1. बुनना हमसे ज्यादा बड़ा होता है, कैसे?
उत्तर : गुण नाम से ज्यादा बड़ा होता है| इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति को अपने कर्म के आधार पर मान अपमान मिलता है| जिस व्यक्ति का काम जितना लोक कल्याणकारी होता है| उसे उतना ही अधिक आदर की दृष्टि से देखा जाता है| चाहे वह नीची जाति का ही क्यों ना हो उच्च जाति के होने पर भी यदि बुरा कर्म करता है तो दुनिया उसे नीच दृष्टि से देखेगी| जैसे धतूरे का नाम कनक है लेकिन काम कैसा है| जेवर बनाने में सोना ही काम आता है धतूरा नहीं| उसी प्रकार यदि नीच जाति के किसी व्यक्ति का कर्म अच्छा है तो लोग उसे सम्मानित करेंगे ना कि उच्च जाति के पतित व्यक्ति को| कनक शब्द का प्रयोग धतूरा तथा सोना के अर्थों में किया गया है|
2. सुख-दुख को समान रूप से क्यों स्वीकारना चाहिए
उत्तर : प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कवि बिहारी ने लोगों को सलाह दी है कि दुख सुख दोनों को समान रूप से स्वीकार करें उन्हें विपत्ति आने पर अधीर या दुखी होने के बजाय उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए तथा सुख आने पर अहंकारी तथा तथा घमंडी होने के बजाय सहज बने रहना चाहिए| सुख दुख जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं|
3. दुर्जन का साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती है इसकी उपमा में कवि ने क्या कहा है
उत्तर : दुर्जन के साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती इसकी उपमा में कवि ने कहा है कि जिसकी बुद्धि भ्रष्ट होती है वह हमेशा बुरी बातों के विषय में ही सोचता है उसका हर काम और मानवीय होता है दूषित आचरण के कारण उसका हर काम दोषपूर्ण होता है| वह स्वार्थी प्रवृत्ति का होता है वह हर क्षण अपने स्वार्थ सिद्धि के प्रयास में रहता है| इस कारण उसके अच्छे विचार या अच्छी बात कहने का अवसर ही नहीं मिलता जैसे कपूर के पास हींग रखने पर हींग अपनी दुर्गंध का त्याग नहीं करता उसके स्वभाव या गंद में परिवर्तन नहीं आता बल्कि पूर्ववत दुर्गंध युक्त रहता है अर्थात दुर्जन अपनी कुदुर जनता कभी नहीं छोड़ता|
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