Chapter-1 मनोविज्ञान क्या है?
प्रश्न 1. व्यवहार क्या है? प्रकट एवं अप्रकट व्यवहार का उदहारण दीजिए।
उत्तर: पर्यावरण की विभिन्न घटनाओं से उत्पन्न स्थितियों के प्रभाव में मानव मन उद्दीपक (S) और अनुक्रिया (R) में संतुलन बनाये रखने के लिए अपनी प्रकृति तथा प्रवृति के अनुसार जैसा आचरण करता है, उसे संलग्न स्थितियों के प्रति व्यवहार माना जाता है। हमारे मानसिक निर्णय का कार्यकारी परिणाम हमारा व्यवहार माना जाता है। व्यवहार व्यक्ति एवं उसके वातावरण का उत्पाद है। अर्थात् B=f (P.E.)। व्यवहार सामान्य अथवा जटिल, अल्पकालिक या दीर्घकालिक, लाभकारी या हानिकारक किसी भी श्रेणी में रखे जा सकते हैं। कुछ व्यवहार प्रकट होते हैं तो कुछ अप्रकट ।
प्रकट व्यवहार के उदाहरण -
1. मालिक को सामने पाकर नौकर का सतर्क और सभ्य आचरण करना।
2. साँप या बाघ को देखते ही उपने को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के लिए यथासंभव तेजी से भागना।
3. जेब में डाले हुए हाथ को पकड़ लिये जाने पर पॉकेटमार तथा यात्री के मुखमुद्रा तथा क्रियाओं में आने वाला अन्तर ।
अप्रकट व्यवहार के उदहारण -
1. परीक्षार्थी के परीक्षाभवन में बैठ जाने पर कठिन प्रश्नों की आशंका में किया जाने वाला आचरण
2. शतरंज, ताश या कैरमबोर्ड खेलते समय की जाने वाली आगामी चाल के प्रति चिंतित होना।
3. मित्र के घर मिलने वाल स्वागत, भोजन तथा आमंत्रण की सुखद याद करना।
प्रश्न 2. आप वैज्ञानिकामनोविज्ञान को मनोविज्ञान विद्या शाखा की प्रसिद्ध धारणाओं से कैसे अलग करेंगे?
उत्तर: हम वैज्ञानिक मनोविज्ञान को मनोविज्ञान की विद्याशाखा की प्रसिद्ध धारणाओं से निम्न बिंदुओं के आधार पर अलग करेंगे:
1. मनोविज्ञान की विषय सामग्री की वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर ।
2. विषय-सामग्री की प्रामाणिकता के आधार पर ।
3. वस्तुनिष्ठता के आधार पर |
4. भविष्यवाणी की योग्यता के आधार पर |
5. नियमों की सार्वभौमिकता के आधार पर |
प्रश्न 3. मनोविज्ञान के विकास का संक्षिप्त रूप प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: मनोविज्ञान के विकास का इतिहास बड़ा ही संक्षिप्त है। आधुनिक युग में मनोविज्ञान का औपचारिक आरंभ 1879 से माना जाता है। जब जर्मनी में एक वैज्ञानिक विलियम्स ने मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला को स्थापना की थी। कालांतर में एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने कैंब्रिज, मैसाचुसेट्स में एक प्रयोगशाला की स्थापना की थी।
जिसमें मानव मन के अध्ययन हेतु प्रकार्यवादी उपागम का विकास किया गया था। विलियम जेम्स के मतानुसार मन की संरचना पर ध्यान देने के अतिरिक्त मनोविज्ञान के अध्ययन में इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए कि मन क्या करता है तथा मन का व्यवहार व्यक्ति को अपने आसपास के वातावरण से निपटने में किस तरह से कार्य करता है। जैसे कि मानव का व्यवहार उसकी जरूरतों को पूरा करने योग्य किस तरह से बनाता है।
प्रकार्यवादियों ने इस तथ्य पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। जबकि विलियम जेम्स के अनुसार वातावरण से अंतः क्रिया करने वाली प्रक्रियाओं की धारा के रूप में चेतना ही मनोविज्ञान का मूल स्वरूप स्थापित करती है। जब बीसवीं सदी का आरंभ हुआ तो एक नई विचारधारा ने जन्म लिया। जिसका प्रतिपादन जर्मनी गेस्टाल्ट मनोविज्ञान की विचारधारा थी जो वुण्ट की विचारधारा के विपरीत थी आई थी। इसमें प्रत्यक्ष रूप से किए गए अनुभवों के संगठनों को अभिन्न अंग माना गया। दूसरे शब्दों में इस विचारधारा के अंतर्गत व्यक्ति जो अनुभव करता है, वह वातावरण से प्राप्त आगतों से ज्यादा होता है। उदाहरण के लिये जब चमकता सूर्य का प्रकाश व्यक्ति के दृष्टि पटल पर पड़ता है तो व्यक्ति को प्रकाश की गति का अनुभव होता है। हम चलचित्र के देखते हैं तो तेजी भागते स्थिर चित्र हमारे दृष्टिपटल पर पड़ते हैं, तो हमें एक चलायमान चित्र का अनुभव होता है। ये प्रत्यक्ष अनुभवों से अधिक होता है। गेस्टाल्ट के अनुसार अनुभव समग्रतावादी होता है।
जैसे-जैसे मनोविज्ञान का विकास होता क्या है तो संरचनावाद की प्रतिक्रिया स्वरूप एक और धारा व्यवहार वाद के रूप में सामने आई। सन 1910 में जॉन वाटसन ने मन एवं चेतना को मनोविज्ञान के केंद्रीय विषय के रूप में स्वीकार नहीं किया था बल्कि वे दैहिक शास्त्री इवान पाललव के प्राचीन अनुबंधन वाले कार्य से ज्यादा प्रभावित थे| वाटसन का मानना था कि मन प्रेक्षणीय नहीं है और अंतरनिरीक्षण व्यक्ति परक है क्योंकि इसका सत्यापन किसी दूसरे प्रेक्षक द्वारा नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4. वे कौन-सी समस्याएं होती हैं जिनके मनोवैज्ञानिकों का अन्य विद्या शाखा के लोगों के साथ सहयोग लाभप्रद हो सकता है? किन्हीं दो समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: 1. मानसिक रोगों की समस्या : मनोविज्ञान व्यावहारिक समस्याओं वाले रोगियों की सहायता करने की विशिष्टता रखना है।
2. सामुदायिक स्वास्थ्य : सामुदायिक स्वास्थ्य की समस्याओं को दूर करने के लिए भी मनोविज्ञान की सहायता ली जा सकती है ।
वे निम्नलिखित समस्याएँ होती हैं जिनके लिए मनोवैज्ञानिकों का अन्य विद्याशाखा के लोगों के साथ सहयोग लाभप्रद हो सकता है:
● चिकित्सा विज्ञान में, डॉक्टरों ने भी यह महसूस किया है कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिमाग की आवश्यकता होता है। इसलिए अधिकतर अस्पतालों में मनोवैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाता है | लोगों को हानिकारक स्वास्थ्य आदतों को अपनाने से रोकने तथा डॉक्टरों के निर्देश का पालन करने में मनोवैज्ञानिकों की अहम् भूमिका होती है | जबकि कैंसर, एड्स और शारीरिक रूप से विकलांग रोगियों के इलाज के समय मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता होती है।
• इंजीनियरिंग में, एक आर्किटेक्ट के लिए यह आवश्यक होता है कि वह उसके डिज़ाइन तथा सौन्दर्यशास्त्र से ग्राहक को मानसिक तौर पर संतुष्ट कर सके | उदाहरण के लिए, इंजीनियरों को सड़कों तथा राजमार्गों पर सुरक्षा के लिए अपनी योजनाओं में मानवीय आदत का भी ध्यान रखना चाहिए | मनोवैज्ञानिक ज्ञान सभी यांत्रिक उपकरणों तथा उसके प्रदर्शन में बहुत मदद करता है।
प्रश्न 5. दैनंदिन जीवन के कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए जहाँ मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास रूप में लाया जा सके।
उत्तर: दैनंदिन जीवन के निम्नलिखित क्षेत्रों में मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास के रूप में लाया जा सकता है
1. क्रीड़ा,
2. संगीत एवं ललिता कला,
3. विद्यालय,
4. घर आदि ।
• मनोविज्ञान एक व्यक्ति को खुद को संतुलित और सकारात्मक तरीके से बिना किसी प्रतिक्रिया के समझने में सक्षम बनाता है।
• यह बच्चों, किशोरों, वयस्कों तथा वयोधिक लोगों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सलाह देता है ।
• सामाजिक परिवर्तन तथा विकास, जनसंख्या, गरीबी, अन्त: वैयक्तिक एवं अंत:सामूहिक हिंसा तथा पर्यावरणी गिरावट से संबंधित केंद्रीय सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करने में भी मदद करता है।
• मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के उपयोग से अपने अधिगम एवं स्मृति में सुधार लाने के लिए अध्ययन की अच्छी आदतें विकसित करने में मदद मिलती है तथा व्यक्तिगत तथा अंतर्वैयक्तिक समस्याओं का निर्णय लेने की उपयुक्त युक्तियों द्वारा समाधान किया जा सकता है।
प्रश्न 6. पर्यावरण के अनुकूल मित्रवत व्यावहार को किस प्रकार उस क्षेत्र में ज्ञान द्वारा बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर: इस क्षेत्र में पर्यावरण मनोविज्ञान सहायता करता है। पर्यावरण मनोविज्ञान तापमान, आर्द्रता, प्रदूषण तथा प्राकृतिक आपदा जैसे भौतिक कारकों का मानव व्यवहार के साथ अन्त:क्रियाओं का अध्ययन करता है। कार्य करने के स्थान पर भौतिक चीजों की व्यवस्था के स्वरूप का स्वास्थ्य, सांवेगिक अवस्था तथा अंतर्वैयक्तिक सम्बन्धों पर पड़ने वाले प्रभावों का अन्वेषण करता है।
प्रश्न 7.अपराध जैसी महत्त्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में सहायता करने के लिए आपे अनुसार मनोविज्ञान की कौन-सी शाखा सबसे उपयुक्त है। क्षेत्र की पहचान कीजिए एवं उस क्षेत्र के कार्य करने वाले मनोवैज्ञानिकों के सरोकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: मेरे विचार में अपराध जैसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में सहायता करने के लिए मनोविज्ञान की विधि एवं अपराधशास्त्र नामक शाखा सबसे उपयुक्त है।
विधि एवं अपराधशास्त्र : एक कुशल अधिवक्ता तथा अपराधशास्त्री को मनोविज्ञान के ज्ञान की जानकारी ऐसे प्रश्नों - कोई गवाह, एक दुर्घटना, गली की लड़ाई अथवा हत्या जैसी घटना को कैसे याद रखना है? न्यायालय में गवाही देते समय वह इन तथ्यों का कितनी सत्यता के साथ उल्लेख करता है? जूरी के निर्णयों को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं? झूठ एवं पश्चाताप के क्या विश्वसनीय लक्षण हैं? किन कारकों के आधार पर किसी अभियुक्त को उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी माना जाए? किसी आपराधिक कार्य के लिए दंड की किस सीमा को उपयुक्त माना जाए? का उत्तर देने के लिए आवश्यक होती है। मनोवैज्ञानिक ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते हैं। आजकल बहुत से मनोवैज्ञानिक ऐसी बातों पर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं जिसके उत्तर देश में भावी विधि व्यवस्था की बड़ी सहायता करेंगे ।
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