Header Ads Widget

New Post

6/recent/ticker-posts
Telegram Join Whatsapp Channel Whatsapp Follow

आप डूुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है Bharati Bhawan और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

मनोविज्ञान कौशलों का विकास, Class 12 Psychology Chapter 9 in Hnidi, कक्षा 12 नोट्स, सभी प्रश्नों के उत्तर, कक्षा 12वीं मनोविज्ञान के सभी प्रश्न उत्तर

मनोविज्ञान कौशलों का विकास, Class 12 Psychology Chapter 9 in Hnidi, कक्षा 12 नोट्स, सभी प्रश्नों के उत्तर, कक्षा 12वीं मनोविज्ञान के सभी प्रश्न उत्तर

  Chapter-9 मनोविज्ञान कौशलों का विकास  

प्रश्न 1. एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए कौन कौन सी सक्षमताएँ आवश्यक होती है?
उत्तर: हमें अक्सर लगता है की बुद्धि, हीनता मनोग्रंथि, अनन्यता संकट, मानसिक बाधाओं, अभिवृति, दबाव, संप्रेषण बाधाओं के बारे में बात करने वाले या उसका निदान करने वाले मनोवैज्ञानिक होते है। यहां पर शैकिया और व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक के अंतर स्पष्ट होने चाहिए। कुछ मनोवैज्ञानिक शोध के माध्यम से सैद्धांतिक निरूपणो की खोज करते है जबकि कुछ अन्य हमारे प्रतिदिन की क्रियाओ और व्यवहारों से संबंधित रहते है। यह जानना महत्वपूर्ण है की शोध कौशलों के आलावा वैज्ञानिक के लिए कौनसी सक्षम बताये है जो आवश्यक है। इसके अंतर्गत ज्ञान के वे क्षेत्र आते है जिसको शिक्षा और पशिक्षण पूरा करने के बाद व्यवसाय में आने से पूर्व किसी मनोवैज्ञानिक को जानना चाहिए। ये शिक्षको याद करने वाले शोध करने वाले सभी के लिए जरूरी है जो छात्रों से, व्यापार से, उद्योगों से और बृहत्तर समुदायों के साथ परामर्श की भूमिका में होते है।
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक है, उनको तीन क्षेणियों में बाटा जा सकता है। पहला - सामान्य कौशल, दूसरा प्रेक्षण कौशल, तीसरा विशिष्ट कौशल है।  
प्रश्न 2. कौन से सामान्य कौशल सभी मनोवैज्ञानिक के लिए आवश्यक होते है?
उत्तर: आधारभूत कौशल या सक्षमता जिनको मनोवैज्ञानिको ने पहचाना है और जो एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक है, उनको तीन क्षेणियों में बाटा जा सकता है। पहलासामान्य कौशल, दूसरा - प्रेक्षण कौशल, तीसरा विशिष्ट कौशल है। यह कौशल मूलतः सामान्य स्वरूप के है और इनकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिको को होती है चाहे उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र कोई भी हो। इन कौशलों में व्यक्तिक और बौद्धिक कौशल दोनों शामिल होते है। यह जाती है की किसी भी प्रकार का व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट क्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों अंग्रिम विकास किया जा सकता है।
बौद्धिक और वैयक्तिक दोनों प्रकार के सामान्य कौशल सभी मनोवैज्ञानिक के लिए आवश्यक हैं। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट क्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है।
प्रश्न 3. संप्रेषण को परिभाषित कीजिए। संप्रेषण प्रक्रिया का कौन-सा घटक सबसे महत्त्वपूर्ण है? अपने उत्तर को प्रासंगिक उदाहरणों से पुष्ट कीजिए।
उत्तर: संप्रेषण प्रक्रिया से हमारा तातपर्य यह है की संप्रेषण एक संचेतन या, अचेतन, या अचेतन, साभिप्राय या अनभिप्रेत प्रक्रिया है जिसमे भावनाओ तथा विचारो को वाचिक या अवाचिक संदेश में भेजा या ग्रहण किया और समझा जा सकता है। अर्थात अच्छा करने के लिए आपको प्रश्न पूछना आना चाहिए, उत्तर देना आना चाहिए, विचारो का सारांश बनाना आना चाहिए तथा अपने समकक्षीय एवं अध्यापको से प्रभावी ढंग से अंतः क्रिया करना आना चाहिए। संप्रेषण प्रक्रिया आकस्मिक (बिना किसी आशय), अभिव्यक्तिपरक (व्यक्ति की सांवेगिक स्थिति से जुडी) या वाक्पटुपा(सम्प्रेषण के विशिष्ट लस्यो से जुडी) हो सकती है। मानव संप्रेसण अंतरव्यक्तिक, अन्तराव्यकितिक अथवा सार्वजनिक स्त्रो पर हो सकता है।
प्रश्न 4. उन सक्षमताओं के समुच्चय का वर्णन कीजिए जिनको एक मनोवैज्ञानिक परिक्षण का संचालन करते समय अवश्य ध्यान में रखना चहिए।
उत्तर: यह जानना महत्वपूर्ण है कि शोध कौशलों के अलावा एक मनोवैज्ञानिक के लिए कौन-सी सक्षमताएं हैं जो एक मनोवैज्ञानिक के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ दशाएं और सक्षमताएं ऐसी हैं जो मनोवैज्ञानिक के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक मानी जाती हैं। इसके अंतर्गत ज्ञान के क्षेत्र आते हैं, जिसको शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद व्यवसाय में आने से पहले किसी मनोवैज्ञानिक को जानना चाहिए। यह शिक्षकों, याद करने वाले एवं शोध करने वाले सभी के लिए जरूरी हैं जो छात्रों से, व्यापार से, लोगों से और बेहतर समुदाय के साथ परामर्शन उनकी भूमिकाओं में होते हैं। यह माना जा रहा है कि मनोविज्ञान में क्षमताओं को विकसित करना, उनको अमल में लाना और उनका मापन करना कठिन है, क्योंकि विशिष्ट पहचान और मूल्यांकन की कसौटी ऊपर आम सहमति नहीं बन पाती है। आधारभूत कौशल या सक्षमता जिनको मनोवैज्ञानिकों ने पहचाना है और जो एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक है, उन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहला- सामान्य कौशल, दूसरा प्रेक्षण कौशल, तीसरा विशिष्ट कौशल।
प्रश्न 5. परामर्शी साक्षात्कार का विशिष्ट प्रारूप क्या है?
उत्तर: एक साक्षात्कार दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है जिसमें प्रश्न उत्तर प्रारूप या फॉर्मेट का अनुसरण किया जाता है। साक्षात्कार अन्य प्रकार के वार्तालाप को की तुलना में अधिक औपचारिक होता है का एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केंद्रित होती है। एक मनोवैज्ञानिक के रूप में विकसित होने के लिए आवश्यक है कि परामर्श एवं निर्देशन के क्षेत्र में भी सक्षमता हो। इन सक्षमताओं को विकसित करने के लिए मनोवैज्ञानिक को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण कुशल पर्यवेक्षण में दिया जाना चाहिए। गलत व्यवसाय में जाने के परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। परामर्श में सहायता प्राप्त संबंध होता है जिसमें सम्मिलित होता है वह जो मदद चाह रहा है, जो मदद दे रहा है या देने का इच्छुक है, जमानत देने में सक्षम हो या प्रशिक्षित हो और ऐसी स्थिति में हो जहां मदद लेना और देना सहज हो ।
प्रश्न 6. परामर्श से आप क्या समझते हैं? एक प्रभावी परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: एक साक्षात्कार दो या अधिक व्यक्तियों के बिच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है जिसमे प्रश्न उतर प्रारूप या फॉमेट का अनुसरण किया जाता है। साक्षात्कार अन्य प्रकार के वार्तालाप को की तुलना में अधिक औपचारिक होता है का एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केंद्रित होती है। एक मनोवैज्ञानिक के रूप में विकसित होने के लिए आवश्यक है की परामर्श एवं निर्देशन के क्षेत्र में भी सक्षमता हो। इन सक्षमताओं को विकसित करने के लिए मनोवैज्ञनिक को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण कुशल पर्यवेक्षण में दिया जाना चाहिए। गलत व्यवसाय में जाने के परिणाम काफी गंभीर हो सकते है। परामर्श में सहायता प्राप्त संबंध होता है जिसमे सम्मिलित होता है वह जो मदद चाह रहा है, जो मदद दे रहा है या देने का इच्छुक है, जमानत देने में सक्षम हो या प्रशिक्षित हो और ऐसी स्थिति में हो जहा मदद लेना और देना सहज हो ।
1. साक्षात्कार का प्रारम्भ- इसका उद्देश्य यह होता है की साक्षात्कार देने वाला आराम की स्थिति में आ जाये। सामान्यतः साक्षात्कारकर्ता बातचित की शुरुआत करता है और प्रारंभिक समय में ज्यादा बात करता है।
2. साक्षात्कार का मुख्य भाग- यह इस प्रक्रिया को केंद्र है। इस अवस्था में साक्षात्कारकर्ता सुचना और प्रदत्त प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रश्न पूछने का प्रयास करता है जिसके लिए साक्षात्कार का आयोजन किया जाता है।
3. प्रश्नों का अनुक्रम - साक्षात्कारर्ता प्रश्रों की सूचि तैयार करता है जिसमे विभिन्न क्षेत्रो या श्रेणियों से, जो वह जानना चाहता है, प्रश्न होते है।
4. साक्षात्कार का समापन - साक्षात्कार का समापन करते समय साक्षात्कारकर्ता ने जो संग्रह किया है उसे उनका सारांश बताना चाहिए। साक्षात्कार का अंत आगे के लिए जाने वाले कदम पर चर्चा के साथ होना चाहिए। जब साक्षात्कार समाप्त हो रहा हो तब साक्षात्करकर्ता को साक्षात्कार देने वाले को भी प्रश्न पूछने का अवसर देनी चाहिए या टिप्पणी करने का मौका देना चाहिए |
प्रश्न 7. क्या आप इस कथन से सहमत हैं की एक प्रभवी परामर्शदाता होने के लिए उसका व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित होना अनिवार्य है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: "एक प्रभावी परामर्शदाता होने के लिए उसका व्यवसाय रूप से उपस्थित होना अनिवार्य है। एक प्रभावी परामर्शदाता के रूप में विकसित होने के लिए उसका परामर्श के क्षेत्र की पर्याप्त सक्षमताएं होनी आवश्यक है। इसके लिए उसे कुशल पर्यवेक्षक की निगरानी में व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करना अति आवश्यक हो जाता है।

इस कथन को हम एक उदाहरण द्वारा समझते हैं कि परामर्शदाता के पास एक व्यक्ति आता है कि उसे किस तरह की नौकरी या व्यवसाय करना चाहिए। अगर परामर्शदाता जोकि कुशल नही है और उसकी अकुशलता के कारण दिये गये परामर्श से व्यक्ति किसी ऐसे क्षेत्र में चला जाता है जिसमें कार्य करने के लिए उसके पास पर्याप्त योग्यता एवं सक्षमता का अभाव है तो उसके सामने कठिनाईयुक्त एवं निषेधात्मक संवेगों की समस्या उत्पन्न हो सकती है और वह इनका प्रक्षेपण नकारात्मक रूप में कर सकता है। इसके विपरीत यदि वह कुशल परामर्शदाता के कुशल परामर्श के कारण किसी ऐसे क्षेत्र में जाता है, जो उसके योग्यता एवं क्षमता के अनुकूल है तो वो उस क्षेत्र में अपना पूर्ण विकास कर सकता है और उसे पर्याप्त संतुष्टि मिल सकती है। जिसका समग्र सकारात्मक प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पड़ेगा।

हम कह सकते हैं कि प्रभावी परामर्शदाता बनने के लिए व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है ताकि वह स्वयं का आत्मनिरीक्षण कर सके तथा अपने अंदर ऐसी क्षमताएं विकसित कर सके जो सेवार्थी की आधारभूत समस्याओं का भली-भांति मूल्यांकन कर सकें और उसी के अनुसार सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रस्तुत कर सकें। "
प्रश्न 8. एक सेवार्थी परामर्शदाता संदंधो के नैतिक मानदंड क्या है? -
उत्तर: 1. नैतिक / व्यावसायिक आचरण संहिता, मानक तथा दिशा निर्देशों का ज्ञान, संविधियों, नियमों एवं अधिनियमों की जानकारी के साथ मनोविज्ञान के लिए जरूरी कानूनों की जानकारी भी आवश्यक है।

2. विभिन्न नैदानिक स्थितियों में नैतिक एवं विधिक मुद्दों को पहचानना और उनका विश्लेषण करना।

3. नैदानिक स्थितियों में अपनी अभिवृत्तियों एवं व्यवहार के नैतिक विमाओं को पहचानना और समझाना।

4. जब भी नैतिक मुद्दों का सामना हो तो उपयुक्त सूचनाओं एवं सलाह को प्राप्त करना । 5. नैतिक मुद्दों से संबंधित उपयुक्त व्यावसायिक आग्रहिता का अभ्यास करना।
प्रश्न 9. अपने एक मित्र के व्यक्तिगत जीवन के एक ऐसे पक्ष की पहचान कीजिए जिसे वह बदलना चाहता है। अपने मित्र की सहायता करने के लिए मनोविज्ञान के एक विद्यार्थी के रूप में विचार करके उसकी समस्या के समाधान या निराकरण के लिए एक कार्यक्रम को प्रस्तावित कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें ।

Post a Comment

0 Comments