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Bihar Board Class 10th History 2023 | Class 10 ka Itihas Chapter 4 | Most Subjective Questions 2023 | भारत में राष्ट्रवाद लघु उत्तरीय प्रश्न | 2 अंक निश्चित है

  भारत में राष्ट्रवाद  

1. असहयोग आंदोलन को गाँधीजी ने क्यों स्थगित किया?
उत्तर - महात्मा गाँधी द्वारा आरंभ किया गया असहयोग आंदोलन (1920-22) प्रथम जन आंदोलन था। गाँधीजी का यह आंदोलन सत्य और अहिंसा के सिद्धांत । पर आधारित था। इस आंदोलन को समाज का हर वर्ग अपना समर्थन दे रहा था। लेकिन 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के चौरा-चौरी नामक स्थान पर ' आंदोलनकारियों की भीड़ ने पुलिस थाना पर हमला कर 22 पुलिसकर्मियों को जिंदा ! जला दिया। इस घटना से गाँधी जी काफी दुखित हुए। चूँकि उनका आंदोलन पूरी तरह अहिंसात्मक था। अतः उन्होंने असहयोग आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय ले लिया।
2. बिहार के किसान आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर - 1920 के दशक में बिहार के किसानों ने अपने को संगठित करना शुरू किया। किसानों के प्रति उदासीन रवैये का फायदा उठाकर वामपंथियों ने उन्हें किसान सभाओं के गठन हेतु प्रेरित किया। फलतः 1922-23 में मुंगेर में शाह मुहम्मद जुबैर की अध्यक्षता में किसान सभा का गठन किया गया। बिहार के किसान आंदोलन के एक प्रखर नेता के रूप में स्वामी सहजानंद सरस्वती का नाम विशेष उल्लेखनीय है । 
3. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर – असहयोग आंदोलन की एकाएक समाप्ति से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास और मोती लाल नेहरू ने कांग्रेस से असहमत होकर पदत्याग करते हुए 1922 ई० में स्वराज पार्टी की स्थापना की।
स्वराज पार्टी के नेताओं का मुख्य उद्देश्य था देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं एवं सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा किया जाए। वे अंग्रेजों द्वारा भारत में चलाई गयी सरकारी परंपराओं का अंत चाहते थे। उनकी नीति थी नौकरशाही की शक्ति को कमजोर कर दमनकारी कानूनों का विरोध करना और राष्ट्रीय शक्ति का विकास करना एवं आवश्यकता पड़ने पर पदत्याग कर सत्याग्रह में भाग लेना ।
4. गाँधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया?
उत्तर — गाँधीजी ने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, क्योंकि गाँधीजी को भारत में एक बड़ा जन आंदोलन 'असहयोग आन्दोलन' चलाना था।
5. साइमन कमीशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – साइमन कमीशन के गठन का उद्देश्य 1919 के अधिनियम द्वारा स्थापित । उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करना एवं आवश्यक + सुझाव देना था। साइमन कमीशन फरवरी 1928 में भारत आया ।
आयोग के बंबई (मुंबई) पहुँचने पर इसका स्वागत काले झंडों एवं प्रदर्शनों से । किया गया एवं साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए। देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए जिसका जवाब अंग्रेजी  सरकार ने लाठी से दिया।
6. नेहरू रिपोर्ट क्या थी?
उत्तर – जब भारतीयों ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया (1928) तब भारत सचिव बर्केनेन्ड ने भारतीयों को सर्वदलीय स्वीकृत एक संविधान बनाने की चुनौती दी। भारतीयों ने मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय समिति । बनाई जिसका उद्देश्य था संविधान का एक प्रारूप बनाना। समिति ने जो प्रतिवेदन तैयार किया उसे नेहरू रिपोर्ट कहा जाता है।
7. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद भारत में साम्यवादी आतंकवादी राष्ट्रवादियों पर सरकार ने दमन शुरू किया। मेरठ षड्यंत्र केस के तहत मार्च, 1929 ई० में 31 मजदूर नेताओं को षड्यंत्रों के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन्हें मेरठ ले जाया गया और वहीं उनपर मुकदमा चलाया गया। यह मुकदमा मेरठ षड्यंत्र केस के नाम से प्रसिद्ध है।
8. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई? 
उत्तर - 19 वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में भारत में उद्योगों (कल-कारखानों) की स्थापना के साथ ही श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। इन औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों का कई तरह से शोषण किया जाता था। धीरे-धीरे श्रमिक वर्ग अपने अधिकारों के प्रति सजग हुआ। अपनी माँगों के लिए हड़ताल का सहारा लेने के अतिरिक्त मजदूर संगठित होकर अपना संगठन बनाने का भी प्रयास करने लगे। इसी क्रम में 1920 ई० को लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना हुई।  
9. खिलाफत आंदोलनकारियों की माँग क्या थी ? 
उत्तर खिलाफत आंदोलनकारियों की माँग निम्नलिखित थी—  
(i) तुर्की के सुल्तान की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना, 
(ii) अरब प्रदेश खलीफा के अधीन करना, 
(iii) खलीफा को मुसलमानों के पवित्र स्थलों का संरक्षक बनाया जाए
10. जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर - 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वैशाखी के दिन एकत्रित सभा रॉलेट एक्ट एवं पुलिस की दमनकारी नीतियों का विरोध कर रही थी । सभा की कार्रवाई के बीच में ही अमृतसर का सैनिक कमांडर जनरल डायर वहाँ पहुँचा और प्रवेश द्वार बंद कर निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दिया। इस हत्याकांड में 379 लोग मारे गए तथा करीब 1,200 लोग जख्मी हुए। 
13. समाजवादी दल का गठन क्यों हुआ? 
उत्तर - 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक से भारत में समाजवादी विचारधारा का भी उदय और विकास हुआ। समाजवादी भी किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति में सुधार लाना चाहते थे। विश्वव्यापी आर्थिक मंदी (1929-30) ने सबसे अधिक बुरा प्रभाव श्रमिकों और किसानों पर ही डाला। अतः समाजवादियों ने अपना ध्यान इन पर केंद्रित किया। कांग्रेस के अंदर वामपंथी के अतिरिक्त समाजवादी विचारधारा भी पनपने लगी। नेहरू- सुभाष के अतिरिक्त जयप्रकाश नारायण, नरेंद्र देव, राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन सरीखे नेता समाजवादी कार्यक्रम अपनाने की माँग करने लगे। इनके प्रयासों से 1934 में कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना की गई। 
12. 1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर - 26 सितंबर, 1932 को पूना में गाँधीजी और डा० अंबेदकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप दलित वर्गों (अनुसूचित जातियों) के लिए प्रांतीय और केंद्रीय विधायिकाओं में स्थान आरक्षित कर दिए गए। गाँधीजी ने अपन अनशन तोड़ दिया और हरिजनोद्धार कार्यों में लग गए।
13. रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं? इसका विरोध क्यों हुआ?
उत्तर – भारत में बढ़ती हुई राष्ट्रवादी घटनाओं एवं असंतोष को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट को लाया गया था जिसके अंतर्गत सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना साक्ष्य एवं वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती थी। इस अधिनियम के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान था जिसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती थी। इसीलिए इसका विरोध हुआ। था?
14. गाँधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या
उत्तर – सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को वायसराय लार्ड इरविन तथा गाँधीजी के बीच समझौता हुआ जिसे दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत गाँधीजी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया तथा वे द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने हेतु सहमत हो गए।
15. नमक सत्याग्रह पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर - सविनय अवज्ञा आंदोलन नमक सत्याग्रह से आरंभ हुआ। नमक कानून भंग करने के लिए गाँधीजी ने दांडी को चुना। 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा आरंभ की। 24 दिनों की लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और शांतिपूर्ण अहिंसक ढंग से नमक कानून भंग किया। 
16. बारदोली सत्याग्रह का कारण क्या था? क्या यह सत्याग्रह सफल रहा ?
उत्तर – बारदोली सत्याग्रह का कारण सरकार द्वारा किसानों पर बढ़ाए गए करों से था। बारदोली के किसानों ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सरकार के विरोध में सत्याग्रह किया। पहले किसानों ने लगान में हुई 22% की कर वृद्धि का विरोध किया तथा सरकार से माँग किया कि सरकार प्रस्तावित लगान में वृद्धि को वापस ले। आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही। सरदार पटेल की गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए गाँधीजी 2 अगस्त, 1928 को बारदोली पहुँचे। गाँधीजी के प्रभाव के कारण सरकार ने लगान में वृद्धि को गलत बताया और बढ़ोतरी 22 प्रतिशत से घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया। बारदोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने बल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि प्रदान की।
17. स्थायी बंदोवस्त क्या था ?
उत्तर - अंग्रेजों की कृषि नीति में मुख्य रूप से अधिकतम लगान एकत्रित करने के उद्देश्य से बंगाल में स्थायी बंदोवस्त लागू किया गया। इसमें जमींदारों को एक निश्चित भू-राजस्व सरकार को देना पड़ता तथा जमींदार किसानों से उससे अधिक लगान वसूल करते थे।
18. खोंड विद्रोह का परिचय दें।
उत्तर- खोंड विद्रोह उड़ीसा की सामंतवादी रियासत दसपल्ला में अक्टूबर, 1914 में शुरू हुआ। यह विद्रोह उत्तराधिकार विवाद से आरंभ हुआ। परंतु शीघ्र ही इसने अलग रूप धारण कर लिया। इसके विस्तार को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह को क्रूरतापूर्वक दबा दिया।
19. अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?
उत्तर – आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक में नये वन कानूनों के लगाए जाने के प्रतिरोध में आदिवासियों का विद्रोह हुआ। जिसका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।
20. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में लिखें। 
उत्तर – छोटानागपुर के उरांव आदिवासियों का अहिंसक आंदोलन 1914 से 1920 तक चलता रहा। इस विद्रोह का नेता जतरा भगत था। इस आंदोलन में सामाजिक एवं शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया गया। 
21. स्वदेशी आंदोलन का उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- सन् 1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा द्वारा पूरे बंगाल को दो प्रांतों- पूर्वी बंगाल एवं पश्चिमी बंगाल में बाँट दिया गया। बंगाल विभाजन का मुख्य उद्देश्य भारत में उभरते उग्र राष्ट्रवादी आंदोलन को कमजोर करना था। लेकिन विभाजन के विरोध में पूरे भारत में स्वदेशी आंदोलन शुरू किया गया। 
22. "असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था।" टिप्पणी करें। (VVI)
उत्तर - रॉलेट कानून, जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में तथा खिलाफत आंदोलन के समर्थन में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति था। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने पहली बार व्यापक रूप से भाग लिया। शहरी मध्यमवर्ग की इसमें मुख्य भागीदारी रही। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, मजदूरों तथा आदिवासियों ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। इस प्रकार, यह प्रथम जनआंदोलन बन गया।
23. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई? (VVI)
उत्तर – 19वीं शताब्दी में राष्ट्रीय चेतना के विकास में राजनीतिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के पूर्व ही क्षेत्रीय स्तर पर वर्गीय हितों की सुरक्षा के लिए अनेक संगठन बनाए गए जैसे— । लैंडहोल्डर्स सोसायटी, ब्रिटिश इंडिया सोसायटी, मद्रास नेटिव ऐसोसिएशन, बंबई ऐसासिएशन, मद्रास महाजन सभा, पूना सार्वजनिक सभा इत्यादि। लेकिन ये सभी संस्थाएँ क्षेत्रीय स्तर पर सीमित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही प्रयासरत थी । लिटन के शासनकाल में आर्म्स एक्ट तथा रिपन के समय में इलबर्ट बिल पर हुए प्रतिरोध ने भारतीयों को एकजुट होने का अवसर दिया। इसका लाभ उठाकर इंडियन ऐसोसिएशन के सचिव आनंद मोहन बसु ने दिसंबर 1883 में सभी राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों की सभा इंडियन नेशनल कांफ्रेंस कलकत्ता में आयोजित की। इसके द्वारा सभी संगठनों को एक मंच पर आने और संगठित होकर काम करने को प्रोत्साहित किया गया। अतः राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन स्थापित करने का प्रयास आरंभ कर दिया गया। फलतः इन्हीं परिस्थितियों में 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
24. सविनय अवज्ञा आन्दोलन का क्या परिणाम हुआ ? 
उत्तर – सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित परिणाम हुए
(i) इस आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया। सामाजिक आधार को महिलाओं, मजदूर वर्ग, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन व अशिक्षित लोगों की भागीदारी के अंतर्गत देखा जा सकता है।
(ii) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया तथा लोगों में अंग्रेज विरोधी भावनाएँ व्याप्त हुई।
(iii) इस आंदोलन में महिलाओं को प्रभावी भूमिका में देखा गया।
(iv) इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक बहिष्कार ने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया।
(v) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई० का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना था।
25. कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता की माँग की गई। तथा इस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वाधीनता की माँग की गई। इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे।
26. भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ?
उत्तर - हिंद-चीन के समान भारत में भी राष्ट्रवाद का उदय और विकास औपनिवेशिक शासन के प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंग्रेजी राज प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगी। भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण, पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार, मध्यवर्ग के उदय, सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलनों, साहित्य और समाचार पत्रों के विकास तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।
27. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर - भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों में प्रमुख थाअंगरेजों की प्रजातीय विभेद की नीति । अंग्रेज अपने को श्रेष्ठ तथा भारतीयों को उपेक्षा तथा हेय की दृष्टि से देखते थे। भारतीयों पर अनेक प्रतिबंध थे जैसे रेलगाड़ी, क्लबों, होटलों में वे सफर या प्रवेश नहीं कर सकते थे, जिसमें अंग्रेज हों । सरकारी सेवाओं में अंग्रेजों की पक्षपातपूर्ण नीति ने भी राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित किया। सरकारी नागरिक सेवा में भारतीयों का प्रवेश काफी मुश्किल था। बहुत बार परीक्षा में सफल होने के बाद भी उन्हें या तो नियुक्त नहीं किया जाता था या अकारण नौकरी से हटा दिया जाता था। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के साथ भी ऐसा ही किया गया। इससे भारतीय शिक्षित मध्यम वर्ग मर्माहत हो गया जिसने राष्ट्रवाद के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
28. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें। (VVI)
उत्तर - प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा था। विश्वयुद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों से राष्ट्रीय आंदोलन भी प्रभावित हुआ। ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं की सहमति लिए बिना भारत को युद्ध में घसीट लिया था। कांग्रेस, उदारवादियों और भारतीय रजवाड़ों ने इस उम्मीद से अंगरेजी सरकार को समर्थन दिया कि युद्ध के बाद उन्हें स्वराज की प्राप्ति होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया जिससे जनता की स्थिति काफी बदतर हो गई। विश्वयुद्ध का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ा। विश्वयुद्ध के दौरान कांतिकारी गतिविधियाँ काफी बढ़ गई तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।
29. प्रथम विश्व युद्ध के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर- 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में विश्व राजनीति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) थी जिसके काफी विनाशकारी प्रभाव हुए। प्रथम विश्वयुद्ध के दो कारण निम्नलिखित थे—
(i) गुटबन्दी – प्रथम विश्वयुद्ध में पूरा विश्व दो खेमों में बँट गया। एक तरफ जर्मनी आस्ट्रिया हंगरी और तुर्की थे जिन्हें केन्द्रीय शक्ति कहा गया। दूसरे खेमे में मित्र राष्ट्रों का देश-ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका था।
(ii) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्द्धा – साम्राज्यवादी देशों का साम्राज्य विस्तार के लिए आपसी प्रतिद्वंद्विता एवं हितों की टकराहट प्रथम विश्वयुद्ध का एक महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है।
30. मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया? 
उत्तर- मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिंदू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतृत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।
31. मुस्लिम लीग के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर- मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 को हुई। इसका उद्देश्य था मुस्लिम के हितों की रक्षा करना। इसकी नींव ढाका के नवाब सलीमुल्लाह खाँ ने रखी थी। इसका उद्देश्य मुसलमानों का सरकारी सेवा में उचित स्थान दिलाना एवं न्यायाधीश के पद पर मुसलमानों को जगह दिलांना विधान परिषद् में अलग निर्वाचक मंडल बनाना एवं काउन्सिल में उचित जगह पाना। 
32. ऑल इण्डिया मुस्लिम लीग की स्थापना कैसे हुई? इसकी आरंभिक नीति क्या थी?
उत्तर - 1906 में मुसलमानों का एक शिष्टमंडल अपनी मांगों के साथ आगा खाँ के नेतृत्व में वायसराय मिंटो से शिमला में मिला। मिंटो ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। ढाका में एकत्रित प्रमुख मुसलमानों ने 30 दिसंबर, 1906 को मुस्लिम लीग की स्थापना की। लीग ने सरकार के साथ सहयोग का रास्ता अपनाया तथा सरकारी नौकरियों, व्यवस्थापिका सभाओं में प्रतिनिधित्व एवं पृथक निर्वाचन मंडलों की माँग की।
33. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – इसकी स्थापना 1925 ई० में के०वी० हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य युवकों को चारित्रिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत बनाकर सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना था। इसने हिंदू राष्ट्रवाद का नारा दिया तथा हिंदू धर्म एवं समाज के पुनरूत्थान की नीति अपनाई । सामाजिक संगठन के रूप में यह संस्था आज भी कार्यरत है।
34. मोपला विद्रोह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर - केरल के मालाबार में 19वीं 20वीं शताब्दियों में मोपलाओं के अनेक विद्रोह हुए। मोपला एक वर्ग समूह था। जिसमें किसान-मजदूर और अन्य लोग सम्मिलित थे। यह विद्रोह भू-स्वामियों के अत्याचारों के विरुद्ध था। मोपला मुसलमान थे और भू-स्वामी नायर और नम्बूदरी हिंदू । मोपला खलीफा के साथ किए गए अन्याय से भी क्रुध थे। 1921 में सबसे बड़ा मोपला विद्रोह हुआ। मोपलाओं ने अली मुसालियर को अपना राजा घोषित कर धार्मिक उन्माद एवं हिंसा भड़काई। सरकार ने अली मुसालियर को गिरफ्तार कर सेना की सहायता से विद्रोह को कुचल दिया। 
35. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया?
उत्तर- 1919 ई० के 'भारत सरकार अधिनियम' में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव है। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।  
36. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे?
उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख कारण थे—
(i) साइमन कमीशन का बहिष्कार तथा नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया जाना,
(ii) 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी,
(iii) भारत में समाजवादी का बढ़ता प्रभाव,
(iv) गाँधीजी के 11 सूत्री माँगों को मानने से इरविन का इनकार, 
(v) पूर्ण स्वराज की माँग ।
37. असहयोग आंदोलन में चौरी-चौरा की घटना का क्या महत्त्व है? 
उत्तर- असहयोग आंदोलन पूर्णत: अहिंसक आंदोलन था जिसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं था। लेकिन 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर (उत्तरप्रदेश ) के चौरा-चौरी नामक स्थान पर आंदोलनकारियों की भीड़ ने पुलिस थाना पर हमला कर अनेक पुलिसकर्मियों को जिंदा जला दिया। इस घटना से गाँधीजी काफी दुखित हुए और उन्होंने तत्काल असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया। 
38. भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में जनजातीय समूह की क्या भूमिका थी, वर्णन करें।
उत्तर - भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में जनजातिय लोगों की प्रमुख भूमिका रही। 19 वीं शताब्दी की तरह 20 वीं शताब्दी में भी भारत के अनेक भागों में आदिवासी विद्रोह हुए। इन विद्रोहों में रम्पा विद्रोह, अलमूरी विद्रोह, उड़ीसा का खोड़ विद्रोह, यह 1914 से 1920 तक चला। 1917 में मयूरभंज में संथालों ने एवं मणिपुर में 'पोडोई कुकियों' ने विद्रोह किया था। 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय पश्चिमोत्तर प्रांत का जनजातियों ने तीव्र राष्ट्रवादी भावना दिखायी। दक्षिण बिहार के आदिवासियों ने भी राष्ट्रीय चेतना का परिचयं दिया। इस प्रकार भारत के कोने-कोने से आदिवासी जनता ने समय-समय पर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया।

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