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BSEB Class 10th Hindi | According to New Syllabus 2021 | बालगोबिन भगत

BSEB Class 10th Hindi | According to New Syllabus 2021 | बालगोबिन भगत

1. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त किए ?
उत्तर : भगत अपने बेटे की मृत्यु होने पर उसके सब के पास बैठकर कबीर की भक्ति गीत गाने लगे सब के निकट एक की आग जला कर रख दिया| पुत्रवधू के रोने पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह रोने का नहीं उत्सव मनाने का समय है| क्योंकि वीरहीनी  की आत्मा आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के पास चली गई है| उन दोनों के मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकता भगत के कहने का उद्देश्य था कि आत्मा परमात्मा का ही अंश है| मृत्यु के बाद या हंस उसी परमात्मा में मिल जाता है| यह संसार नश्वर है इसका अंत होना निश्चित है इसीलिए इस नश्वर शरीर के दस्त होने पर दुखी होना उचित नहीं है| इस प्रकार भगत ने शरीर की नश्वरता और आदमी की अमरता का भाव व्यक्त किया है|
2. बालगोबिन भगत कौन है?
उत्तर : बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुए साधु पुरुष थे जो कबीर के भक्त थे और मंडली में उनके दोहे गाया करते थे|
3. धर्म का मर्म आज चरण में है अनुष्ठान में नहीं स्पष्ट करें
उत्तर : इस कथन के माध्यम से लेखक ने एक स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि धर्म पालन आडंबरों या अनुष्ठानों के निर्वाह में नहीं बल्कि आचरण की पवित्रता और शुद्धता में है| जब कोई व्यक्ति अपने सिद्धांत के अनुरूप आचरण करता है| जब कथनी एवं करनी एक जैसी होती है तथा जो अपनी दिनचर्या और निर्णय मनुष्यता के अनुरूप करता है| वह जीवन मूल्य को सही रूप में जान लेता है धर्म का मर्म यही है| अतः जीवन के आदर्शों को जीवन में उतारना और आचरण करना धर्म का मर्म है| अहंकार रहित लोक कल्याणकारी कार्य ही सच्चा कर्म होता है| किंतु जिस में अहंकार का भाव सन्निहित होता है वह दिखावा मात्र है|
4. अब सारा संसार निर्धनता में सोया है बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है जाग रहा है व्याख्या कीजिए
उत्तर : प्रस्तुत का डांस रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित रेल एक रेखाचित्र बालगोबिन भगत सिंह शक पाठ से लिया गया है| जिसका दांत के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि मोह माया चोर की भांति ईश्वरीय प्रेम रूपी कचरी को चुराने में लगी हुई है इसलिए हमें सचेत हो जाना चाहिए|
 यह मानव तन बड़ी कठिनाई से मिलता है सांसारिक सुख खुद की पूर्ति में जीवन सत्य को भुला नहीं देना चाहिए| अनासक्त भाव से कर्म करते हुए उसे परमपिता परमेश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए| भगतपुर इस तथ्य का सही ज्ञान था वह जानता था कि 1 दिन शरीर का अंत होगा ही और आत्मा परमात्मा से मिलने चली जाएगी लोग अज्ञानता के कारण माया मोह के बंधन में जगह उड़ते हैं| जबकि भगत जीवन की सच्चाई कार्टून बकरे अलमस्त भाव से कर्म करते हुए समय गुजार रहे थे|
5. बाल गोविंद भगत कबीर को साहब मानते थे इसके क्या क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर : बालगोबिन भगत कबीर को साहब मानते थे| क्योंकि वह कबीर द्वारा बताए गए आदर्शों का पालन करते थे| उनके द्वारा लिखे गीतों को टर्न में ता पूर्वक गाकर परमात्मा की साधना करते थे| भगत कबीर की भांति झूठ नहीं बोलते थे और खराब व्यवहार रखते थे| किसी से 2 फुट बात करते थे लेकिन किसी से झगड़ा नहीं करते थे| वह किसी का की चीज नहीं छूटे थे और अब आडंबर का विरोध करते हुए तब से समानता का व्यवहार करते थे और संसार को शाहीन समझ त्याग में जीवन व्यतीत करते थे| तात्पर्य यह है कि कबीर उनके जीवन मार्ग के सच्चे पथ प्रदर्शक थे इसलिए वह उन्हें अपना साहब मानते थे|
6. बाल गोविंद भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए 
उत्तर : बाल गोविंद भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर संसार की नश्वरता के कारण शोक प्रकट नहीं किया| वह जानते थे कि शरीर नश्वर है आत्मा अमर है| इसका कभी नाश नहीं होता मृत्यु के बाद आत्मा परमात्मा में उसी प्रकार विलीन हो जाती है| जिस प्रकार नदी समुद्र में विलीन हो जाती है| इसलिए क्षणभंगुर शरीर पर जो रोना-धोना बेकार है रोना तो उस परम पुरुष के लिए चाहिए| जिसके दर्शन अथवा प्राप्ति से जन्म लेना तथा जीवन धारण करना सफल होना भगत को जीवन की सच्चाई का ज्ञान हो चुका था| इसलिए आत्मज्ञानी अनासक्त भाव से कर्म करते हैं| अतः भगत ने अपने आचरण के अनुकूल पुत्र की मृत्यु होने पर शोक प्रकट नहीं किया|
7. पुत्रवधू द्वारा पुत्री की मुखाग्नि दिलवाना भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है?
उत्तर : पुत्रवधू द्वारा पुत्र को मुखाग्नि दिलवाना यह सिद्ध करता है कि बाल गोविंद भगत रूढ़िवादी विचारों के कट्टर विरोधी थे| वह उन प्रचलित सामाजिक परंपराओं के विरोधी थे| जो विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतरती थी| यही कारण है कि पुत्र की मृत्यु होने पर मुखाग्नि पुत्रवधू से दिलवाई जबकि मान्यता है कि मृत शरीर को मुखाग्नि उसके हाथों दी जाती है| वह पूर्ण यथार्थवादी थे उन पर कबीर दर्शन का प्रभाव था कबीर भी धार्मिक पाखंड के विरोधी थे| तात्पर्य यह है कि कबीर दर्शन से प्रभावित होने के कारण भगत उन सिद्धांतों की जा विचारों के विरुद्ध थे| जिससे अंतर कराह उठता था इसलिए भगत दिखावटी परंपराओं का विरोध करते थे| बाल गोविंद भगत के इस आचरण से स्पष्ट होता है कि वह अखंड स्वभाव के व्यक्ति थे|
8. अपने गांव जवार में उपस्थित किसी साधु का रेखाचित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए
उत्तर : मेरे गांव में लंबे कद के काले कट कलूटी आदमी जिनका नाम गोरख था| उनकी उम्र 78 के करीब थी लंबी दाढ़ी तथा बड़े-बड़े उजले बाल के कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे| कमर में एक लंगोटी तथा सिर पर एक गमछा रखते थे| जाड़ा में एक कंबल ओढ़ कर समय गुजार लेते थे| गले में तुलसी की माला तथा ललाट पर नाग धारी चंदन गुप्ता था जो तीन रेखा का त्रिशूल जैसा प्रतीत होता था| शरीर से काफी दुबले पतले थे जिससे लोग उन्हें सुखारी बाबा कह कर संबोधित करते थे|
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