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हिंद- चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
1. रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – रेशम मार्ग चीन से आरंभ होकर स्थल मार्ग द्वारा मध्य एशिया होते हुए यूरोप तक आता था। ईसा की आरंभिक सदियों में सबसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग था। इसे रेशम मार्ग इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसी मार्ग द्वारा चीनी रेशम विभिन्न देशों तक ले जाया जाता था। मध्य एशिया से इसकी एक शाखा भारत की ओर आकर यहाँ के विख्यात व्यापारिक मार्ग उत्तरापथ से मिल जाती थी। इसी प्रकार स्नमुद्री रेशम मार्ग द्वारा भी एशिया, यूरोप और अफ्रीका का एक बड़ा भाग व्यापारिक संपर्क बनाए हुए था। तत्कालीन व्यापारिक जगत में रेशम मार्ग की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
2. अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे दाखिल हुआ, चर्चा करें।
उत्तर- अमेरिका शुरू में फ्रांस का सहयोग कर रहा था लेकिन साम्यवादियों के बढ़ते प्रभाव को रोकने हेतु अमेरिका हिन्द - चीन में दाखिल हुआ। दूसरी तरफ कंबोडिया का शासक सिंहानुक अमेरिका से संबंध विच्छेद कर चीन की ओर झुका जिससे अमेरिका को कंबोडिया में हस्तक्षेप करने का अवसर मिला। साथ ही सिंहानुक साम्यवादी रूस और पूर्वी जर्मनी से संबंध बढ़ाना आरंभ कर दिया। अमेरिका कंबोडिया या पूरे हिन्द चीन में साम्यवादी प्रभाव को बढ़ाना नहीं चाहता हस्तक्षेप किया।
3. वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट क्यों हुआ?
उत्तर – वियतनाम में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए 1868 में ईसाईयत के विरुद्ध एक सशक्त आंदोलन हुआ। यह आंदोलन स्कालर्स रिवोल्ट अथवा विद्वानों के विद्रोह के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन को ! राजदरबार के अधिकारियों ने चलाया। वे कैथोलिक ( ईसाई) धर्म के प्रचार और वियतनाम पर फ्रांसीसी आधिपत्य के विरोधी थे। इस आंदोलन का जोर सबसे अधिक न्यूएन और हातिएन प्रांतों में था जहाँ हजारों ईसाइयों को मार डाला गया।
4. माई-ली-गाँव हत्याकांड का परिचय दें।
उत्तर – माई-ली दक्षिणी वियतनाम का एक गाँव था जहाँ के लोगों का वियतकांग समर्थक मानकर अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेरकर पुरुषों को मार डाला। औरतों तथा बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें मारकर पूरे गाँव में आग लगा दिया गया। अमेरिकी सेना की इस बर्बरतापूर्वक कार्रवाई की संपूर्ण विश्व में आलोचना हुई थी।
5. वियतनाम में टोंकिन फ्री-स्कूल क्यों स्थापित किए गए?
उत्तर- 1907 में वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल स्थापित किए गए जिसका उद्देश्य वियतनामियों को पश्चिमी शिक्षा दिलाना था। सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त इस शिक्षा में विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषा की शिक्षा देने की भी व्यवस्था की गई। स्कूल में वियतनामियों को आधुनिक बनाने पर बल दिया गया। छात्रों को पश्चिमी शिक्षा के अतिरिक्त रहन-सहन की यूरोपीय शैली अपनाने की भी शिक्षा दी गई।
6. जेनेवा समझौता के प्रावधानों का वर्णन करें।
उत्तर- 1954 के जेनेवा समझौता के द्वारा इंडो-चीन के लाओस और कंबोडिया स्वतंत्र कर दिए गए। दोनों राज्यों में वैध राजतंत्र एवं संसदीय व्यवस्था लागू की गयी। वियतनाम का विभाजन अस्थायी रूप से दो भागों में कर दिया गया— (i) उत्तरी वियतनाम, (ii) दक्षिणी वियतनाम। दोनों राज्यों की विभाजक रेखा सत्रहवीं समानांतर बनाई गई। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता दी गई। दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की सरकार बनी रही। यह भी व्यवस्था की गई कि 1956 में पूरे वियतनाम के लिए चुनाव करवाए जाएँगे।
7. पाथेट लाओ की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर- पाथेट लाओ एक सैन्य संगठन था। इसकी स्थापना का कारण यह था कि वह इसकी सहायता से लाओस में साम्यवादी व्यवस्था स्थापित करना चाहता था जिसकी स्थापना सुफन्न बोंग ने की थी।
8. एकतरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी?
उत्तर - वियतनामी मजदूरों से बागानों में 'एकतरफा अनुबंध व्यवस्था' के अंतर्गत काम करवाया जाता था। इस व्यवस्था में मजदूरों को एकरारनामा के अंतर्गत जो बागान मालिकों और मजदूरों के बीच होता था, काम करना पड़ता था। इस व्यवस्था में मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त होते थे।
9. बाओदायी कौन था?
उत्तर – बाओदायी फ्रांस एवं अमेरिका के समर्थन से दक्षिण वियतनाम के प्रांत अन्नाम का शासक बना था। लेकिन वियतनाम में साम्यवादी राष्ट्रवादियों के बढ़ते विरोध के कारण उसका टिकना कठिन साबित हुआ। इसलिए 25 अगस्त, 1945 को बाओदायी ने अपना पद त्याग दिया।
10. फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा में नहरें क्यों बनवाई? इसका क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर – फ्रांसीसियों ने कृषि के विस्तार के लिए मेकांग डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा के लिए नहरें बनवाई। सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होने से धान की खेती और उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप 1931 तक वियतनाम विश्व का तीसरा चावल निर्यातक देश बन गया।
11. लाओस एवं कंबोडिया पर भारतीय प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर – लाओस एवं कंबोडिया पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव था। इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म एवं हिंदू धर्म दोनों का प्रसार हुआ। चौथी सदी में स्थापित कंबोज राज्य के शासक भारतीय मूल के थे। अतः कंबोज भारतीय संस्कृति का प्रधान केंद्र बना। बारहवीं सदी में राजा सूर्यवर्मन ने प्रसिद्ध अंकोरवाट के मंदिर का निर्माण करवाया। यह हिंदू धर्म का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है। सोलहवीं सदी में कंबोज का हो गया और इसके बाद वहाँ आंतरिक अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गयी।
12. हिंद-चीन का अर्थ क्या है?
उत्तर – दक्षिण-पूर्व एशिया के हिंद-चीन देशों से अभिप्राय तत्कालीन समय में लगभग 3 लाख (2.80 लाख) वर्ग किमी० में फैले उस प्रायद्वीपीय क्षेत्र से है जिसमें आज के वियतनाम, लाओस और कंबोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तरी सीमा म्यांमार एवं चीन को छूती है तो दक्षिण में चीन सागर है और पश्चिम में म्यांमार के क्षेत्र पड़ते हैं।
13. हिन्द- चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर- फ्रांस द्वारा हिंद-चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी कमजोर पड़ रहे थे। दूसरे, हिंद-चीन के देशों से कच्चे माल की प्राप्ति हो सकती थी, जिसका उपयोग फ्रांसीसी उद्योगों के विकास में किया जा सकता था। हिंद- चीन में फ्रांस को बड़ा बाजार भी मिल सकता था। तीसरे, अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के समान फ्रांसीसी भी पिछड़ों एवं असभ्यों को सभ्य बनाना अपना दायित्व मानते थे।
14. हो ची मिन्ह मार्ग क्या है ? बताएँ ।
उत्तर – हो ची मिन्ह हनोई से चलकर लाओस कम्बोडिया के सीमा क्षेत्र से गुजरता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था। इसमें सैकड़ों कच्ची-पक्की सड़कें निकलकर पूरे वियतनाम से जुड़ी थी। यह वियतनामियों का रसद सप्लाई मार्ग था । यह मार्ग काफी मजबूत था । अमेरिका सैकड़ों बार इस पर बमबारी कर चुका था, परन्तु वियतकांग एवं उनके समर्थित लोग तुरंत उसकी मरम्मत कर लेते थे। चूँकि हो ची मिन्ह मार्ग वियतकांग की जीवन-रेखा थी, अतः अमेरिका इस पर नियंत्रण करना चाहता था। इसी क्रम में उसने लाओस एवं कम्बोडिया पर आक्रमण भी किया। किंतु तीन तरफा संघर्ष में फँसकर उसे वापस होना पड़ा था।
15. ची मिन्ह के संबंध में लिखें। हो
उत्तर – हो ची मिन्ह साम्यवाद से प्रभावित था। उसने 1925 ई० में 'वियतनामी क्रांतिकारी दल' का गठन किया एवं फ्रांसीसी साम्राज्यवाद से लड़ने के लिए . कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की। 1930 ई० में राष्ट्रवादी गुटों को एकत्रित कर वियतनाम कांग सान देंग अर्थात् वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। विश्वव्यापी आर्थिक मंदी एवं फ्रांसीसी सरकार की क्रूरता के कारण हो-- ची मिन्ह ने राष्ट्रवादी आंदोलन को तीव्र किया।
16. वियतनामी युद्ध में स्त्रियों की भूमिका को बताएँ।
उत्तर - वियतनाम के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। युद्ध और शांति काल दोनों में ही उन लोगों ने पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग किया। स्वतंत्रता संग्राम में वे विभिन्न रूपों में भाग लेने लगी; छापामार योद्धा के रूप में कुली के रूप में अथवा नर्स के रूप में। वियतनामी स्त्रियों को राष्ट्रवादी धारा में आकृष्ट करने के लिए बीते वक्त की वैसी महिलाओं को गुणगान किया जाने लगा जिन लोगों ने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया था।
17. रासायनिक हथियारों नापाम एवं एजेन्ट ऑरेंज का वर्णन करें।
उत्तर - अमेरिका ने वियतनाम पर आक्रमण में खतरनाक हथियारों, टैंकों एवं बमवर्षक विमानों के व्यापक प्रयोग के साथ-साथ खतरनाक रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया। ऐसे ही कुछ रासायनिक हथियार थे – नापाम बम, एजेन्ट ऑरेन्ज । नापाम बम में नापाम एक कार्बनिक यौगिक होता है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता है जो त्वचा से चिपक जाता और जलता रहता है ।
एजेंट ऑरेंज एक ऐसा जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ झुलस जाती थी तथा पेड़ मर जाते थे। जंगलों को खत्म करने में इसका प्रयोग किया जाता था।
18. जेनेवा समझौता कब और किसके बीच हुआ?
उत्तर- 1954 में जेनेवा समझौता फ्रांस और वियतनाम के बीच अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण हुआ था।
19. होआ-होआ आंदोलन की चर्चा करें।
उत्तर – होआ-होआ वियतनाम के एकीकरण हेतु बौद्ध धर्मावलंबियों का एक धार्मिक क्रांतिकारी आंदोलन था जो 1939 में शुरू हुआ था। इसके नेता हुइन्ह- फूसो था। इस आंदोलन में क्रांतिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे, जिसमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।
20. 1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर - कंबोडिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के साथ ही चीनी हस्तक्षेप भी शुरू हुआ। इससे विश्वशांति को खतरा उत्पन्न हुआ। अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटाने को तैयार नहीं हुआ। इससे गंभीर स्थिति बन गई । इसी समस्या के समाधान के लिए मई, 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन बुलाया गया।
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