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Class 10th and 12th Level Hindi Grammar / Vyaakaran : कक्षा 10वीं और 12वीं के आधार पर हिंदी व्याकरण : Bharati Bhawan : Bharati Bhawan Books

Class 10th and 12th Level Hindi Grammar / Vyaakaran : कक्षा 10वीं और 12वीं के आधार पर हिंदी व्याकरण : Bharati Bhawan : Bharati Bhawan Books : bharati bhawan all solution here
Bharati Bhawan Books

 हिंदी व्याकरण 

  • भाषा :- जिसके द्वारा, मनुष्य अपने मन के भावों को लिखकर या बोलकर दूसरों पर प्रकट करते है, उसे भाषा कहते है | 
  • व्याकरण :- व्याकरण उस शास्त्र को कहते है जिसके पढ़ने से मनुष्य शब्दों की व्युत्पत्ति, शुद्ध-शुद्ध लिखना और बोलना सीखता है | 
    • व्याकरण के तीन भेद होते है :- 
      1. वर्ण-विचार   2. शब्द-विचार    3. वाक्य-विचार  
  1. वर्ण-विचार :- वर्ण विचार व्याकरण का वह विभाग है जिसमे अक्षरों या वर्णों के उच्चारण, आकार,भेद तथा उनसे शब्द बनाने के नियमों का वर्णन हो | जैसे - अ, आ, क, च, ट, त, प आदि | 
    • वर्ण के दो भेद होते है :-
      1. स्वर-वर्ण                 2. व्यंजन वर्ण 
  1.  स्वर-वर्ण :- जो अक्षर बिना किसी दूसरे अक्षर की सहायता के स्वयं अपने से बोले जाते है, उसे स्वर्ण वर्ण कहते है | जैसे - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ | 
  2. व्यंजन वर्ण :- जो अक्षर स्वर की सहायता से बोले जाते है, उसे व्यंजन वर्ण कहते है | जैसे - क, च, ट, त, प,ब, य आदि | 
1. संज्ञा 

किसी व्यक्ति, वास्तु या स्थान के नाम को संज्ञा कहते है | जैसे- राम,श्याम, दरभंगा, पटना, कुर्सी आदि | 
    • संज्ञा के पाँच भेद होते :- 
      1. व्यक्तिवाचक      2. जातिवाचक      3. भाववाचक      4. समूहवाचक      5. द्रव्यवाचक 
  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से किसी एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा  है | जैसे - राम, सोहन, ताजमहल, हिमालय आदि | 
  2. जातिवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा से किसी जाती के सम्पूर्ण जाती का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | जैसे- गाय, औरत, आदमी, लड़का, लड़की आदि |
  3. भाववाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, धर्म, और स्वभाव का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है | जैसे- बढ़ाबा, लिखावट, मित्रता, सर्दी, मिठास, चतुराई आदि | 
  4. समूहवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से समूह या झुण्ड का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है | जैसे -  मेला, भीड़, सभा आदि | 
  5. द्रव्यवाचक संज्ञा :- जिन वस्तुओ को नापा और तौला जा सके, उनके नामो को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है | जैसे -सोना, तेल, चाँदी, घी आदि |
  •  क्रिया से भाववाचक संज्ञा में बदलना :-
   उड़ान- उड़ना , कहना- कथन , खोजना- खोज , जोड़ना- जोड़ , कमाना- कमाई , काटना- कटाई , करना- कटाई , बोलना- बोल , पढ़ना- पढाई , लिखना- लिखावट , घबराना- घबराहट , पीटना- पिटाई , जोतना- जुताई , देखना- दिखावा , हँसना- हँसी आदि | 

  • विशेषण से भाववाचक में बदलना :- 

अच्छा- अच्छाई , आवश्यक- आवश्यकता , उपयोग- उपयोगिता , ऊँचा- ऊँचाई , एक- एकता , कठोर- कठोरता , खुश- खुशी अदि  | 

  • जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा में बदलना :- 

जाती- जातीयता , भाई- भाईचारा , पशु- पशुत्व , लड़का- लड़कपन , जवान- जवानी , बच्चा- बचपन आदि |

2. लिंग 

लिंग का अर्थ है पहचान या चिन्ह, जिससे जाना जाए की कोई शब्द पुरुषवाचक है या स्त्रीवाचक

  • लिंग मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
    1. पुलिंग        2. स्त्रीलिंग 
  1. पुलिंग :- जिस संज्ञा से पुरुष जाती का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते है | जैसे- लड़का , बैल, राजा, दास आदि | 
  2. स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा से स्त्री जाती का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते है | जैसे- लड़क, गाय, रानी, दासी आदि |  
  •  जिन प्राणीवाचक शब्दों के जोड़े होते है उनका लिंग जानने में कठिनाई नहीं होती है | जैसे- घोडा -घोड़ी , राजा- रानी , गदहा- गदही , लड़का, लड़की , दास- दासी, मालिक- मालकिन आदि |
 3. वचन 
जिससे संख्या  या गिनती का बोध हो उसे वचन कहते है | 

  • वचन के दो भेद होते है :- 
    1. एकवचन         2. बहुवचन 
  1. एकवचन :- जिस संज्ञा से किसी एक का बोध हो उसे एकवचन कहते है | जैसे- बालक, लड़का, ;लड़की, घोड़ा, हाथी आदि | 
  2. बहुवचन :- जिस संज्ञा से एक या एक से अधिक का बोध होता है उसे बहुवचन कहते है | जैसे- लडके, लड़कियाँ, घोड़े, बकरियाँ आदि |  
  • एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम :- 
  1. आकारांत (ा) शब्दों के अंत में "ए" लगाकर बहुवचन बनाते है  | जैसे- लड़का- लडके, बेटा- बेटे , घोड़ा- घोड़े, गदहा- गदहे |  
  2. आकारांत (अ अन्तवाले ) शब्दों के अंत में (ें ) लगाकर बहुवचन बनाते है | जैसे- रात- रातें , बात- बातें | 
  3. आकारांत (आ)/ ऊकारांत (ऊ)/ औकारांत (औ) शब्दों के अंत में (ें) लगाकर बहुवचन बनाते है | जैसे- महिला- महिलाएं, वधु- वधुएं , गौ- गौएं |  
  4. इकारांत (इ) और ईकारांत (ई) शब्दों के अंत में (याँ) लगाकर बहुवचन बनाते है | जैसे- नारी- नारियाँ , जाति- जातियाँ , लड़की- लड़कियाँ | 
  5. उकारांत (उ) और ऊकारांत (ऊ) शब्दों के अंत में (ें) लगाकर बहुवचन बनाते है | जैसे- बहु- बहुएँ , वस्तु- वस्तुएँ , वधु- वधुएं | 
  6. कुछ शब्दों के एकवचन और बहुवचन एक ही होता है | जैसे- साधू, डाकू, क्रोध, प्यार, किसान, छात्र, स्वामी,मुनि आदि | 
  7. दर्शन, आंसू, हस्ताक्षर, बाल, प्राण, समाचार लोग हमेशा बहुवचन में प्रयोग करते है | 
  8.  छाया, प्रेम, जल, आग, हवा, वर्षा, दूध लोग हमेशा  प्रयोग करते है |
 4. कारक 

 जो क्रिया की उत्पति में सहायक हो, उसे कारक कहा जाता है | 

  • कारक को आठ भागो में बांटा गया है :- 
    1. कर्ता, 2. कर्म, 3. करण, 4. सम्प्रदान, 5. अपादान, 6. सम्बन्ध, 7. अधिकरण, 8. सम्बोधन 
  1. कर्ता :- काम करने वाले को कर्ता कारक कहा जाता है | जैसे- मोहन ने खाया है | (मोहन कारक है )
नोट :- कौन करता है ? प्रश्न से जो उत्तर निकलेगा, उसे कर्ता कहा जाता है |  

2. कर्म कारक :- जिस पर  फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है | जैसे- राम ने रावण को मारा | (रावण कर्म है )

3. करण कारक :- कर्ता जिस साधन से काम करता है, उसे करण कारक कहते है | जैसे- माँ चाक़ू से अमरूद काटती है | (चाक़ू करण है )

4. सम्प्रदान कारक :- कर्ता जिसके लिए काम करता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते है | जैसे- राम ने धर्म की रक्षा के लिए रावण मारा | (रक्षा सम्प्रदान है )

5. आपदान कारक :- जिस किसी वस्तु की जुदाई या अलग होने का बोध हो, उसे अपादान कारक कहते है | जैसे- पेड़ से पत्ते गिरा |, गंगा हिमालय से निकलती है | (पेड़ , हिमालय अपादान है )

6. सम्बन्ध कारक :- जिससे एक शब्द का सम्बन्ध दूसरे शब्द से ज्ञांत हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते है | जैसे- मै भारत का नागरिक हूँ | (भारत सम्बन्ध है )

7. अधिकरण कारक :- क्रिया जिस स्थान पर हो, उसे अधिकरण कारक कहते है | जैसे बच्चा खाट पर सो रहा है |, मै कक्षा में पढ़ा रहा हूँ | (खाट, कक्षा अधिकरण है )

8. सम्बोधन कारक :- पुकारने, चिल्लाने या सम्बोधित करने को सम्बोधन कारक कहते है | जैसे- अरे हरी !, हे कृष्ण !

  • कारक के चिन्ह :- 

1. कर्ता - ने    2. कर्म - को    3. करण - से       4. सम्प्रदान - को, के, लिए 

5. अपादान - से अलग   6. सम्बन्ध - का, के, की  7. अधिकरण - में, पर  8. सम्बोधन - हे, अरे  

 5. सर्वनाम 

          जो शब्द किसी भी संज्ञा के बदले में आता है, उसे सर्वनाम कहते है | जैसे - सीता स्कुल नहीं जा  सकती क्योंकि वह बीमार थी | (वह सर्वनाम है )

  • सर्वनाम के छः भेद है :- 

 1.  पुरुषवाचक , 2. निश्च्यवाचक,  3. अनिश्च्यवाचक ,  

4. प्रश्नवाचक , 5. सम्बन्धवाचक , 6. निजवाचक   

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम पुरुष या स्त्री  के बदले आता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे - मैं , हम , तुम , वह आदि | 
  • पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद है :- 
  1. उत्तम पुरुष :- जिन शब्दों का प्रयोग बोलनेबाला अपने लिए करता है | जैसे- मैं , हम , मेरा , हमसे आदि | 
  2. माध्यम पुरुष :- जिन शब्दों का प्रयोग बात किए जाने वाले या सुनने  लिए होता है | जैसे- तू , यौम, तुम्हारा आदि | 
  3. अन्य पुरुष :- जिन शब्दों का प्रयोग अन्य व्यक्तियों के लिए होता है, जिनके विषय में बात की जा रही हो और जो वहां पर उपस्थित न हो जैसे- वह, वे , उसके , उनको आदि |  

2.   निश्च्यवाचक सर्वनाम :- जिससे निश्चित व्यक्ति वस्तु का बोध हो, उसे निश्च्यवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे- यह , वह,ये , वे आदि | 

3. अनिश्च्यवाचक सर्वनाम :- जिससे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं हो, उसे अनिश्च्यवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे- कोई , कुछ | 

4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम :- जिस सर्वनाम से वाक्य में कही हुई संज्ञा से सम्बन्ध स्थापित किया जाय, उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे- जो , सो , जौन , तौन आदि |  

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम :- प्रश्न करने लिए जिस सर्वनाम का प्रयोग होता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे- कौन , क्या | 

6. निजवाचक सर्वनाम :- जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता अपने लिए करता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते है | जैसे- आप, स्वयं | 

 6. विशेषण 

             जो हबड़ संज्ञा या सर्वनाम का गुण या विशेषण प्रकट करे, उसे विशेषण कहा जाता है | जैसे- अच्छा, तेज, मोटी, काली |  

  • विशेषण के चार भेद होते है :-

1. गुणवाचक , 2. परिमाणवाचक , 3. संख्याबोधक ,  4. सर्वनामबोधक 

1.  गुणवाचक :- जिस शब्द से संज्ञा  और विशेषण जाहिर हो,उसे गुणवाचक कहते है | जैसे- काली घोड़ी, लाल गुलाब, उजाला कुत्ता आदि | 

2. परिमाणवाचक :- जिस शब्द से किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध हो, उसे परिमाणवाचक  कहते है | जैसे- थोड़ा, बहुत, कम, अधिक आदि |  

3. संख्याबोधक :- जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या जाहिर हो, उसे संख्याबोधक  कहते है | जैसे- दो, तीन, पाँच आदि | 

4. सर्वनामबोधक :- पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर जब शेष सर्वनामों का प्रयोग विशेषण के सामान हो, तो उसे सर्वनामबोधक कहते है | जैसे- कौन, क्या, यह, वह, कोई आदि |  

  • विशेषण बनाने के नियम :- 
    1. आकारांत (आ) विशेषण का रूपांतर जब स्त्रीलिंग  है, तो ईकारांत (ई) हो जाता है | जैसे- काला - काली , उजला- उजली , अच्छा- अच्छी आदि | 
    2. बहुवचन पुलिंग संज्ञा का आकारांत (आ) विशेषण एकारांत (ए) हो जाता है | जैसे- अच्छा - अच्छे , काला- काले आदि|   
 7. क्रिया 

     जिस शब्द से किसी काम का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते है | जैसे- पढ़ना , लिखना , सोना |  

  • क्रिया के दो भेद है :-
    1. अकर्मक क्रिया :- जिन क्रियाओं के कर्म नहीं होते है, उसे अकर्मक क्रिया कहते है | जैसे - वह सोता नहीं है | , राम खाता नहीं  है | 
  1. सकर्मक क्रिया :- जिस क्रिया से काम हो या जिस क्रिया के साथ कर्म की संभावना हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते है| जैसे - राम आम खाता है |
 8. अव्यय 

         जिन शब्दों का रूप कभी नहीं बदलता है, उसे अव्यय कहते है | जैसे - अभी, जब, तब, बहुत आदि |  

  • अव्यय के मुख्यतः चार भेद है :-
    1. सम्बन्धबोधक अव्यय :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उसका सम्बन्ध किसी दूसरे शब्द से बताता है | जैसे - आगे, पीछे, तक, बिना आदि | 
    2. समुच्चयबोधक अव्यय :- जो शब्द वाक्यों को जोड़ता है और अलग करता है, उसे समुच्चयबोधक अव्यय  कहते है | जैसे - एवं, और, अगर, परन्तु, बल्कि, अथवा आदि |  

नोट :- जोड़ने वाले शब्द को संयोगी और अलग करने वाले शब्द को विभाजक कहते है | 

3. विस्मयादिबोधक अव्यय :- जिन अव्ययो से हर्ष, शोक या आश्चर्य का भाव प्रकट हो, उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहते है | जैसे - ओह, हाय, वाह-वाह | 

4. क्रियाविशेषण अव्यय :- जिस अव्यय से क्रिया की विशेषता प्रकट होती है, उसे क्रियाविशेषण अव्यय  है | जैसे - वह तेज दौड़ता है |, तुम वहां रहते हो |, धीरे, जल्दी, धड़ाधड़, जोड़ से आदि |   

 9. समास 

जब दो या दो से अधिक पद अपने बीच की विभक्ति को छोड़कर आपस में मिल जाते है, तो इसी मेल को समास कहा जाता है | जैसे- राजा का पुत्र (राजपुत्र), राजा का मंत्री (राजमंत्री)

  • समास के छः भेद होता है :- 
    1. तत्पुरुष समास :- जिस सामासिक शब्द का अंतिम खंड प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते है | जैसे- राजमंत्री ने दंड दिया | 

नोट :- यहाँ दंड देने का काम मंत्री करता है| अतः मंत्री ही प्रधान खंड है और यह अंतिम खंड है |  

 2. कर्मधारय समास :- जहाँ पर विशेष्य-विशेषण और उपमान- उपमेय का मेल हो, वहाँ कर्मधारय समास होता है | जैसे- पुरुषों में उत्तम (पुरुषोत्तम), कमल के समान नयन (कमलनयन), चंद्र के समान मुख (चन्द्रमुख), नरो में सिंह के समान (नरसिंह) आदि | 

3. द्विगु समास :- जिस सामासिक शब्द का प्रथम खंड संख्यावाचक हो, उसे द्विगु समास कहते है | जैसे - चार राहें (चौराहा), नौ रत्नों का समूह (नवरत्न), तीन फलों का समूह (त्रिफ़ल) आदि | 

 4. द्वंद्व समास :- जिस सामासिक शब्द के दोनों ही खंड प्रधान हो, उसे द्वन्द्व समास है | जैसे - माता और पिता (माता-पिता), दाल और रोटी (दाल-रोटी), रात और दिन (रात-दिन), सुख तथा दुःख (सुख-दुःख) आदि |  

 5. बहुव्रीही समास :- जिस सामासिक शब्द का कोई भी खंड प्रधान नहीं हो, बल्कि वह सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ धारण करे यूजर बहुव्रीही समास कहते है | जैसे - लंब है उदर जिसका (लम्बोदर), नीला है कंठ जिसका (नीलकंठ), जिनके सिर पर चन्द्रमा हो (चंद्रशेखर) आदि | 

6. न्यन समास :- निशेष या अभाव आदि अर्थ में जब प्रथम पद अ , अन्न , न  और ना आदि हो तथा दूसरा संज्ञा या विशेषणहो तो न्यन समास कहलाता है | जैसे - न जाना (अनजाना), न ज्ञानी (अज्ञानी), ना समझ (नासमझ) आदि | 

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