Header Ads Widget

New Post

6/recent/ticker-posts
Telegram Join Whatsapp Channel Whatsapp Follow

आप डूुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है Bharati Bhawan और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

कक्षा 10 और 12 हिंदी व्याकरण | class 10th and 12th label hindi vyakaran : bharati bhawan class 10 hindi grammar : bharatibhawan.org

 काल 

                                                                           क्रिया करने में जो समय लगाता है, उसे काल कहते है | जैसे :- राम खाता है, सीता पढ़ चुकी थी, मोहन गाना गायेगा इत्यादि | 

  • काल के तीन भेद होते है :-
  1. वर्त्तमान काल, 2. भूत काल और 3. भविष्यत् काल 
1. वर्त्तमान काल 
 जिस क्रिया से काम के लगातार चलने का बोध हो, उसे वर्त्तमान काल की क्रिया कहते है | 
 जैसे :- वह खेल रहा है, वह पढ़ता है इत्यादि | 
  • वर्त्तमान काल के तीन भेद होते है :-
1. सामान्य वर्त्तमान काल :- क्रिया का वह रूप, जिससे कार्य का वर्त्तमान में होना समझा जाता है, उसे सामान्य वर्त्तमान कहा जाता है | 
                                         जैसे :- वह सोता है, वह गाना गाता है, वह खेलता है | 
2. तात्कालिक वर्तमान काल :- जिस क्रिया से यह पता चलता है की काम वर्त्तमान काल में चल रहा है| अर्थात काम अभी चल ही रहा है, पूरा नहीं हुआ है |
                                            जैसे :- वह जा रहा है, राम मिट्टी खोद रहा है, बच्चे खेल रहे है | 
3. संदिग्ध वर्त्तमान काल :- जिससे क्रिया के होने में संदेह हो, पर वर्त्तमान में संदेह न हो, उसे संदिग्ध वर्त्तमान कहा जाता है | 
                                       जैसे :- राम जाता होगा, श्याम घर से आता होगा, मोहन खेलता होगा |  

2. भूत काल 

जिस क्रिया से काम के समाप्त होने का बोध हो,उसे भूतकाल कहते है | 
जैसे :- वह यहाँ से गया, राम ने खाया, सीता पद्धति थी | 

  • भूतकाल के छ भेद होते है :- 

1.  सामान्य भूतकाल :- जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का बोध न हो, उसे सामान्य भुतकाल कहते है | 
                                  जैसे :- मोहन गया, राम आया, सीता खाई, अमर आया | 
2. आसन्नभुत काल :- जिस क्रिया से यह जान पड़े की काम अभी तुरंत ख़त्म हुआ है, उसे आसन्न भूतकाल कहते है | 
                                   जैसे :- वह स्कुल से लौटा है, भागलपुर से आया है, मुझे कल इनाम मिली है | 
3. पूर्णभूत काल :- जिस क्रिया से काम की समाप्ति का बोध होता है और इससे यह ज्ञात होता की काम काफी पहले हो चुका है, उसे पूर्णभूत काल कहते है | 
                             जैसे :- राम ने श्याम को पिटा था, मई दरभंगा आ गया था, वह आया था | 
4. अपूर्ण भूतकाल :- जिस क्रिया से यह पता चले की काम पहले से प्रारम्भ हो गया है और अब तक चल ही रहा है, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते है | 
                              जैसे :- मोहन गाना गा रहा था, तुम पढ़ रहे थे, तुम पढ़ रहे थे,आप सो रहे थे | 
5. संदिग्ध भूतकाल :- जिस क्रिया से भूतकाल में काम पूरा होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है | 
                                  जैसे :- मोहन घर गया होगा, उसने वेतन लिया होगा, राम अपने घर चला गया होगा |
6. हेतुहेतुमद्द भूतकाल :- जिस क्रिया से यह पता चले की काम भूतकाल में ही होने वाला था पर किसी कारण से नहीं हो सका | 
                                    जैसे :- अगर वह पढ़ता तो अवश्य पासद होता |  
वाच्य  
                                                                        लिंग, वचन और पुरुष क्रिया के रूप में जो परिवर्तन होता है, उसे ही वाच्य कहते है | जैसे :- मुझसे चला नहीं जाता | 
  • वाच्य के तीन भेद होते है :- 
1. कर्तृवाच्य :- जब क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष करता के अनुसार होते है, उसे ही कर्तृवाच्य कहते है | 
नोट :- यहाँ क्रिया सीधे करता पर निर्भर करेगा | 

           जैसे :- राम जाता है, सीता जाती है, राम आम खाता है, गीता गाना गाती है | 
2. कर्मवाच्य :- जब क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होते है, तो उसे कर्मवाच्य कहते है | जैसे :- लड़के ने पोथी पढ़ी, मोहन द्वारा बाघ मारा जाता है | 
3. भाववाच्य :- जब क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष करता या कर्म के अनुसार न होकर सदा एकवचन पुलिंग और अन्य पुरुष में पुरुष में रहते है, तो ऐसी क्रिया को भाववाचक कहते है | 
                       जैसे :-उससे खाया नहीं जाता, मुझसे चला नहीं जाता, राम द्वारा हंसा जाता है |  
  • वाच्य परिवर्तन के कुछ नियम :- 
  • कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन 
(i) करता के साथ 'से' या ' के दारा' जोड़ जाता है, जैसे 
कर्तृवाच्य :- लड़का क्रिकेट खेलता है | 
कर्मवाच्य :- लड़का द्वारा क्रिकेट खेला जाता है |

(ii) क्रिया कर्म के लिंग, वचन के अनुसार रहती है, जैसे 
कर्तृवाच्य :- गोलू उपन्यास पढ़ता है | 
कर्मवाच्य :- गोलू से उपन्यास पढ़ा जाता है | 

(iii) क्रिया में 'आ' अथवा 'या' यथास्थान जोड़ा जाता है, जैसे 
       पढ़ता - पढ़ा जाता 
       सो - सोया जाता 
       उठता - उठा जाता 
       खेलता है - खेला जाता है 

(iv) कर्तृवाच्य जिस काल में होता है, कर्मवाच्य भी उसी काल में रहता है, जैसे :-

वर्त्तमान काल 

कर्तृवाच्य :- श्याम देर तक खेलता है | 
कर्मवाच्य :- श्याम से देर तक खेला जाता है | 

भूतकाल 

कर्तृवाच्य :- श्याम देर तक खेला |
कर्मवाच्य :- श्याम से देर तक खेला गया | 

भविष्यत् काल 

कर्तृवाच्य :- श्याम देर तक खेलेगा | 
कर्मवाच्य :- श्याम से देर तक खेला जाएगा |  

उपसर्ग 

  उपसर्ग वे शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले लगते है | 

और 

 उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले आकर अर्थ में परिवर्तन ला देता है | जैसे डर इस शब्द का अर्थ है भय, पर इसके पहले नि उपसर्ग लगा दे तो शब्द बनेगा निडर और इसका अर्थ होगा नहीं डरनेवाला | 

उपसर्ग

अर्थ

शब्द

बनाने वाला शब्द

दूर

बुरा

जन, बल

दुर्जन, दुर्बल

नि

निषेध, अभाव

डर

निडर

नहीं

भाव, निश्चित

अभाव, अनिश्चित

कु, क

बुरा

कर्म, पुत्र

कुकर्म, कपुत्र

भर

पूरा

पेट, सक

भरपेट, भरसके

वे

बिना

जान, कार

वेजान, बेकार

बद

बुरा

नाम, शकल

बदनाम, बदशकल

सर

मुख्य

पंच, ताज

सरपंच, सरताज

हम

बराबर

दर्द

हमदर्द

हर

प्रत्येक

वक्त, साल

हरवक्त, हरसाल

स, सु

अच्छा

पुत्र, पेरा

सुपुत्र, सपेरा


प्रत्येक 

                                                                        शब्द के अंत में जो शब्दांश या शब्द-समूह लगाए जाते है, उसे प्रत्यय कहा जाता है | जैसे - मनुष्य शब्द में त्व प्रत्यय लगाने पर मनुष्यत्व शब्द बनता है | 

  • प्रत्यय के दो प्रकार होते है :- 
1. कृदंत प्रत्यय  2. ताद्धित प्रत्यय 
1. कृदंत प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो क्रियाओं के पीछे लगाए जाते है, कृदंत कहलाते है | जैसे- गानेवाला में वाला प्रत्यय है, लिखाई में आई प्रत्यय है | 
  • कृदंत प्रत्यय के पाँच भेद होते है :- 
1. कर्त्रिवाचक :- वह कृदंत है जो क्रिया के करने वाले का द्धोतक होता है | 
                                              और 
                           ये क्रिया के पीछे जुड़कर करता का अर्थ प्रकट करते है |
जैसे -

क्रिया

प्रत्यय

शब्द

गाय

गायक

गावे, खेवे

ऐया

गवैया, खिवैया

भूल, बूझ

अक्कड़

भुलक्कड़, बुझक्कड़

झगड़

आलू

झगड़ालू


2. कर्मवाच्य :- ये क्रिया के पीछे जुड़कर कर्म का अर्थ प्रकट करते है | जैसे -

क्रिया

प्रत्यय

शब्द

पढ़, हँस

ना

पढ़ना, हँसना

पढ़, सुन

हुआ

पढ़ाहुआ, सुनाहुआ  

लिख, देख

हुई

लिखिहुई, देखिहुई

ओढ़, चाट, सूंघ

नी

ओढ़नी, चटनी, सुंघनी

 

 3. करणवाचक :- क्रिया के पीछे ना या नी लगाने से बनाते है | जैसे -
                                   

क्रिया

प्रत्यय

शब्द

चल, कतर  

नी

चलनी, कतरनी

ढक, चल

ना

ढकना, चलना

    
4. भाववाचक :- वे शब्द जो भाववाचक संज्ञा का कार्य करते है | ये क्रिया के अंत में आप, अंत, वट, हट, आई, ई, आव, आन आदि लगाकर बनाए जाते है | जैसे 

क्रिया

प्रत्यय

शब्द

मिल   

आप

मिलाप

गढ़

अंत

गढ़ंत

लिख

वट

लिखावट

चिल्ला

हट

चिल्लाहट

लिख

आई

लिखाई

मीठा

मिठाई

बच

आव

बचाव

उड़

आन

उड़ान


5. क्रियावाचक :- वे शब्द है जो क्रिया के ''ना'' के  स्थान पर ''ता'' के स्थान पर हुआ या हुई लगाकर विशेषण के सामान प्रयुक्त होते है | जैसे 

क्रिया

       प्रत्यय

शब्द

बनने वाला शब्द

भाग

ता + हुआ

भागता हुआ

भागता हुआ आदमी मर गया

दौड़

ता + हुआ

दौड़ता हुआ

दौड़ता हुआ घोड़ा गिर पडा

  
2. ताद्धित प्रत्यय 
 वे प्रत्यय जो संज्ञा ,सर्वनाम, विशेषण और अव्यय शब्दों में लगते है, ताद्धित कहलाते है | जैसे शरीर से शारीरिक इसमे 'ईक' प्रत्यय है | 
  • ताद्धित प्रत्यय के पाँच भेद होते है :- 
1 . कर्त्रिवाचक :-जिससे करता का बोध हो | जैसे 

शब्द

प्रत्यय

बनाने वाला शब्द

लकड़ी

हारा

लकड़हारा

गाड़ी

वाला

गाड़ीवाला

साँप, लूट

ऐरा

सपेरा, लूटेरा


2. गुणवाचक :- जिससे किसी गुण के भाव का प्रदर्शन हो, जैसे 

शब्द

प्रत्यय

बनाने वाला शब्द

भूख

भूका

इक

नगर

नागरिक

प्राण

प्राणी

आलू

दया

दयालु


3. भाववाचक :- जिससे भाव अथवा अवस्था का ज्ञान हो | जैसे 

शब्द

प्रत्यय

बनाने वाला शब्द

ता

मुर्ख , सज्जन

मुर्खता , सज्जनता

आपा

बूढा

बूढ़ावा

पन

बच्चा, लड़का

            बचपन , लड़कपन

आस

मीठा , खट्टा

मिठास, खटास


4. ऊनवाचक :- जिन शब्दों से छोटेपन का बोध होता है | जैसे 

लोटा से लुटिया , बाबू से बबुआ, छाता से छतरी, बेटी से बिटिया


5. अपत्यावाचक :- जिसके कहने से संतान का बोध होता है, उसे अपत्यवाचक कहते है | जैसे
 

लोटा से लुटिया , बाबू से बबुआ, छाता से छतरी, बेटी से बिटिया



संधि विच्छेद
  • संधि का अर्थ होता है ''मेल''
  • संधि :- संधि दो वर्णों के मेल से पैदा होने वाला विकार को कहा जाता है | जैसे 

महा + ईस =

महेश

विद्धा + अर्थी =

विद्यार्थी

  • संधि के तीन भेद होते है :- 
1. स्वर संधि , 2. व्यंजन संधि , 3. विसर्ग संधि 

1. स्वर संधि 

दो स्वर वर्णों के मिलाने से जो विकार पैदा होता है, उसे स्वर संधि कहते है | जैसे 

शिव + आलय =

अ + आ

शिवालय

भोजन + आलय

अ + आ

भोजनालय

  • स्वर संधि के पाँच भेद होते होते है :- 
1. दीर्घ संधि , 2. गुण संधि , 3. वृद्धी संधि , 4. यण संधि , 5. अयादी संधि


2.गुण संधि

अ + इ

भारत + इंदु

भारतेंदु

अ + ई

गण + ईश

गणेश

आ + इ

महा + इन्द्र

महेंद्र

आ + ई

रमा + ईश

रमेश

अ + उ

चन्द्र + उदय

चंद्रोदय

अ + ऊ

जल + ऊर्मि

जलोर्मी

आ + उ

महा + उत्सव

महोत्सव

आ + ऊ

गंगा + ऊर्मि

गंगोर्मी

अ + ऋ

अर्र

देव + ऋषि

देवर्षि

आ + ऋ

अर्र

महा + ऋषि

महर्षि


3. वृद्धि संधि  

अ + ए

अन + अनेकांत

अनैकांत

अ + ऐ

मत + ऐक्य

मतैक्य

आ + ए

तथा + एव

तथैव

आ + ऐ

महा + ऐश्वर्य

महैश्वर्य

अ + ओ

सुन्दर + ओदन

सुंदरौदन

अ + औ

वन + औषधि

वनौषधि

आ + ओ

महा + ओज

महौज

आ + औ

महा + औषधि

महौषधि


4. यण संधि   

इ + उ

अभि + उदय

अभ्युदय  

ई + ऊ

नी + ऊन

न्यून

इ + इ

यदि + अपि

यद्दपि

ई + ई

इति + आदि

इत्यादि

उ + अ  

व्

अनु + अय

अन्वय

उ + ए

व्

अनु + एषण

अन्वेषण

उ + आ

व्

सु + आगत

स्वागत

ऊ + आ

व्

वधू + आगमन

वध्वागमन

ऋ + आ

त्रा

मात्र + आनंद

मात्रानंद

ई + आ

त्रा

पित + आदेश

पित्रादेश


5. अयादी संधि  

जब ए, ऐ, ओ, औ, के बाद कोई एनी स्वर हो तो इनके स्थान पर क्रम से अय, आय, अव, आव हो जाते है जी   

ए + अ  

अय

ने + अन

नयन

औ + अ

आय

गौ + अक

गायक

ओ + अ

अव

पो + अन

पवन

औ + इ

आव

नौ + इक

नाविक









पर्यायवाची शब्द
 अर्थ की समानता वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते है |जैसे -

शब्द

पर्यायवाची शब्द

आग

अग्नि, पावक, दहन, ज्वाला

आकाश

गगन, अम्बर, आसमान

आँख

नेत्र, लोचन,नयन, द्रिग

इन्द्र

सुरपति, देवेन्द्र, देवराज, देवेश

कमल

पंकज, सरोज, नलिन, तामरस

यमराज

धर्मराज, मृत्युदेव, अन्तक, पितृपति

रात

रात्री, निशा, रैन, रजनी

विष्णु

नारायण, हरी, जनार्दन, माधव


विपरीतार्थक  शब्द 

बिलकुल विपरीत या उल्टा अर्थ रखने वाले शब्दों को विपरीतार्थक शब्द कहते है | जैसे 

शब्द

विपरीतार्थक  शब्द

आदान

प्रदान

आकर्षण

विकर्षण

अकाल

सुकाल

आमिर

गरीब

आहार

अनाहार

अन्धकार

प्रकाश

ऊँचा

नीचा

आशा

निराशा

एक

अनेक

खरीद

बिक्री


  मुहावरे और लोकोत्कियाँ 

मुहावरे और लोकोत्कियाँ भाषा के श्रींगार आभूषण है | इनके प्रयोग से भाषा चटपटी, आकर्षक, रुचिकार, मनोरंजक तथा सजीव हो जाती है | 

मुहावरा

लोकोत्कियाँ

वाक्य

अंगूठा दिखाना

समय पर धोका देना

अपना काम पूरा कर अच्छे लोग अंगूठा नहीं दिखाते

अंधे की लकड़ी

एक ही सहारा

एकलौता पुत्र अपने माता-पिटा के लिए अंधे की लकड़ी होता है

अपना उल्लू सीधा करना

अपना काम निकालना

वह किसी का भला नहीं करता, केवल अपना उल्लू सीधा करना जानता है

आस्तीन का साँप

धोखेवाज मित्र

मैंने तुझपर विशवास किया, लेकिन तू आस्तीन का साँप निकला

ईद का चाँद होना

बहुत दिनों पर मिलना

क्या बात है ! आजकल तुम ईद का चाँद हो गए हो

गाल बजाना

डिंग हाँकना

कायर तो सिर्फ गाल बजाना ही जानते है

चार दिनों की चाँदनी

थोड़े ही दिनों का सुख

अभी मौज उड़ा लो, क्योंकि तेरी तो चार दिनों की चाँदनी है

खून खुलना

गरम होना

उसकी बोली पर मेरा खून खुल गया

सफेद झूठ

सरासर झूठ

यह सफेद झूठ है की मैंने उसे पिटा है


अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

शिक्षा देने वाला

शिक्षक

जानने की इच्छा

जिज्ञासा

जिसका कोई नहीं हो

अनाथ

नाचने वाला

नर्तक

रात को चलने वाला

निशाचर

जिनके सर पर चंदामा हो

चंद्रशेखर

जिसका पति मर गया हो

विधवा

जिसका पत्नी मर गयी हो

विदुर

जिसका पति जीवित हो

सधवा

नहीं मरने वाला

अमर

जिस पुरुष की पत्नी साथ नहीं

विपत्निक

पढ़ने वाला

पाठक

देखने वाला

दर्शनीय

जो पिने योग्य हो

पेय

जो दूसरो से सदा ईर्ष्या का भाव रखता हो

ईर्ष्यालु


इससे पहले वाला भी पढ़े 

Post a Comment

0 Comments