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Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 6 | Sound Short Questions Answer | भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 6 | ध्वनी लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 9th Physics Chapter 6  Sound Short Questions Answer  भारती भवन कक्षा 9वीं भौतिकी अध्याय 6  ध्वनी लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्घ्य तरंग में क्या अन्तर है ? हया में ध्वनि तरंग किस प्रकार की तरंग है ?
उत्तर-
अनुदैर्घ्य तरंग :-
(i) एक अनुदैर्ध्य तरंग में माध्यम के कण तरंग की दिशा में गति करते हैं।
(ii) अनुदैर्घ्य तरंगें ठोस तथा गैसों से संचरित हो सकती हैं।
(iii) अनुदैर्ध्य तरंगों में संपीडन तथा विरलन होते हैं। 
हवा में ध्वनि तरंग अनुदैर्ध्य तरंग है।
अनुप्रस्थ तरंग :-
(i) एक अनुप्रस्थ तरंग में, माध्यम के कण तरंग की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं। 
(ii) अनुप्रस्थ तरंगें ठोस से तथा द्रव्यों की ऊपरी सतह पर से ही संचरित हो सकती हैं।  
(iii) अनुप्रस्थ तरंगों में शृंग तथा गर्त होते हैं।
2. तरंगदैर्घ्य की परिभाषा दें। इसके मात्रक को भी लिखें।
उत्तर- किसी तरंग-गति में वह न्यूनतम दूरी जिसपर किसी माध्यम का घनत्व (या दाब) आवर्ती रूप से अपने मान की पुनरावृति करता है, तरंग का तरंगदैर्घ्य कहा जाता है। तरंगदैर्घ्य का SI मात्रक मीटर (m) है।
3. किसी ध्वनि तरंग की आवृति, आवर्तकाल, तरंगदैर्घ्य तथा आयाम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- (i) आवृति — आवृति से ज्ञात होता है कि घटना कितनी जल्दी-जल्दी घटित होती है। एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृति कहलाती है। इसे सामान्यतया (न्यू) में प्रदर्शित किया जाता है। इसका SI मात्रक हर्ट्ज होता है।
(ii) आवर्तकाल– दो क्रमागत संपीडनों या क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिन्दु से गुज़रने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं, इसका SI मात्रक सेकेण्ड (s) है। आवृति तथा आवर्तकाल के संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं-
V=I/T
(iii) तरंगदैर्घ्य- दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। तरंगदैर्ध्य को सामान्यत: 1 ( लैम्डा) से निरूपित किया जाता है, इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
(iv) आयाम- किसी माध्यम में मूल स्थितिज के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। ध्वनि के लिये इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होगा। ध्वनि प्रबलता या मृदुलता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।
4. किसी ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता में क्या अन्तर है, समझायें । 
उत्तर- ध्वनि की तीव्रता- माध्यम के किसी बिंदु पर ध्वनि की तीव्रता उसके (माध्यम के ) उस बिंदु पर एकांक क्षेत्रफल में गुजरनेवाली ऊर्जा का परिमाण है।
ध्वनि की प्रबलता- ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के लिये कानों की संवेदनशीलता के परिमाण की माप है। यह व्यक्तिनिष्ठ होती है।
दो ध्वनियाँ एक ही (समान) तीव्रता की हो सकती हैं परंतु हम एक को दूसरे की तुलना में अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिये अधिक संवेदनशील हैं।
5. किसी मोटरगाड़ी के निकट पहुँचने के पहले ही उसके हॉर्न (Horn) की आवाज क्यों सुनायी पड़ जाती है ?
उत्तर- इसका कारण यह है कि ध्वनि की चाल मोटरगाड़ी की चाल से बहुत ही अधिक होती है।
6. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य (longitudinal) क्यों है ?
उत्तर- अनुदैर्ध्य तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होती है, माध्यम के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते, परन्तु अपनी विरामावस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। ध्वनि तरंगें ठीक इसी प्रकार संचरित होती हैं। इसलिये ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं।
7. आपका एक मित्र एक अंधेरे कमरे में बैठा है। ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण आपको कमरे के बाहर से ही उसकी आवाज पहचानने में मदद करता है ?
उत्तर- ध्वनि का आयाम वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है। 
8. एक परावर्तक सतह के सामने एक ध्वनि-स्रोत रखने पर उससे उत्पन्न ध्वनि की प्रतिष्वनि सुनायी देती है। यदि ध्वनि- स्त्रोत और परावर्तक सतह के बीच की दूरी नियत रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक जल्दी सुनायी पड़ेगी ? 
(क) जिस दिन ताप (temperature) कम होगा।
(ख) जिस दिन ताप अधिक होगा।
उत्तर- समय = दुरी/वेग 
अर्थात् समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है। किसी भी माध्यम का ताप बढ़ाने से उसमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसलिये गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जायेगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा शीघ्र सुनायी देगी।
9. वैसे तो आकाश में तड़ित (बिजली) की चमक तथा मेघगर्जन साथ-ही-साथ उत्पन्न होते हैं, परन्तु चमक पहले दिखायी पड़ती है और मेघगर्जन कुछ समय बाद क्यों ?
उत्तर- बिजली की चमक प्रकाश की चाल ( 3 x 10 m/s) से चलकर प्रेक्षक की आँखों तक पहुँचती है जबकि मेघगर्जन (कड़क) ध्वनि की चाल (330 m/s) से चलकर प्रेक्षक के कानों तक पहुँचती है। इसलिये प्रकाश (चमक) को प्रेक्षक तक पहुँचने में कम समय लगता है।
10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश तरंगें करती हैं ? इन नियमों को लिखें।
उत्तर- हाँ । ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं।
नियम- (i) आपतन कोण (ii) परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है। (iii) आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं।
11. ध्वनि तरंगों के परावर्तन दो व्यावहारिक उपयोगों का उल्लेख करें। 
उत्तर- ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग इस प्रकार हैं-
(i) लाउडस्पीकर, हार्न तथा शहनाई जैसे वाद्य यंत्र में । 
(ii) स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की जानकारी होती है। 
12. प्रतिध्वनि (echo) किसे कहते हैं ? यह कब सुनायी पड़ती है ? 
उत्तर- किसी अवरोध से टकराने के बाद परावर्तित ध्वनि का बार-बार सुनायी पड़ना, प्रतिध्वनि कहलाती है, प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनायी दे, इसके लिये आवश्यक है कि ध्वनि के स्रोत से अवरोधक की दूरी कम से कम 17.2 मी. हो। 
13. छोटे कमरे में प्रतिध्वनि क्यों नहीं सुनायी पड़ती है ?
उत्तर- प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनने के लिये ध्वनि का परावर्तन करने वाली सतह अर्थात् परावर्तन सतह को श्रोता से कम-से-कम 11m की दूरी पर होना चाहिये। इसका मतलब यह है कि प्रतिध्वनि के लिये परावर्ती सतह बड़ी होनी चाहिये, लेकिन छोटे कमरे में परावर्तक सतह 11 m से कम होती है जिससे छोटे कमरे में प्रतिध्वनि नहीं सुनायी पड़ती है।
14. श्रुतिनिर्बंध (persistence of sound) किसे कहते हैं और इसका मान कितना होता है ?
उत्तर- मनुष्य द्वारा सुनी गयी ध्वनि का प्रभाव उसके मस्तिष्क में लगभग है। इसे श्रुतिनिर्बंध कहते हैं। 1 15 -S तक रहता
15. अनुरणन से ? इसे किस प्रकार कम किया जाता है ? 
उत्तर- यदि परावर्तन-पृष्ठ एक-दूसरे के बहुत निकट होते हैं तो प्रतिध्वनियाँ अलग-अलग सुनायी नहीं देती हैं, बल्कि वे एक-दूसरे से मिलकर एक सुरीली ध्वनि उत्पन्न करती है। इसका प्रभाव कान पर अधिक समय तक रहता है। इसको अनुरणन कहते हैं।
इसे कम करने के लिये भवनालयों में पर्दे लटकाये जाते हैं ताकि ध्वनि का अवशोषण हो सके। इसके अतिरिक्त यदि कमरे में श्रोताओं की उपस्थिति अधिक हो तो ध्वनि का अवशोषण हो सकता है, क्योंकि उनके शरीर ध्वनिशोषकों का काम करते हैं।
16. पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं को साफ करने में कैसे किया जाता है ? 
उत्तर- पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं के उन भागों को साफ करने में किया जाता है जिन तक पहुँचना कठिन होता है, जैसे- सर्पिलाकार नली इत्यादि । जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करनेवाले घोल में रखा जाता है और इस घोल में पराश्रव्य तरंगें भेजी जाती हैं। इन तरंगों की उच्च आवृति के कारण धूल, गंदगी के कण तथा चिकने पदार्थ (greasy material) अलग नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूरी तरह साफ हो जाती है।
17. कंसर्ट हॉल ( या बड़े सभा-भवन) में हॉल (या सभा - भवन) की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिये होती हैं जिससे ध्वनि परावर्तन के पश्चात् हॉल के सभी कोणों तक पहुँच जाये। अतः कहा जा सकता है कि कंसर्ट हॉल में हॉल की छतें वक्राकार होती हैं। 

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