मध्य अंतर वर्गीय विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं होता। एक सामाजिक वर्ग एक संस्कृतिकसमूह भी होता है जो एक विशिष्ट जीवनशैली को अपनाता है।

प्रशन17:—अपराध का क्या तात्पर्य है?

उत्तर:अपराध कार्य है जिसे राज्य ने समूह कल्याणके लिए हानिकारक घोषित कर दिया है और जिसके प्रति राज्य के पास दंड देने की शक्ति होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब व्यक्ति की आवश्यकताएं और इच्छाएं समाज द्वारा या कानून के अनुसार पूर्ण नहीं हो पाती है तब उसे पूरा करने के लिए वह समाज विरोधी या कानून विरोधी आचरण करता है। इस समाज विरोधी व्यवहार को अपराध कहते हैं।

प्रशन18:—भारत में जाति के बदलते स्वरूप की चर्चा करें।

उत्तर: भारतीय समाज में स्तरीकरण व्यवस्था एवं व्यवस्था बहुत हद तक पर्यायवाची शब्द रहे हैं, लंबे समय तक भारतीय सामाजिक ढांचे में उच्च जातियों का ही वर्चस्व रहा है। परंतु आजादी के बाद एवं विशेषकर 1970 के दशक के बाद जाति की भूमिका एवं साथ ही जातिगत दांतों में व्यापक परिवर्तन देखे जाने लगे। क्रमशः भारतीय राजनीति में मध्यम वर्गीय एवं निम्नवर्गीय जाति की संख्या एवं वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों जैसेउत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश,राजस्थान आदि प्रांतों में दलित राजनीति की भूमिका बढ़ती जा रही है।

प्रशन19:—जनजातियों में गरीबी के कारणों को बतावे।

उत्तर:जनजातियों की मुख्य समस्या गरीबी है तथा बाहरी समुदायों द्वारा उनका आर्थिक शोषण है। इससे संबंधित प्रमुख आर्थिक समस्याएं अगर प्रकार हैं

(1) कुटीर उद्योगों का पतन,

(2) खेती का पिछड़ापन,

(3) भूमि निष्कासन की समस्या,

(4) वन अधिकारियों द्वारा शोषण एवं

(5) पुनर्वास की समस्या।

प्रशन20:—जनजाति की अवधारणा का वर्णन कीजिए।

उत्तर:जनजाति भौगोलिक रूप से पृथक एक निश्चित भूभाग में रहने वाला व्यक्तियों का वह बड़ा समुदाय है जिसकी एक पृथक संस्कृति तथा भाषा होती है। भारत की 838 जनजातियों में से 541 जन जातियों को अनुसूचीत जनजाति कहां जाता है। या जनजातियां वे है जिन की उत्पति जनजातीय होती है, जो एक पृथक और पिछड़े हुए भौगोलिक क्षेत्र में निवास करती है, जिनका जीवन आदिम विशेषताओं से युक्त होता है तथा जो जीवन के बढ़ते क्षेत्र में पिछड़ी हुई होती है।

राल्ड पिडिंगटन के शब्दों में,जनजाति को व्यक्तियों के एक ऐसे समुदाय के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है, जो एक समान भाषा बोलता हो, समान भू भाग में निवास करता हो तथा जिसकी संस्कृति में समानता पाई जाती हो।

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