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Bihar Board Class 10th Exam 2023 | Class 10 Social Science Subjective Question With Answer | Most VVI SST Subjective Question 2023

Bihar Board Class 10th Exam 2023  Class 10 Social Science Subjective Question With Answer  Most VVI SST Subjective Question 2023

1. मेजिनी कौन था ?
उत्तर- मेजनी इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल 'कार्बोनरी' का सदस्य था । वह सेनापति होने के साथ-साथ, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक साहित्य कार था । 1830 ई० में नागरिक आन्दोलनों द्वारा मेजनी ने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया। इसमें असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा । 1848 ई० में मेटरनिख के पराजय के बाद मेजनी ने पुनः इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया। इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा ।
2. पूँजीवाद क्या है ?
उत्तर - पूँजीवाद ऐसी राजनैतिक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है । यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है ।
3. हिन्द- चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर - 17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिंद-चीन पहुँच गए । 1747 ई० के बाद से फ्रांस अन्नान में रुचि लेने लगा । 1787 ई० में कोचीन- चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नान, कोचीन- चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आंदोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई० में अन्नान को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया । उसके अगले वर्ष कंबोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 ई० में तोंकिन में फ्रांसीसी सेना का प्रवेश हुआ । इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गया |
4. न्यूनतम मजदूरी कानून कब पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे ? 
उत्तर- न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 ई० में पारित हुआ। इसका उद्देश्य कुछ उद्योगों में मजदूरी की दरें निश्चित करना था। न्यूनतम मजदूरी के संदर्भ में कहा गया कि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी ऐसी होनी चाहिए जिससे मजदूर केवल अपना ही गुजारा न कर सकें बल्कि इससे कुछ और अधिक हो ताकि वह अपनी कुशलता को भी बनाये रख सकें ।

  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions  

6. रूसी क्रान्ति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर- रूसी क्रांति के निम्नलिखित कारण थे :
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन- क्रांति से पूर्व रूस में जारशाही शासन व्यवस्था कायम थी जो निरंकुश एवं अकुशल थी। जार निकोलस-II एक स्वेच्छाचारी शासक था। आमलोगों की स्थिति चिंताजनक थी जिसके कारण रूस में क्रांति का श्रीगणेश हुआ।
(ii) मजदूरों की दयनीय स्थिति- रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था किंतु उनकी मजदूरी काफी कम थी। मजदूरों अधिकार नहीं थे। 
(iii) कृषकों की दयनीय स्थिति- रूस की बहुसंख्यक जनसंख्या कृषक थी जिनकी स्थिति अत्यन्त ही दयनीय थी। कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। किसानों के पास क्रांति के सिवा कोई चारा नहीं था।
(iv) औद्योगीकरण की समस्या - रूसी औद्योगीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगीकरण से भिन्न था। यहाँ कुछ ही क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उद्योगों का केन्द्रण था। यहाँ राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था। अतः उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ गयी थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अत: चारों ओर असंतोष व्याप्त था।
(v) रूसीकरण की नीति- जार निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रूसीकरण को नीति से रूस में अल्पसंख्यक समूह परेशान थे। जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इससे अल्पसंख्यकों में असंतोष की भावना फैली।
(vi) विदेशी घटनाओं का प्रभाव- रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। सर्वप्रथम क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने उस देश में सुधार का युग आरंभ किया। तत्पश्चात् 1904-5 ई० के रूस जापान युद्ध ने रूस में पहली क्रांति को जन्म दिया और अन्ततः प्रथम विश्व युद्ध ने बोल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।
(vii) रूस में मार्क्सवादु तथा बुद्धिजीवियों का योगदान- रूस में क्रांति के पूर्व एक वैचारिक क्रांति भी देखी जा सकती थी। लियो टॉलस्टाय (वार एण्ड पीस), दोस्तोवस्की, तुर्गनेव जैसे चिंतक इस नए विचार को प्रोत्साहन दे रहे थे। रूस के औद्योगिक मजदूरों पर कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारों का पूर्ण प्रभाव था । मार्क्सवाद एक नशा की तरह रूस में छा गया और अन्ततः 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति हुई ।
(viii) तात्कालिक कारण प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय - प्रथम विश्व युद्ध 1914 ई० से 1918 ई० तक चला। इस युद्ध में रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ था। रूसी सेना के पास न तो आधुनिक हथियार थे न ही पर्याप्त मात्रा में रसद । जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया था जिससे दरबार में उसकी अनुपस्थिति में जरीना और पादरी (रासपुटिन) को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया, जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई ।
उपर्युक्त कारणों परिप्रेक्ष्य में रूस में 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति हुई । 
7. भूमंडलीकरण के कारण आमलोगों के जीवन में आने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करें। 
उत्तर- वर्तमान परिदृश्य में भूमण्डलीकरण के प्रभाव को आर्थिक क्षेत्र में अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, खुली प्रतियोगिता, बहुराष्ट्रीय निगमों का प्रसार, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आर्थिक भूमण्डलीकरण के मुख्य तत्त्व हैं।
भूमण्डलीकरण का प्रभाव आम जीवन पर स्पष्ट दीख रहा है। भूमण्डलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में जो बदलाव आया है उसकी झलक शहर, कस्बा और गाँव में सभी जगह दिखाई पड़ रही है। वर्तमान दौर में 1991 ई० के बाद सम्पूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार तीव्र गति से हुआ है जिससे जीविकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुले हैं। सेवा क्षेत्र से तात्पर्य वैसी आर्थिक गतिविधियों से है जिसमें लोगों से विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करने के बदले पैसा लिया जाता है जैसे यातायात की सुविधा, बैंक और बीमा क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधा, दूर संचार और सूचना तकनीक (मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, इंटरनेट), होटल और रेस्टोरेंट आदि। उपर्युक्त वर्णित सभी क्षेत्र ण्डलीकरण के दौरान काफी तेजी से फैले हैं, जिससे लोगों को जीविकोपार्जन के कई नवीन अवसर मिले हैं। आर्थिक भूमण्डलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को और उसी अनुरूप में बढ़ाया है। उसकी पूर्ति हेतु नए-नए सेवाओं का उदय हो रहा है, जिससे जुड़कर लाखों लोग अपनी जीविका चला रहे हैं। इस प्रक्रिया ने लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा किया है।

  राजनीति विज्ञान / Political Science  

लघु उत्तरीय प्रश्न 
8. सामाजिक विभाजन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- जाति, धर्म, रंग, क्षेत्र आदि के आधार पर समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा परस्पर गलत व्यवहार करना, आपसी संघर्ष को सामाजिक विभाजन कहते हैं। इसके जीवन निर्धारक तत्त्व हैं- (i) स्वयं की पहचान की चेतना, (ii) विभिन्न समुदायों की माँगों को राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत करने का तरीका तथा (iii) माँगों के प्रति सरकार की सोच । ये तत्त्व सामाजिक विविधता को विभाजन में बदल देता है ।
9. राजनीति दल लोकतंत्र में क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- राजनीतिक दल लोकतंत्र में निम्न कारणों से आवश्यक है : 
(क) लोकतंत्र में सरकार का निर्माण बहुमत के आधार पर होता है। राजनीतिक दलों के बिना लोकतन्त्र में सरकार का निर्माण सम्भव नहीं है । 
(ख) राजनीतिक दल जनमत के निर्माण में सहायक है तथा जनता में जागरूकता बढ़ाने में सहायक हैं।
(ग) राजनीतिक दल सरकार व जनता के मध्य कड़ी का कार्य करते हैं । 
(घ) विरोधी दल के रूप में ये सरकार की मनमानी पर रोक लगाते हैं ।
10. सांप्रदायिकता क्या है ?
उत्तर- साम्प्रदायिकता ऐसी भावना है जो धर्म अथवा धार्मिक पहचान के आधार पर गैर-धार्मिक हितों-राजनीतिक अथवा आर्थिक की प्राप्ति का समर्थन करती है । साम्प्रदायिकता समाज को धर्म के आधार पर बांटती है ।
11. पंचायती राज क्या है ?
उत्तर- ग्रामीण स्थानीय सरकार पंचायती राज के नाम से जानी जाती हैं । महत्त्व :
(i) यह लोगों को निर्णय लेने में सीधे रूप से भाग लेने में मदद करता है । 
(ii) यह सत्ता के विकेन्द्रीकरण में मदद करती है ।
(iii) यह केन्द्र सरकार के काम में दबाव को कम करता है ।
12. दबाव समूह की परिभाषा दें।
उत्तर- समाज में विभिन्न प्रकार के हित समूह होते हैं ये व्यक्तियों के ऐसे समुदाय या संगठन होते हैं जिनका हित एक समान होता है। उदाहरण के लिए व्यापारिक समूह, कृषक तथा शिक्षक संघ आदि। ये हित समूह जब-तब हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहते हैं । दबाव समूह स्वयंसेवी संस्थाएँ होती हैं जो समाज के किसी विशेष वर्ग या वर्गों को ध्यान में रखकर बनायी जाती हैं । एक राजनीतिक दल से भिन्न होते हैं ।
भारत में कई प्रकार के दबाव समूह कार्यरत हैं जैसे-'भारतीय वाणिज्य मंडल' (FICCI), अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्दु मजदूर संघ, किसान संगठन, सांप्रदायिक व धार्मिक समूह आदि ।

  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions  

14. भारतीय लोकतंत्र की दो चुनौतियों का वर्णन करें। 
उत्तर - वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की चुनौतियाँ विकट रूप में विद्यमान है। भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र है। इसमें शासन का संचालन, जन प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। किसी भी लोकतंत्र की सफलता स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका की भूमिका एक सर्वमान्य सत्य है ।
भारतीय लोकतंत्र में अनेक दीर्घकालिक और समसामयिक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में निश्चित रूप से महँगाई, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, विदेश नीति, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा तैयारियाँ, आदि कई ज्वलंत मुद्दे हैं जिनपर संजिदा बहस जरूरी है। देशों की अखंडता और एकता के लिए खतरा बन रही शक्तियों पर व्यापक परिचर्चा होनी चाहिए। यह खतरा केवल आतंकवादी गतिविधियों, पूर्वोत्तर के अलगाववादी या नक्सली गतिविधियों एवं अवैध शरणार्थियों से नहीं बल्कि बढ़ते आर्थिक अपराध से भी है। विदेशी मुद्रा का अवैध आवागमन विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई बड़ी धन राशि उच्च एवं न्यायिक पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार, असमानता और असंतुलन भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ हैं।
केन्द्र और राज्य के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जनकल्याणकारी योजनाओं (शिक्षा, जाति-भेद, लिंग-भेद, नारी शोषण आदि) कुरीतियों के सुचारु क्रियान्वयन में बाधा पहुँचती है। जबकि कोई भी अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर सामंजस्य एवं तालमेल आवश्यक है।
लोकतंत्र की बड़ी चुनौतियों में लोकसभा और राज्य सभा के चुनावों में होनेवाले अंधाधुंध चुनावी खर्च, उम्मीदवार के टिकट वितरण और चुनावों की पारदर्शिता भी सम्मिलित है। वंश और जाति, क्षेत्रीय पार्टियाँ तथा गठबंधन की राजनीति भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर सरकार बनाने के लिए छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का आपस में गठबंधन करना, वैसे उम्मीदवारों को भी चुन लिया जाना जो दागी प्रवृत्ति या आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं लोकतंत्र के लिए एक अलग ही चुनौती
लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी को लेकर भी चर्चाएँ होती रही हैं। भारत में लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि राजनीति में महिलाओं की सहभागिता बढ़े। प्रशासन व भारतीय राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही लोकतंत्र का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
इसके अतिरिक्त आज भारतीय लोकतंत्र में भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद जैसी बुराइयाँ यहाँ निर्णायक भूमिका निभाती है, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है। 

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